दंदरौआ हनुमान मंदिर मंदिर
मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले के मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर , और भिण्ड जिले की मेहगांव तहसील में स्थापित दंदरौआ सरकार हनुमान मंदिर पूरे देश मे विख्यात है। यहाँ हनुमान जी को डॉ हनुमान के नाम से जाना जाता है। यहाँ देश विदेश के हज़ारों भक्त रोज़ दर्शन के लिए आते हैं। ऐसी मान्यता है कि डॉ हनुमान उनके सभी असाध्य रोगों का सटीक इलाज करते हैं। यहाँ पर हर मंगलवार भंडारा होता है। हर मंगलवार और शनिवार को मेला लगता है और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है नृत्य की मुद्रा में है हनुमान जी की मूर्ति
दंदरौआ धाम में स्थापित हनुमान जी की मूर्ति नृत्य मुद्रा में है जो पूरे भारत देश मे कहीं नही है।
मूर्ति का इतिहास
दंदरौआ मंदिर के महंत परम श्रद्धेय प्रातः स्मरणीय श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर रामदास महाराज जी के अनुसार प्रभु डॉक्टर हनुमान जी की मूर्ति ।यह मूर्ति 500 वर्ष पुरानी है और यह दिव्य मूर्ति एक तालाब में मिली थी। जिसे मिते ( कुंवर अमृत सिंह गुर्जर)
बाबा ने यहां मन्दिर में स्थापित करवाया। तब से मूर्ति की पूजा अर्चना शुरू हो गयी।
"दर्द हरौआ" से पड़ा "दंदरौआ"
ऐसी मान्यता है कि दंदरौआ सरकार हनुमान जी श्रद्धालुओं के रोग और दर्द दूर करते है , इसलिए पहले उन्हें दर्द हरौआ कहा जाने लगा। जो कि अपभ्रंश होकर दंदरौआ हो गय। ग्वालियर रियासत के रोरा नामक रियासत रियासत थी !जो गुर्जर समुदाय के चंदेल वंशज के अधीन थी! वहां के कुंवर अमृत सिंह गुर्जर ने गोहद के जाट राजा सिंहन देव से 15 वी शताब्दी में लगभग ददंरौआ गांव का क्रय किया! वहां से आकर की ददंरौआ गांव में मैं रहने लगे! यहां आने का मुख्य कारण हनुमान जी ने उन्हें सपना दिया कुंवर अमृत सिंह गुर्जर से कहा के यहां से तुम चलो यहां पर तुम्हारा गुजारा नहीं हो सकता! कुंवर अमृत सिंह गुर्जर हनुमान जी के परम भक्त थे! हनुमान जी की पूजा अर्चना और साधना करते थे! और उनके ऊपर हनुमान जी की कृपा थी! ददंरौआ मैं आने पर हनुमान जी महाराज ने उन्हें सपना दिया कि मैं इस गांव के पास बने हुए तालाब के पास खड़े हुए एक नीम के पेड़ के अंदर हूं !उस पेड़ के पास जैसे ही कुंवर अमृत सिंह गुर्जर पहुंचे !पेड़ में से 1 शब्द की शब्द हुआ उन्होंने उस पेड़ को उठाया वहां से और वहां खुदाई की !तो वहां पर हनुमान जी महाराज की मूर्ति निकली और उन्होंने हनुमान जी महाराज की मूर्ति की स्थापना करवाई !यह बात आज से 500 सौ के लगभग पुरानी होगी! यहीं पर कुंवर अमृत सिंह गुर्जर हनुमान जी की पूजा अर्चना और साधना करने लगे और उन पर हनुमान जी की कृपा सदैव बनी रहे और यहां पास के लोग यहां पर आने लगे और इनकी प्रसिद्धि खतियां हनुमान जी के नाम से भी हुई !क्योंकि ज्यादातर लोगों के फोड़ा फुंसी ठीक होने लगे थे इसलिए ने खता हनुमान जी भी कहते थे! यह लेख ठाकुर आज्ञा राम सिंह गुर्जर द्वारा लिखा गया है! कुंवर अमृत सिंह गुर्जर को प्यार से मिते बाबा कहते थें !वर्तमान महंत श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री रामदास जी महाराज के पूर्वज रोरा रियासत के कुंवर अमृत सिंह गुर्जर के राजपुरोहित थे जो ब्राह्मण चरोरे गोत्र सनाढ्य ब्राह्मण थे जो रोरा से कुंवर अमृत सिंह गुर्जर के साथ ददंरौआ गांव में साथ ही आए थे परम पूज्य आदरणीय श्रद्धा श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री राम दास जी महाराज बचपन से ही संत प्रकृति शांत स्वभाव भगवान भक्ति में तल्लीन पूरे गांव के प्रिय ! परम संत 1008 श्री पुरुषोत्तम दास जी महाराज के परम शिष्य और प्रिय शिष्यों में से एक थे! श्री पुरुषोत्तम दास जी महाराज इनकी गुरु भक्ति से और हनुमान भक्ति में तल्लीन देखते हुए !इनसे बड़े प्रसन्न हुए और परम श्रद्धेय रामदास जी महाराज से कहा आज से मंदिर का कारोबार और भगवान की भक्ति भगवान हनुमान जी महाराज की साधना आराधना पूजा अर्चना करने की जिम्मेदारी आपकी है ! और और दंदरौआ धाम का महंत नियुक्त किया! तब से लेकर आज तक गुरु भक्ति गुरु के द्वारा दी गई आज्ञा का पालन करते हुए चले आ रहे हैं !ऐसे परम संत रामदास जी महाराज को मैं कोटि-कोटि नमन !उनके चरणों में सादर प्रणाम करते हुए !चरण वंदन करता हूं !मैं आज्ञा राम सिंह गुर्जर ग्राम दंदरौआ धाम का निवासी हूं! परम श्रद्धेय श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर रामदास जी महाराज के द्वारा दंदरौआ धाम में किए गए कार्य राम जानकी मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। परम श्रद्धेय रामदास जी महाराज ने अपने गुरु जी के नाम पर पुरुषोत्तम विद्यालय संस्कृत और पुरुषोत्तम महाविद्यालय का निर्माण करवाया ।जिसमें पढ़ने वाले विद्यार्थी गणों को रहना खाना फ्री मुहैया कराया ।दंदरौआ धाम मंदिर मैं सत्संग भवन का निर्माण करवाया। 20 बीघा जमीन की बाउंड्री वॉल बनवाई उसमें एक तालाब खुदवाया। और एक बगीचा लगवाया ।विद्यालय और महाविद्यालय का नाम अपने गुरु पुरुषोत्तम दास जी महाराज के नाम पर रखा ।सामूहिक विवाह सम्मेलन में कई विवाह संपन्न करवाएं ।तथा अपने गुरु की पुण्यतिथि पर प्रतिवर्ष महायज्ञ संपन्न कराते है । एक विशाल गौशाला का निर्माण भी करवाया जिसमें सैकड़ों गाय रह रही । परम श्रद्धेय परम पूज्य श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री रामदास जी महाराज ने चित्रकूट धाम में भी एक मंदिर का भी निर्माण करवाया तथा वृंदावन धाम में भी एक मंदिर का निर्माण करवाया तथा उज्जैन में भी एक मंदिर का निर्माण करवाया तथा ग्वालियर क्षेत्र में भी कई मंदिरों का निर्माण करवाया।
नित्य लीला लीन श्री श्री 1008 गुरु बाबा लक्ष्मण दास जी महाराज अब हम बात करते हैं। परम आदरणीय श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री राम दास जी महाराज के गुरु के भी गुरु लक्ष्मण दास जी महाराज के बारे में
गुरु बाबा लक्ष्मण दास जी( गुलाब सिंह तोमर) का जन्म जिला मुरैना के लालपुरा ग्राम में अश्वनी पूर्णिमा संवत 1959 में हुआ ।इनके पिता का नाम बहादुर सिंह तोमर था तथा पितामह का नाम ठाकुर श्री देवी सिंह तोमर। ये चार भाई थे ।जिनमें सबसे ज्येष्ठ थे गुलाब सिंह तोमर। गुरु बाबा कांग्रेस के सदस्य बने और होलीपुरा बाय जरारे के क्षेत्र में गांधीजी के सानिध्य से प्रभावित होकर आंदोलन में सक्रिय हो गए ।ये सन् 1940 के आंदोलन में भी शामिल हुए। आजादी के बाद गुरु बाबा श्री श्री 1008 श्री लक्ष्मण दास जी महाराज का नाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में दर्ज हुआ उसके बाद उन्होंने वैराग्य को धारण कर लिया
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