*रोपाई हो रही है दयालबाग में प्रसाद रूपी धान की*।
*उमंग हो रही सेवा सुमिरन और ध्यान की*।।
*हांथ में पौध,खेतों में पानी,और जुबां पर राधास्वामी नाम है*।
*सतसंगी का हर मौसम में सेवा करना नित्य सुबह और शाम है*।।
*मालिक भी हैं पौध लगाएं, और साथ में हैं दया फरमाएं*।
*भंडारे में भंडारी का वो हर दम जलवा भी दिखलाएं*।।
*ऐसे अपने संत सतगुरु और अपना प्यारा दयाल बाग है*।
*सब सतसंगी मिल गाय रहे राधास्वामी धुन की अद्भुत राग है*।।
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पंकज निगम
कानपुर ब्रांच
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