*यदि किसी सत्संगी को दुःख में देखो तो उसका सहारा बनने की कोशिश करो। क्योंकि मालिक को वही शख्स प्यारा लगता है जो उसके प्यारों की मदद करता है*।
🥀. *यदि स्वयं को मालिक के चरणों में अर्पित कर रखा है, तब आपका कोई काम अधूरा नहीं रहेगा। क्योंकि अब आपका काम मालिक की जिम्मेदारी बन जाता है*।
🥀. *वह सत्संगी बहुत अच्छा है जो मालिक को याद करता है और वह सत्संगी बड़भागी है जिसे मालिक याद करते हैं*।
🥀. *यदि सत्संगी की विनती में उसकी अंतरआत्मा की पुकार भी शामिल हो जाये तो मालिक की कार्रवाई भी फ़ौरन होगी*।
🥀. *किसी सत्संगी द्वारा आपको या फिर आपके विषय में भला-बुरा कहे जाने पर इतना जरूर समझ लें कि उसमें मालिक की रजा शामिल है और उसमें तुम्हारा कोई विशेष लाभ छिपा हुआ है*।
🥀. *सुरत की जुबां से किया गया सुमिरन विशेष कर लाभकारी होता है*।
🥀. *अंतर की आँख न भी खुले कोई बात नहीं लेकिन सुमिरन, ध्यान, भजन में कभी भी कोताही न हो, बाकी मालिक स्वयं देखेंगे*।
🥀. *किसी सत्संगी की गलती देखने से बेहतर है कि स्वयं के दोष दूर करने में समय व्यतीत करें*।
!! 19-07-2021- आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
दरस दे आज बँधाओ धीर। सहत रहूँ निस दिन बिरहा पीर।१।
बिकल मन तड़प रहा दिन रैन। दरस बिन नहीं पावे सुख चैन।२।
सुमिरता जब-जब रूप दयार। झडत मेरे नैनन से जल धार।३।
ताप त्रिय नित्त सतावें मोहि। मौत डर छिन छिन ब्यापे मोहि।४।
कोई बिध नहिं पावे मन शान्त। कहो कर देखूँ गुरु करांत।५।
बिनय में करत रहूँ हर बार। गुरु मोहि दीजे दरशन सार।६।
दया बिन नहीं पुजवे मम आस। चरन राधास्वामी पाऊँ बास।७।
(प्रेमबानी-1- शब्द-6-पृ.सं.102,103)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी!! 20-07-2021- आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
सतगुरु प्यारे ने दया कर,मोहि लीन उबारी हो।। टेक।।
जन्म जन्म भोगन में भूली। ऊँच-नीच माया सँग झूली। रही दुखियारी हो।१। इस औसर गुरु सतसँग पाया। मेहर हुई मन चरन समाया। बचन गुरु उर धारी हो।२।
जग का रंग देख सब मैला। प्रेमी जन सँग कीना मेला। भोग लगे सब खारी हो।३।
उमँग उमँग सेवा को धाई। घेर फेर मन शब्द लगाई। हुई गुरु प्यारी हो।४।
अधर चढ़त गई द्वारे दस में।भीज रही स्रुत अमृत रस में। दूर हुए दुख सारी हो।५।
सोहंग मुरली धुन सुन पाई। बीन सुनी सतपुर में जाई। लखी गुरु लीला भारी हो।६।
अलग अगम गई सुरत प्रबीनी। राधास्वामी चरन हुई लौलीनी। हुई सबसे अब न्यारी हो।७ ।
( प्रेमबानी-3-शब्द- 8-पृ. सं.103,104 )
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
[**राधास्वामी!! 20-07-2021- आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) मन रे क्यों गुमान अब करना।।टेक।। तन तो तेरा खाक मिलेगा। चौरासी जा पडना।।
-(राधास्वामी नाम सुमिरना। जो वह कहें चित्त में धरना।।)
(सारबचन-शब्द-15-पृ.सं.296,297-विशाखापत्तनम दयालनगर ब्राँच-आधिकतम उपस्थिति-89)
(2) सतगुरु प्यारे ने दया कर, मोहि लीन उबारी हो।। टेक।।
जन्म जन्म भोगन में भूली। ऊँच-नीच माया सँग झूली। रही दुखियारी हो।।
-(अलख अगम गई सुरत प्रबीनी। राधास्वामी चरन हुई लौलीनी। हुई सबसे अब न्यारी हो।।) ( प्रेमबानी-3-शब्द- 8-पृ. सं.103,104 )
सतसंग के बाद:-
(1) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।(प्रे.भा. मेलारामजी-फ्राँस)
(2) Dr.Anna Horatschek's Poem. (3) राधास्वामी मूल नाम। 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
*जब तक जिंदगी सही पटरी पर चलती रहती है हम अपने आप को कुशल चालक समझते है*
*जब पटरी से उतरती है*
*तब सच सामने आता है कि इसे तो कोई और ही चला रहा है ।*
*इसलिए मालिक को हमेशा याद रखे और ll
*राधास्वामी!! 20-07-2021- आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
आओ मेरे सतगुरु है मेरी जान। नैना दरस को तरस रहे।।टेक।।
आओ प्यारे राधास्वामी हे मेरे प्रान। जीव बिकल अब तड़प रहे।१।
आओ मेरे सतगुरु दाता दयाल। दरशन देकर करो निहाल।२।
आओ मेरे सतगुरु हे बंदीछोड़। काल करम का काटो जोर।३।
आओ मेरे सतगुरु परम उदार। जीवन को अब लेव उबार।४।
आओ मेरे सतगुरु क्यों एती देर। काल लिया जीवन को घेर।५।
अब बरसाओ प्रेम का रंग। सुरत चढ़ाओ जैसे पतंग।६।
सुनो मेरे सतगुरु बिनती मोर। प्रेम रंग से करो सरबोर।७।
आओ प्यारे राधास्वामी काटो जाल। चरन सरन दे करो निहाल।८।
(प्रेमबानी- भाग-1-शब्द-1-बचन-छठा- पृ.सं.103,104 )
राधास्वामी और सुप्रभात,
जिस तरह छाता बारिश तो नहीं रोक सकता, पर बारिश में खड़े रहने का सहारा आव्शय देता है, ठीक इसी प्रकार सतगुरु तुम्हारे दुखों को तो नहीं रोक सकते, पर दुखों को सहन करने का साहस जरूर देते हैं,
हे मालिक, आप जी ने अपनी दया व मेहर से हम दीन दुखियों को, अपनी चरन सरन में लिया है, प्राथना है कि ये दया दृष्टि सदा ऐसे ही बनी रहे,
इस बेनती के साथ आप सभी को प्रेम पूरवक इस नवीनतम सुप्रभात और म'गल दिवस की हार्दिक राधास्वामी 🙏🙏
: **राधास्वामी!! 21-07-2021- आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
सतगुरु प्यारे ने मेहर से, मेरा काज सवारी हो।।टेक।।
भरमत रही जक्त में सारी। भोगन सँग सब पूँजी हारी। दुख पाये मैं भारी हो।१।
जग का हाल देख बहुत डरती। जहँ-तहँ खोज जतन का करती। कोई न जनाया घर पारी ।२।
हुई निरास सोच हुआ भारी। तब गुरु प्यारे दया बिचारी। आन मिले कर प्यारी हो।३।
घट का भेद सार सम झाई। घर चलने की जुगत लखाई। मेहर करी कुछ न्यारी हो।४
। प्रेम प्रीति गुरु चरनन लागी। जगत मोह तज सूरत जागी। धुन सँग लागी तारी हो।५।
उमँग उमँग स्रुत चालत घट में। धुन घंटा सुन सही तिल पट में। लखी जोत उजियारी हो।६।
गुरु सतगुरु का दर्शन कीना। राधास्वामी चरन सरन हुई लीना। निरभय हुई स्रुत प्यारी हो।७।। ( प्रेमबानी-3- शब्द-9-पृ. सं.104,105)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
*राधास्वामी!! 21-07-2021- आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
क्या मुख ले मैं करुँ आरती। बचन गुरु नहिं हिये धारती।१।
मन तरंग सँग बहु भरमाती। जगत आस और चाह बढाती।२।
पाँच दुष्ट ने जाल बिछाया। मन और इन्द्री संग बँधाया।३।
कैसे छुटूँ जतन नहिं कोई। बिन गुरु मेहर उपाव न होई।४।
हे सतगुरु मेरी सुनो पुकारा। मुझ निकाम को लेव सुधारा।५।
तुम समरथ और अंतरजामी। मेहर करो हे सतगुरु स्वामी।६।
कहाँ लग सहूँ तपन हिये माहीं। मेरा बल कुछ पेश न जाई।७।
हार हार आया सरन तुम्हारी। तुम बिन अब मोहि कौन सम्हारी।८।
लज्या डर तुम्हरा नहिं माना। औगुन बहुतक किये निदाना।९।
अब शरमाय करूँ में बिनती। हे दयाल तुम समरथ संती।१०।
औगुन मेरे चित्त न लाओ। अपनी दया से पार लगाओ।११। (प्रेमबानी-1-शब्द-2-पृ.सं.104,105)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
: **राधास्वामी!! 21-07-2021- आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
क्या मुख ले मैं करुँ आरती। बचन गुरु नहिं हिये धारती।१।
मन तरंग सँग बहु भरमाती। जगत आस और चाह बढाती।२।
पाँच दुष्ट ने जाल बिछाया। मन और इन्द्री संग बँधाया।३।
कैसे छुटूँ जतन नहिं कोई। बिन गुरु मेहर उपाव न होई।४।
हे सतगुरु मेरी सुनो पुकारा। मुझ निकाम को लेव सुधारा।५।
तुम समरथ और अंतरजामी। मेहर करो हे सतगुरु स्वामी।६।
कहाँ लग सहूँ तपन हिये माहीं। मेरा बल कुछ पेश न जाई।७।
हार हार आया सरन तुम्हारी। तुम बिन अब मोहि कौन सम्हारी।८।
लज्या डर तुम्हरा नहिं माना। औगुन बहुतक किये निदाना।९।
अब शरमाय करूँ में बिनती। हे दयाल तुम समरथ संती।१०।
औगुन मेरे चित्त न लाओ। अपनी दया से पार ल
(प्रेमबानी-1-शब्द-2-पृ.सं.104,105)
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