**राधास्वामी!! 25-07-2021- (रविवार)आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
सतगुरु प्यारे ने लखाया, निज रुप अपारा हो।।टेक।।
हद्द हद्द सब मत में गावें। बेहद रूप संत दरसावें। माया घेर के पारा हो।१।
रुप अरूप का भेद सुनावें।मायक रूप स्थिर न रहावें। वह निज रुप नियारा हो।२।
संतन निरमल देश जनाया। जहँ नहिं काल करम और माया। वह पद सार का सारा हो।३। सत्तपुरुष जहाँ सदा विराजें। हंस मंडली अद्भुत राजें। करते प्रेम पियारा हो।४।
जिन जिन यहाँ गुरु भक्ति धारी। सो पहुँचे सतगुरु दरबारी। राधास्वामी चरन निहारा हो।५।
संतन का भगवंत अबिनाशी। भेद भक्ति जहाँ वहाँ परकाशी। सत्तपुरुष दरबारा हो।६।
( प्रेमबानी-3- शब्द-13-पृ.सं.108,109)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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