🌺ज्ञान की पोटली🌺
*खाली।*
प्रस्तुति - कृष्ण मेहता
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*एक सन्यासी, घूमते-फिरते एक दुकान पर आये। दुकान में अनेक छोटे-बड़े डिब्बे रखे थे।*
*सन्यासी ने एक डिब्बे की ओर इशारा करते हुए, दुकानदार से पूछा, "इसमें क्या है?"*
*दुकानदार ने कहा, "इसमें नमक है।"*
*सन्यासी ने फिर पूछा, "इसके पास वाले में क्या है ?"*
*दुकानदार ने कहा, "इसमें हल्दी है।"*
*इसी प्रकार सन्यासी पूछते रहे और दुकानदार बतलाता रहा।*
*अंत में, पीछे रखे डिब्बे का नंबर आया, सन्यासी ने पूछा, "उस अंतिम डिब्बे में क्या है?"*
*दुकानदार बोला, "उसमें श्रीकृष्ण हैं।"*
*सन्यासी ने हैरान होते हुये पूछा, श्रीकृष्ण !!, भला यह "श्रीकृष्ण" किस वस्तु का नाम है भाई? मैंने तो इस नाम के किसी सामान के बारे में कभी नहीं सुना!!*
*दुकानदार, सन्यासी के भोलेपन पर हंस कर बोला, "महात्मन!! और डिब्बों मे तो, भिन्न-भिन्न वस्तुएं हैं, पर यह डिब्बा खाली है। हम "खाली" को "खाली" नहीं कहकर "श्रीकृष्ण" कहते हैं!!!*
*संन्यासी की आंखें खुली की खुली रह गई!!, जिस बात के लिये मैं, दर-दर भटक रहा था, वो बात मुझे आज एक व्यापारी से समझ आ गई।*
*वो सन्यासी, उस छोटे से किराने के दुकानदार के चरणों में गिर पड़े, ओह, तो खाली में "श्रीकृष्ण" रहते हैं!!!*
*सत्य है!!!, भरे हुए में "श्रीकृष्ण" को स्थान कहाँ ?*
*काम, क्रोध, लोभ, मोह, लालच, अभिमान, ईर्ष्या, द्वेष और भली-बुरी, सुख-दुख की बातों से, जब दिल-दिमाग भरा रहेगा तो, उसमें, ईश्वर का वास कैसे हो सकता है l
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