*ग्रेसियस हुज़ूर को डॉ. अन्ना होरात्शेक की कविता:-*
*नहीं, तुम्हारे पास बुद्ध की आंखें नहीं हैं,*
*उदासीन दुनिया देखना।*
*अनदेखा, अनदेखा।*
*आपके दो ताल हैं, साफ़ और स्थिर,*
*चमक से कोमलता से छायांकित।*
*तितली के पंखों की तरह सूरज की रेशमी सांस लेते हुए।*
*तेरी आग और दर्द की दो खाई हैं,*
*एक बार वे मेरी आत्मा पर प्रकाश की किरणें भेजते हैं,*
*आपसी मान्यता के एक फ्लैश में।*
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