**राधास्वामी!! 20-07-2021- आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) मन रे क्यों गुमान अब करना।।टेक।।
तन तो तेरा खाक मिलेगा। चौरासी जा पडना।।-
(राधास्वामी नाम सुमिरना। जो वह कहें चित्त में धरना।।)
(सारबचन-शब्द-15-पृ.सं.296,297-विशाखापत्तनम दयालनगर ब्राँच-आधिकतम उपस्थिति-89)
(2) सतगुरु प्यारे ने दया कर, मोहि लीन उबारी हो।। टेक।।
जन्म जन्म भोगन में भूली।
ऊँच-नीच माया सँग झूली।
रही दुखियारी हो।।-
(अलख अगम गई सुरत प्रबीनी।
राधास्वामी चरन हुई लौलीनी।
हुई सबसे अब न्यारी हो।।)
( प्रेमबानी-3-शब्द- 8-पृ. सं.103,104 )
सतसंग के बाद:-
(1) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।(प्रे.भा. मेलारामजी-फ्राँस)
(2) Dr.Anna Horatschek's Poem.
(3) राधास्वामी मूल नाम।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
No comments:
Post a Comment