राधास्वामी!! 24-07-2021- आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
सतगुरु प्यारे ने जिताई, काल से बाजी हो।।टेक।।
भोगन सँग मैं बहु दुख पाये। जगत जाल में रहे भरमाये।
चेता न यह मन पाजी हो।१। जब से सतगुरु सरना लीनी। घट का भेद मेहर कर दीनी।
मधुर मथुर धुन गाजी हो।२। सुरत चढाय गगन पहुँचाई। काल बिघन सब दूर कराई।
माया भी रही लाजी हो।३। जगत जीव सब माया चेरे। जन्में मरें सहें दुक्ख घनेरे।
पंडित भेख और क़ाज़ी हो।४।
मेहर से गुरू सेवा बन आई।
सुन सुन धुन स्रुत अधर चढाई।
राधास्वामी हो गये राज़ी हो।५।
(प्रेमबानी-3-शब्द-12-पृ.सं.107,108)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से। जनम सुफल कर ले।
राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से। जनम सुफलतर कर ले।
राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से। जनम सुफलतम कर ले।।
राधास्वामी सुमिर सुमिर ध्यान भजन से। जनम सुफल कर ले।
राधास्वामी सुमिर सुमिर ध्यान भजन से। जनम सुफलतर कर ले।
राधास्वामी सुमिर सुमिर ध्यान भजन से। जनम सुफलतम कर ले।।
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**राधास्वामी!! 24-07-2021-
आज शाम सतसंग में पढा गया दूसरा पाठ:-
मेरे दाता दयाल गुसाई। मोहि नीच अधम को तारो।१।
मैं नख सिख भरा बिकारो। तुम अपनी ओर निहारो।२।
मैं औगुन कीने बहुतक। मन इन्द्री से मैं हारो।३।
बहु बिधी समझौती दीन्ही। चित में कोइ नेक न धारो।४।
बारम्बार चेत पछतावत। फिर फिर भूल भटक में डारो।५।
निरभय होय भोगन में बरते। सतगुरु का भय भाव न प्यारो।६।
कभी मसलहती समझ सुनावे। कभी कभी गुरु की मौज निहारो।७।
अस छल बल कर देवत धोखा। सतसँग बानी कुछ न बिचारो।८।
बचन कहें तो नेक न माने। हुकम करें उसको भी टारो।९।
अपनी घाट बाढ नहिं बूझे। फिर फिर भरमें भोगन लारो।१०।
ऐसा नीच कुबुद्धी यह मन। रोस करे जो इस को ताड़ो।११।
साध गुरु में औगुन देखे। भजन सेव सतसंग बिसारो।१२।
मेरा बल कुछ पेश न जावे। तुम बिन कौन करे निरवारो।१३।
याते बिनय करूँ चरनन में। जैसे बने तैसे मोहि उबारो।१४।
(प्रेमबानी-1-शब्द-4-पृ.सं.108,109)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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