*राधास्वामी!! 22-07-2021- आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) सुन री सखी चढ महल बिराज। जहाँ तेरे प्रीतम बैठे आज।।-(राधास्वामी दिया मोहि यह दाज। अब मेरा होत्र न कमी अकाज।।)(सारबचन-शब्द-20-पृ.सं.405,406-विशाखापट्टनम दयालनगर ब्राँच-अधिकतम उपस्थिति-87)
(2) सतगुरु प्यारे ने खिलाया, निज परशाद निवाला हो।।टेक।।
ले परशाद प्रीति हुई भारी। सतगुरु ने मोहि आप सँवारी। खोल दिया घट ताला हो।।
-(राधास्वामी धाम गई मैं सज के। राधास्वामी चरन पकड लिये धज से। उन कीना मोहि निहाला हो।।)
(प्रेमबानी-3-शब्द-10-पृ.सं.105,106) सतसंग के बाद:-
(1) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।(प्रे.भा. मेलारामजी-फ्राँस)
(2) Dr.Anna Horatschek's Poem.
(3) राधास्वामी मूल नाम।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
: राधास्वामी!! 22-07-2021- आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
क्या मुख ले मैं करूँ आरती। बचन गुरू नहिं हिये धारती।१।••••••••
तुम बिन नहिं कोइ और सहाई। जैसे बने तैसे लेव बचाई।१२।
काल करम से न्यारा कीजे। प्रीति प्रतीति चरन में दीजे।१३।
निरमल कर मन सुरत चढाओ। अमी धार धुन शब्द सुनाओ।१४।
चढे गगन जब दर्शन पावे। निज परतीत हिये में आवे।१५।
जगत भाव तब निज कर छूटे। काल करम का माथा फूटे।१६।
सुन्न जाय तिरबेनी न्हावे। सुरत शब्द का रस तब पावे।१७।
वहाँ से चल पहुँचूँ सतपुर में। सतगुरु दरशन करूँ अधर में।१८।
प्रेम सिंध में आन मिलानी। अब कहूँ धन धन राधास्वामी।१९।
उमँग उमँग कर आरत गाऊँ। राधास्वामी सदा धियाऊँ।२०।
अब मेरा काज हुआ सब पूरन। सीस धरा राधास्वामी चरनन।२१।
(प्रेमबानी-1-शब्द-2-पृ.सं.105,106,107)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
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