**राधास्वामी!! 09-07-2021- आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
गुरु प्यारे से प्यार बढाना, सुन घट में धुन।।टेक।।
बचन सुनो तुम समझ बूझ के। दरस करो तुम उमँग प्रेम से। नित गावो गुन।१।
मान मनी तज सतसँग करना। गुरु चरनन में नित चित धरना। सुमिर नाम निस दिन।२। मन माया के भोग बिसरना। गुरु की आज्ञा सिर पर धरना। छाँट बचन चुन चुन।३।
करम भरम का कूडा झाड़ा। गुरु सरुप अब लागा प्यारा। झाँक रहूँ छिन छिन।४।
राधास्वामी प्यारे किरपा धारी। जगत जाल से किया मोहि न्यारी। मेल लिया चरनन।५।
(प्रेमबानी-3-शब्द-23-पृ.सं.91,92)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
राधास्वामी!! 09-07-2021-आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
गुरु महिमा जब मैं सुन पाई। अधिक उमंग हिये बिच छाई।। राधास्वामी दयाल मता दरसाया। देस आपना दूर लखाया।१२।
काल हद्द के परे ठिकाना। सत्तलोक तिस ऊपर जाना।१३।
इनके परे धाम निज होई। आदि अनादि अनामी सोई।१४।
सुरत शब्द की जुगत बताई।और तरह कोइ राह न पाई।१५।
बिन सतगुरु कोई भेद न पावे। सुरत शब्द बिन भटका खावे।१६। मेरा भाग उदय हुआ भाई। राधास्वामी चरन सरन मैं पाई।१७।
काल मते से नाता तोडा। दयाल मते में चित को जोडा।१८।
जगत लाज और कुल मरजादा। दूर करी चित चरनन साधा।१९।
प्रेम सहित सतगुरु से लागी। मेहर हुई स्रुत धुन में पागी।२०।
अब नित नित यह आरत गाऊँ। पल २ छिन २ राधास्वामी ध्याऊँ।२१।
(प्रेमबानी-1-शब्द 11-पृ.सं.90,91)
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