राधास्वामी!! 21-07-2021- आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
सतगुरु प्यारे ने मेहर से, मेरा काज सवारी हो।।टेक।।
भरमत रही जक्त में सारी। भोगन सँग सब पूँजी हारी। दुख पाये मैं भारी हो।१।
जग का हाल देख बहुत डरती। जहँ-तहँ खोज जतन का करती। कोई न जनाया घर पारी ।२।
हुई निरास सोच हुआ भारी। तब गुरु प्यारे दया बिचारी। आन मिले कर प्यारी हो।३।
घट का भेद सार समझाई। घर चलने की जुगत लखाई। मेहर करी कुछ न्यारी हो।४।
प्रेम प्रीति गुरु चरनन लागी। जगत मोह तज सूरत जागी। धुन सँग लागी तारी हो।५। उमँग
उमँग स्रुत चालत घट में। धुन घंटा सुन सही तिल पट में। लखी जोत उजियारी हो।६।
गुरु सतगुरु का दर्शन कीना। राधास्वामी चरन सरन हुई लीना। निरभय हुई स्रुत प्यारी हो।७।।
( प्रेमबानी-3- शब्द-9-पृ. सं.104,105)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
राधास्वामी!!
21-07-2021- आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
क्या मुख ले मैं करुँ आरती। बचन गुरु नहिं हिये धारती।१।
मन तरंग सँग बहु भरमाती। जगत आस और चाह बढाती।२।
पाँच दुष्ट ने जाल बिछाया। मन और इन्द्री संग बँधाया।३।
कैसे छुटूँ जतन नहिं कोई। बिन गुरु मेहर उपाव न होई।४।
हे सतगुरु मेरी सुनो पुकारा। मुझ निकाम को लेव सुधारा।५।
तुम समरथ और अंतरजामी। मेहर करो हे सतगुरु स्वामी।६।
कहाँ लग सहूँ तपन हिये माहीं। मेरा बल कुछ पेश न जाई।७।
हार हार आया सरन तुम्हारी। तुम बिन अब मोहि कौन सम्हारी।८।
लज्या डर तुम्हरा नहिं माना। औगुन बहुतक किये निदाना।९।
अब शरमाय करूँ में बिनती। हे दयाल तुम समरथ संती।१०।
औगुन मेरे चित्त न लाओ। अपनी दया से पार लगाओ।११।
(प्रेमबानी-1-शब्द-2-पृ.सं.104,105)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
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