करुणा के सागर दो नयन तुम्हारे,
हर पल पास बुलाते हैं।
वात्सल्य से उमड़ते ये दो नयन
शीतलता से भर जाते हैं।
दुनिया की हर शै में मुझे बस ,
आप ही नजर आते है
बाहें फैलाए दुख हरने हमारे ,
हर पल आप दौड़े चले आते हैं ।
गाफिल रहकर दुनिया में हम ,
काल वा माया में रम जाते हैं
मां का सा आंचल लहरा
मेरे दयाल हमें बचा लाते हैं ।
चाह कर भी हम ऐ दयाल !
तेरे प्यार की थाह नहीं पाते हैं।
पर फिर भी मेरे दयालु पिता
आप हम पर दुलार बरसाते हैं।
हम नादानों पर सुबह शाम,
मेरे दाता दया दृष्टि लुटाते हैं।
अमृत जल बरसा और अमृत पिला
हमारा तन मन पावन कर जाते हैं।
है उन सा दयालु कौन ?
जो हम नाचीजों को संवारे ।
प्यारे भाई बहनों आओ मिलकर ,
उनके चरण कमल पखारें।
डॉक्टर स्वामी प्यारी कौड़ा
४/६४ विद्युत नगर
दयालबाग ,आगरा
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