🥀. *यदि किसी सत्संगी को दुःख में देखो तो उसका सहारा बनने की कोशिश करो। क्योंकि मालिक को वही शख्स प्यारा लगता है जो उसके प्यारों की मदद करता है*।
🥀. *यदि स्वयं को मालिक के चरणों में अर्पित कर रखा है, तब आपका कोई काम अधूरा नहीं रहेगा। क्योंकि अब आपका काम मालिक की जिम्मेदारी बन जाता है*।
🥀. *वह सत्संगी बहुत अच्छा है जो मालिक को याद करता है और वह सत्संगी बड़भागी है जिसे मालिक याद करते हैं*।
🥀. *यदि सत्संगी की विनती में उसकी अंतरआत्मा की पुकार भी शामिल हो जाये तो मालिक की कार्रवाई भी फ़ौरन होगी*।
🥀. *किसी सत्संगी द्वारा आपको या फिर आपके विषय में भला-बुरा कहे जाने पर इतना जरूर समझ लें कि उसमें मालिक की रजा शामिल है और उसमें तुम्हारा कोई विशेष लाभ छिपा हुआ है*।
🥀. *सुरत की जुबां से किया गया सुमिरन विशेष कर लाभकारी होता है*।
🥀. *अंतर की आँख न भी खुले कोई बात नहीं लेकिन सुमिरन, ध्यान, भजन में कभी भी कोताही न हो, बाकी मालिक स्वयं देखेंगे*।
🥀. *किसी सत्संगी की गलती देखने से बेहतर है कि स्वयं के दोष दूर करने में समय व्यतीत करें*।
एक खरीदें एक मुफ्त पाएं"_*
*_देखने में यह एक Marketing लगती है, लेकिन_*
*ऐसी ही कुछ मार्केटिंग हमारे जीवन मे भी स्है???*
जब हम *क्रोध* खरीदते हैं। तो हमें *एसिडिटी* मुफ्त में मिल जाती है।।
जब हम *ईर्ष्या* खरीदते हैं। तो *सिरदर्द* मुफ्त में मिल जाता है।।
जब हम *नफरत* खरीदते हैं। तो *अल्सर* मुफ्त में मिल जाता है।।
जब हम *तनाव* खरीदते हैं। तो *रक्तचाप* मुफ्त में मिल जाता है।।
ऐसे ही जब हम बातचीत से *विश्वास* खरीदते हैं। तो *दोस्ती* मुफ्त में प्राप्त हो जाती है।।
जब हम *व्यायाम* खरीदते हैं। तो अच्छा *स्वास्थ्य* मुफ्त में प्राप्त जाता है।
जब हम *शांति* खरिदते हैं। तो हमें *समृद्धि* मुफ्त में प्राप्त हो जाती है।।
जब हम *ईमानदारी* खरिदते हैं, तो अच्छी *नींद* मुफ्त में प्राप्त हो जाती है।।
जब हम *प्यार भाव* खरीदते हैं। तो हमें सभी अच्छे गुणों के साथ *ईश्वर की कृपा* प्राप्त हो जाती है। अब ये हम पर निर्भर करता है।। कि हमें क्या खरीदना चाहिए
जब हम *सत्संग* खरीदते हैं। तो हमें *शांति* मुफ्त में प्राप्त हो जाती है।
राधास्वामी 🙏🏻🙏🏻💐💐🙏🏻🙏💐💐
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💥 *राधास्वामी नाम, ध्यान, भजन से* 💥
*💥🌹।।जनम अनमोल कर ले।।🌹💥*
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