राधास्वामी!! - / 02-08-2021-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
सतगुरु प्यारे ने दिखाई, गगन अटारी हो।।टेक।।
जग परमारथ संग भुलानी। तीरथ बर्त रही लिपटानी।
करम चढ़ाये भारी हो।१।
निज घर का गुरु पता बताई।पिया मिलन की गैल लखाई।
सुरत शब्द मत धारी हो।२।
सतसँग करत भरम सब भागे। कर अभ्यास सूरत मान जागे। शब्द सुना झनकारी हो ।३।
गुरु चरनन में बाढी प्रीती। सुरत शब्द की हुई परतीती।
त्रिकुटी और सिधारी हो।४।
गुरु सरूप गगना में देखा। काल करम का मिट गया लेखा।
सूरत हुई गुरु प्यारी हो।५।
सुन की धुन सुन सुरत चढ़ाई। मन माया से खूँट छुडाई। हंसन सँग कर यारी हो।६।
मानसरोवर किये अशनाना। सत्तपुरुष का धारा ध्याना। राधास्वामी काज सुधारी हो।७।
( प्रेमबानी-3-शब्द-20-पृ.सं. 117, 118 )
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
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