**राधास्वामी!! - / 01-08-2021-आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
बिनती गावे दास अनोखा। चरन सरन में चित को पोखा।१।
दर्द दुखी जब चित घबरावत। गुरु चरनन मिल अति सुख पावत।२।
बिरह अगिन मोहि नित सतावे। तड़प २ हिया जिया अकुलावे।३।
दरशन राधास्वामी छिन छिन चाहत। मेहर नजर पर बल बल जावत।४। हठ कर गुरु से करूँ पुकारी। प्रेम दान दे करो सुखारी।५।
भेद तुम्हारा अगम अपार। कृपा कर मोहि दीन्हा सारा।६।
पर अब मेहर करो गुरु सीला। सुरत चढ़े देखूँ घट लीलि।७।
बिन अंतर रस शांति न आवे। जस प्यासा ब्याकुल घबरावे।८।
मेरे मन अस निश्चय आई । मेहर बिना कुछ बन नहिं आई।९।
बार-बार यह बिनय सुनाई। हे राधास्वामी तुम होऊ सहाई।१०।
काज बनै घर पाऊँ अपना। काल करम का मेट्रो तपना।११।
कहाँ लग मन से करूँ लड़ाई। मेरा बल कुछ काम न आई।१२।
तुम्हरे द्वार का हुआ भिखारी। करम काट मोहि लेव उबारी।१३।
याते दया मेहर निज चाहूँ। राधास्वामी २ छिन छिन गाऊँ।१४।।
अस बिनती मैं करूँ बनाई। राधास्वामी प्यारे हुए सहाई।१५।
(प्रेमबानी- 1- शब्द -8 पृ.सं.116,117)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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