वह हमारे समय का एक ऐसा रचनाकार है जिसके सामने विचार तैरते हैं,शब्द उछलते हैं और उसके सामने रखे सफेद कागज पर लगभग रोज अक्षर जन्म लेते हैं।
वह हिंदी कहानी का ऐसा प्रतिबद्ध लेखक है जो हिंदी कहानी के अध्ययन में,उसके इतिहास में,उसकी धाराओं और प्रतिधाराओं के उतार चढ़ाव पर गहरी नजर रखता है।यही वजह है कि 'हिंदी कहानी कोष' व 'वीसवीं शताब्दी की हिंदी कहानियाँ' जो 12 खण्डों में हैं और जिसे सामयिक प्रकाशन ने प्रकाशित किया है-जैसे जरूरी ग्रन्थ उसने ही तैयार किये हैं।
कहानी के प्रति उसकी अटूट श्रद्धा का आलम यह है कि दिग्गज कथाकार रमाकांत की स्मृति में पिछले 21 सालों से वह 'रमाकांत स्मृति कहानी पुरस्कार' का संयोजक है और रमाकांत जी की पुण्यतिथि 2 दिसम्बर को हर साल एक आयोजन कर यह पुरस्कार दिया जाता है।
ऐसे मेरे गर्दिश के दिनों के साथी व साक्षी Mahesh Darpan का आज जन्मदिन है।मेरे इस चार दशक पुराने मित्र ने आज पूरे किये हैं उम्र के 65 साल।
6 कहानी संग्रह,'पुश्किन के देश में' जैसा चर्चित यात्रा ब्रत्तान्त और 'मिट्टी की औलाद' और 'हमारा समय' जैसे बहुचर्चित लघुकथा संग्रहों सहित 20 अन्य किताबों के इस लेखक ने हाल ही में एक साल में दो किताबें लिखकर अपनी सक्रियता का प्रमाण दिया है।एक उनका उपन्यास 'दृश्य अदृश्य' व दूसरा प्रख्यात कथाकार,कवि,संपादक अवधनारायण मुदगल की कविताओं का संग्रह 'किवाड़ों पर थाप' को संपादित कर।दोनों पुस्तकें Pralek Prakashan से प्रकाशित हैं।
ऐसे मेरे अत्यंत सक्रिय रचनाकार मित्र जो हर पल कहता है,"हमें जिंदा शब्द ही रखेंगे-विवाद और परनिंदा नही" को आज के इस मुबारक दिन पर मन और दिल के भीतरी कोनों से ढेर सारी मंगलकामनाएँ।
कभी न रुके आपके शब्दों का सफर।अक्षरों का कमजोर न पड़े ताप और इतिहास रचें वे शब्द जो आपकी कलम से निकलें।
जन्मदिन मुबारक हो हिंदी कहानी के जागरूक प्रहरी।
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