Wednesday, April 24, 2024

सूर्य को जल चढ़ाने का अर्थ

 

प्रस्तुति - रामरूप यादव 


सूर्य को सभी ग्रहों में श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि सभी ग्रह सूर्य के ही चक्कर लगाते है इसलिए सभी ग्रहो में सूर्य को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। हिन्दू धर्म में सूर्य का बहुत महत्त्व बताया गया है, शताब्दियों से हमारी परम्परा में नहाने के बाद सूर्य को अर्ध्य देने अर्थात जल चढाने का नियम है।


सूर्य को जल चढाने का धार्मिक महत्त्व 


सूर्य को सभी ग्रहों में विशेष माना जाता है, सूर्य की उत्पत्ति स्वयं नारायण से हुयी थी। हिन्दू धर्म में सूर्य की पूजा की जाती है और सूर्य को अर्ध दिया जाता है, ऐसा माना जाता है कि अगर सूर्य देवता आपसे प्रसन्न है तो बाकी ग्रह का असर नहीं पड़ता है, इसलिए सूर्य की पूजा और उपासना को शुभ फलदाई माना गया है, रविवार को सूर्य देव का दिन माना गया है और इस दिन सूर्य देव की उपासना करने से जीवन सफल होता है, भगवान राम भी सूर्य को जल चढाते थे इसलिए सूर्य को जल चढाने की परम्परा सहस्त्र वर्षों से चली आ रही है, तो अगर आपके मन में भी कोई इस तरह का प्रश्न उठता है जो जवाब यहाँ से जान सकते है कि सूर्य को जल क्यों चढ़ाएं।


 जल चढाने का वैज्ञानिक महत्त्व


सूर्य को जल चढाने का धार्मिक महत्व के साथ वैज्ञानिक महत्त्व भी है। वैज्ञानिकों के अनुसार जब कोई व्यक्ति सुबह के समय सूर्य को जल चढ़ाता है तो सूर्य से निकलने वाली किरणें उस व्यक्ति को कई स्वास्थ्य लाभ देती है, सुबह के समय सूरज की जो किरणें निकलती है वे हमारे शरीर में होने वाले रंगों के असंतुलन को सही करती है, सूरज की किरणों में इन्द्रधनुष के सात रंगों का समावेश होता है और यह रंग रंगों के विज्ञान पर काम करता है, विज्ञान के अनुसार सुबह के समय सूर्य को जल चढाते समय इन किरणों के प्रभाव से ये रंग संतुलित हो जाते है जिससे शरीर की प्रतिरोधक शक्ति बढ़ जाती है, इसके अलावा दूसरा वैज्ञानिक कारण है सुबह के समय सूर्य से निकलने वाली विटामिन डी. सूर्य की रोशनी से शरीर में विटामिन डी की कमी नहीं होती है, इसके अलावा सूर्य की सुबह की रोशनी सुंदरता बढ़ाने का काम करती है और इससे आँखों को भी स्वास्थ्य लाभ मिलता है।


 जल चढाने का ज्योतिष महत्त्व 


ज्योतिष विज्ञान में सूर्य को जल चढाने के कई महत्त्व बताये गए है, यदि कोई व्यक्ति ब्रह्म मुहूर्त में नहाकर साफ़ कपडे पहनकर सूर्य को जल चढ़ाए तो उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है, जब सूर्य उदय होता है तब लालिमा युक्त सूर्य को जल चढाने से ज्यादा लाभ मिलता है, इसके अलावा रोगों से मुक्ति पाने के लिए भी सुबह-सुबह सूर्य को जल चढ़ाना लाभकारी होता है।


अब आप समझ ही गए होंगे कि सूर्य को जल चढाने के सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं है बल्कि कई वैज्ञानिक और ज्योतिषीय महत्व भी है, तो क्यों ना आप भी आज से सूर्य को जल चढ़ाये और अपनी जिंदगी में चमत्कार होते देखे।


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Tuesday, April 16, 2024

अनेक नामों वाली पार्वती 🙏🏽

 देवीपार्वती के 108 नाम और इनका अर्थ

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देवी पार्वती विभिन्न नामों से जानी जाता है और उनमें से हर एक नाम का एक निश्चित अर्थ और महत्व है। देवी पार्वती से 108 नाम जुड़े हुए है । भक्त बालिकाओं के नाम के लिए इस नाम का उपयोग करते है। 


1 . आद्य - इस नाम का मतलब प्रारंभिक वास्तविकता है।

2 . आर्या - यह देवी का नाम है

3 . अभव्या - यह भय का प्रतीक है।

4 . अएंदरी - भगवान इंद्र की शक्ति।

5 . अग्निज्वाला - यह आग का प्रतीक है।

6 . अहंकारा - यह गौरव का प्रतिक है ।

7 . अमेया - नाम उपाय से परे का प्रतीक है।

8 . अनंता - यह अनंत का एक प्रतीक है।

9 . अनंता - अनंत

10 अनेकशस्त्रहस्ता - इसका मतलब है कई हतियारो को रखने वाला ।

11 . अनेकास्त्रधारिणी - इसका मतलब है कई हतियारो को रखने वाला ।

12 . अनेकावारना - कई रंगों का व्यक्ति ।

13 . अपर्णा – एक व्यक्ति जो उपवास के दौरान कुछ नहि कहता है यह उसका प्रतिक है ।

14 . अप्रौधा – जो व्यक्ति उम्र नहि करता यह उसका प्रतिक है ।

15 . बहुला - विभिन्न रूपों ।

16 . बहुलप्रेमा - हर किसी से प्यार ।

17 . बलप्रदा - यह ताकत का दाता का प्रतीक है ।

18 . भाविनी - खूबसूरत औरत ।

19 . भव्य – भविष्य ।

20 . भद्राकाली - काली देवी के रूपों में से एक ।

21 . भवानी - यह ब्रह्मांड की निवासी है ।

22 . भवमोचनी - ब्रह्मांड की समीक्षक ।

23 . भवप्रीता - ब्रह्मांड में हर किसी से प्यार पाने वाली ।

24 . भव्य - यह भव्यता का प्रति है ।

25 . ब्राह्मी - भगवान ब्रह्मा की शक्ति ।

26 . ब्रह्मवादिनी – हर जगह उपस्तित ।

27 . बुद्धि - ज्ञानी

28 . बुध्हिदा - ज्ञान की दातरि ।

29 . चामुंडा - राक्षसों चंदा और मुंडा की हत्या करने वलि देवि ।

30 . चंद्रघंटा - ताकतवर घंटी

31 . चंदामुन्दा विनाशिनी - देवी जिसने चंदा और मुंडा की हत्या की ।

32 . चिन्ता - तनाव ।

33 . चिता - मृत्यु - बिस्तर ।

34 . चिति - सोच मन ।

35 . चित्रा - सुरम्य ।

36 . चित्तरूपा - सोच या विचारशील राज्य ।

37 . दक्शाकन्या - यह दक्षा की बेटी का नाम है ।

38 . दक्शायाज्नाविनाशिनी - दक्षा के बलिदान को टोकनेवाला ।

39 . देवमाता - देवी माँ ।

40 . दुर्गा - अपराजेय ।

41 . एककन्या - बालिका ।

42 . घोररूपा - भयंकर रूप ।

43 . ज्ञाना - ज्ञान ।

44 . जलोदरी - ब्रह्मांड मेइन वास करने वाली ।

45 . जया - विजयी

46 कालरात्रि - देवी जो कालि है और रात के समान है ।

47 . किशोरी - किशोर

48 . कलामंजिराराजिनी - संगीत पायल ।

49 . कराली - हिंसक

50 . कात्यायनी - बाबा कत्यानन इस नाम को पूजते है ।

51 . कौमारी - किशोर ।

52 . कोमारी - सुंदर किशोर ।

53 . क्रिया - लड़ाई ।

54 . क्र्रूना - क्रूर ।

55 . लक्ष्मी - धन की देवी ।

56 . महेश्वारी - भगवान शिव की शक्ति ।

57 . मातंगी - मतंगा की देवी ।

58 . मधुकैताभाहंत्री - देवी जिसने राक्षसों मधु और कैताभा को आर दिया ।

59 . महाबला - शक्ति ।

60 . महातपा - तपस्या ।

61 . महोदरी - एक विशाल पेट में ब्रह्मांड में रखते हुए ।

62 . मनः - मन ।

63 . मतंगामुनिपुजिता - बाबा मतंगा द्वारा पूजी जाती है ।

64 . मुक्ताकेशा - खुले बाल ।

65 . नारायणी - भगवान नारायण विनाशकारी विशेषताएँ ।

66 . निशुम्भाशुम्भाहनानी - देवी जिसने भाइयो शुम्भा निशुम्भा को मारा ।

67 . महिषासुर मर्दिनी - महिषासुर राक्षस को मार डाला जो देवी ने ।

68 नित्या - अनन्त ।

69 . पाताला - रंग लाल ।

70 . पातालावती - लाल और सफ़द पहेने वाली ।

71 . परमेश्वरी - अंतिम देवी ।

72 . पत्ताम्बरापरिधान्ना - चमड़े से बना हुआ कपडा ।

73 . पिनाकधारिणी - शिव का त्रिशूल ।

74 . प्रत्यक्ष – असली ।

75 . प्रौढ़ा - पुराना ।

76 . पुरुषाकृति - आदमी का रूप लेने वाला ।

77 . रत्नप्रिया - सजी

78 . रौद्रमुखी - विनाशक रुद्र की तरह भयंकर चेहरा ।

79 . साध्वी - आशावादी ।

80 . सदगति - मोक्ष कन्यादान ।

81 . सर्वास्त्रधारिणी - मिसाइल हथियारों के स्वामी ।

82 . सर्वदाना वाघातिनी - सभी राक्षसों को मारने के लिए योग्यता है जिसमें ।

83 . सर्वमंत्रमयी - सोच के उपकरण ।

84 . सर्वशास्त्रमयी - चतुर सभी सिद्धांतों में ।

85 . सर्ववाहना - सभी वाहनों की सवारी ।

86 . सर्वविद्या - जानकार ।

87 . सती - जो महिला जिसने अपने पति के अपमान पर अपने आप को जला दिया ।

89 . सत्ता - सब से ऊपर ।

90 . सत्य - सत्य ।

91 . सत्यानादास वरुपिनी - शाश्वत आनंद ।

92 . सावित्री - सूर्य भगवान सवित्र की बेटी ।

93 . शाम्भवी - शंभू की पत्नी ।

94 . शिवदूती - भगवान शिव के राजदूत ।

95 . शूलधारिणी – व्यक्ति जो त्र्सिहुल धारण करता है ।

96 . सुंदरी - भव्य ।

97 . सुरसुन्दरी - बहुत सुंदर ।

98 . तपस्विनी - तपस्या में लगी हुई ।

99 . त्रिनेत्र - तीन आँखों का व्यक्ति ।

100 . वाराही – जो व्यक्ति वाराह पर सवारी करता हियो ।

101 . वैष्णवी - अपराजेय ।

102 . वनदुर्गा - जंगलों की देवी ।

103 . विक्रम - हिंसक ।

104 . विमलौत्त्त्कार्शिनी - प्रदान करना खुशी ।

105 . विष्णुमाया - भगवान विष्णु का मंत्र ।

106 . वृधामत्ता - पुराना है , जो माँ ।

107 . यति - दुनिया त्याग जो व्यक्ति एक ।

108 . युवती - औरत ।

देवी पार्वती यह सभी नाम पूजा करने के लिए और उनके आशीर्वाद पाने के लिए , लिए जाते है।


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सूर्य को जल चढ़ाने का अर्थ

  प्रस्तुति - रामरूप यादव  सूर्य को सभी ग्रहों में श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि सभी ग्रह सूर्य के ही चक्कर लगाते है इसलिए सभी ग्रहो में सूर्...