Monday, November 30, 2020

दयालबाग़ सतसंग शाम 30/11

 **राधास्वामी!! 30-11-2020- आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-                              

   (1) प्रेमी मानो रे बचन को। रहियो गुरु चरनन लौ लाय।।टेक।। गुरु की महिमा कही न जावे। देव़े घट का भेद लखाय।।-(चढ चढ पहुँचो धुर दरबारा। राधास्वामी दरशन पाय।।) (प्रेमबानी-4-शब्द-4-पृ.सं.41)  

                                               

  (2) राधास्वामी नाम जपो मेरे भाई। राधास्वामी धाम सहज मिल जाई।। राधास्वामी सहसकमल में पहुँचे। राधास्वामी मन के घाट बिराजे।।-(राधास्वामी मेहर करी भरपूर। राधास्वामी कीन्हे कारज पूर।।) (प्रेमबिलास- शब्द-99-पृ.सं.142,143)                            

    (3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।   

                        

  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**



**राधास्वामी!!                                    

30-11- 2020

 -आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन

- कल से आगे:-【 अनन्य भक्ति】- ( 71)

 आक्षेपको के नीतिविरुद्ध आक्रमणों के अवलोकन से अनुमान होता है कि वह इस प्रयत्न में है कि जनता पर यह प्रकट करें कि राधास्वामी मत एक नवीन,   कपोलकल्पित ,  अशिष्ट ,सर्वार्थपरक और मनुष्य को सदाचार से भृष्ट करने वाली शिक्षा देता है। उनके इस घृणित और धर्म-विरुद्ध प्रयत्नन को निष्फल करने के उद्देश्य से पिछले पृष्ठों में दूसरे मतों के महापुरुषों के उपदेश उद्घृत किये गये हैं कि जिससे हर व्यक्ति को प्रकट हो जाय कि राधास्वामी- मत कि सतगूरु भक्ति और सतगुरु -सेवा की शिक्षा कैसी प्राचीन, मान्य ,पवित्र और कल्याणकारी है ।  अब हम सतगुरु -भक्ति की शिक्षा के संबंध में कुछ करनी की (अमली) बातें पेश करेंगे जिससे सर्वसाधारण को राधास्वामी- मत की शिक्षा का क्रियात्मक अंग भली प्रकार समझ में आ जाय।

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻

 यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा

- परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**

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दिसंबर माह की महत्वपूर्ण तिथियां

*राधास्वामी!! दिसंबर माह में होने वाले कुछ ऐतिहासिक दिवस् व कार्यक्रम:- 

(1)-05-12-2020- (05-12-2002):-                       

परम पूज्य परम गुरु हुजूर एम०बी०लाल० साहबजी नश्वर शरीर छोड कर निजधाम सिधारने की मौज फरमाई।     

                  

  (2) 06-12-2020- (06-12-1898):-                         परम पूज्य परम गुरु हुजूर महाराज जी अपनी सुरत को भौतिक शरीर से वापिस खैंच लिया।( अपने नश्वर शरीर त्यागने की मौज फरमाई।।                                              

   (3) 07-12-2020 - (07-12-1913):-परम पूज्य परम गुरु हुजूर सरकार साहब जी अपने नश्वर शरीर को त्यागने की मौज फरमाई)                                             

     (4) 20-12-2020:- (रविवार)-परम पूज्य                       परम गुरु हुजूर महाराज जी का पावन भंडारा।।                                               

 (5) 20-12-2020 - (20-12-1885):-परम पूज्य परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज जी पावन जन्मदिन।                                         

(6) 31-12-1916:- आर०ई० आई० की इमारत का उद्घाटन समारोह !                       परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज द्वारा किया गया।

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


[11/29, 02:27] +91 97176 60451: *

*राधास्वामी!! दिसंबर माह में होने वाले कुछ ऐतिहासिक दिवस् व कार्यक्रम:-  (1)-05-12-2020- (05-12-2002):-                       

परम पूज्य परम गुरु हुजूर एम०बी०लाल० साहबजी नश्वर शरीर छोड कर निजधाम सिधारने की मौज फरमाई।                        

  (2) 06-12-2020- (06-12-1898):-                         परम पूज्य परम गुरु हुजूर महाराज जी अपनी सुरत को भौतिक शरीर से वापिस खैंच लिया।( अपने नश्वर शरीर त्यागने की मौज फरमाई।।                                              

   (3) 07-12-2020 - (07-12-1913):-परम पूज्य परम गुरु हुजूर सरकार साहब जी अपने नश्वर शरीर को त्यागने की मौज फरमाई)                                                 

 (4) 12-12-2020-(12-12-1871) -परम पूज्य परम गुरु हुजूर सरकार साहबजी पावन जन्म दिन।।                                             

  (5) 20-12-2020:- (रविवार)-परम पूज्य                       परम गुरु हुजूर महाराज जी का पावन भंडारा।।                                               

 (6) 20-12-2020 - (20-12-1885):-परम पूज्य परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज जी पावन जन्मदिन।                                         

(7) 31-12-1916:- आर०ई० आई० की इमारत का उद्घाटन समारोह !                      

परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज द्वारा किया गया।

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

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Sunday, November 29, 2020

Vishwas

 *अमर विश्वास*


मेरी बेटी की शादी थी और मैं कुछ दिनों की छुट्टी ले कर शादी के तमाम इंतजाम को देख रहा था. उस दिन सफर से लौट कर मैं घर आया तो पत्नी ने आ कर एक लिफाफा मुझे पकड़ा दिया. लिफाफा अनजाना था लेकिन प्रेषक का नाम देख कर मुझे एक आश्चर्यमिश्रित जिज्ञासा हुई.


‘अमर विश्वास’ एक ऐसा नाम जिसे मिले मुझे वर्षों बीत गए थे. मैं ने लिफाफा खोला तो उस में 1 लाख डालर का चेक और एक चिट्ठी थी. इतनी बड़ी राशि वह भी मेरे नाम पर. मैं ने जल्दी से चिट्ठी खोली और एक सांस में ही सारा पत्र पढ़ डाला. पत्र किसी परी कथा की तरह मुझे अचंभित कर गया. लिखा था :


आदरणीय सर, मैं एक छोटी सी भेंट आप को दे रहा हूं. मुझे नहीं लगता कि आप के एहसानों का कर्ज मैं कभी उतार पाऊंगा. ये उपहार मेरी अनदेखी बहन के लिए है. घर पर सभी को मेरा प्रणाम.

आप का, अमर.


मेरी आंखों में वर्षों पुराने दिन सहसा किसी चलचित्र की तरह तैर गए.


एक दिन मैं चंडीगढ़ में टहलते हुए एक किताबों की दुकान पर अपनी मनपसंद पत्रिकाएं उलटपलट रहा था कि मेरी नजर बाहर पुस्तकों के एक छोटे से ढेर के पास खड़े एक लड़के पर पड़ी. वह पुस्तक की दुकान में घुसते हर संभ्रांत व्यक्ति से कुछ अनुनयविनय करता और कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर वापस अपनी जगह पर जा कर खड़ा हो जाता. मैं काफी देर तक मूकदर्शक की तरह यह नजारा देखता रहा. पहली नजर में यह फुटपाथ पर दुकान लगाने वालों द्वारा की जाने वाली सामान्य सी व्यवस्था लगी, लेकिन उस लड़के के चेहरे की निराशा सामान्य नहीं थी. वह हर बार नई आशा के साथ अपनी कोशिश करता, फिर वही निराशा.


मैं काफी देर तक उसे देखने के बाद अपनी उत्सुकता दबा नहीं पाया और उस लड़के के पास जा कर खड़ा हो गया. वह लड़का कुछ सामान्य सी विज्ञान की पुस्तकें बेच रहा था. मुझे देख कर उस में फिर उम्मीद का संचार हुआ और बड़ी ऊर्जा के साथ उस ने मुझे पुस्तकें दिखानी शुरू कीं. मैं ने उस लड़के को ध्यान से देखा. साफसुथरा, चेहरे पर आत्मविश्वास लेकिन पहनावा बहुत ही साधारण. ठंड का मौसम था और वह केवल एक हलका सा स्वेटर पहने हुए था. पुस्तकें मेरे किसी काम की नहीं थीं फिर भी मैं ने जैसे किसी सम्मोहन से बंध कर उस से पूछा, ‘बच्चे, ये सारी पुस्तकें कितने की हैं?’


‘आप कितना दे सकते हैं, सर?’


‘अरे, कुछ तुम ने सोचा तो होगा.’


‘आप जो दे देंगे,’ लड़का थोड़ा निराश हो कर बोला.


‘तुम्हें कितना चाहिए?’ उस लड़के ने अब यह समझना शुरू कर दिया कि मैं अपना समय उस के साथ गुजार रहा हूं.


‘5 हजार रुपए,’ वह लड़का कुछ कड़वाहट में बोला.


‘इन पुस्तकों का कोई 500 भी दे दे तो बहुत है,’ मैं उसे दुखी नहीं करना चाहता था फिर भी अनायास मुंह से निकल गया.


अब उस लड़के का चेहरा देखने लायक था. जैसे ढेर सारी निराशा किसी ने उस के चेहरे पर उड़ेल दी हो. मुझे अब अपने कहे पर पछतावा हुआ. मैं ने अपना एक हाथ उस के कंधे पर रखा और उस से सांत्वना भरे शब्दों में फिर पूछा, ‘देखो बेटे, मुझे तुम पुस्तक बेचने वाले तो नहीं लगते, क्या बात है. साफसाफ बताओ कि क्या जरूरत है?’


वह लड़का तब जैसे फूट पड़ा. शायद काफी समय निराशा का उतारचढ़ाव अब उस के बरदाश्त के बाहर था.

‘सर, मैं 10+2 कर चुका हूं. मेरे पिता एक छोटे से रेस्तरां में काम करते हैं. मेरा मेडिकल में चयन हो चुका है. अब उस में प्रवेश के लिए मुझे पैसे की जरूरत है. कुछ तो मेरे पिताजी देने के लिए तैयार हैं, कुछ का इंतजाम वह अभी नहीं कर सकते,’ लड़के ने एक ही सांस में बड़ी अच्छी अंगरेजी में कहा.


‘तुम्हारा नाम क्या है?’ मैं ने मंत्रमुग्ध हो कर पूछा?


‘अमर विश्वास.’


‘तुम विश्वास हो और दिल छोटा करते हो. कितना पैसा चाहिए?’


‘5 हजार,’ अब की बार उस के स्वर में दीनता थी.


‘अगर मैं तुम्हें यह रकम दे दूं तो क्या मुझे वापस कर पाओगे? इन पुस्तकों की इतनी कीमत तो है नहीं,’ इस बार मैं ने थोड़ा हंस कर पूछा.


‘सर, आप ने ही तो कहा कि मैं विश्वास हूं. आप मुझ पर विश्वास कर सकते हैं. मैं पिछले 4 दिन से यहां आता हूं, आप पहले आदमी हैं जिस ने इतना पूछा. अगर पैसे का इंतजाम नहीं हो पाया तो मैं भी आप को किसी होटल में कपप्लेटें धोता हुआ मिलूंगा,’ उस के स्वर में अपने भविष्य के डूबने की आशंका थी.


उस के स्वर में जाने क्या बात थी जो मेरे जेहन में उस के लिए सहयोग की भावना तैरने लगी. मस्तिष्क उसे एक जालसाज से ज्यादा कुछ मानने को तैयार नहीं था, जबकि दिल में उस की बात को स्वीकार करने का स्वर उठने लगा था. आखिर में दिल जीत गया. मैं ने अपने पर्स से 5 हजार रुपए निकाले, जिन को मैं शेयर मार्किट में निवेश करने की सोच रहा था, उसे पकड़ा दिए. वैसे इतने रुपए तो मेरे लिए भी माने रखते थे, लेकिन न जाने किस मोह ने मुझ से वह पैसे निकलवा लिए.


‘देखो बेटे, मैं नहीं जानता कि तुम्हारी बातों में, तुम्हारी इच्छाशक्ति में कितना दम है, लेकिन मेरा दिल कहता है कि तुम्हारी मदद करनी चाहिए, इसीलिए कर रहा हूं. तुम से 4-5 साल छोटी मेरी बेटी भी है मिनी. सोचूंगा उस के लिए ही कोई खिलौना खरीद लिया,’ मैं ने पैसे अमर की तरफ बढ़ाते हुए कहा.


अमर हतप्रभ था. शायद उसे यकीन नहीं आ रहा था. उस की आंखों में आंसू तैर आए. उस ने मेरे पैर छुए तो आंखों से निकली दो बूंदें मेरे पैरों को चूम गईं.


‘ये पुस्तकें मैं आप की गाड़ी में रख दूं?’


‘कोई जरूरत नहीं. इन्हें तुम अपने पास रखो. यह मेरा कार्ड है, जब भी कोई जरूरत हो तो मुझे बताना.’

वह मूर्ति बन कर खड़ा रहा और मैं ने उस का कंधा थपथपाया, कार स्टार्ट कर आगे बढ़ा दी.


कार को चलाते हुए वह घटना मेरे दिमाग में घूम रही थी और मैं अपने खेले जुए के बारे में सोच रहा था, जिस में अनिश्चितता ही ज्यादा थी. कोई दूसरा सुनेगा तो मुझे एक भावुक मूर्ख से ज्यादा कुछ नहीं समझेगा. अत: मैं ने यह घटना किसी को न बताने का फैसला किया.


दिन गुजरते गए. अमर ने अपने मेडिकल में दाखिले की सूचना मुझे एक पत्र के माध्यम से दी. मुझे अपनी मूर्खता में कुछ मानवता नजर आई. एक अनजान सी शक्ति में या कहें दिल में अंदर बैठे मानव ने मुझे प्रेरित किया कि मैं हजार 2 हजार रुपए उस के पते पर फिर भेज दूं. भावनाएं जीतीं और मैं ने अपनी मूर्खता फिर दोहराई.


दिन हवा होते गए. उस का संक्षिप्त सा पत्र आता जिस में 4 लाइनें होतीं. 2 मेरे लिए, एक अपनी पढ़ाई पर और एक मिनी के लिए, जिसे वह अपनी बहन बोलता था. मैं अपनी मूर्खता दोहराता और उसे भूल जाता. मैं ने कभी चेष्टा भी नहीं की कि उस के पास जा कर अपने पैसे का उपयोग देखूं, न कभी वह मेरे घर आया. कुछ साल तक यही क्रम चलता रहा. एक दिन उस का पत्र आया कि वह उच्च शिक्षा के लिए आस्ट्रेलिया जा रहा है. छात्रवृत्तियों के बारे में भी बताया था और एक लाइन मिनी के लिए लिखना वह अब भी नहीं भूला.


मुझे अपनी उस मूर्खता पर दूसरी बार फख्र हुआ, बिना उस पत्र की सचाई जाने. समय पंख लगा कर उड़ता रहा. अमर ने अपनी शादी का कार्ड भेजा. वह शायद आस्ट्रेलिया में ही बसने के विचार में था. मिनी भी अपनी पढ़ाई पूरी कर चुकी थी. एक बड़े परिवार में उस का रिश्ता तय हुआ था. अब मुझे मिनी की शादी लड़के वालों की हैसियत के हिसाब से करनी थी. एक सरकारी उपक्रम का बड़ा अफसर कागजी शेर ही होता है. शादी के प्रबंध के लिए ढेर सारे पैसे का इंतजाम…उधेड़बुन…और अब वह चेक?


मैं वापस अपनी दुनिया में लौट आया. मैं ने अमर को एक बार फिर याद किया और मिनी की शादी का एक कार्ड अमर को भी भेज दिया.


शादी की गहमागहमी चल रही थी. मैं और मेरी पत्नी व्यवस्थाओं में व्यस्त थे और मिनी अपनी सहेलियों में. एक बड़ी सी गाड़ी पोर्च में आ कर रुकी. एक संभ्रांत से शख्स के लिए ड्राइवर ने गाड़ी का गेट खोला तो उस शख्स के साथ उस की पत्नी जिस की गोद में एक बच्चा था, भी गाड़ी से बाहर निकले.


मैं अपने दरवाजे पर जा कर खड़ा हुआ तो लगा कि इस व्यक्ति को पहले भी कहीं देखा है. उस ने आ कर मेरी पत्नी और मेरे पैर छुए.


‘‘सर, मैं अमर…’’ वह बड़ी श्रद्धा से बोला.


मेरी पत्नी अचंभित सी खड़ी थी. मैं ने बड़े गर्व से उसे सीने से लगा लिया. उस का बेटा मेरी पत्नी की गोद में घर सा अनुभव कर रहा था. मिनी अब भी संशय में थी. अमर अपने साथ ढेर सारे उपहार ले कर आया था. मिनी को उस ने बड़ी आत्मीयता से गले लगाया. मिनी भाई पा कर बड़ी खुश थी.


अमर शादी में एक बड़े भाई की रस्म हर तरह से निविश्वाश भाने में लगा रहा. उस ने न तो कोई बड़ी जिम्मेदारी मुझ पर डाली और न ही मेरे चाहते हुए मुझे एक भी पैसा खर्च करने दिया. उस के भारत प्रवास के दिन जैसे पंख लगा कर उड़ गए.

इस बार अमर जब आस्ट्रेलिया वापस लौटा तो हवाई अड्डे पर उस को विदा करते हुए न केवल मेरी बल्कि मेरी पत्नी, मिनी सभी की आंखें नम थीं. हवाई जहाज ऊंचा और ऊंचा आकाश को छूने चल दिया और उसी के साथसाथ मेरा विश्वास भी आसमान छू रहा था.


मैं अपनी मूर्खता पर एक बार फिर गर्वित था और सोच रहा था कि इस नश्वर संसार को चलाने वाला कोई भगवान नहीं हमारा विश्वास ही है.

आत्म p

 सृजन के क्षणों में मेरा मन बेहद आवेगपूर्ण होता है।


-भारत यायावर

 परिचय 

(परिचय 


जन्म -ः 29 नवम्बर, 1954

शिक्षा -ः एम.ए. पीएच.डी.

सम्प्रति -ः विनोवा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग में प्राध्यापन।

कविता-संग्रहः एक ही परिवेश (1979), झेलते हुए (1980) मैं हूँ, यहाँ हूँ (1983), बेचैनी (1990) एवं हाल-बेहाल(2004) कविता-संग्रह वाणी प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित। 

तुम धरती का नमक हो (2015), कविता फिर भी मुस्कुराएगी (2019) आगामी प्रकाश्य " रचना है निरंतर " नामक कविता-संग्रह 

 ग़द्य की कई पुस्तकें प्रकाशित। अनेक संपादित पुस्तकें प्रकाशित। रेणु रचनावली एवं महावीर प्रसाद द्विवेदी रचनावली का संपादन। अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त।"नामवर होने का अर्थ " नामवर सिंह की जीवनी (2012 ) सम्प्रति फणीश्वरनाथ रेणु की जीवनी लिखने में लगा हुआ हूँ ।

 स्थाई पताः यशवंतनगर

 (मार्खम कॉलेज के पास)

 हजारी बाग-825301

 (झारखण्ड)

मोबाइल नंबर : 6204 130 608 / 6207 264 847

ईमेल : bharatyayawar@gmail.com )


मैं एक कवि होने के नाते सम्पूर्ण कला पर बात न कहकर कविता के विषय में कहना चाहता हूँ। कविता का सम्बन्ध कवि के जीवनानुभव, उसकी मनोरचना, उसके चिन्तन और उसकी जीवन-दृष्टि के समवेत स्वरूप से होता है। कवि की जीवन-यात्रा के आत्मपरक एवं वस्तुपरक पहलू होते हैं । किन्तु वही महान् कविता होती है जिसमें भावाकुल अंतस हो, वैचारिक उद्वेलन हो, लालित्य हो, सौंदर्य का उद्घाटन हो, बदल देने वाली दृष्टि हो तथा प्रेरणा का तत्त्व हो।


 रचनाकार एक सामान्य मनुष्य की तरह ही होता हैं और उसमें  रचनात्मकता के क्षण कभी-कभार ही प्रकट होते हैं। रचना जब मन पर सवार होती है, तब वह बेहद आकुल-व्याकुल हो जाता है और अभिव्यक्ति जब तक प्रकट नहीं हो जाती, बैचेन रहता है। यही अभिव्यक्ति उसे साधारण जीवन से असाधारण की ओर ले जाती है।


 हर कवि की रचना-प्रक्रिया अलग होती है। यह भी कहा जा सकता है कि रचना-प्रक्रिया रहस्यमय होती है। इसीलिए उसे पारिभाषित नहीं किया जा सकता।


 सृजन के क्षणों में मेरा मन बेहद आवेग पूर्ण होता है। लिखने की मनःस्थिति अपने-आप उत्पन्न हो जाती है। इसके लिए अर्थात कविता लिखने के लिए मैं कोई मशक्कत नहीं करता। वह सहज रूप में पहले मेरे मन में अवतरित होती है, तत्पश्चात-वह उसी रूप में लिख जाती है।


 सृजन के क्षण में चित्त एकाग्र तो होता ही है, किन्तु उसे समाधि नहीं कहा जा सकता । यह क्षण जागृत चेतना का होता है।


 कविता का निर्माण जब होता है तब उसमें स्वाभाविक रूप से उसके बहुत सारे तत्त्व आ जाते है। और कुछ आने से रह जाते हैं। कविता में जोर- जबर्दस्ती से ठूंसे हुए बिम्ब, प्रतीक, मिथक आदि उसे कमजोर बनाते हैं।


 मेरी कविताएं मूलतः दो तरह की है-आत्मपरक और वस्तुपरक। आत्मपरक कविताओं का सम्बन्ध मेरे अपने जीवन और अनेक- प्रकार की भाव-स्थितियों से है। वस्तुपरक कविताओं का सम्बन्ध मनुष्य, समाज या बाहरी दुनिया से है।


 काव्य-रचना में प्रेरणा का महत्त्वपूर्ण योगदान है। प्रेरणा ही हमें जगाती हैं, गतिशील बनाती हैं और सृजन-पथ पर आगे ले जाती है।


 कल्पना के बगैर किसी भी प्रकार का सृजन-कर्म मुश्किल है। कविता में कल्पना के कारण ही अप्रस्तुत विधान होता है एवं नए-नए बिम्बों के निर्माण में भी उसकी अहम् भूमिका होती है ।


 कविता के सृजन में आवेग होने से कविता लययुक्त और ताकतवर बनती है। किन्तु बहुत सारी वैचारिक या व्यंग्यपरक कविताओं में आवेगपूर्ण प्रक्रिया के बगैर भी सृजन होता है।


 कविता के सृजन में प्रतिभा  और अभ्यास दोनों का महत्त्व होता है। ये दोनों बातें कविता की रचना प्रक्रिया को सार्थक और महत्त्वपूर्ण बनाती हैं ।


 सृजन के दौरान एक तनाव की स्थिति तो होती ही है, जो आम भाषा से रचनात्मक भाषा को अलग और अनूठी बनाती है।


 दुनिया के जितने भी कवि हैं, उनकी पहचान एक अलग कवि-व्यक्तित्त्व के रूप है। हर कवि अपने सृजन का एक नया और अलग अंदाज अपनाता है और यही उसके कवि-व्यक्तित्त्व का निर्माण करता है।


 कविता प्रायः सायास नहीं लिखी जाती, किन्तु गद्य-लेखन प्रायः वैचारिक होता है, इसीलिए कविता कब लिखी जाएगी, कुछ तय नहीं होता, लेकिन गद्य तो प्रतिदिन लिखा जा सकता है।

नालायक

 *नालायक*


देर रात अचानक ही पिता जी की तबियत बिगड़ गयी। 

आहट पाते ही उनका नालायक बेटा उनके सामने था।

माँ ड्राईवर बुलाने की बात कह रही थी, पर उसने सोचा अब इतनी रात को इतना जल्दी ड्राईवर कहाँ आ पायेगा ?????


यह कहते हुये उसने सहज जिद और अपने मजबूत कंधो के सहारे बाऊजी को कार में बिठाया और तेज़ी से हॉस्पिटल की ओर भागा।


बाउजी दर्द से कराहने के साथ ही उसे डांट भी रहे थे 


"धीरे चला नालायक, एक काम जो इससे ठीक से हो जाए।"


नालायक बोला

"आप ज्यादा बातें ना करें बाउजी, बस तेज़ साँसें लेते रहिये, हम हॉस्पिटल पहुँचने वाले हैं।"


 अस्पताल पहुँचकर उन्हे डाक्टरों की निगरानी में सौंप,वो बाहर चहलकदमी करने लगा


, बचपन से आज तक अपने लिये वो नालायक ही सुनते आया था।

उसने भी कहीं न कहीं अपने मन में यह स्वीकार कर लिया था की उसका नाम ही शायद नालायक ही हैं ।


 तभी तो स्कूल के समय से ही घर के लगभग सब लोग कहते थे की नालायक फिर से फेल हो गया। 


नालायक को अपने यहाँ कोई चपरासी भी ना रखे।


 कोई बेवकूफ ही इस नालायक को अपनी बेटी देगा। 


शादी होने के बाद भी वक्त बेवक्त सब कहते रहते हैं की इस

बेचारी के भाग्य फूटें थे जो इस नालायक के पल्ले पड़ गयी।


 हाँ बस एक माँ ही हैं जिसने उसके असल नाम को अब तक जीवित रखा है, पर आज अगर उसके बाउजी को कुछ हो गया तो शायद वे भी..


इस ख़याल के आते ही उसकी आँखे छलक गयी और वो उनके लिये हॉस्पिटल में बने एक मंदिर में प्रार्थना में डूब गया। प्रार्थना में शक्ति थी या समस्या मामूली, डाक्टरों ने सुबह सुबह ही बाऊजी को घर जाने की अनुमति दे दी।


घर लौटकर उनके कमरे में छोड़ते हुये बाऊजी एक बार फिर चीखें,


"छोड़ नालायक ! तुझे तो लगा होगा कि बूढ़ा अब लौटेगा ही नहीं।"


उदास वो उस कमरे से निकला, तो माँ  से अब रहा नहीं गया, "इतना सब तो करता है, बावजूद इसके आपके लिये वो नालायक ही है ???


विवेक और विशाल दोनो अभी तक सोये हुए हैं उन्हें तो अंदाजा तक नही हैं की रात को क्या हुआ होगा .....बहुओं ने भी शायद उन्हें बताना उचित नही समझा होगा ।


यह बिना आवाज दिये आ गया और किसी को भी परेशान नही किया 


भगवान न करे कल को कुछ अनहोनी हो जाती तो ?????


और आप हैं की ????


उसे शर्मिंदा करने और डांटने का एक भी मौका नही छोड़ते ।


कहते कहते माँ रोने लगी थी 


इस बार बाऊजी ने आश्चर्य भरी नजरों से उनकी ओर देखा और फिर नज़रें नीची करली


माँ रोते रोते बोल रही थी

अरे, क्या कमी है हमारे  बेटे में ?????


हाँ मानती हूँ पढाई में थोङा कमजोर था ....

तो क्या ????

क्या सभी होशियार ही होते हैं ??


 वो अपना परिवार, हम दोनों को, घर-मकान, पुश्तैनी कारोबार, रिश्तेदार और रिश्तेदारी सब कुछ तो बखूबी सम्भाल रहा है


 जबकि  बाकी दोनों जिन्हें आप लायक समझते हैं वो बेटे सिर्फ अपने बीबी और बच्चों के अलावा ज्यादा से ज्यादा अपने ससुराल का ध्यान रखते हैं ।


कभी पुछा आपसे की आपकी तबियत कैसी हैं ??????


और आप हैं की ....


बाऊजी बोले सरला तुम भी मेरी भावना नही समझ पाई ????


मेरे शब्द ही पकङे न ??


क्या तुझे भी यहीं लगता हैं की इतना सब के होने बाद भी  इसे बेटा कह के नहीं बुला पाने का, गले से नहीं लगा पाने का दुःख तो मुझे नही हैं ????


क्या मेरा दिल पत्थर का हैं ??????


हाँ सरला सच कहूँ दुःख तो मुझे भी होता ही है, पर उससे भी अधिक डर लगता है कि कहीं ये भी उनकी ही तरह *लायक* ना बन जाये।


इसलिए मैं इसे इसकी पूर्णताः का अहसास इसे अपने जीते जी तो कभी नही होने दूगाँ ....


माँ चौंक गई .....


ये क्या कह रहे हैं आप ???


हाँ सरला ...यहीं सच हैं 


अब तुम चाहो तो इसे मेरा स्वार्थ ही कह लो। "कहते हुये उन्होंने रोते हुए नजरे नीची किये हुए अपने हाथ माँ की तरफ जोड़ दिये जिसे माँ ने झट से अपनी हथेलियों में भर लिया।


और कहा अरे ...अरे ये आप क्या कर रहे हैं 

मुझे क्यो पाप का भागी बना रहे हैं ।

मेरी ही गलती हैं मैं आपको इतने वर्षों में भी पूरी तरह नही समझ पाई ......


और दूसरी ओर दरवाज़े पर वह नालायक खड़ा खङा यह सारी बातचीत सुन रहा था वो भी आंसुओं में तरबतर हो गया था। 


उसके मन में आया की दौड़ कर अपने बाऊजी के गले से लग जाये पर ऐसा करते ही उसके बाऊजी झेंप जाते,

यह सोच कर वो अपने कमरे की ओर दौड़ गया।


कमरे तक पहुँचा भी नही था की बाऊजी की आवाज कानों में पङी..


अरे नालायक .....वो दवाईयाँ कहा रख दी 

गाड़ी में ही छोड़ दी क्या ??????


कितना भी समझा दो इससे एक काम भी ठीक से नही होता ....


नालायक झट पट आँसू पौछते हुये गाड़ी से दवाईयाँ निकाल कर बाऊजी के कमरे की तरफ दौङ गया


तुलसी विवाह / कृष्ण मेहता

 तुलसी विवाह


एकादशी के दिन तुलसी विवाह  की परंपरा रही है। माता तुलसी की सालिग्राम जी से विवाह की जाती है। कई घरों nमें इस दिन एक दम विवाह जैसा माहौल रहता है। अगर आपके घर में भी तुलसी पैधा है तो आप आज तुलसी विवाह करके सुख-समृद्धि में वृद्धि कर सकती हैं। कहा जाता है कि जिनके विवाह में देरी हो रही है या जो योग्य वर और वधू चाहते हैं इस दिन विधि विधान से पूजा करें। तो आइए जानते हैं कैसे करें तुलसी विवाह

शाम के समय सारा परिवार इसी तरह तैयार हो जैसे विवाह समारोह के लिए होते हैं।

* तुलसी का पौधा एक पटिये पर आंगन, छत या पूजा घर में बिलकुल बीच में रखें।

* तुलसी के गमले के ऊपर गन्ने का मंडप सजाएं।

* तुलसी देवी पर समस्त सुहाग सामग्री के साथ लाल चुनरी चढ़ाएं।

* गमले में सालिग्राम जी रखें। अगर सालिग्राम नहीं है तो भगवान विष्णु की फोटो भी रख सकती हैं।

* सालिग्राम जी पर चावल नहीं चढ़ते हैं। उन पर तिल चढ़ाई जा सकती है।

* तुलसी और सालिग्राम जी पर दूध में भीगी हल्दी लगाएं।

* गन्ने के मंडप पर भी हल्दी का लेप करें और उसकी पूजन करें।

* अगर हिंदू धर्म में विवाह के समय बोला जाने वाला मंगलाष्टक आता है तो वह अवश्य करें।

* देव प्रबोधिनी एकादशी से कुछ वस्तुएं खाना आरंभ किया जाता है। अत: भाजी, मूली़ बेर और आंवला जैसी सामग्री बाजार में पूजन में चढ़ाने के लिए मिलती है वह लेकर आएं।

* कपूर से आरती करें। (नमो नमो तुलसा महारानी, नमो नमो हरि की पटरानी)

* तुलसी माता पर प्रसाद चढ़ाएं।

* 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा करें।

* प्रसाद को मुख्य आहार के साथ ग्रहण करें।

* प्रसाद वितरण अवश्य करें।

* पूजा समाप्ति पर घर के सभी सदस्य चारों तरफ से पटिए को उठा कर भगवान विष्णु से जागने का आह्वान करें-

इस मंत्र का उच्चारण करते हुए भी देव को जगाया जा सकता है-

'उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये।

त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्‌ सुप्तं भवेदिदम्‌॥'

'उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव।

गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः॥'

'शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव।

तुलसी के ये मंत्र

भगवान कृष्ण से साक्षात्कार


 हिन्दू धर्म में तुलसी का बड़ा ही महत्व है। इसे बड़ा पूजनीय माना जाता है। पद्मपुराण के अनुसार तुलसी का नाम मात्र उच्चारण करने से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न होते हैं। साथ ही मान्यता है कि जिस घर के आंगन में तुलसी होती हैं वहां कभी कोई कष्ट नहीं आता है। पुराणों के जानकारों की मानें तो तुलसी की पूजा से सीधे भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन होते हैं। वे भक्तों की बात सुनते हैं। पद्मपुराण के अनुसार द्वादशी की रात को जागरण करते हुए तुलसी स्तोत्र को पढऩा चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु जातक के सभी अपराध क्षमा कर देते हैं। तुलसी महिमा को सुनने से भी समान पुण्य मिलता है।


तुलसी पूजा के मंत्र


तुलसी जी को जल चढाने का मंत्र 


महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी


आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।।


तुलसी जी का ध्यान मन्त्र


देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः


नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।


तुलसी की पूजा करते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए


तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।


धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।


लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।


तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।


धन-संपदा, वैभव, सुख, समृद्धि की प्राप्ति के लिए तुलसी नामाष्टक मंत्र


वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।


पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।


एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।


य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।


तुलसी के पत्ते तोड़ते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए


ॐ सुभद्राय नमः 


ॐ सुप्रभाय नमः


- मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी


नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते ।।


यदि आपके आंगन में है तुलसी तो आप एक खास मंत्र के जरिए और आत्मविश्वासी हो सकते हैं। यह गायत्री मंत्र, जो तुलसी पूजन में उपयुक्त होता है


ऊँ श्री तुलस्यै विद्महे। विष्णु प्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।


ये है पूजन विधि


– सुबह स्नान के बाद घर के आंगन या देवालय में लगे तुलसी के पौधे की गंध, फूल, लाल वस्त्र चढ़ाकर पूजा करें। फल का भोग लगाएं।


– धूप व दीप जलाकर उसके नजदीक बैठकर तुलसी की ही माला से तुलसी गायत्री मंत्र का श्रद्धा से, सुख की कामना से 108 बार स्मरण करें। तब अंत में तुलसी की पूजा करें ।


– पूजा व मंत्र जप में हुई त्रुटि की प्रार्थना आरती के बाद कर फल का प्रसाद ग्रहण करें।


– संध्या समय तुलसी के पास दीपक प्रज्वलित अवश्य ही करना चाहिए। इससे सदैव घर में सुख शांति का वातावरण बना रहता है।


तुलसी जी के अन्य नाम और उनके अर्थ


वृंदा - सभी वनस्पति व वृक्षों की आधि देवी


वृन्दावनी - जिनका उद्भव व्रज में हुआ


विश्वपूजिता - समस्त जगत द्वारा पूजित


विश्व -पावनी - त्रिलोकी को पावन करने वाली


पुष्पसारा - हर पुष्प का सार


नंदिनी - ऋषि मुनियों को आनंद प्रदान करने वाली


कृष्ण-जीवनी - श्री कृष्ण की प्राण जीवनी


तुलसी - अद्वितीय


तुलसी स्तोत्रम्


जगद्धात्रि नमस्तुभ्यं विष्णोश्च प्रियवल्लभे।


यतो ब्रह्मादयो देवाः सृष्टिस्थित्यन्तकारिणः ॥1॥


नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे।


नमो मोक्षप्रदे देवि नमः सम्पत्प्रदायिके ॥2॥


तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भ्योऽपि सर्वदा ।


कीर्तितापि स्मृता वापि पवित्रयति मानवम् ॥3॥


नमामि शिरसा देवीं तुलसीं विलसत्तनुम् ।


यां दृष्ट्वा पापिनो मर्त्या मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषात् ॥4॥


तुलस्या रक्षितं सर्वं जगदेतच्चराचरम् ।


या विनिहन्ति पापानि दृष्ट्वा वा पापिभिर्नरैः ॥5॥


नमस्तुलस्यतितरां यस्यै बद्ध्वाजलिं कलौ ।


कलयन्ति सुखं सर्वं स्त्रियो वैश्यास्तथाऽपरे ॥6॥


तुलस्या नापरं किञ्चिद् दैवतं जगतीतले ।


यथा पवित्रितो लोको विष्णुसङ्गेन वैष्णवः ॥7॥


तुलस्याः पल्लवं विष्णोः शिरस्यारोपितं कलौ ।


आरोपयति सर्वाणि श्रेयांसि वरमस्तके ॥8॥


तुलस्यां सकला देवा वसन्ति सततं यतः ।


अतस्तामर्चयेल्लोके सर्वान् देवान् समर्चयन् ॥9॥


नमस्तुलसि सर्वज्ञे पुरुषोत्तमवल्लभे ।


पाहि मां सर्वपापेभ्यः सर्वसम्पत्प्रदायिके ॥10॥


इति स्तोत्रं पुरा गीतं पुण्डरीकेण धीमता ।


विष्णुमर्चयता नित्यं शोभनैस्तुलसीदलैः ॥11॥


तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी ।


धर्म्या धर्नानना देवी देवीदेवमनःप्रिया ॥12॥


लक्ष्मीप्रियसखी देवी द्यौर्भूमिरचला चला ।


षोडशैतानि नामानि तुलस्याः कीर्तयन्नरः ॥13॥


लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत् ।


तुलसी भूर्महालक्ष्मीः पद्मिनी श्रीर्हरिप्रिया ॥14॥


तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे ।


नमस्ते नारदनुते नारायणमनःप्रिये ॥15॥


इति श्रीपुण्डरीककृतं तुलसीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

जय तुलसी माता

ज़ब छिपने को मजबूर हुए श्री कृष्ण

 *"जब श्री कृष्ण बोले, मुझे कहीं छुपा लो।"*


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एक बार की बात है कि यशोदा मैया प्रभु श्री कृष्ण के उलाहनों से तंग आ गयीं और छड़ी लेकर श्री कृष्ण की ओर दौड़ी। जब प्रभु ने अपनी मैया को क्रोध में देखा तो वह अपना बचाव करने के लिबए भागने लगे।


भागते-भागते श्री कृष्ण एक कुम्हार के पास पहुँचे। कुम्हार तो अपने मिट्टी के घड़े बनाने में व्यस्त था। लेकिन जैसे ही कुम्हार ने श्री कृष्ण को देखा तो वह बहुत प्रसन्न हुआ। कुम्हार जानता था कि श्री कृष्ण साक्षात् परमेश्वर हैं। तब प्रभु ने कुम्हार से कहा कि कुम्हार जी, आज मेरी मैया मुझ पर बहुत क्रोधित है। मैया छड़ी लेकर मेरे पीछे आ रही है। भैया, मुझे कहीं छुपा लो।


तब कुम्हार ने श्री कृष्ण को एक बडे से मटके के नीचे छिपा दिया। कुछ ही क्षणों में मैया यशोदा भी वहाँ आ गयीं और कुम्हार से पूछने लगी: क्यूँ रे, कुम्हार! तूने मेरे कन्हैया को कहीं देखा है, क्या?

कुम्हार ने कह दिया: नहीं, मैया! मैंने कन्हैया को नहीं देखा। 

श्री कृष्ण ये सब बातें बडे से घड़े के नीचे छुपकर सुन रहे थे। मैया तो वहाँ से चली गयीं।


अब प्रभु श्री कृष्ण कुम्हार से कहते हैं: कुम्हार जी, यदि मैया चली गयी हो तो मुझे इस घड़े से बाहर निकालो।

कुम्हार बोला: ऐसे नहीं, प्रभु जी! पहले मुझे चौरासी लाख योनियों के बन्धन से मुक्त करने का वचन दो।

भगवान मुस्कुराये और कहा: ठीक है, मैं तुम्हें चौरासी लाख योनियों से मुक्त करने का वचन देता हूँ। अब तो मुझे बाहर निकाल दो।


कुम्हार कहने लगा: मुझे अकेले नहीं, प्रभु जी! मेरे परिवार के सभी लोगों को भी चौरासी लाख योनियों के बन्धन से मुक्त करने का वचन दोगे तो मैं आपको इस घड़े से बाहर निकालूँगा।

प्रभु जी कहते हैं: चलो ठीक है, उनको भी चौरासी लाख योनियों के बन्धन से मुक्त होने का मैं वचन देता हूँ। अब तो मुझे घड़े से बाहर निकाल दो।


अब कुम्हार कहता है: बस, प्रभु जी! एक विनती और है। उसे भी पूरा करने का वचन दे दो तो मैं आपको घड़े से बाहर निकाल दूँगा।

भगवान बोले: वो भी बता दो, क्या कहना चाहते हो?

कुम्भार कहने लगा: प्रभु जी! जिस घड़े के नीचे आप छुपे हो, उसकी मिट्टी मेरे बैलों के ऊपर लाद के लायी गयी है। मेरे इन बैलों को भी चौरासी के बन्धन से मुक्त करने का वचन दो।


भगवान ने कुम्हार के प्रेम पर प्रसन्न होकर उन बैलों को भी चौरासी के बन्धन से मुक्त होने का वचन दिया।

प्रभु बोले: अब तो तुम्हारी सब इच्छा पूरी हो गयी, अब तो मुझे घड़े से बाहर निकाल दो।


तब कुम्हार कहता है: अभी नहीं, भगवन! बस, एक अन्तिम इच्छा और है। उसे भी पूरा कर दीजिये और वो ये है, जो भी प्राणी हम दोनों के बीच के इस संवाद को सुनेगा, उसे भी आप चौरासी लाख योनियों के बन्धन से मुक्त करोगे। बस, यह वचन दे दो तो मैं आपको इस घड़े से बाहर निकाल दूँगा।


कुम्हार की प्रेम भरी बातों को सुन कर प्रभु श्री कृष्ण बहुत खुश हुए और कुम्हार की इस इच्छा को भी पूरा करने का वचन दिया।


फिर कुम्हार ने बाल श्री कृष्ण को घड़े से बाहर निकाल दिया। उनके चरणों में साष्टांग प्रणाम किया। प्रभु जी के चरण धोये और चरणामृत पीया। अपनी पूरी झोंपड़ी में चरणामृत का छिड़काव किया और प्रभु जी के गले लगकर इतना रोये क़ि प्रभु में ही विलीन हो गये।


जरा सोच करके देखिये, जो बाल श्री कृष्ण सात कोस लम्बे-चौड़े गोवर्धन पर्वत को अपनी इक्क्नी अंगुली पर उठा सकते हैं, तो क्या वो एक घड़ा नहीं उठा सकते थे। लेकिन बिना प्रेम रीझे नहीं नटवर नन्द किशोर। कोई कितने भी यज्ञ करे, अनुष्ठान करे, कितना भी दान करे, चाहे कितनी भी भक्ति करे, लेकिन जब तक मन में प्राणी मात्र के लिए प्रेम नहीं होगा, प्रभु श्री कृष्ण मिल नहीं सकते।


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राजा परीक्षित और कलयुग कथा !!!!!

 🏵राजा परीक्षित और कलयुग कथा !!!!!!!


🌟परीक्षितजी महाराज अर्जुन के पौत्र और वीर अभिमन्यु के पुत्र है। पाण्डवों के स्वर्ग जाने के पश्चात राजा परीक्षित ऋषि-मुनियों के आदेशानुसार धर्मपूर्वक शासन करने लगे।


 उनके जन्म के समय ज्योतिषियों ने जिन गुणों का वर्णन किया था, वे समस्त गुण उनमें विद्यमान थे। उनका विवाह राजा उत्तर की कन्या इरावती से हुआ। उससे उन्हें जनमेजय आदि चार पुत्र प्राप्त हुए। इस प्रकार वे समस्त ऐश्वर्य भोग रहे थे।


आचार्य कृप को गुरु बना कर उन्होंने जाह्नवी के तट पर तीन अश्वमेघ यज्ञ किये। उन यज्ञों में अनन्त धन राशि ब्रह्मणों को दान में दी और दिग्विजय हेतु निकल गये। दिग्विजय करते हुए परीक्षित सरस्वती नदी के तट पर पहुंचे। वहां पर राजा ने एक बैल और गऊ को पुरुष भाषा में बात करते हुए सुना। वो बैल केवल एक पैर पर खड़ा था जबकि गाय की दशा जीर्ण-शीर्ण थी और आँखों में आंसू थे। ये बैल साक्षात् धर्म है और गऊ धरती माता है। बैल केवल एक पाँव पर खड़ा है। जो सत्य है।  बैल के तीन पाँव नही है  दया, तप और पवित्रता। बैल केवल एक पाँव पर खड़ा है कलयुग में ना दया होगी, ना तप होगा, ना पवित्रता होगी केवल सत्य होगा।


बैल गाय से पूछता है की – “हे देवि पृथ्वी! तुम्हारा मुख मलिन क्यों हो रहा है? किस बात की तुम्हें चिन्ता है? कहीं तुम मेरी चिन्ता तो नहीं कर रही हो कि अब मेरा केवल एक पैर ही रह गया है या फिर तुम्हें इस बात की चिन्ता है कि अब तुम पर शूद्र राज्य करेंगे?”


पृथ्वी बोली – “हे धर्म! तुम सब कुछ जानकार भी मुझ से मेरे दुःख का कारण पूछते हो! सत्य, पवित्रता, क्षमा, दया, सन्तोष, त्याग, शम, दम, तप, सरलता, क्षमता, शास्त्र विचार, उपरति, तितिक्षा, ज्ञान, वैराग्य, शौर्य, तेज, ऐश्वर्य, बल, स्मृति, कान्ति, कौशल, स्वतन्त्रता, निर्भीकता, कोमलता, धैर्य, साहस, शील, विनय, सौभाग्य, उत्साह, गम्भीरता, कीर्ति, आस्तिकता, स्थिरता, गौरव, अहंकारहीनता आदि गुणों से युक्त भगवान श्रीकृष्ण के अपने धाम चले जाना के कारण मुझे पर घोर कलियुग गया है।


मुझे तुम्हारे साथ ही साथ देव, पितृगण, ऋषि, साधु, सन्यासी आदि सभी के लिये महान शोक है। भगवान श्रीकृष्ण के जिन चरणों की सेवा लक्ष्मी जी करती हैं उनमें कमल, वज्र, अंकुश, ध्वजा आदि के चिह्न विराजमान हैं और वे ही चरण मुझ पर पड़ते थे जिससे मैं सौभाग्यवती थी। अब मेरा सौभाग्य समाप्त हो गया है।”


जब धर्म और पृथ्वी आपस में बात कर रहे थे तभी एक काला-काला व्यक्ति आया और गऊ को लात मारी बैल को डंडे से मारा।


महाराज परीक्षित अपने धनुषवाण को चढ़ाकर मेघ के समान गम्भीर वाणी में ललकारे – “रे दुष्ट! पापी! नराधम! तू कौन है? इन निरीह गाय तथा बैल को क्यों सता रहा है? तू महान अपराधी है। तेरे अपराध का उचित दण्ड तेरा वध ही है।” मैं तुझे जीवित नही छोड़ूंगा। इतना कह कर राजा परीक्षीत ने उस पापी को मारने के लिये अपनी तीक्ष्ण धार वाली तलवार निकाली।


वो व्यक्ति डर गया और परीक्षित जी महाराज के चरणो में गिर गया और क्षमा मांगने लगा।


वो बोला की मैं कलयुग हूँ। श्री कृष्ण के जाने के बाद अब द्वापर युग खत्म हो गया है और कलयुग का आगमन हो गया है। अब मेरा राज चलेगा।


राजा परीक्षित बोले की अधर्म, पाप, झूठ, चोरी, कपट, दरिद्रता आदि अनेक उपद्रवों का मूल कारण केवल तू ही है। अतः तू मेरे राज्य से तुरन्त निकल जा और लौट कर फिर कभी मत आना।”


इस पर कलयुग बोला की मैं कहाँ जाऊं? जहाँ तक सूर्य और चन्द्रमा का प्रकाश है मुझे आप धनुष बाण लिए दिखाई देते हो? अब मुझ पर दया करके मेरे लिए कोई तो स्थान बताइये ना?


परीक्षित बोले की आपके अंदर केवल और केवल अवगुण है अगर एक भी गुण तेरे अंदर है तो बता? मैं फिर तुझे कोई स्थान अवश्य दूंगा।


इस पर कलयुग थोड़ा खुश हुआ और बोला हे महात्मन! आप बड़े दयालु है। माना की मेरे अंदर अवगुण ही अवगुण है लेकिन एक सबसे बड़ा गुण है। कलयुग में केवल भगवान नाम, हरी नाम से ही मुक्ति संभव है। भगवान को पाने के लिए कोई लम्बे चौड़े यज्ञ, हवन, पूजा और विधि विधान की जरुरत नही पड़ेगी।


मानो रामचरिमानस की यह चौपाई यहाँ सार्थक हो रही है-कलियुग केवल नाम अधारा , सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा


कलियुग इस तरह कहने पर राजा परीक्षित सोच में पड़ गये। फिर विचार कर के उन्होंने कहा – “हे कलियुग! द्यूत(जुआखाना), मद्यपान(मदिरालय), परस्त्रीगमन(वैश्यालय) और हिंसा(कसाईखाना) इन चार स्थानों में असत्य, मद, काम और क्रोध का निवास होता है। इन चार स्थानों में निवास करने की मैं तुझे छूट देता हूँ।”


यदि व्यक्ति अपना भला चाहे तो इन चारों से दूर रहना चाहिए।


कलयुग ने राजा का बहुत धन्यवाद किया और बोला- हे राजन आपने चारों स्थान अपनी मर्जी से दिए है एक स्थान में भी आपसे मांगता हूँ, आप देने की कृपा करे। कृपा करके मुझे स्वर्ण(सोने) में भी स्थान दे दें।


तब परीक्षित जी महाराज ने उसे सोने में भी स्थान दें दिया।


गुरुदेव बताते है की सोने का मतलब यह नही जो आप सोना पहनते हो उसमे कलयुग है। क्योंकि भगवान कृष्णा ने खुद बोला है धातुओं में स्वर्ण मेरा स्वरूप है। कहने का मतलब ये है जो भी पैसा अनीति से, गलत तरीके से, हिंसा से आये और उससे सोना लिया जाये उसमे कलयुग का वास है।


कलयुग को वचन देकर जब राजा परीक्षित अपने महल में लौटे तो अचानक अपने कोषागार में चले गए। जहां एक संदूक देखकर ठिठक गए। संदूक खोला तो उसमें चमचमाता हुआ सोने का मुकुट देखा।


 इतना सुंदर मुकुट देखकर राजा की आंखें चुंधिया गई और उस मुकुट को सिर पर धारण किया मुकुट राजा परीक्षित ने अपने सिर पर धारण किया, वह मुकुट पांडव जरासंघ को मार कर लाए थे और कोषागार में जमा कर दिया। किसी भी पांडव ने उसे धारण नहीं किया। कलयुग के प्रभाव से ही राजा परीक्षित ने मुकुट सिर पर धारण किया।


 क्योंकि सोने में कलयुग को स्थान दे दिया। इस कारण राजा परीक्षित की बुद्धि फिर गई और आज ये 45 वर्ष के हुए तो इनका मन शिकार करने के लिए कहता है। परीक्षित जी महाराज ने अपने धनुष बाण उठे और वन में शिकार करने के लिए चल दिए। आज तक इन्होने कभी भी आखेट(शिकार) का नही सोचा पर आज मन हुआ है।


वन में शिकार करते करते बहुत आगे निकल गए। इनका सैनिक समुदाय काफी पीछे रह गया। काफी आगे जाने के बाद इन्हे प्यास लगी है। थोड़ी दूर पर इन्हे एक कुटिया दिखाई दी।


 जिसमे एक संत शमीक ऋषि जी आँखे बंद करके भगवान का ध्यान कर रहा था। इसने सोचा की ये संत ढोंग कर रहा है। नाटक कर रहा है। इसने संत से पानी माँगा। लेकिन संत की समाधि सच्ची थी। जब संत ने इसे पानी नही दिया तो इसे गुस्सा आया वहां एक मारा हुआ सर्प पड़ा हुआ था। वो सर्प उठाया और संत के गले में डाल दिया। इस तरह इन्होने संत का अपमान किया और अपने महल में चले आये।


शमीक ऋषि तो ध्यान में लीन थे। उन्हें ज्ञात ही नहीं हो पाया कि उनके साथ राजा ने क्या किया है लेकिन उनके पुत्र ऋंगी ऋषि को जब इस बात का पता चला तो उन्हें राजा परीक्षित पर बहुत क्रोध आया।


ऋंगी ऋषि ने सोचा कि यदि यह राजा जीवित रहेगा तो इसी प्रकार ब्राह्मणों का अपमान करता रहेगा। इस प्रकार विचार करके उस ऋषिकुमार ने कमण्डल से अपनी अंजुली में जल ले कर तथा उसे मन्त्रों से अभिमन्त्रित करके राजा परीक्षित को यह श्राप दे दिया कि जा तुझे आज से सातवें दिन तक्षक सर्प डसेगा।


डारि नाग ऋषि कंठ में, नृप ने कीन्हों पाप।

होनहार हो कर हुतो, ऋंगी दीन्हों शाप॥


जब शमीक ऋषि समाधि से उठे तो उनके पुत्र श्रृंगी ने सभी बातें अपने पिता को बताई। ऋषि बोले की बेटा तूने यह अच्छा नही किया। वो एक राजा है। और राजा में रजो गुण आ सकता है पर तू एक संत का बेटा है। तेरे अंदर क्रोध क्यू आया जो तूने श्राप दे दिया।


 कलयुग के प्रभाव के कारण उस राजा को क्रोध आ गया और उसने सर्प डाल दिया। राजा ने जान बूझ कर नहीं किया है। संत बोले बेटा अब तो श्राप वापिस हो नही सकता। तुम राजा के पास जाओ और इस बात की खबर दो की सातवें दिन तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी।


ऋषि शमीक को अपने पुत्र के इस अपराध के कारण अत्यन्त पश्चाताप होने लगा।


जब परीक्षित महाराज अपने महल में पहुंचे और वो सोने का मुकुट उतारा तो कलयुग का प्रभाव समाप्त हो गया। अब परीक्षित जी महाराज सोच रहे है ये मैंने क्या कर दिया। एक संत के ब्राह्मण के, ऋषि के गले में सर्प डाल दिया। मैंने तो महापाप कर दिया। बहुत दुखी हो रहे है।


उसी समय ऋषि शमीक का भेजा हुआ एक गौरमुख नाम के शिष्य ने आकर उन्हें बताया कि ऋषिकुमार ने आपको श्राप दिया है कि आज से सातवें दिन तक्षक सर्प आपको डस लेगा। राजा परीक्षित ने शिष्य को प्रसन्नतापूर्वक आसन दिया और बोले – “ऋषिकुमार ने श्राप देकर मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया है।


 मेरी भी यही इच्छा है कि मुझ जैसे पापी को मेरे पाप के लिय दण्ड मिलना ही चाहिये। आप ऋषिकुमार को मेरा यह संदेश पहुँचा दीजिये कि मैं उनके इस कृपा के लिये उनका अत्यंत आभारी हूँ।” उस शिष्य का यथोचित सम्मान कर के और क्षमायाचना कर के राजा परीक्षित ने विदा किया।


अब परीक्षित जी महाराज ने तुरंत अपने पुत्रो जनमेजय आदि को बुलाया और राज काज का भार उनको सौंप दिया। और खुद सब कुछ छोड़ कर केवल एक लंगोटी में निकल गए है। और संकल्प ले लिया की अब ये जीवन भगवान की भक्ति में ही बीतेगा। अब तक मैंने भगवान को याद नही किया लेकिन अब और इस संसार में नही रहना है। वैराग्य हो गया।


परीक्षित जी महाराज गंगा नदी के तट पर पहुंचे है। जहाँ पर अत्रि, वशिष्ठ, च्यवन, अरिष्टनेमि, शारद्वान, पाराशर, अंगिरा, भृगु, परशुराम, विश्वामित्र, इन्द्रमद, उतथ्य, मेधातिथि, देवल, मैत्रेय, पिप्पलाद, गौतम, भारद्वाज, और्व, कण्डव, अगस्त्य, नारद, वेदव्यास आदि ऋषि, महर्षि और देवर्षि अपने अपने शिष्यों के साथ पहले से ही बैठे है।


राजा परीक्षित ने उन सभी का यथोचित समयानुकूल सत्कार करके उन्हें आसन दिया, उनके चरणों की वन्दना की और कहा – “यह मेरा परम सौभाग्य है कि आप जैस देवता तुल्य ऋषियों के दर्शन प्राप्त हुये। मैंने सत्ता के मद में चूर होकर परम तेजस्वी ब्राह्मण के प्रति अपराध किया है फिर भी आप लोगों ने मुझे दर्शन देने के लिये यहाँ तक आने का कष्ट किया यह आप लोगों की महानता है। 


मेरी इच्छा है कि मैं अपने जीवन के शेष सात दिनों का सदुपयोग ज्ञान प्राप्ति और भगवत्भक्ति में करूँ। अतः आप सब लोगों से मेरा निवेदन है कि आप लोग वह सुगम मार्ग बताइये जिस पर चल कर मैं भगवान को प्राप्त कर सकूँ?” परीक्षित जी महाराज पूछते है जिसकी मृत्यु निकट है ऐसे जीव को क्या करना चाहिए?


उसी समय वहाँ पर व्यास ऋषि के पुत्र, जन्म मृत्यु से रहित परमज्ञानी श्री शुकदेव जी पधारे। समस्त ऋषियों सहित राजा परीक्षित उनके सम्मान में उठ कर खड़े हो गये और उन्हें प्रणाम किया। उसके बाद अर्ध्य, पाद्य तथा माला आदि से सूर्य के समान प्रकाशमान श्री शुकदेव जी की पूजा की और बैठने के लिये उच्चासन प्रदान किया। उनके बैठने के बाद अन्य ऋषि भी अपने अपने आसन पर बैठ गये। 


सभी के आसन ग्रहण करने के पश्चात् राजा परीक्षित ने मधुर वाणी मे कहा – “हे ब्रह्मरूप योगेश्वर! हे महाभाग! भगवान नारायण के सम्मुख आने से जिस प्रकार दैत्य भाग जाते हैं उसी प्रकार आपके पधारने से महान पाप भी अविलंब भाग खड़े होते हैं। आप जैसे योगेश्वर के दर्शन अत्यन्त दुर्लभ है पर आपने स्वयं मेरी मृत्यु के समय पधार कर मुझ पापी को दर्शन देकर मुझे मेरे सम्पूर्ण पापों से मुक्त कर दिया है।


 आप योगियों के भी गुरु हैं, आपने परम सिद्धि प्राप्त की है। अतः कृपा करके यह बताइये कि मरणासन्न प्राणी के लिये क्या कर्तव्य है? उसे किस कथा का श्रवण, किस देवता का जप, अनुष्ठान, स्मरण तथा भजन करना चाहिये और किन किन बातों का त्याग कर देना चाहिये?


गुरुदेव कहते है की ये प्रश्न केवल परीक्षित का नही है प्रत्येक जीव का है। क्योंकि हम सब मृत्य के निकट है। हमारी मृत्यु कभी ही हो सकती है। राजा को तो 7 दिन का समय भी मिल गया लेकिन हमें तो ये भी नही पता की हम किस दिन मरेंगे।


तो जवाब में गुरुदेव कहते है जीवन के सात ही दिन है भैया! सोमवार से लेकर रविवार तक। और इन्ही सात दिनों में एक दिन हमारा दिन भी निश्चित है। इसलिए प्रत्येक दिन भगवान का स्मरण, कीर्तन और भजन करो।


इस प्रकार शुकदेव जी महाराज ने परीक्षित को श्रीमद् भागवत कथा का रस पान करवाया है और इन्हे मुक्ति मिली है। भगवान का लोक मिला है।

मूंगफली खाने से पहले

 लीवर के लिए खतरनाक मूंगफली,अर्थराईटिस के लिए भी खतरा......       

             *                           ….मूंगफली सर्दी के मौसम में शरीर को गर्म रखती है. इसमें मौजूद विटामिन-ई, विटामिन-बी6 मैग्नीशियम, फासफॉरस, पोटैशियम, जिंक और आयरन की वजह से इसे जाड़ों की मेवा भी कहा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं, पोषक तत्वों से भरपूर मूंगफली के कुछ नुकसान (Peanuts side effects) भी होते हैं. आइए जानते हैं ज्यादा मूंगफली खाना हमारे शरीर के लिए कैसे खतरनाक साबित हो सकती है


हेल्थलाइन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मूंगफली शरीर में अफ्लेटॉक्सिन की मात्रा बढ़ाती है, जो एक नुकसानदायक पदार्थ है. भूख न लगना और आंखों का पीला पड़ना अफ्लेटॉक्सिन पॉयजनिंग के लक्षण हैं, जो लिवर के खराब होने या जॉन्डिस का संकेत हो सकता है.

अफ्लेटॉक्सिन पॉयजनिंग के चलते न सिर्फ आपका लिवर डैमेज हो सकता है, बल्कि ये लिवर कैंसर का कारण भी बन सकता है. अफ्लेटॉक्सिन पॉयजनिंग का खतरा गर्म और नमी वाली जगहों पर ज्यादा रहता है.

इसके अलावा, आर्थराइटिस के मरीजों को मूंगफली से परहेज करने की सलाह दी जाती है. मूंगफली में मौजूद लेक्टिन के कारण ऐसे मरीजों में सूजन की समस्या बढ़ जाती है. इससे कब्ज, एसिडिटी और सीने में जलन भी तेज हो सकती है.

मूंगफली में फाइटिक एसिड नाम का एक ऐसा तत्व पाया जाता है, जो शरीर में जरूरी न्यूट्रिशनल वेल्यू को कम करता है. फाइटिक एसिड से शरीर में आयरन और जिंक की मात्रा घट जाती है. बैलेंस डाइट या रेगुलर मांस खाने वालों को इससे ज्यादा समस्या नहीं होगी. लेकिन जो लोग सिर्फ अनाज या फलीदार सब्जियों पर निर्भर रहते हैं, उन्हें दिक्कत हो सकती है.

मूंगफली ज्यादा खाने से लोगों को स्किन से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं. इससे त्वचा में खुजली और रैशेज की दिक्कत बढ़ सकती है. मुंह पर खुजली और चेहरे पर सूजन के परेशानी भी बढ़ सकती है. मूंगफली की तासीर गर्म होती है, इसलिए इसे सिर्फ सर्दियों में खाना ही सुरक्षित है.


मूंगफली ओमेगा-6 फैटी एसिड से भरपूर होती है, जो शरीर के लिए बेहद फायदेमंद है. लेकिन एक्सपर्ट कहते हैं कि इसका ज्यादा इस्तेमाल शरीर में ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा को कम कर देता है, जो सही नहीं है.

ह्रदय रोग पर प्रयोग

 *🌹हृदय-रोग🌹*

 *( हृदय की कमजोरी )*

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* पहला प्रयोगः---*

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*तुलसी के बीज का आधा या 1 ग्राम चूर्ण उतनी ही मिश्री के साथ लेने से अथवा मेथी के 20 से 50 मि.ली. काढ़े (2 से 10 ग्राम मेथी को 100 से 300 ग्राम पानी में उबालें) में शहद डालकर पीने से हृदय-रोग में लाभ होता है।*


*दूसरा प्रयोगः---*

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*अर्जुन वृक्ष की छाल का एक चम्मच चूर्ण एक गिलास पानी मिश्रित दूध में उबालकर पीने से खूब लाभ होता है।*

*इसके अलावा, लहसुन , आँवला, शहद, अदरक, किसमिस, अंगूर, अजवायन,अनार आदि चीजें हृदय के लिए लाभदायी हैं।*


*तीसरा प्रयोगः---*

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*नींबू के सवा तोला (करीब 15 ग्राम) रस में आवश्यकतानुसार मिश्री मिलाकर पीने से हृदय की धड़कनें सामान्य होती हैं तथा स्त्रियों की हिस्टीरिया के कारण बढ़ी हुई धड़कनें भी दो-तीन नींबू के रस को पानी में मिलाकर पीने से शांत होती हैं।*


*चौथा प्रयोगः---*

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*गुडुच (गिलोय) का चूर्ण शहद के साथ इस्तेमाल करने से अथवा अदरक का रस व पानी समभाग मिलाकर पीने से हृदयरोग में लाभ होता है।*


*पाँचवाँ प्रयोगः---*

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*उगते हुए सूर्य की सिंदूरी किरणों में लगभग 10 मिनट तक हृदयरोग से दूर करने की अपरिमेय शक्ति होती हैं। अतः रोगी प्रातः काल सूर्योदय का इंतजार करे और यह प्रयत्न करे कि सूर्य की सर्वप्रथम किरण उस पर पड़े।*


*छठा प्रयोगः---*

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*मोटी गाँठ वाली हल्दी कूटने के बाद कपड़छन करके 8 मासा रख लें। फिर प्रतिदिन लाल गाय के दूध में 1 चम्मच चूर्ण घोलकर पियें। हल्दी में यह खास गुण है कि यह रक्तवाहिनी नसों में जमे हुए रक्त के थक्कों को पिघला देती है और नसों को साफ कर देती है। जब रक्तवाहिनी नलिकाएँ साफ हो जाएँगी तब वह कचरा यानी विजातीय द्रव्य पेट में जमा हो जाएगा और बाद में मल के द्वारा बाहर निकल जाएगा।*


*सातवाँ प्रयोगः---*

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*रोहिणी नामक हरड़ कूट -कपड़ छन करके रख लें। अगर रोहिणी हरड़ नहीं मिले तो कोई भी हरड़ जो बहेड़े के आकार की होती है वह लें। इस हरड़ का लगभग एक चम्मच चूर्ण रात को सोते समय लाल गाय के दूध में लें। लाल गाय अगर देशी नहीं मिले तो जरसी लाल गाय के दूध के साथ मिलाकर लें। यह विजातीय द्रव्य को शरीर से मल, पेशाब और पसीने इत्यादि के रूप में बाहर निकाल देती है।*


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दयालबाग़ रविवारीय सतसंग 29/11

 **राधास्वामी!! 29-11-2020- रविवार- आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-                                    

 (1) सब की आदि शब्द को जान। अंत सभी टा शब्द पिछान।। ओअं शब्द निरंजन शब्द। ब्रह्म शब्द और माया शब्द।।-(शब्द न मरे अमर भी शब्द। शब्द न जरे अजर भी शब्द।।) (सारबचन-शब्द-तीसरा-पृ.सं.212,213)                                                      

(2) सजन प्यारे मन की कहन न मान।।टेक।। यह जग में तोहि बहु भरमावे। गुरु भक्ति में करता हान।।-( राधास्वामी मेहर करें फिर अपनी। चरनन में दें ठौर ठिकान।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-13-पृ.सं.355,356)                                

सतसनग के बाद पढे गये पाठ:-                          

(1) भाग मेरे जागे भारी। सतगुरु आये पाहुना।।टेक।। -(अरब खरब मिल चंद सूरा। रोम एक न पावना। ऐसे मेरे प्यारे सतगुरु। राधास्वामी नावना।।) (प्रेमबिलास-शब्द-41-पृ.सं.53)                           

( 2) हे गुरु मैं तेरे दीदार का आशिक जो हुआ। मन से बेजार सुरत वार के दिवाना हुआ।। - (राग और रागिनी मैंने सुने अन्तर जाकर। मेरे नजदीक हुए हिन्दु मुसलमाँ काफिर।।) (सारबचन-गजल- पहली-पृ.सं.424)                                                                

(3) गुरु धरा सीस पर हाथ। मन क्यों सोच करे।।-(प्यारे राधास्वामी दीनदयाल। छिन छिन सार करें।) (प्रेमबानी-3-शब्द-3-पृ.सं.272)      

                                                

  (4) कौन सके गुन गाय तुम्हारे। कौन सके गुन गाये जी।।टेक।।-(राधास्वामी दयाल चरन की। महिमा निस दिन गाये जी।।) (प्रेमबिलास-शब्द-24-पृ.सं.29,30) 

                                          

(5) तमन्ना यही है कि जब तक जिऊँ। चलूँ या फिरूँ या कि मेहनत करूँ।। पढूँ या लिखूँ मुँह से बोलूँ कलाम। न बन आये मुझसे कोई ऐसा काम।। जो मर्जी तेरी के मुवाफिक न हो। रजा के तेरी कुछ मुखालिफ जो हो।।।                           

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

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दिसंबर के महत्वपूर्ण दिवस

 **राधास्वामी!! दिसंबर माह में होने वाले कुछ ऐतिहासिक दिवस् व कार्यक्रम:-

 (1)-05-12-2020- (05-12-2002):-                      

परम पूज्य परम गुरु हुजूर एम०बी०लाल० साहबजी नश्वर शरीर छोड कर निजधाम सिधारने की मौज फरमाई।    

                   

                       2. परम पूज्य परम गुरु हुजूर महाराज जी अपनी सुरत को भौतिक शरीर से वापिस खैंच लिया।( अपने नश्वर शरीर त्यागने की मौज फरमाई।।                                                

 (3) 07-12-2020 - (07-12-1913):-परम पूज्य परम गुरु हुजूर सरकार साहब जी अपने नश्वर शरीर को त्यागने की मौज फरमाई)                                                  

(4) 20-12-2020:- (रविवार)-परम पूज्य                       परम गुरु हुजूर महाराज जी का पावन भंडारा।।                                              

  (5) 20-12-2020 - (20-12-1885):-परम पूज्य परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज जी पावन जन्मदिन।                                        

 (6) 31-12-1916:- आर०ई० आई० की इमारत का उद्घाटन समारोह !                   

   परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज द्वारा किया गया।


🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

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Saturday, November 28, 2020

शनि को इस तरह शांत करें

 शनि की महादशा हो तो पीपल पूजिये...क्यों ??


श्मशान में जब महर्षि दधीचि के मांसपिंड का दाह संस्कार हो रहा था तो उनकी पत्नी अपने पति का वियोग सहन नहीं कर पायीं और पास में ही स्थित विशाल पीपल वृक्ष के कोटर में 3 वर्ष के बालक को रख स्वयम् चिता में बैठकर सती हो गयीं। इस प्रकार महर्षि दधीचि और उनकी पत्नी का बलिदान हो गया किन्तु पीपल के कोटर में रखा बालक भूख प्यास से तड़प तड़प कर चिल्लाने लगा। जब कोई वस्तु नहीं मिली तो कोटर में गिरे पीपल के गोदों(फल) को खाकर बड़ा होने लगा। कालान्तर में पीपल के पत्तों और फलों को खाकर बालक का जीवन येन केन प्रकारेण सुरक्षित रहा।


एक दिन देवर्षि नारद वहाँ से गुजरे। नारद ने पीपल के कोटर में बालक को देखकर उसका परिचय पूंछा-


नारद- बालक तुम कौन हो ?


बालक- यही तो मैं भी जानना चाहता हूँ ।


नारद- तुम्हारे जनक कौन हैं ?


बालक- यही तो मैं जानना चाहता हूँ ।


तब नारद ने ध्यान धर देखा और आश्चर्यचकित हो बताया कि हे बालक ! तुम महान दानी महर्षि दधीचि के पुत्र हो। तुम्हारे पिता की अस्थियों का वज्र बनाकर ही देवताओं ने असुरों पर विजय पायी थी। नारद ने बताया कि तुम्हारे पिता दधीचि की मृत्यु मात्र 31 वर्ष की वय में ही हो गयी थी।


बालक- मेरे पिता की अकाल मृत्यु का कारण क्या था ?


नारद- तुम्हारे पिता पर शनिदेव की महादशा थी।


बालक- मेरे ऊपर आयी विपत्ति का कारण क्या था ?


नारद- शनिदेव की महादशा।


इतना बताकर देवर्षि नारद ने पीपल के पत्तों और गोदों को खाकर जीने वाले बालक का नाम पिप्पलाद रखा और उसे दीक्षित किया।


नारद के जाने के बाद बालक पिप्पलाद ने नारद के बताए अनुसार ब्रह्मा जी की घोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया। ब्रह्मा जी ने जब बालक पिप्पलाद से वर मांगने को कहा तो पिप्पलाद ने अपनी दृष्टि मात्र से किसी भी वस्तु को जलाने की शक्ति माँगी। ब्रह्मा जी से वर्य मिलने पर सर्वप्रथम पिप्पलाद ने शनि देव का आह्वाहन कर अपने सम्मुख प्रस्तुत किया और सामने पाकर आँखे खोलकर भष्म करना शुरू कर दिया। शनिदेव सशरीर जलने लगे। ब्रह्मांड में कोलाहल मच गया। सूर्यपुत्र शनि की रक्षा में सारे देव विफल हो गए। सूर्य भी अपनी आंखों के सामने अपने पुत्र को जलता हुआ देखकर ब्रह्मा जी से बचाने हेतु विनय करने लगे। अन्ततः ब्रह्मा जी स्वयम् पिप्पलाद के सम्मुख पधारे और शनिदेव को छोड़ने की बात कही किन्तु पिप्पलाद तैयार नहीं हुए। ब्रह्मा जी ने एक के बदले दो वर्य मांगने की बात कही तब पिप्पलाद ने खुश होकर निम्नवत दो वरदान मांगे-


◆जन्म से 5 वर्ष तक किसी भी बालक की कुंडली में शनि का स्थान नहीं होगा जिससे कोई और बालक मेरे जैसा अनाथ न हो।


◆मुझ अनाथ को शरण पीपल वृक्ष ने दी है। अतः जो भी व्यक्ति सूर्योदय के पूर्व पीपल वृक्ष पर जल चढ़ाएगा उसपर शनि की महादशा का असर नहीं होगा।


ब्रह्मा जी ने तथास्तु कह वरदान दिया तब पिप्पलाद ने जलते हुए शनि को अपने ब्रह्मदण्ड से उनके पैरों पर आघात करके उन्हें मुक्त कर दिया। जिससे शनिदेव के पैर क्षतिग्रस्त हो गए और वे पहले जैसी तेजी से चलने लायक नहीं रहे।


अतः तभी से शनि "शनै:चरति य: शनैश्चर:" अर्थात जो धीरे चलता है वही शनैश्चर है, कहलाये और शनि आग में जलने के कारण काली काया वाले अंग भंग रूप में हो गए।


सम्प्रति शनि की काली मूर्ति और पीपल वृक्ष की पूजा का यही धार्मिक हेतु है। आगे चलकर पिप्पलाद ने प्रश्न उपनिषद की रचना की,जो आज भी ज्ञान का वृहद भंडार है।


●शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र -  ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः

●शनि देव महाराज के वैदिक मंत्र - ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये

●शनि देव का एकाक्षरी मंत्र  - ऊँ शं शनैश्चाराय नमः

●शनि देव जी का गायत्री मंत्र - ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्

दयालबाग़ सतसंग शाम 28/11

 **राधास्वामी!! 28-11-2020- आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-                                   

(1) प्रेमी मिलियो रे सतगुरु से। देवें काज बनाय।।टेक।। दयानिधान परम हितकारी। जीवों को दें ओट बुलाय।।-(राधास्वामी सतगुरु प्यारे। महिमा उनकी को सके गाय।।) (प्रेमबानी-4-शब्द-2-पृ.सं.39,40)                                                        

 (2) राधास्वामी आय प्रगट हुए जग में। राधास्वामी मोहि लगाया सँग में।।-( राधस्वामी चरनन रहूँ लिपटाय। हर दम राधास्वामी नाम धियाय।।) (प्रेमबिलास-शब्द-98, पृ.सं.140)                                                     

(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।।                                                  

सतसंग के बाद शुकराना पाठ:-                                                     

(1) पन्नी गली से हुआ तू----------          

                       

  (2) बधाई है  बधाई है बधाई। पावन घडी आई, पावन घडी आई।।          

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**



**राधास्वामी!!      

                                    

28- 11- 2020 -आज शाम  सत्संग में पढ़ा गया बचन-

कल से आगे-( 69)

 प्रश्न -आपकी पुस्तक में यह जो लिखा है कि नीच ऊँच जो भी सेवा हो सब करनी चाहिए । गुरु कुछ भी कहे उसको टालना नहीं। क्या इस बात की आड़ में संसार में व्यभिचार या कुकर्मों का प्रचार नहीं होता? अन्य नहीं तो समाजी भाई तो आप इस संबंध में बहुत आक्षेप करते हैं।।   ?

                                     

  उत्तर - आक्षेप व्यर्थ है और वह आक्षेप करने वालों की मनोवृति प्रकट करता है। यदि आप किसी के घर जायँ और वह और उसके घर के लोग आपकी श्रद्धापूर्वक सेवा करें और आप उनकी सेवा का उल्लेख करते समय किसी पुस्तक या समाचारपत्र में लिख दें कि उन्होंने हर काम आपकी इच्छा के अनुसार किया और कोई भी सेवा करने में संकोच नहीं किया और ऊंच-नीच हर प्रकार के कार्य के लिए सबके सब पुरुष और स्त्रियाँ उद्यत रहे तो क्या कोई भद्र पुरुष इस वर्णन से अनुमान करेगा कि आपने अपने मित्र के घर में कोई निन्द्य कार्य किया, या आपके द्वारा आपके मित्र के घर की स्त्रियों को किसी अनुचित कर्म करने की प्रेरणा हुई?

फिर यदि आपके संबंध में कोई ऐसा भ्रम न करेगा तो संत सतगुरु जैसी पवित्र आत्मा के संबंध में क्यों ऐसे निकृष्ट भाव उठाये जाते हैं?

यदि सर्वसाधारण के साथ इस प्रकार का व्यवहार करने की आज्ञा होती तो भी कोई बात थी। किंतु यहाँ तो केवल संत सतगुरु की सेवा के लिये आज्ञा है।  क्या नीच ऊँच सेवा का अर्थ केवल सदाचार से भ्रष्ट क्रियाएँ ही हो सकती है ?

क्या जूता उठाना या साफ करना , मकान की नाली साफ करना नीच काम नहीं समझे जाते ? एक काल में केवल एक ही संत सतगुरु होते हैं और उनकी तन मन आदि में रत्ती भर भी आसक्ती नहीं होती , और जैसा कि पहले विस्तृत वर्णन हो चुका है उनके अंतर में सच्चे मालिक के प्रेम का सिंधु निरंतर लहराता रहता है । फिर कुकर्मो का भ्रम करने का क्या अर्थ? 

                       🙏🏻राधास्वामी🙏🏻

यथार्थ प्रकाश -भाग दूसरा -

परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज।**

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महत्वपूर्ण कार्यक्रम

RS. Important Dates of First Quarter of 2021.

1. Basant 16 Feb 2021 (TUE)

2. Bhandara 28 Feb 2021 (SUN)

3. Sabha Meeting 20 Mar 2021 (SAT)

4. Bhandara 21 Mar Feb 2021 (SUN)

5. Holi  29 Mar 2021 (MON)

6. Birthday of MOST REVERED GRACIOUS HUZUR DR. PREM SARAN SATSANGI SAHEB 09 mar 2021 (TUESDAY)

7. Birthday of Param Guru Huzur Maharaj 14 Mar 2021 (SUNDAY)

8. Birthday of Param Guru Huzur Maharaj Sahab 28 Mar 2021 (SUNDAY)

[11/28, 18:06] +91 97176 60451: *


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*राधास्वामी!! प्रथम तिमाही की कुछ महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दिवस् व प्रोग्राम:-                                    

(1) 1जनवरी-शिक्षा दिवस ।।  

                                                 

 (2) 31-जनवरी परम गुरु हुजूर डा० एम० बी० लाल साहब जी  पावन जन्म दिन (31-01-1907)।।  

                                         

  (3) बसंत 16 फरवरी 2021(मंगलवार)।।  

                  

  (4) 28-फरवरी (रविवार) भंडारा परमगुरु हुजूर साहबजी महाराज!                                        

  (5) 9 मार्च 2021 ग्रैशस हुजूर जी पावन जन्मदिन। 09-03-1937)।।                                                    

(6) 14 मार्च 2021 परम गुरु हूजूर महाराज जी पावन जन्मदिन।(14-03-1829)।।            

  (7) 20-मार्च 2021- सभा मीटिंग-(शनिवार).  

 (8)21-मार्च-20121-(रविवार) -भंडारा परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज।।                         

 (9) 28-मार्च-2021-परम गुरू हुजूर महाराज साहबजी पावन जन्मदिन-(28-03-1861)                              

  (10) 29-मार्च 2021-सोमवार- होली!                  

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

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Friday, November 27, 2020

आज का दिन मंगलमय

 . _⚜!आज का दिन मंगलमय  हो

प्रस्तुति - कृष्ण मेहता 


!श्री् हरि् !!_*⚜


*_𖡼•┄•𖣥𖣔𖣥•┄•𖡼🔅𖡼•┄•𖣥𖣔𖣥•┄•𖡼_*

                  🙏🏻 *_नमस्कार_* 🙏🏻

*_ईश्वर से मेरी प्रार्थना है कि आपके एवं आपके पूरे परिवार के लिए हर दिन शुभ एवं मंगलमय हों।_*


👉🏼 *_28 नवम्बर 2020 कार्तिक शुक्ल पक्ष की उदया त्रयोदशी तिथि और शनिवार है। त्रयोदशी तिथि सुबह 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगी उसके बाद चतुर्दशी तिथि लग जायेगी और कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बैकुंठ चतुर्दशी मनायी जाती है। अतः आज वैकुण्ठ चतुर्दशी व्रत है। इसके साथ ही पूरा दिन पूरी रात पार कर रविवार सुबह 10 बजकर 9 मिनट तक परिध योग रहेगा। इसके अलावा रात 3 बजकर 19 मिनट तक रवि योग रहेगा। इसके अलावा देर रात 3 बजकर 19 मिनट तक भरणी नक्षत्र रहेगा। इसके अलावा मुकदमा दायर करने या अपनी बात रखने के योग यानि यायीजयद योग सूर्योदय से सुबह 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। जानिए पंडित कृष्ण मेहता के राशिनुसार कैसा रहेगा आपका दिन।_*


🐑 *_मेष राशि आज का दिन आपके लिए खास रहेगा। आज परेशानियों से निपटने के लिए नए सिरे से शुरुआत कर सकते हैं। परिवारवालों का पूरा सहयोग मिलेगा। दोस्तों के साथ कुछ टाईम स्पेंड करने से आपकी परेशनियों का हल निकल सकता है। आप कोई नया वाहन खरीदने का मन बना सकते हैं। आप अपने परिवार की जरूरतों के लिये भी कुछ पैसा खर्च कर सकते हैं। किसी मामले में अपने बड़ों की सलाह ले सकते हैं। इस राशि के जो लोग नौकरी करते हैं, वो जॉब चेंज के बारे में विचार कर सकते हैं।, लाभ के अवसर प्राप्त होंगे।_*


🐂 *_वृष राशि आज आपका दिन यात्रा में बितेगा। आप ऑफिस के किसी जरूरी काम से शहर से बाहर जा सकते हैं। आपको कोई सहयोगी भी साथ में जा सकता है। किसी रिश्तेदार से मिलने के योग भी बन रहे हैं। आपका मन प्रसन्न रहेगा। इस राशि के डॉक्टर्स के लिए आज का दिन फायदेमंद रहेगा। आपको किसी सोशल वर्क के लिये इनवाइट किया जा सकता है। स्टूडेंट्स के लिए भी आज का दिन अच्छा रहेगा। आप किसी कॉम्पटिटिव एग्जाम के लिये फॉर्म भर सकते हैं। लवमेट आज एक-दूसरे के साथ कुछ समय बिता सकते हैं।_*


👨‍❤️‍👨 *_मिथुन राशि आज आपके रुके हुए काम पूरे होंगे। सामाजिक कामों के लिए लोगों से मुलाकात हो सकती है। ऑफिस में प्रतियोगिता जैसी स्थिति बन सकती है। आप सबसे आगे बने रहेंगे। आपकी बोली से सब प्रभावित होंगे। कुछ नए लोग आपसे जुड़ना चाहेंगे। इस राशि के जो लोग साहित्य से जुड़े हैं, उनकी रचना को किसी बड़े व्यक्ति से तारीफ मिल सकती है। आज कोई रिश्तेदार आपसे पैसे मांग सकता है। आपको थोड़ा ध्यान रखना चाहिए। कुल मिलाकर आपका दिन ठीक रहेगा। सेहत के मामले में भी सब बेहतर रहेगा।_*


🦀 *_कर्क राशि आज आपको थोड़ा संभलकर चलने की जरूरत है। इस राशि के जो लोग बिजनेस करते हैं, उन्हें धनलाभ के कई मौके मिलेंगे। लेकिन कोई व्यक्ति आपके काम में अड़चन डाल सकता है। किसी से भी पैसों के लेन-देन के लिये आपको खुद ही बात करनी चाहिए। परिवार में माहौल ठीक रहेगा। आपको सबका साथ मिलेगा। बच्चे अपनी बातों से आपकी परेशानी को दूर करने की कोशिश करेंगे। इस राशि के स्टूडेंट्स के लिए आज का दिन अच्छा है। लेकिन छात्रों के लिए समय थोडा अनुकुल रहेगा। आज आप अपनी पढाई को लेकर चिंतित हो सकते है।_*


🦁 *_सिंह राशि आज आपका दिन व्यस्तता से भरा रहेगा। आप करियर के मामले में कुछ खास बदलाव कर सकते है। बच्चों की पढ़ाई को लेकर भी आप कुछ समय निकाल सकते हैं। किसी काउंसलर से भी सलाह ले सकते हैं। आज दोस्तों के साथ बात करना आप अवॉयड कर सकते हैं। जिससे कोई दोस्त आपसे नाराज हो सकता है। आपको अपनी पारिवारिक और सामाजिक जिंदगी में तालमेल बनाकर रखने की जरूरत है। खान-पान को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही करने से आपको बचना चाहिए। घर के बड़ों की राय मानना आपके हित में होगा।  आपको धन लाभ के कई मौके मिलेंगे।_*


👰🏻 *_कन्या राशि आज आपकी किस्मत आप पर महरबान रहेगी। आज तय समय में आपका काम पूरा होगा। आप जो भी करना चाहेंगे, उमें लोगों का पूरा सहयोग आपको मिलेगा। घर में किसी कार्यक्रम का आयोजन हो सकता है। आज आप अपनी ताकत को पहचान कर काम करेंगे। इससे आपको काफी फायदा होगा। आपकी ईमानदारी से ऑफिस में सीनियर आपसे प्रभावित होंगे। जीवनसाथी से आपको ढेर सारा प्यार मिलेगा। वो आपके लिये कोई सरप्राइज प्लान कर सकते हैं। करोबार में तरकी होंगी।_*


⚖️ *_तुला राशि आज आपकी खुशियों को किसी की नजर लग सकती है। आज आपको ऐसे लोगों से बचकर रहना चाहिए, जो आपकी खुशियों से परेशान रहते हों। ऑफिस में भी अपने काम से काम रखना चाहिए। किसी से अपनी पर्सनल बात शेयर करने से आपको बचना चाहिए। आप धन प्राप्ति के लिये कुछ नये स्रोतों की तलाश कर सकते हैं। बड़े भाई से काम में पूरा सहयोग मिलेगा। लवमेट किसी अच्छी जगह पर घूमने जा सकते हैं। संतान के साथ भी रिश्ते बेहतर रहेंगे।_*


🦂 *_वृश्चिक राशि आज आपके मन में नए-नए विचार आएंगे। आने वाले कुछ दिनों में बड़े काम की योजना बना सकते हैं। परिवार के साथ मिलकर सारी चीज़ें अच्छे से फाइनल करेंगे। साथ ही अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभायेंगे। आपको किसी काम के लिये सोचने-विचारने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। आप अपनी एनर्जी का भरपूर इस्तेमाल करेंगे। आपका स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। इस राशि के छात्रों के लिए भी आज का दिन अच्छा रहने वाला है। साइंस के स्टूडेंट्स किसी एग्जीबिशन के लिये तैयारी कर सकते हैं। आपकी तैयारियां सफल रहेंगी।_*


🏹 *_धनु राशि आज आपका दिन बेहतरीन रहेगा। इस राशि के लोग बच्चों की पढ़ाई के सिलसिले में किसी अनुभवी से सलाह ले सकते हैं। आपको किसी काम से बाहर भी जाना पड़ सकता है। आज आपको अपने हर काम से पॉजिटिव रिस्पांस ही मिलेंगे। जीवनसाथी आपकी हर तरह से मदद करेंगे। बड़े-बुजुर्गों की सेहत अच्छी रहेगी। आज आप किसी से अपने दिल की बात कह सकते हैं। रिश्तों के बीच आपसी समझ बढ़ाने के लिये भी दिन अच्छा है। आपको किसी प्रॉपर्टी से मुनाफा हो सकता है।_*


🐊 *_मकर राशि आज आपके दिन की शुरुआत किसी कसमकस के साथ शुरू हो सकती है। आप ऑफिस के किसी काम को लेकर बहुत ज्यादा सोच-विचार में डूबे रह सकते हैं। बेहतर होगा आप अपने दिनभर के कामों की एक लिस्ट तैयार कर लें। परिवार की कुछ जिम्मेदारियां जीवनसाथी को सौंप सकते हैं। आपका जीवनसाथी आपको निराश नहीं करेगा। लेकिन घर के बड़ों के साथ आपको तालमेल बैठाने में थोड़ी परेशानी आ सकती है। स्कूल में टीचर्स आपके काम से नाखुश हो सकते हैं। आपको अपना काम समय पर पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए।_*


⚱️ *_कुंभ राशि आज आपका दिन बहुत ही महत्वपूर्ण रहने वाला है। आप काम के सिलसिले में किसी नयी परियोजना पर काम शुरू कर सकते हैं। आपको इससे काफी लाभ मिलेगा। आर्थिक रूप से भी दिन आपके फेवर में रहेगा। आपको किसी काम के लिये एडवांस पेमेंट मिल सकती है। आपके परिवार में खुशी बनी रहेगी। फाइन आर्ट्स से जुड़े लोगों के लिये दिन अच्छा रहने वाला है। आप किसी ऐसे व्यक्ति की कलाकृति बना सकते हैं, जिससे आपको आगे काफी मदद मिल सकती है। कुल मिलाकर आज आपके सारे काम बेहतर ढंग से पूरे होंगे।_*


🐬 *_मीन राशि लोगों के लिए आज का दिन फायदेमंद रहेगा। आज आपके रूके हुए काम पूरे होंगे। आपको अपने किसी मित्र की मदद भी मिल सकती है। आपके विरोधी आपसे दूरियां बनाकर रखेंगे। आपकी सोच परिवार के कुछ लोगों का नजरिया बदल सकती है। दूसरे लोग आपकी बात समझने की पूरी कोशिश करेंगे। आप अपने बच्चों की नजरों में ऊपर उठे रहेंगे। कारोबार से जुड़े किसी बड़े व्यक्ति से आपकी मुलाकात हो सकती है। आप किसी सामाजिक कार्यक्रम का हिस्सा बन सकते हैं। अपने खान-पान पर उचित ध्यान बनाये रखने से आपकी सेहत अच्छी रहेगी।_*

शहद के गुण

अनमोल शहद 

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🐝🐝🧉🐝🐝🧉🐝🐝🧉

*🔆🔅🌺🐝मधु (शहद)🐝🧉* 

👉वैधकीय सलाह अनुपात जरूरी है वर्ना विष युक्त साबित हो शकता हैं।



🔆जय गुरूदेव🌺🔅

*प्रिय भाई बहनों आज मैं आपको शहद के गुण विशेषता, शुद्ध शहद की पहचान प्रयोग करने की सही विधी बताऊंगा,*

*शहद*

*शहद एक प्राकृतिक मधुर पदार्थ है जो मधुमक्खियों द्वारा फूलों के रस को चूसकर तथा उसमें अतिरिक्त पदार्थों को मिलाने के बाद छत्ते के कोषों में एकत्र करने के फलस्वरूप बनता है। शहद का स्वाद बेहद मीठा होता है। दूध के बाद शहद ही ऐसा पदार्थ है जो उत्तम एवं संतुलित भोजन की श्रेणी में आता है, क्योंकि शहद में वे सभी तत्व पाए जाते हैं जो संतुलित आहार में होने चाहिए।*

  *यह वात और कफ को नियंत्रित करता है तथा रक्त व पित्त को सामान्य रखता है।* *शहद नेत्र ज्योति को बढ़ाता है, प्यास को शांत करता, कफ को घोलकर बाहर निकालता और शरीर में विषाक्तता को कम करता है। इतना ही नहीं यह मूत्रमार्ग में उत्पन्न व्याधियों तथा निमोनिया, खाँसी, डायरिया, दमा आदि में बहुत उपयोगी होता है।*

*🧉शहद में लगभग 75 प्रश शर्करा होती है जिसमें से फ्रक्टोस, ग्लूकोज, सुल्फोज, माल्टोज, लेक्टोज आदि प्रमुख हैं। इसमें अन्य पदार्थों के रूप में प्रोटीन, वसा, एन्जाइम भी पाया जाता है। यही नहीं शहद में विटामिन ए, बी-1, बी-2, बी-3, बी-5, बी-6, बी-12 तथा अल्पमात्रा में विटामिन सी, विटामिन एच और विटामिन 'के' भी पाया जाता है।* इसके अतिरिक्त इसमें लोहा, फास्फोरस, कैल्शियम और आयोडीन भी पाए जाते हैं।*

*🔆🧉🐝शहद शुद्धता की पहचान* 

*काँच के एक साफ ग्लास में पानी भरकर उसमें शहद की एक बूँद टपकाएँ। अगर शहद नीचे तली में बैठ जाए तो यह शुद्ध है और यदि तली में पहुँचने के पहले ही घुल जाए तो शहद अशुद्ध है।*

*शुद्ध शहद में मक्खी गिरकर फँसती नहीं बल्कि फड़फड़ाकर उड़ जाती है।*

*शुद्ध शहद आँखों में लगाने पर थोड़ी जलन होगी, परंतु चिपचिपाहट नहीं होगी।*

🐶शुद्ध शहद कुत्ता सूँघकर छोड़ देगा, जबकि अशुद्ध को चाटने लगता है।

शुद्ध शहद का दाग कपड़ों पर नहीं लगता।

शुद्ध शहद दिखने में पारदर्शी होता है।

🍽️शीशे की प्लेट पर शहद टपकाने पर यदि उसकी आकृति साँप की कुंडली जैसी बन जाए तो शहद शुद्ध है।

शहद के लाभकारी प्रयोग 

शहद

*शहद का नियमित और उचित मात्रा में उपयोग करने से शरीर स्वस्थ, सुंदर, बलवान, स्फूर्तिवान बनता है और दीर्घजीवन प्रदान करता है। शहद को घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाते हैं। *शहद का पीएच मान 3 से 4.8 के बीच होने से जीवाणुरोधी गुण स्वतः ही पाया जाता है।* *प्रातःकाल शौच से पूर्व शहद-नींबू पानी का सेवन करने से कब्ज दूर होता है, रक्त शुद्ध होता है और मोटापा कम होता है।*

गर्भावस्था के दौरान स्त्रियों द्वारा शहद का सेवन करने से पैदा होने वाली संतान स्वस्थ एवं मानसिक दृष्टि से अन्य शिशुओं से श्रेष्ठ होती है। त्वचा पर निखार लाने के लिए गुलाब जल, नींबू और शहद मिलाकर लगाना चाहिए। गाजर के रस में शहद मिलाकर लेने से नेत्र-ज्योति में सुधार होता है। उच्च रक्तचाप में लहसुन और शहद लेने से रक्तचाप सामान्य होता है।

त्वचा के जल जाने, कट जाने या छिल जाने पर भी शहद लगाने से लाभ मिलता है।

*👉👉नोट : गर्म करके अथवा गुड़, घी, शकर, मिश्री, तेल, मांस-मछली आदि के साथ शहद का सेवन नहीं करना चाहिए।*


*👉सावधानी :  छोटी आंत होती है प्रभावित*

   *🧉शहद की अधिकता आपकी छोटी आंत को प्रभावित करती है। जब आपकी छोटी आंत प्रभावित होती है तो इससे शरीर को पोषक तत्वों को अवशोषित करने में काफी दिक्कत आती है। अंततः इससे कई तरह की परेशानियां पैदा होती हैं।*


*📚चरक संहिता,*        *अध्याय २७, सूत्र संख्या २३६-२४८ बहुत स्पष्ट लिखा है कि शहद को गर्म करके अथवा गर्म अवस्था (गर्म वस्तु के साथ) देने से मारक (प्राण घातक ) है।*

दूसरा, शहद के अधिक खाने से उत्पन्न आम रोग जैसा कष्ट साध्य दूसरा कोई रोग नहीं है।


*अतः शहद का सेवन बहुत ही विवेक पूर्वक करना चाहिए। औषधि रूप में ही कीजिये, आहार रूप में तो बिल्कुल नहीं।*


*👉🧉शहद दो तोले से ज्यादा कभी न ले २३ ग्राम उसका अजिर्न कभी नही मिटता ऐसा हमारे गुरुदेव का कथन है।*



🔆🔅🌺🐝🧉🐝🌺🔆🔆🔅

*🐝मधु प्रकृति द्वारा मनुष्य को उत्तम भेंट है जो पंचामृत में से एक अमृत है। मधु आयुर्वेद में अधिकांश भाग की दवाइयों के लिए श्रेष्ठ अनुपान है। प्राकृतिक रूप से मधु में विपुल राशि में शर्करा होती है। मधु तुरन्त शक्ति और गर्मी देकर मांसपेशियों को बल प्रदान करता है। रात में एक चम्मच शहद पानी के साथ लेने से नींद ठीक से आ जाती है। पेट साफ होता है। खाली पेट मधु और नींबू का शरबत भूख लगाता है।*


*🐝मधु जीवाणुओं का नाश करता है। टाइफाईड और क्षय के रोगियों के लिए भी मधु उत्तम है।*


🐝हजारों वर्षों तक भी मधु बिगड़ता नहीं। मधु बच्चों के विकास मे बहुत उपयोगी है। यदि बालक को प्रारंभिक नौ महीने मधु दिया जाये तो उसे छाती के रोग कभी न होंगे। मधु से अँतड़ियों में उपयोगी एसिकोकलिस जीवाणुओं की वृद्धि होती है। मधु दुर्बल और सगर्भा स्त्रियों के लिए श्रेष्ठ पोषणदाता आहार है। मधु दीर्घायुदाता है। रशिया के जीवशास्त्री निकोलाइना सिलिव प्रयोगों के अंत में कहते हैं कि रशिया के 200 शत-आयुषी लोगों का धंधा मधुमक्खी के छत्ते तोड़ना है और मधु ही उनका मुख्य आहार भी है।


🐝दुर्बलता दूर करके शक्ति बढ़ाने के लिए मधु जैसी गुणकारी वस्तु विश्व में अन्य कोई नहीं है। मधु शरीर की मांसपेशियों को शक्ति देता है। अतः अविराम कार्य करने वाली सबसे महत्त्वपूर्ण मांसपेशी हृदय के लिए मधु अत्यंत उपयोगी है। मधु से मंदाग्नि दूर होक भूख लगती है। वीर्य की वृद्धि होती है। आबालवृद्ध सबके लिए मधु हितावह है। बालकों को जन्मते ही दिया जा सके ऐसा एकमात्र भोजन मधु है।


🐝मधु के खनिज तत्त्व रक्तनिहित लाल कणों की वृद्धि में सहायक बनते हैं। गर्भवती और प्रसूता माता को भी बालक के हितार्थ शहद का सेवन करना चाहिए। रोगी और कमजोर को मधु शक्ति देता है। शारीरिक परिश्रम करनेवालों को यह शक्ति देता है कारण कि उसे पचाने में शक्ति लगानी नहीं पड़ती  और शक्ति का भंडार मिलता है। मधु के इन गुणों का कारण वह पंचमहाभूत का सार है। अंतिम रस है। मधु उत्तम स्वास्थ्यवर्धक है और साथ-साथ शरीर के रंग को निखारने का, त्वचा को कोमल बनाने का और सुन्दरता बढ़ाने का काम भी करता है। चेहरे और शरीर पर यदि शहद की मालिश की जाये तो सौन्दर्य अक्षय बनता है। अच्छे साबुनों में मधु का उपयोग भी होता है।


🐝मधु, नींबू, बेसन और पानी का मिश्रण चेहरे पर मलकर स्नान करने से चेहरा आकर्षक और सुन्दर बनता है। मधु के सेवन से कंठ मधुर, सुरीला और वाणी मीठी बनती है। दैवी गुणों की वृद्धि होती है। मानव विवेकपूर्ण और चारित्र्यवान बनता है।


🐝मधु शरीर-मन-हृदय का दौर्बल्य, दम, अजीर्ण, कब्ज, कफ, खाँसी, वीर्यदोष,अनिद्रा, थकान, वायुविकार तथा अन्य असंख्य रोगों में रामबाण दवाई है।


🐝मधु हरेक खाद्य पदार्थ के साथ ले सकते हैं। *धारोष्ण दूध (एकदम ताजा निकाला हुआ) और फलों के रस में मधु ले सकते हैं। मधु ठंडे पानी में लेना हितावह है। मधु गरम नहीं करना चाहिए। मछली, मधु और दूध साथ में खाने से कफेद कोढ़ होता है। कमलबीज, मूली, मांस के साथ मधु लेना वर्जित है। मधु और बारिस का पानी सममात्रा में नहीं पीना चाहिए। तदुपरांत घी,तेल जैसी चर्बीयुक्त पदार्थों के साथ मधु समान मात्रा में लेना विष के समान होता है। बोतलों में पैक लैबोरेटरी में पास कराया हुआ कृत्रिम मधु जो दुकानों पर बिकता है वह उतना फायदा नहीं करता जितना असली मधु से होता है।*


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Thursday, November 26, 2020

स्टीम (भाप सप्ताह

 *🍀स्टीम (भाप) सप्ताह🍀*/ कोरोना से बचाव का अचूक उपाय


 **डॉक्टरों के अनुसार, COVID-19 को नाक - मुँह  से भाप के जरिए गले तक ही मारा जा सकता है और फेफड़े में जाने से बचाया जा सकता, इससे कोरोना को नियंत्रित या खत्म किया जा सकता है।* *अगर सभी लोगों ने एक सप्ताह के लिए भाप लेने का अभियान शुरू किया तो कोरोना का समापन हो सकता है।*

*इसके लिए (bell) घंटी या अलार्म का भी उपयोग करें.....*

 *हम आप सबसे आग्रह करते हैं कि*

*●एक सप्ताह के लिए भाप प्रक्रिया शुरू करें, अर्थात् सुबह और शाम*●

**भाप लेने के लिए सिर्फ 05 - 05 मिनट । १० बार मुँह से भाप लेकर नाक से छोडें और १० बार नाक से भाप लेकर मुँह से छोडें और ऐसे ही दोहराएं केवल 5 मिनट सुबह और 5 मिनट शाम को।*                                                         **एक हफ्ते के लिए इस अभ्यास को अपनाने से हमें यकीन है कि घातक COVID-19 को मिटा दिया जाएगा।*

*ऐसा करने से फायदा ही होगा, कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है*

*अतः कृपया इस संदेश को अपने सभी समूहों, रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों को अवश्य भेजें ताकि हम सभी इस कोरोना वायरस को एक साथ मार सकें और इस खूबसूरत दुनिया में स्वतंत्र रूप से जी सकें और चल सकें।*

*सभी को एक साथ करने में ही, इसका संपूर्ण लाभ मिल सकता है । कृपया अधिकाधिक शेयर करें ।                                                     आओ हम सभी.. अभी अभी प्रण लें कि आज से..  एक सप्ताह तक.. सुबह / शाम.. 5 मिनट के लिए.. भाप (steam) अवश्य लेंगें**..                 🙏🏻🙏🏻

दयालबाग़ सतसंग शाम 26/11

 **राधास्वामी!! 26-11-2020- आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-                                 

   (1) प्रेम भरी भोली बाली सुरतिया। पल पल गुरु को रिझाय रही।।-(राधास्वामी दयाल लिया अपनाई। नित नया प्रेम जगाय रही।।) (प्रेमबानी-4-शब्द-10-पृ.सं.37,38)                                                      

  (2) कस जायँ री सखी मेरे मन के बिकार।।टेक।। यह मन चोर चुगल मदमाता। भोगन रस पी रहे मतवार।।-(राधास्वामी सतगुरु और निहारूँ। दूर करें कब मन के बिकार।।) (प्रेमबिलास-शब्द-96-पृ.सं.137,138)                                                      

(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।।  

                                                      

सतसंग के बाद पढे गये स्पैशल  पाठ:-  

                                                    

  (1) सतगुरु सरन गहो मेरे प्यारे। कर्म जगात चुकाय।।-(दर्शन करत पिंड सुधि भूली। फिर घर बाहर सुधि क्या आय।।) (सारबचन-शब्द-13वाँ-पृ.सं.195,196)                                          

  (2) कोई कदर न जाने। सतगुरु परम दयाल री।।टेक।। देह धरें जिव भार उठावें। काटें जम का जाल री।।- (राधास्वामी सतगुरच मोहि अस भेंटे। हो गई मैं खुशहाल री।।)

 (प्रेमबिलास-शब्द-39-पृ.सं.52)   

                                              

  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏


**राधास्वामी!!                                       26-11- 2020 -आज शाम  सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे -(67 ) प्रश्न- आपने प्रमाण तो बहुत दिये परंतु सनातनधर्मी भाई तो विशेषतः पुराणों के प्रमाण मानते हैं। क्या पुराणों में भी साध संत की सेवा और प्रसाद का कहीं उल्लेख है?                                                                   उत्तर- बार-बार उल्लेख है। उदाहरण के लिए आप श्रीमद्भागवत ही को लीजिये। इस पुराण के पहले स्कंद के पाँचवें अध्याय में नारदजी व्यासजी से अपने पिछले जन्म का वृत्तांत सुना कर ज्ञान उपदेश करते हैं। कहा है-" हे महामुनि! मैं पूर्व जन्म में किसी एक दासी का पुत्र था। मेरे ग्राम में चौमासा भर व्यतीत करने के लिए वर्षाकाल में बहुत से वेदांती योगी लोग आकर टिके। मैं बालक ही था । मेरी माता ने मुझे उन महात्माओं की सेवा शुश्रूषा में युक्त कर दिया (श्लोक २३)।  मैं किसी प्रकार का लड़कपन या चंचलता नहीं करता था। एवम् शांत स्वभाव से सब खेल छोड़कर उन्हीं के समीप रहता और थोड़ा बोलता था । इन्हीं कारणों से वे मुनि लोग यद्यपि समदर्शी थे तथापि मुझपर प्रसन्न होकर कृपा करने लगे(२४) ।                                उन मुनियों की आज्ञा से मैं नित्य उनके भोजन से बची हुई जूठन खा लेता था। इसी से मेरे संपूर्ण पाप नष्ट हो गये। ऐसा करते-करते कुछ दिनों में मेरा चित्त शुद्ध हो गया । जिससे उन्ही साधुओं के धर्म (ईश्वरभजन) में मेरी रुचि उत्पन्न हुई (२५)। (पृष्ठ १९ पंडित रूपनारायण पाण्डेय कृत अनुवाद, मुदित बंबई सन 1931ई०)                                 🙏🏻राधास्वामी 🙏🏻 यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा -परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**

रोजाना वाक्यात

 **परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज -रोजाना वाकिआत-

कल से आगे:

- शाम के वक्त एक अमेरिकन लेडी मिलने आई ।आपका नाम मैसेज व्हीलर है । आपको श्रीनगर में दयालबाग का पता चला।  उनसे बातें हो ही रही थी कि रोजदो और लेडीस कांगड़ा से मिस्टर सोरेन सेन का खत लेकर आईं। यह कुछ दिन दयालबाग में रहना चाहती है। यह तीनों महिलाएं रात के सत्संग में शरीक हुई। इनके अलावा फोर्ट सैंडमैन से जो दो जिज्ञासु भी आये। उनमें से एक ने 2 सवाल पेश किये। पहला सवाल यह था कि प्रार्थना करने का सबसे बेहतर तरीका कौन सा है और दूसरा सवाल यह था आया इंसान किस्मत की जंजीर में बंधा है यानी उसके कुल कर्म पहले से मुकर्रर है या वह अपनी किस्मत का मालिक है और उसे स्वतंत्रता हासिल है। करीबन 1 घंटा इन सवालों के जवाब में खर्च हुआ । प्रार्थना का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इंसान अपने तन व मन को स्थिर करें और फिर अपनी तवज्जुह अंतर में मालिक के चरणो में जोड़ें। और किसी माहिर से दरियाफ्त करके ढंग से मुनासिब उस दरवाजे को खटखटायें जो सच्चे मालिक की दिशा में खुलता है।  जब किसी शख्स की प्रार्थना मालिक के हुजूर पहुंचती है तो अव्वल उसकी जानिब से दया की रवाँ होती है। जिसके  प्रभाव से प्रार्थना करने वाले की रूह सिमट कर ऊँचे मुकाम पर पहुंच जाती है।

फिर अंतर में दर्शन और इशारे में प्रार्थना का जवाब मिलता है।  प्रेमी जन को प्रार्थना पेश करने के लिए मुंह खोलना नहीं पड़ता। उस घाट पर सब काम इशारों में हो जाता है। दूसरे सवाल के जवाब में बताया गया कि इंसान एक हद तक पराधीन भी है और एक हद तक आजाद भी है।  इंसान के लिए सृष्टि नियमों की पाबंदी कतई लाजमी है लेकिन उसे इजाजत है कि अपने आराम के लिए एक सृष्टि नियम को इस्तेमाल करके दूसरे की शक्ति जायल कर दें। जैसे (Alkali) अलकाली डालने से तेजाब का असर जायल कर दिया जाता है।                            

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**



**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज -

【शरण आश्रम का सपूत】

 कल से आगे- मुंशी जी- (घबरा कर) हुजूर मैंने क्या- मेरे बाप दादा परदादा नगडदादा सगडदादा मकडदादा वगैरह-वगैरह ने कभी झूठ नहीं बोला- औरत झूठ बोलती है।  मेरे रजिस्टर में जो इस वक्त मेरे पास नहीं है, रुपया इसी के नाम से जमा है। हुजूर इत्मीनान फरमावे कि बंदा बिल्कुल सच बोलने वाला है- हुजूर का इकबाल कायम रहे ।(डरता है) भोंडी -अच्छा! राय साहब बाहर खड़े होंगे उन्हें बुलवा कर पूछा जावे, वे गवाही के लिये आये हैं (राय साहब बुलाने पर अंदर आते हैं) रायसाहब- हुजूर को सलाम।  मजिस्ट्रेट - रायसाहब! मिजाज अच्छा है।  वकील - रायसाहब क्या हम झूठे हैं। रायसाहब-(मजिस्ट्रेट से) हुजूर की परवरिश है- मिजाज तो अच्छा है लेकिन इस बिचारी दुखियारी----------                                वकील -(बात काट कर) भटियारी- मक्कारी- बदकारी- झुठियारी- नाकारी- शरारी और आपकी दुलारी- कहो ,कहो।  रायसाहब-( हैरान होकर ) इस बेचारी दुखियारी औरत का सब हाल जानने से तबीयत सख्त पेच व ताव में है। वकील-(आहिस्ता से) अभी से क्या पेच व ताव खा रहे हो- आगे आगे देखिए होता है क्या।  रायसाहब -इसके साथ इन्तहा का जुल्म हुआ है । और इसकी दादरसी फरमावें। गुलाम पहले भी इस मामले की रिपोर्ट हुजूर से कर चुका है । इसके बच्चे इसे दिलायें जायँ या न दिलाये जायँ मगर आश्रम वालों को जरूर सजा मिलनी चाहिये। पहले इन लोगों ने स्कूल खोला, वह न चला तब कॉलेज खोल दिया - वह भी न चला तब कारखाना खोल दिया- वह भी न चला तब शरण-आश्रम खोला और जब यह भी न चलेगा तो और कुछ खोल देंगे खुदा मालूम इतने काम चलाने के लिए रुपया कहाँ से आता है। मुझे शुबह है कि यह लोग आश्रम से रुपया कमाते हैं।

क्रमशः.                      

  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏✌️✌️✌️🙏✌️✌️कक 


**परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र -भाग 1- कल से आगे:-( 3 ) जब भजन में बैठे और  गुनावन यानी ख्यालात दुनियँ  के पैदा होंवें तो चाहिए कि उनको हटावे और दूर करें। और जो ऐसा न कर सके तो मुनासिब हैं कि उस वक्त सुमिरन और ध्यान उसी आसन से बैठे हुए करें । जो ध्यान में मन लग जावेगा तो ख्यालात दूर हो जावेगे । और जो फिर भी मन ख्यालात उठाता रहे, तो भजन और ध्यान छोड़कर नाम का सुमिरन धुन के साथ उस कायदे से जैसा कि प्रेम पत्र के वचन 39 में लिखा है मन ही मन में या थोड़ी आवाज के साथ एक या पौन घंटे सुरत और मन और दृष्टि को सहदलकँवल के मुकाम पर जमाकर और आंखें बंद करके करें । इस तौर से जरूर सुमिरन का रस आवेगा और मन निश्चल हो जावेगा।  फिर इख्तियार है कि चाहे ध्यान करे या भजन करे  और जो शांति आ गई हो गई होवे, और तबीयत ज्यादा अभ्यास को न चाहे या फुर्सत न होवे तो उठ खड़ा होवे। क्रमशः                🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**

Wednesday, November 25, 2020

दयालबाग़ सतसंग शाम 25/11

 **राधास्वामी!!- 25-11-2020 आज शाम सतसंग में पढे जाने पाठ:-                                 

(1) अचरज आरत गुरु की धारुँ। उमँग नई हिये छाय रहे री।।टेक।। सतसंगी सब हरषत आये। सतसंगिन उंमगाय रहे री।।-(राधास्वामी मेहर से हिये में सबके। छिन छिन प्रेम बढाय रहे री।।) (प्रेमबानी-4-शब्द-9-पृ.सं.36,37)  

                        

(2) दरस आज दीजिये। मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।टेक।।  मेहर अब कीजिये। मेरे राधास्वामी प्यारे हो।-(पन न बिसारिये। मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।) (प्रेमबिलास-शब्द-95-पृ.सं.136,137)                                                        

(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।         🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**राधास्वामी!!                                  

25-11- 2020

आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन

- कल से आगे-( 66) 

प्रश्न- कुछ आर्य और सनातनी आक्षेपको ने जो लेख इस मत के विरुद्ध प्रकाशित किये हैं उनमें उनकी समालोचना पढ़ने से तो यह ज्ञात होता है कि ये सेवाएँ केवल स्त्रियों के लिए विशिष्ट थीं।                                      

उत्तर - यदि ऐसा किसी ने लिखा है तो यह उसके चित्त की मलिनता और नीचता का प्रकट प्रमाण है। आप जरा पोथी सारबचन छन्दबन्द से बचन नंबर( 13 ) पढ़कर देखिए तो आपको ज्ञात होगा कि जैसा कि ऊपर वर्णन हुआ है जैसे भाई अनुरागियों अर्थात मालिक के दर्शन की प्राप्ति के अभिलाषीयों के लिए नियत की गई है।' स्त्री' शब्द का कहीं भी प्रयोग नहीं हुआ है। 

शब्द के शीर्षक और कड़ियों में पुर्लिंग का प्रयोग हुआ है । शब्द का शीर्षक है 'पहचान परमार्थी की'।  चौथी कड़ी में 'अनुरागी जो जीव ' शब्द आये हैं और नवीं कडी में 'खोजत फिरे साध गुरु जागा' लिखा है । यदि यह उपदेश स्त्रियों के लिए विशिष्ट होता तो 'जागा' के स्थान में 'जागी' शब्द लिखा होता । 

इसके अतिरिक्त विचार करना चाहिए कि भारतवर्ष में स्त्रियों को आज्ञा और अवसर ही कहाँ है कि सतगुरु की खोज में घर से निकले?  बेचारी स्त्रियाँ साधारणतया अपने संबंधी पुरुषों के पीछे चलती है अर्थात् जो विचार घर में पुरुषों के होते हैं उन्हीं को वे ग्रहण कर लेती है।  पुरुष ही जिज्ञासु बनकर साध संत की खोज करने के लिए स्थान स्थान पर जाते हैं। उपदेश के भावार्थ को बिगाड़ कर महात्माओं को कलंकित करना भद्र पुरुषों काम नहीं है।।                               

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻

यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा-

परम गुरु हजूर साहबजी महाराज!**

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Tuesday, November 24, 2020

प्रेम प्रचारक का 100वें अर्ध शतक में प्रवेश

 प्रेम प्रचारक का 100वें अर्ध शतक में प्रवेश


           प्रतिष्ठित प्रेमी पाठकों को यह सूचित करते हुए हमें अत्यंत हर्ष का अनुभव हो रहा है कि उनका प्रिय हिन्दी प्रेम प्रचारक 30 नवम्बर, 2020 के अंक के प्रकाशन के साथ 100वें अर्ध-शतक में प्रवेश कर रहा है और इसके साथ स्वर्णिम सेवा के 94 वर्ष भी पूरे हो चुके हैं। 4 जनवरी, 1926 से प्रारम्भ होकर यह हुज़ूर राधास्वामी दयाल के सतसंग मिशन को दूर-दूर तक फैलाने के उद्देश्य से सतसंग समाचार, परम पूज्य आचार्यों द्वारा समय समय पर फ़रमाए गए अमृत बचन, विशेष समारोह व संगोष्ठियों की रिपोर्ट तथा द्रुतगति से देश-विदेश में बढ़ रही सतसंग गतिविधियों के समाचार निकट व दूर बसे सतसंगी भाई बहनों को पहुँचाता रहा है जिसे पढ़ कर वे न केवल हर्षित व आनन्दित होते हैं वरन् अपने आप को सतसंग से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं।

           प्रेम प्रचारक का आकार व स्वरूप समयानुसार व आवश्यकतानुसार बदलता रहा है और वर्ष 2007 में इसका ई-वर्ज़न भी प्रारम्भ हुआ। वर्तमान में यह दयालबाग़ साइंस ऑफ़ कॉन्शसनैस (DSC) आधुनिक वैज्ञानिक सिद्धान्तों व अनुसंधानों के परिपेक्ष्य में राधास्वामी मत के सर्वोच्च स्तर पर वैज्ञानिक होने के आश्वासन के सम्बंध में परम पूज्य हुज़ूर द्वारा फ़रमाई गई टिप्पणियाँ, डी.ई.आई. द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए अग्रणी प्रयास, एडवाइज़री कमेटी ऑन एजुकेशन, प्रबुद्ध मंडल द्वारा दिए गए सत्परामर्श तथा 'Golden Mean Path to Devotion' से संबंधित समाचारों को शीघ्रातिशीघ्र प्रेमी पाठकों तक पहुँचाने के लिए समर्पित भाव से कार्यरत है।


           कोविड-19 महामारी से बचाव के लिए लागू किए गए लॉक डाउन की अवधि में भी अनेक प्रतिबंधों के बावजूद इसका प्रकाशन नियमित रूप से होता रहा जिससे सतसंगी भाई बहनों को संकट व आपदा की स्थिति में सभा द्वारा जारी किए गए निर्देश व मार्ग-दर्शन मिलता रहा। पोस्ट ऑफ़िस द्वारा प्रेम प्रचारक के वितरण में विलम्ब (देरी) अथवा अनियमितताओं को देखते हुए पाठकों को ई-प्रेमप्रचारक पढ़ने का विकल्प दिया गया है।

           सुपरमैन स्कीम में रजिस्टर्ड बच्चों व दयालबाग़ की वीरांगानाओं से संबंधित समाचार, वर्चुअल मोड द्वारा ग्लोबल मार्च-पास्ट व वर्चुअल मोड से आयोजित अनेक कार्यक्रम आदि भी इसमें शामिल किए गये।

            यह महती सेवा हुज़ूर राधास्वामी दयाल के संरक्षण व निर्देशन में ही संभव हो सकी है। राधास्वामी दयाल के चरण  कमलों में विनम्र प्रार्थना है कि वे दयाल सदैव अपनी दया व मेहर बनाए रखें जिससे प्रेम प्रचारक प्रगति-पथ पर बढ़ता हुआ निरन्तर निःस्वार्थ भाव से सतसंग जगत की सेवा करता रहे।


ऐसी  निर्मल  सीतल  सेवा  बिना  दया कस होई।

बिनय करूँ कर जोरि नाथ से करो मौज अब सोई।।

नाटक

राधास्वामी!! 24-11-2020- आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-    और रोजाना  वाक्यत 

                               

(1) शब्द ने रची त्रिलोकी सारी। शब्द से माया फैली भारी।। शब्द ही घट घट करे पुकारीरोजाना  वाक्यात । शब्द फिर अलख अगम से न्यारी।।-(शब्द में सुरत लगा कर यारी। शब्द ही चेतन करे उजारी।।) (सारबचन-शब्द-दूसरा-पृ.सं.210)                                                        

 (2) लिपट गुरु चरन प्रेम सँग आज ।।टेक।। उम्ग उमँग सतसँग कर  उनका। भक्ति भाल का लेकर साज।। - ( राधास्वामी धाम गई सुर्त सज के। आज हुआ मेरा पूरन काज।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-8- पृ.सं. 351)

🙏🏻

परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज -

रोजाना वाक्यात- 6 मार्च 1933 -सोमवार:-

 सुबह सैर करते वक्त डेरी से गुजरे। दरयाफ्त करने पर मालूम हुआ कि सब जानवर अच्छी तरह है । बकरियाँ भी बच गई है। टीके का जहर नष्ट हो चुका है । अब किसी जानवर के लिए खतरा नहीं रहा ।।                            

 दयालबाग डेरी के मक्खन का मार्का क्यूपिड है। जैसे हाथी मार्का के तेल का हाथी से और बंदर मार्का के साबुन का बंदर से कोई ताल्लुक नहीं है ऐसे ही क्यूपिड का डेरी के मक्खन से कोई ताल्लुक नहीं है। 

लोग चीजों पर अपना मार्का सिर्फ इसलिए लगाते हैं कि जन सामान्य को उनकी निर्मित वस्तुओं की खरीद में धोखा न हो । लेकिन डेरी के मक्खन के बारे में एक से ज्यादा लोग ऐतराज़ कर चुके हैं। 

चुनाँचे आज एक सत्संगी ने कॉरेस्पोंडेंस के वक्त एतराज पेश किया। एतराज यह था कि क्यूपिड एक यूनानी देवता का नाम है जो बड़ा बदनाम है इसलिए किसी मजहबी सोसाइटी को ऐसे देवता का नाम से किसी भी हालत में संबंध  नही बनाना चाहिये। 

मेरा जवाब था कि क्यूपिड देवता का मक्खन से उतना ही ताल्लुक है जितना बंदरों का बंदर मार्का के साबुन से। इसके अलावा क्यूपिड मोहब्बत का देवता है।  बड़ी डिक्शनरी मँगवा कर दिखलाया कि क्यूपिड की शक्ल एक नंगे बच्चे की दिखलाई जाती है।

 आपत्ति कर्ता ने कहि लेकिन वह काम अंग में तीर मारता फिरता है।  और खुद बड़ा कामी है । जवाब दिया गया ऐसा नहीं है।  चुनाँचे एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका मँगवा कर दिखलाया कि क्यूपिड ने सिर्फ साईकी नामी कन्या से मोहब्बत की। और साईकी सुरत यानी रुह का अवतार थी ।

 दूसरे लफ्जों में रुका आशिक है । अलबत्ता एलेग्जेण्ड्रिया के शायरो ने इस यूनानी देवता के सर बहुत सी खराब बातें मढ दी है। दरअसल यह देवता एक नवजात बच्चे की तरह मासूम और मोहब्बत करने वाला है और इसकी मोहब्बत सिर्फ रुह के साथ है। काम अंग से इसका कोई ताल्लुक नहीं है ।

आखिर आपत्तिकर्ता भाई को इत्मीनान हो गया कि क्यूपिड दरअस्ल प्रेम का देवता है और उसके नाम का इस्तेमाल करना किसी तरह बेजा नहीं है। रात के सत्संग में एक सत्संगी ने बयान किया कि शहर आगरा में गीता का तर्जुमा बहुत लोकप्रिय हो रहा है।

 स्त्रियाँ तक कहती हैं कि अब गीता के उपदेश समझ में आते हैं । शुक्र है शहर के लोगों की यह सेवा दयालबाग से बन पडी।              

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**



**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-     

           

【शरण आश्रम का सपूत】

 कल से आगे:- [दूसरा दृश्य]-

( डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट का इजलास- भोंडी, मुंशी भिखारी लाल वकील, प्रेमबिहारी लाल, शोभावन्ती, सुपरिटेंडेंट शरण- आश्रम हाजिर हैं)

वकील -खुदावंत नेमत! अगर हुकुम हो तो पहले बिहारी का बयान लिया जावे। 

मजिस्ट्रेट- बेहतर है।( प्रेमबिहारी लाल को चपरासी सामने खड़ा कर देता है) 

वकील- तुम्हारा नाम क्या है ?

 प्रेमबिहारी -मेरा नाम प्रेमबिहारी लाल है।

वकील-( अलहदा में)  वाह! हम तो भिखारीलाल ही रहे और ये हजरत प्रेमबिहारीलाल हो गये।

वकील -तुम यतीम हो न?

 प्रेमबिहारीलाल- यतीम से आपका क्या मतलब है?

  वकील -(मजिस्ट्रेट से) इसे किसी ने सिखाया पढ़ाया है (प्रेमबिहारी लाल से) तुम्हे किसी ने सिखलाया पढाया है?

प्रेम०- आश्रम में सभी लड़कों को लिखना पढ़ना सिखलाया जाता है ।

वकील -(मजिस्ट्रेट से) हुजूर!  जरूर कुछ दाल में काला है।

  मजिस्ट्रेट- तुम इसे यतीम के मानी बतला दो- फिजूल बात मत करो। 

वकील- खुदावन्द!  लोग तो कहते हैं- मुझे असल बात भी कहनी नहीं आती- फिजूल बात कहाँ से करूँगा। 

मजिस्ट्रेट- क्या वकील पागल है।

वकील-(पेट पर हाथ फेर कर) हुजूर पागल? पागल हरगिज़ नह़ी- अलबत्ता हुजूर के इजलास में अव्वल मरतबा पेश हुआ हूँ  इसलिए जरा तबीयत (हूँ) पाबगिल हो रही है। देखो बिहारी! यतीम के मानी उस शख्स के हैं जिसके सिर पर कोई कुछ न हो। अब बतलाओं क्या तुम यतीम हो? 

 प्रेम०-मेरे सिर पर पगड़ी है- मैं यतीम नहीं हूँ।

वकील-(झुँझला कर)  यतीम के मानी जिसका कोई खबरगीराँ न हो। 

प्रेम०-  मैं यतीम नहीं हूँ- मेरी खबर लेने वाले शरण आश्रम के सब अफसरान् है।

  वकील-( ज्यादा झुँझला कर) यतीम के मानी उस शख्स के हैं जिसके माँ बाप मर गए हो- क्या तुम यतीम है? 

प्रेम०- मेरी माँ जिंदा है मैं यतीम नहीं हूँ।

 वकील - यतीम वह है जिसका बाप मर जाय। 

प्रेम०-(दिक होकर)  सभी बूढों के माँ-बाप मर जाते हैं -क्या वे सब बूढे यतीम होते हैं? 

वकील -(झुँझला कर मजिस्ट्रेट से) हुजूर यह लड़का सीधे-सीधे बयान न देगा। जिन लोगों के यह बस में है वह जमाने भर में मशहूर है। मजिस्ट्रेट- डोंट बी सिली (Don't be silly)  तुम यतीम के माने बतलाओ- खुद माने नहीं आते और दूसरों में नुक्स निकालते हो। वकील -दाढ़ी के बाल समेट कर यतीम के मानी वह लड़का है जिसका बाप मर जाय और जो माँ की सरपरस्ती में न रहे। प्रेम०-इस मानी में मैं यतीम हूँ। वकील- और किस मानी में यतीम नहीं हो?  प्रेम०- इस मानी में यतीम नहीं हूँ कि माँ बाप से बढ़कर मोहब्बत करने वाले पाकनिहाद पुरुषों का साया मेरे सर पर है और मैं किसी गैर की इमदाद का मुहताज नहीं हूँ।  वकील -(अलहदा) इस मानी में तो हम डबल यतीम हुए- न किसी का साया हमारे सर पर है न हमारा किसी के सर पर पड़ता है।( मजिस्ट्रेट से) हुजूर !  जवाब मुखालिफ हो गया है -मैं इसे छोड़ता हूँ। अब सोभी का बयान लिया जावे । मजिस्ट्रेट - बेहतर है -(सोभी खड़ी हो जाती है ) वकील -लड़की! तुम्हारा नाम क्या है ?  सोभी -शोभावन्ती।  वकील सोभी क्यों नहीं कहती।  सोभी- इसलिए कि अब यह मेरा नाम नहीं है।  वकील - अपने बाप के मरने पर तुम शरण-आश्रम में कैसे आये?  सोभी- हँसते हुए । वकील-( झुँझला कर) मैं यह पूछता हूँ कि गाँव से यहाँ किस तरह आये?  सोभी-सवार होकर।  वकील-(झुँझला कर) तुम तनहा ही आई ? सोभी -नहीं ,प्रेमबिहारी साथ थे। वकील- तुम्हे किसी ने घर से जाने को कहा?  सोभी- अम्मा ने भाई की टाँग पर कुल्हाड़ी मारी•••••• वकील - मैं यह नहीं पूछता - किसीने तुमको यह सिखलाया कि अपने घर लौट कर मत जाना?  सोभी- अम्मा ने कहा था कि लौट कर आओगे तो दोनों की गर्दन काटूँगी- पहले अम्मा ने भाई के कुल्हाडी मारी थी इसलिए हमें ••••••••• भोंडी (घबरा कर ) क्यों झूठ बोलती है दूसरों के सिर चढ़ कर - मैंने कब कुल्हाडी मारी थी?  वकील-( मजिस्ट्रेट से ) हुजूर!  अगर इसने कुल्हाड़ी मारी तो बिहारी के निशान होता-और चूँकि निशान नहीं है इसलिए इसने कुल्हाड़ी नहीं मारी- अगर निशान होता तो जरूर दिखलाई देता - चूँकि निशान दिखलाई नहीं देता है इसलिए निशान नहीं है और इसलिए इसका बयान झूठा है- हुजूर!  और मेरा मवक्किल सच्चा और बेकसूर है। मजिस्ट्रेट -प्रेमबिहारी! क्या तुम्हारी टाँग पर कुल्हाड़ी का निशान है। प्रेम०-हुजूर है (टाँग पर निशान दिखलाता है। वकील व भोंडी घबरा जाते हैं और तवज्जुह बदलते हैं)                                      🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र- भाग (1)- कल से आगे:-( 10) जो इस कदर होशियारी दोनों किस्म के जीवो से बन आवेगी , तो कोई शक नहीं है कि राधास्वामी दयाल अपनी मेहर और दया से उन जीवो का कारज सहज में उनके अधिकार के मुआफिक बनाकर दर्जे बदर्जे एक दिन परम पद में पहुँचा देंगे।                🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

सूर्य को जल चढ़ाने का अर्थ

  प्रस्तुति - रामरूप यादव  सूर्य को सभी ग्रहों में श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि सभी ग्रह सूर्य के ही चक्कर लगाते है इसलिए सभी ग्रहो में सूर्...