Sunday, May 31, 2020

रहीम का दान




🙏🙏 Love is God🙏🙏


रहीम एक बहुत बड़े दानवीर थे. उनकी ये एक खास बात थी कि जब वो दान देने के लिए हाथ आगे बढ़ाते, तो अपनी नज़रें नीचे झुका लेते थे.

ये बात सभी को अजीब लगती थी कि ये रहीम कैसे दानवीर हैं!!!
ये दान भी देते हैं और इन्हें शर्म भी आती है. ये बात जब तुलसीदासजी तक पहुंची तो उन्होंने रहीम को चार पंक्तियां लिख भेजीं.
जिसमें लिखा था-

        *ऐसी देनी देन जु*
        *कित सीखे हो सेन*
       *ज्यों-ज्यों कर ऊंचौ करौ*
        *त्यों-त्यों नीचे नैन*

इसका मतलब था,
कि "रहीम तुम ऐसा दान देना कहां से सीखे हो?
जैसे-जैसे तुम्हारे हाथ ऊपर उठते हैं, वैसे-वैसे तुम्हारी नज़रें तुम्हारे नैन नीचे क्यूं झुक जाते हैं?"

रहीम ने इसके बदले में जो जवाब दिया,
वो जवाब इतना गजब का था कि जिसने भी सुना वो रहीम का कायल हो गया. इतना प्यारा जवाब आज तक किसी ने किसी को नहीं दिया.

रहीम ने जवाब में लिखा-

        " *देनहार कोई और है*
         *भेजत जो दिन रैन*
         *लोग भरम हम पर करें*
         *तासौं नीचे नैन*"

मतलब,
देने वाला तो कोई और है.
वो मालिक है, वो परमात्मा है! और वो दिन-रात भेज रहा है. परन्तु लोग ये समझते हैं कि मैं दे रहा हूं, रहीम दे रहा है. ये सोच कर मुझे शर्म आ जाती है और मेरी आंखें नीचे झुक जाती हैं..





दिल्ली का पशुपति मंदिर / विवेक शुक्ला





दिल्ली का पशुपति मंदिर कहां

भारत-नेपाल के बीच गरमाते सीमा विवाद के बीच एक पशुपतिनाथ मंदिर हमारा भी है। काठमांडू से सैकड़ों किलोमीट दूर यमुनापार के भीड़भाड़ वाले कड़कड़डूमा इलाके में है यह पशुपतिनाथ मंदिर। निश्चित रूप से यह काठमांडू वाले पशुपतिनाथ मंदिर जितना भव्य या एतिहासिक तो नहीं है।  इसका डिजाइन नेपाल के मंदिरों से प्रभावित है। इसे गुजरे बीसेक साल पहले यहां बसे नेपाली समाज ने बनाया है। वे इधर पूजा-अर्चना के लिए आते रहते हैं। इसके भीतर देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी हैं। लॉकडाउन के कारण हमारे पशुपतिनाथ मंदिर के कपाट भी बंद हैं। इसके पुजारी येसु सरन कहते रहे हैं कि भारत-नेपाल में किसी तरह का मनमुटाव हो ही नहीं सकता। दिल्ली के नेपाली समाज ने अपना एक मंदिर बलजीत नगर में भी बनाया हुआ है। ये जिधर है उस सड़क का नाम ही नेपाली मंदिर रोड है।
दिल्ली में पढ़े,बने मेपाल के पीएम
दिल्ली यूनिवर्सिटी और जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी में लंबे समय से
नेपाल के नौजवान उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते रहे हैं। नेपाल के पांच बार प्रधानमंत्री रहे गिरिजा प्रसाद कोइराला किरोड़ीमल कॉलेज के छात्र रहे हैं। वे नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष थे। किरोड़ीमल कॉलेज के पूर्व छात्र और अब हंसराज कॉलेज में अध्यापक प्रभांशु ओझा कहते हैं कि किरोड़ीमल कॉलेज बिरादरी को हमेशा गर्व रहा है कि श्री जी.पी.कोइराला हमारे अपने हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी में नेपाली छात्र संघ भी हैं। कुछ साल पहले जब नेपाल में भूकंप के कारण भारी विनाश हुआ था तब इन्होंने यहां राहत सामग्री एकत्र करके अपने देश में भेजी थी।नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई ने दिल्ली के स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर (एसपीए) से अपनी मास्टर डिग्री प्राप्त की थी। उन्होंने सन 1986 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पीएचडी की थी।
दिल्ली में क्या-क्या करते नेपाली
अपनी दिल्ली में चार-पांच लाख नेपाली नागरिक अवश्य होंगे। एक दौर में नेपाली सिक्युरिटी के काम से बड़ी तादाद में जुड़े हुए थे। ये आर.के.पुरम, नेताजी नगर, आईएनए, सरोजनी नगर, लोधी रोड, लाजपत नगर वगैरह में  सिक्युरिटी गॉर्ड के रूप में काम  कर रहे थे। आपको कनॉट प्लेस के अधिकतर होटलों और रेस्तरांओं में नेपाली शेफ मिलेंगे। ये यहां ठीक-ठाक कमा-खा रहे हैं। कभी किसी के साथ भेदभाव की खबर नहीं सुनाई दी। लॉकडाउन के कारण दिल्ली में रहने वाले सैकड़ों नेपाली नागरिकों के सामने संकट खड़ा हो गया है। वे वापस नेपाल जाने की कोशिश करते रहे हैं। उनकी दिल्ली में सक्रिय अखिल भारत नेपाल एकता मंच सहायता कर रहा है। दिल्ली में नेपालियों के बहुत से सामाजिक सांस्कृतिक संगठन हैं। इस बीच,आजकल
 फिरोजशाह रोड पर स्थित नेपाल दूतावास भी बंद है। सामान्य दिनों में इसके बाहर रोज बहुत से नेपाली खड़े हुए होते हैं। नेपाल दूतावास में करीब 250 लोगों का स्टाफ है। इधर स्टाफ के फ्लैट भी बने हुए हैं।


31/0 5को शाम मे पाठ ओट बचन





**राधास्वामी!!

 31-05-2020-

आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-                           

 (1) गगन में बाजत आज बधाई ।।टेक।।  कुल मालिक राधास्वामी प्यारे । संत रूप धर आए। जगत में भक्ति रीति चलाई ।।(प्रेमबानी- भाग तीन -शब्द -3, पृष्ठ संख्या 270 )                                                         

   (2) भूल पडी जग माहिं भरम बस जिव भयो। निज घर सुधि बिसराय जगत सँग लग रह्ये।। हंसा दुखिया देख दुखी मन बहू रहे। हंसा सुने न बात जतन कोई क्या करें।।( प्रेमबिलास- शब्द 123- पृष्ठ संख्या 179)                                                             

  (3) सत्संग के उपदेश -भाग तीसरा- कल से आगे ।                  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

**राधास्वामी!! 31-05- 2020 -आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे -(150) अगर सत्संग की तालीम आमतौर मंजूर व मकबूल हो जाए तो आप से आप दुनिया के सभी कष्ट दूर हो जायँ। चूँकि सत्संग की तालीम मुसावात  पर जोर देती है इसलिए लाजमी है कि इस तालीम के प्रचार के लिए सत्संग का अधिष्ठाता एक ऐसी हस्ती हो जो अमीर व गरीब, गोरे व काले को एक दृष्टि से देखें । बिला अधिष्ठाता की वैसी दृष्टि के दूसरे लोग कभी मूसावात का सबक सीख नहीं सकते । सत्संग के अधिष्ठाता के ऐसा होने से सभा के सब सभासदों को भी निष्पक्ष होना होगा । और जैसे पिछले जमाने में राजाओं व बादशाहों के नेक ख्यालात की खबरे  सुनकर दुनियाभर के नेकख्याल और काबिल आदमी आप से आप उनके दरबार में चले आते थे इसी तरह सत्संग की मुसावात की तालीम व मुसावात की जिंदगी की खबर पाकर  जगह-जगह से फिल्सफी व रिफार्मर सत्संग में शरीक होंगे जिनकी मार्फत आजकल के फिजूल और सनसनीखेज किस्सों के बजाय दुनिया में अमन-चैन व मुसावात फैलाने वाले लिटरेचर की इशाअत होगी और घर-घर मुसावात  का प्रचार होने से मर्दों व औरतों की जिंदगी ज्यादा सुखदायक होगी और इस जमाने में कायदे व कानून, जिनसे आमतौर मर्द व औरते दुखी हो रहे हैं , मनसूख हो जायँगे और हर किसी को काफी आजादी की जिंदगी बसर करने का मौका मिलेगा। सतसंग की तालीम न किसी पर जुल्म व सख्ती करना सिखलाती है, न किसी को दौलत व जायदाद से महरुम कराया चाहती है। सब इंसान, चाहे उनका मजहब कुछ ही हो और वे किसी नस्ल से हों,  पूरी आजादी से जिंदगी बसर करने के हकदार है बशर्ते कि वे अपने तईं दूसरों के लिये मुजिर न बनावें।       
    🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻                               

     सत्संग के उपदेश -भाग तीसरा।**

राधास्वामी
राधास्वामी

Saturday, May 30, 2020

satasang or bachan






राधास्वामी!
! 30-05-2020-

आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ

-                             

 (1) भक्ति कर लीजिये जग जीवन थोडा।।टेक।। दया करी गुरु प्रीतमा, मोहि संग लगाई। घर का भेद सुनाय कर, स्रुत अधर चढाई।।(प्रेमबानी-3-शब्द-2,पृ.सं.269)                                                               

(2) भूल पडी जग माहि भरम बस जिव भयो। निज घर सुधि बिसराय जगत सँग लग रह्यो।। (प्रेमबिलास-शब्द-123-पृ.सं.179)                                                       

  (3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा-कल से आगे।। 

                
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻



राधास्वामी!!                                 

 30-05- 2020- आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-


कल से आगे-(

 149)

सवाल- क्या पत्थर के अंदर भी मुख्तलिफ रूहानी दर्जे हैं?                                                 

जवाब-  जहाँ रूह मौजूद है वहाँ रूहानी दर्जे भी किसी न किसी हालत में जरूर मौजूद होंगे लेकिन चूँकि पत्थर में रूह का इजहार निहायय अदना है इसलिए उसके अंदर रूहानी दर्जे निहायत स्थूल शक्ल में कायम होंगे। रूह चूँकि मुकम्मल जौहर है और मालिक का अंश है इसलिए उसके कमालात में किसी तरह का फर्क नहीं आ सकता और जो चीज पत्थर कहलाती है वह दरअसल रुह का जिस्म यानी गिलाफ है और चूँकि वह गिलाफ स्थूल और भद्दा है इसलिए उसके अंदर रुहानी दर्जो इजहार निहायत नामुकम्मल तरीक से मुमकिन हुआ है।

सवाल- काल पुरुष और दयाल पुरुष में क्या फर्क है ?                                                     
जवाब - जो मन व रुह में। मन कालका अंश है और रुह दयाल का।।                                       

सवाल- मन तो जड बतलाया जाता है?           

जवाब - मन रुह के मुकाबले जड है लेकिन माद्दे यानी जड प्रकृति के मुकाबले चेतन है।।             

 🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻                                     

सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा।


Wednesday, May 27, 2020

Radhasoami 🙏 राधास्वामी



RS

Radhasoami Rakshak jeev ke -(interpreted in English )

Radhasoami,  Protector of all beings
Beings have'nt the ability to know this secret
Guru's personality is beyond their comprehension.
 Of  their karmas they are in  penitence

Guru's darshan can mitigate this sorrow
There is no other way.
So we may get His darshan quickly
For this I pray constantly.

Radhasoami Satguru surpasses all
Radhasoami name is unsurpassed
No yog matches Surat Shabda Yog
Through His Grace its secret is learnt.

Radhasoami Guru is all Powerful
There's no one else we can turn to.
We pray for Mercy  O Merciful
Why  such a delay at your door

Shower Thy Grace my Beloved
Give me the boon of love
To liberate me from Joys and sorrows
 To free me from all calamities.

Radhasoami

🙏

27/05 को शाम के सत्संग में पढ़ा गया पाठ - बचन




**राधास्वामी!!

 27-05-2020-

 आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ:-                           

(1) राधास्वामी दयाल सुनो मेरी बिनती। जल्दी दरस दिखाओं हो।।टेक।। (प्रेमबानी-3-शब्द-5,पृ.सं.266)                                                                                 

 (2) गुरु दयाल(मेरे दयाल) अब सुधि लेव मेरी।मँझधारा में पडी है नैया डूबन में नहिं देरी।।टेक।। (प्रेमबिलास-शब्द-121-पृ.सं.177)                                                         

(3) सतसंग के उपदेश-भाग-तीसरा-कल से आगे।

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**



**राधास्वामी!! 

                                  

 27-05 -2020-

आज शाम के सतसंग में पढा गया बचन

- कल से आगे
-( 147)

 इंसान को कितना ही समझाओ लेकिन वह अपनी वासनाओं का गुलाम होने की वजह से एक नहीं सुनता । बाज वक्त उसका दिमाग किसी बात को समझ भी लेता है लेकिन उसका दिल उसे कबूल नहीं करता।।                                 
जिक्र है कि एक कैदी बड़ा कमीना और बड़ा पेटू था । उसने अपनी बद हरकतों से दूसरे कैदियों की नाक में दम कर रक्खा था। कैदियों के शिकायत करने पर काजी साहब ने उसे रिहा कर दिया और हुकुम दिया कि वह तमाम शहर में गश्त कराया जावे और लोगों को पुकार कर सुनाया जाए कि यह शख्स निहायत कमीना है । कोई उसका एतबार न करें, न उसे उधार दे, न उससे पैसा वसूल होने की उम्मीद रक्खें ।

काजी साहब के मुलिजिमों ने किसी ऊँट वाले का एक ऊँट पकड़ लिया और कैदी को उस पर सवार करके दिन भर शहर की गश्त कराई और मुख्तलिफ जबानों में पुकार पुकार कर उसकी बद सिफात लोगों को सुनाई ताकि सब लोग वाकिफ व मुहतात( होशियार) हो जाएँ। शाम को गस्त खत्म हुई। बेचारा ऊँट वाला पैदल ऊँट के साथ साथ चलता रहा ।


 गश्त खत्म होने पर जब उसे ऊँट वापस किया गया तो उसने कैदी से कहा-भाई! अब रात होने को है मेरा घर दूर है , मैं घर वापिस नहीं जा सकता , मैं ऊँट के दाने का दाम तो छोडता हूं लेकिन घास का दाम तो दिलवा दो।  कैदी ने जवाब दिया- ताज्जुब है कि तुम दिन भर मेरी निस्बत जो कुछ पुकार पुकार कर सुनाया गया सुनते रहे और जानते हो कि मैं सख्त नादिहन्द हूँ  लेकिन फिर भी तुम मुझसे घास के लिये दाम माँगते हो।  कैदी ने हजार समझाया लेकिन ऊँट वाले को मुतलक असर न हुआ और वह रात भर घास के लिए दाम माँगता रहा।

यही हाल आमतौर इंसानों का है कि दिन रात दिमाग से उपदेश सुनते हैं और बहुत सी बातें समझते हैं लेकिन करते वही है जो उनका दिल चाहता है।।                                                               
  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
                                 
  सतसंग के उपदेश- भाग तीसरा।।**

राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी
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सामूहिक प्रार्थना करें




*इस मैसेज का सभा से कोई लेना देना नहीं है*

 यह मैसेज हम सब सत्संगीयों ने मिलकर बनाया है और हम सब एक अच्छा कार्य ही कर रहे हैं

जिन्हें ऐतराज़ हो वे ना शामिल हो ।

रोज़ शाम हम सब मिलकर मालिक के चरणों में प्रार्थना करते हैं इससे हमें आत्म शक्ति मिलती है

यह प्रार्थना जब तक लॉक डाउन है तब तक जारी रहेगी ।
 करोना वायरस से बचने के लिए हम सब ने इसकी शुरुआत की है

*6️⃣:3️⃣0️⃣ 🅿️Ⓜ️ का रोज़ का एक पाठ जब तक लॉक डाउन है तब तक।*
*एक साथ मालिक के चरणों में प्रार्थना🙏*

*आज का पाठ*
‌ 2️⃣7️⃣ ‌‌/0️⃣5️⃣/2️⃣0️⃣




सतगुरु परम दयाल कही यह अमृत बानी।
 सुन लो बचन हमार कहूं मैं तोहि बुझानी।।
👆

पोथी प्रेमबिलास

पेज 61

*राधास्वामी🙏*

दावाग्नि पान




, .                     
"दावाग्नि पान

एक समय गर्मी के दिनों में सखाओं के साथ श्रीकृष्ण गायों को यमुना में जलपान कराकर उन्हें चरने के लिए छोड़ दिया तथा वे मण्डलीबद्ध होकर भोजन क्रीड़ा-कौतुक में इतने मग्न हो गये कि उन्हें यह पता नहीं चला कि गायें उन्हें छोड़कर बहुत दूर निकल गई हैं और हरी-हरी घास के लोभ से एक गहन वन में घुस गयीं। उनकी बकरियाँ, गायें और भैंसे एक वन से दूसरे वन में होती हुई आगे बढ़ गयीं तथा गर्मी के ताप से व्याकुल हो गयीं। वे बेसुध-सी होकर अन्त में डकराती हुई मुंजाटवीमें घुस गयीं।
          जब श्रीकृष्ण, बलराम आदि ग्वालबालों ने देखा कि हमारे पशुओं का तो कहीं पता-ठिकाना ही नहीं है, तब उन्हें अपने खेल-कूद पर बड़ा पछतावा हुआ और वे बहुत कुछ खोज-बीन करने पर भी अपनी गौओं का पता न लगा सके। गौएँ ही तो व्रजवासियों की जीविका का साधन थीं। उनके न मिलने से वे अचेत-से हो रहे थे। अब वे गौओं के खुर और दाँतो से कटी हुई घास तथा पृथ्वी पर बने हुए खुरों के चिह्नों से उनका पता लगाते हुए आगे बढ़े।
          अन्त में उन्होंने देखा कि उनकी गौएँ मुंजाटवी में रास्ता भूलकर डकरा रही हैं। उन्हें पाकर वे लौटाने की चेष्टा करने लगे। उस समय वे एकदम थक गये थे और उन्हें प्यास भी बड़े जोर से लगी हुई थी। इससे वे व्याकुल हो रहे थे। उनकी यह दशा देखकर भगवान श्रीकृष्ण अपनी मेघ के समान गम्भीर वाणी से नाम ले-लेकर गौओं को पुकारने लगे।
          गौएँ अपने नाम की ध्वनि सुनकर बहुत हर्षित हुईं। वे भी उत्तर में हुंकारने और रँभाने लगीं। इस प्रकार भगवान उन गायों को पुकार ही रहे थे कि उस वन में सब ओर अकस्मात दावाग्नि लग गयी, जो वनवासी जीवों का काल ही होती है। साथ ही बड़े जोर की आँधी भी चलकर उस अग्नि के बढ़ने में सहायता देने लगी। इससे सब ओर फैली हुई वह प्रचण्ड अग्नि अपनी भयंकर लपटों से समस्त चराचर जीवों को भस्मसात करने लगी।
          जब ग्वालों और गौओं ने देखा कि दावनल चारों ओर से हमारी ही ओर बढ़ता आ रहा है, तब वे अत्यन्त भयभीत हो गये और मृत्यु के भय से डरे हुए जीव जिस प्रकार भगवान की शरण में आते हैं, वैसे ही वे श्रीकृष्ण और बलरामजी के शरणापन्न होकर उन्हें पुकारते हुए बोले, ‘महावीर श्रीकृष्ण! प्यारे श्रीकृष्ण! परम बलशाली बलराम! हम तुम्हारे शरणागत हैं। देखो, इस समय हम दावानल से जलना ही चाहते हैं। तुम दोनों हमें इससे बचाओ। श्रीकृष्ण! जिनके तुम्हीं भाई-बन्धु और सब कुछ हो, उन्हें तो किसी प्रकार का कष्ट नहीं होना चाहिये। सब धर्मों के ज्ञाता श्यामसुन्दर! तुम्हीं हमारे एकमात्र रक्षक एवं स्वामी हो; हमें केवल तुम्हारा ही भरोसा है।'
          अपने सखा ग्वालबालों के ये दीनता से भरे वचन सुन्दर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा - ‘डरो मत, तुम अपनी आँखें बंद कर लो।' भगवान की आज्ञा सुनकर उन ग्वालबालों ने कहा ‘बहुत अच्छा’ और अपनी आँखें मूँद लीं। तब योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने उस भयंकर आग को अपने मुँह में पी लिया।
          इसके बाद जब ग्वालबालों ने अपनी-अपनी आँखें खोलकर देखा तब अपने को भाण्डीर वट पास पाया। इस प्रकार अपने-आपको और गौओं को दावानल बचा देख वे ग्वालबाल बहुत ही विस्मित हुए। श्रीकृष्ण की इस योगसिद्धि तथा योगमाया के प्रभाव को एवं दावानल से अपनी रक्षा को देखकर उन्होंने यही समझा कि श्रीकृष्ण कोई देवता हैं।
          सायंकाल होने पर बलराम जी के साथ भगवान श्रीकृष्ण ने गौएँ लौटायीं और वंशी बजाते हुए उनके पीछे-पीछे व्रज की यात्रा की। उस समय ग्वालबाल उनकी स्तुति करते आ रहे थे। इधर व्रज में गोपियों को श्रीकृष्ण के बिना एक-एक क्षण सौ-सौ युग के समान हो रहा था। जब भगवान श्रीकृष्ण लौटे तब उनका दर्शन करके वे परमानन्द में मग्न हो गयीं।
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                          "जय जय श्री राधे"

परम गुरू हुजूर साहबजी महाराज! रोजानावाकियात



**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज- 

     

रोजाना वाक्यात-   

     

  6 अक्टूबर 1932- बृस्पतवार :-   

सालाना भंडार के लिए तैयारी हो रही है लेकिन इस साल नगर के बाहर के बस्तियों से बहुत कम सत्संगी आए हैं जिसकी दो वजह है अव्वल तो नंबर की नुमाइश पटना दोयम् दिसंबर का जलसा। हर जगह से यही खबर आ रही है कि दिसंबर में बड़ी पार्टी रवाना बराए दयालबाग होगी ।।                                                  ब्यास सतसंग के दो प्रतिनिधि दयालबाग आए। बड़े प्रेम से बातचीत हुई ।मालूम हुआ कि डॉक्टर जॉनसन अपने राय के लिए खुद जिम्मेदार हैं। दूसरे किसी को दयालबाग की संस्थाओं पर एतराज नहीं है।

 मैंने पेश किया कि दुनिया के हिसाब से ब्यास सत्संग को हमारी मदद की कतई आवश्यकता नहीं है और ना हमको ब्यास सत्संग की मदद की लेकिन दुनिया को ब्यास व दयालबाग में मेल की जरूरत है।

अगर हम दोनों की नियत सेवा करने की है तो कोई वजह नहीं है कि हम ऐसी सूरत ना निकाल लें कि आपस में मेल से काम हो। जो शख्स राधास्वामी धाम, राधास्वामी नाम ,राधास्वामी दयाल के अवतार धारण करने में आस्था रखता है वह हमारा भाई है । सतगुरु का मामला किसी के बस की बात नहीं है ।

हर शख्स को अख्तियार हैं जहां चाहे श्रद्धा लावे। डेलीगेट साहबान के सामने एक फार्मूला पेश किया गया जो उन्हें संतोषप्रद हुआ उन्होंने वादा किया कि लौटकर यह मामला सरदार साहब की सेवा में पेश करेंगे और आखिरी फैसला की इत्तिला देंगे।
डेलिगेट साहबान ने जिस उदारता व हमदर्दी के साथ बातचीत की थी काबिले तारीफ थी।।                                     

 रात के सत्संग में बयान हुआ किया स्वीकृति तथ्य है कि सत्संग की तीन या चार शाखें हो गई है ।अगर हम लोग सिर्फ दूसरी शाखों की गलतियां पकडते रहें और उनकी गलतियों को ख्याल में लाकर उनसे नफरत बढ़ाते जाएं तो नतीजा ये होगा कि हमारे और उनके दरमियान अलग करने वाली खाई दिन दिन बढ़ती जाएगी।

और अगर हम सब भिन्नता को पृथक  रख कर कोई सूरत ऐसी निकाले कि जिससे सब पार्टियों को बाहम मिलने जुलने का मौका मिले तो यकीनन कुछ अर्से के अंदर बहुत से तफरू्रकात दूर हो जाएंगे ।

और सब पार्टियां एक दूसरे से सच्ची मोहब्बत करने लगेंगी। अव्वल सूरत मेंएक पार्टी दूसरी पार्टियों को नीचा दिखाने की कोशिश करेंगी और दूसरी सूरत में ऊँचा बढ़ाने की।

इसलिये अक्लमंदी इसी में है कि हम लोग मन को दबाकर  अपने से पिछडे भाइयों को नजदीक आने का और अपनी शिकायतें यानी हमारी गलतियां पेश करने का मौका दें। ऐसा करने से या तो हमारी गलतियां या उनकी गलतफहमियां दूर हो जाएंगी ।

 दूसरों को अपने ख्यालात जाहिर करने और अपने ख्यालात जानने का मौका न देकर बाहम प्रेम व मोहब्बत का रिश्ता कायम होने की उम्मीद करना नादानी है ।।

  रात के वक्त दिल में धड़कन की बीमारी(फिर) जाहिर हुई । यह रोग मसूरी से लगा था मगर कुछ अर्सा से दब गया था अब फिर आने लगा है।

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**

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सत्संग के उपदेश भाग - 2/ औसत दर्जे की जिंदगी




**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज

 -सत्संग के उपदेश- भाग 2

 -कल से आगे:-

 वाजह हो कि जिस मुसीबत में तमाम मुल्के हिंदुस्तान गिरफ्तार है उससे सत्संगमंडली बरी नहीं है और सत्संगी भाइयों को भी अपनी जरूरतें पूरा करना मुश्किल हो रहा हैं ।

सत्संगी भाइयों की यह हालत देख कर हमारे लिए दो सूरतें हैं। अव्वल यह हैं कि हम आवाम की तरफ से मुंह फेर लें और हरक्षकिसी को अपनी अपनी भुगतने दें। दोयम् यह कि कोई ऐसी तदबीर निकाले कि जिस पर चलने से सत्संग मंडली की फी कह आमदनी में इजाफा हो।

पुरानी आदतें, सुस्ती व खुदगर्जी तो यही सलाह देती है कि तुम्हें औरों की क्या पड़ी है, हर कोई अपने अपने कर्मों का फल भोग रहा है, भोगने दो या यह है कि जब राधास्वामी दयाल की मौज होगी , आपसे आप ठीक हो जाएगा, हम क्यों दुनियाँ का बोझ अपने सिर ले ।

लेकिन विरादराना मोहब्बत व हमदर्दी कहती है कि हम अपने आराम व नफे को किसी कदर छोड़कर जरूर ऐसी कोई तदबीर अमल में लानी चाहिए जिससे दुखिया भाइयों को नाहक कि फिक्रों से छुटकारा मिले ।

चूँकि स्वभाव से इन दो मश्वरों में से हमें आखिरी मशवरा ही पसंद आता है इसलिए हम मजबूरन खुदगर्जी व सुस्ती के ख्यालात को दिल से दूर करके दो चार ऐसी बातें पेश करते हैं जिन पर अमल करने से कुछ अर्से के अंदर सतसंगमंडली की कायापलट हो सकती है।

लेकिन पेश्तर इसके कि हमें कोई अमली तजवीजें पेश करें  यह बयान कर देना जरूर समझते हैं कि हमें बखूबी मालूम है कि ज्यादा दौलत इंसान के लिए वैसे ही नुकसानदेह  है जैसे कि मुफलिसी व गरीबी ।

इसलिए हमारी यह ख्वाहिश या कोशिश कभी न होगी कि सत्संगी भाई अमीर व कबीर बन जायँ। हमारी ख्वाहिश सिर्फ इस कदर है कि किसी तरह मौजूदा तंगी की सूरत दूर होकर सत्संगी भाइयों के लिए औसत दर्जे के गुजारे का इंतजाम हो जाये।

ये ख्यालात न लोभ व लालच की वजह से पैदा होते हैं और न दौलत फराहम करने व कराने के मंसूबों से ताल्लुक रखते हैं ।हमारी आरजू यह है कि हर सत्संगी भाई की माली हालत ऐसी हो जैसे कि कबीर साहब की नीचे लिखी हुई साखी में दर्ज की गई है:-

"साहब एती मांगू जामे कुटुम्ब समाय ।
मैं भी भूखा ना रहूं साध न भूखा जाय।।"

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**

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परमार्थ में गुरू की जरूरत




**परम गुरु हुजूर महाराज

- प्रेम पत्र -भाग -1-(23)-

【 परमार्थ में गुरु की जरूरत और उनकी किस्म और दर्जे और भेद】:-

                       
  (1 1) कोई काम दुनियाँ  का ऐसा नहीं है कि जो बिना उस्ताद के सिखाएं हुए कोई आदमी (औरत या मर्द ) कर सके, यहां तक कि बच्चे को खड़ा होना और चलना और खाना और पीना वगैरह सिखाये नहीं आता है। और लिखना और पढ़ना और हर पेशे का काम तो जरूर मास्टर या उस्ताद से सीखना पड़ता है । इसी तरह सच्चे परमार्थ यानी सच्ची मुक्ति के हासिल करने के लिए अभ्यास के सिखाने वाले की, जिसको गुरु कहते हैं ,निहायत जरूरत है।                 


(2) पंडित या पुरोहित या पाधे (जो परमार्थी शास्त्र या पोथियाँ पढाते हैं या कर्म कराते हैं या बाहरी पूजा और होम और यज्ञ कराते हैं, इनको गुरु नहीं कहा जा सकता है । जो कोई आप पढ़ना जानता है यानी थोड़ा बहुत विद्यावान है वह कर्मकांड और जाहिरी पूजा की किताबें आप पढ़ सकता है और उनकी कार्यवाही करा सकता है , पर ऐसा दस्तूर रक्याखा गया है कि चाहे कोई पढ़ना जाने या नहीं वह सब पंडित या पाधे या पुरोहित से कर्मकांड की कार्रवाई में मदद लेते हैं और उसी वक्त उनका हक मेहनत यानी जो उनका दस्तूर हर एक पूजा और रस्म और त्यौहार वगैरह का मुकर्रर है , उनको अदा कर देते हैं ।।                                             

 (3 ) आम परमार्थी गुरु की दो ही किस्में है - एक वंशावली गुरु- और दूसरा निष्ठावान यानी अभ्यासी गुरु।

क्रमश:.                 

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**

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**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-

     
 रोजाना वाक्यात-   

      
6 अक्टूबर 1932- बृस्पतवार :-

   
सालाना भंडार के लिए तैयारी हो रही है लेकिन इस साल नगर के बाहर के बस्तियों से बहुत कम सत्संगी आए हैं जिसकी दो वजह है अव्वल तो नंबर की नुमाइश पटना दोयम् दिसंबर का जलसा। हर जगह से यही खबर आ रही है कि दिसंबर में बड़ी पार्टी रवाना बराए दयालबाग होगी ।।                                                 
ब्यास सतसंग के दो प्रतिनिधि दयालबाग आए। बड़े प्रेम से बातचीत हुई ।मालूम हुआ कि डॉक्टर जॉनसन अपने राय के लिए खुद जिम्मेदार हैं। दूसरे किसी को दयालबाग की संस्थाओं पर एतराज नहीं है।

मैंने पेश किया कि दुनिया के हिसाब से ब्यास सत्संग को हमारी मदद की कतई आवश्यकता नहीं है और ना हमको ब्यास सत्संग की मदद की लेकिन दुनिया को ब्यास व दयालबाग में मेल की जरूरत है। अगर हम दोनों की नियत सेवा करने की है तो कोई वजह नहीं है कि हम ऐसी सूरत ना निकाल लें कि आपस में मेल से काम हो। जो शख्स राधास्वामी धाम, राधास्वामी नाम ,राधास्वामी दयाल के अवतार धारण करने में आस्था रखता है वह हमारा भाई है ।

सतगुरु का मामला किसी के बस की बात नहीं है । हर शख्स को अख्तियार हैं जहां चाहे श्रद्धा लावे। डेलीगेट साहबान के सामने एक फार्मूला पेश किया गया जो उन्हें संतोषप्रद हुआ उन्होंने वादा किया कि लौटकर यह मामला सरदार साहब की सेवा में पेश करेंगे और आखिरी फैसला कु इत्तिला देंगे।
डेलिगेट साहबान ने जिस उदारता व हमदर्दी के साथ बातचीत की थी काबिले तारीफ थी।।                                       

रात के सत्संग में बयान हुआ किया स्वीकृति तथ्य है कि सत्संग की तीन या चार शाखें हो गई है ।अगर हम लोग सिर्फ दूसरी शाखों की गलतियां पकडते रहें और उनकी गलतियों को ख्याल में लाकर उनसे नफरत बढ़ाते जाएं तो नतीजा ये होगा कि हमारे और उनके दरमियान अलग करने वाली खाड़ी दिन दिन बढ़ती जाएगी।

और अगर हम सब भिन्नता को पृथक  रख कर कोई सूरत ऐसी निकाले कि जिससे सब पार्टियों को बाहम मिलने जुलने का मौका मिले तो यकीनन कुछ अर्से के अंदर बहुत से तफरू्रकात दूर हो जाएंगे । और सब पार्टियां एक दूसरे से सच्ची मोहब्बत करने लगेंगी।

अव्वल सूरत मेंएक पार्टी दूसरी पार्टियों को नीचा दिखाने की कोशिश करेंगी और दूसरी सूरत में ऊँचा बढ़ाने की। इसलिये अक्लमंदी इसी में है कि हम लोग मन को दबाकर  अपने से पिछडे भाइयों को नजदीक आने का और अपनी शिकायतें यानी हमारी गलतियां पेश करने का मौका दें।

 ऐसा करने से या तो हमारी गलतियां या उनकी गलतफहमियां दूर हो जाएंगी । दूसरों को अपने ख्यालात जाहिर करने और अपने ख्यालात जानने का मौका न देकर बाहम प्रेम व मोहब्बत का रिश्ता कायम होने की उम्मीद करना नादानी है ।। 

रात के वक्त दिल में धड़कन की बीमारी(फिर) जाहिर हुई ।यह रोग मसूरी से लगा था मगर कुछ अर्सा से दब गया था अब फिर आने लगा है।

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**



**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज -

सत्संग के उपदेश- भाग 2 -

कल से आगे:-

 वाजह हो कि जिस मुसीबत में तमाम मुल्के हिंदुस्तान गिरफ्तार है उससे सत्संगमंडली बरी नहीं है और सत्संगी भाइयों को भी अपनी जरूरतें पूरा करना मुश्किल हो रहा हैं ।

सत्संगी भाइयों की यह हालत देख कर हमारे लिए दो सूरतें हैं। अव्वल यह हैं कि हम आवाम की तरफ से मुंह फेर लें और हरक्षकिसी को अपनी अपनी भुगतने दें। दोयम् यह कि कोई ऐसी तदबीर निकाले कि जिस पर चलने से सत्संग मंडली की फी कह आमदनी में इजाफा हो।

पुरानी आदतें, सुस्ती व खुदगर्जी तो यही सलाह देती है कि तुम्हें औरों की क्या पड़ी है, हर कोई अपने अपने कर्मों का फल भोग रहा है, भोगने दो या यह है कि जब राधास्वामी दयाल की मौज होगी , आपसे आप ठीक हो
जाएगा,

 हहम क्यों दुनियाँ का बोझ अपने सिर ले । लेकिन विरादराना मोहब्बत व हमदर्दी कहती है कि हम अपने आराम व नफे को किसी कदर छोड़कर जरूर ऐसी कोई तदबीर अमल में लानी चाहिए जिससे दुखिया भाइयों को नाहक कि फिक्रों से छुटकारा मिले । चूँकि स्वभाव से इन दो मश्वरों में से हमें आखिरी मशवरा ही पसंद आता है इसलिए हम मजबूरन खुदगर्जी व सुस्ती के ख्यालात को दिल से दूर करके दो चार ऐसी बातें पेश करते हैं जिन पर अमल करने से कुछ अर्से के अंदर सतसंगमंडली की कायापलट हो सकती है। लेकिन पेश्तर इसके कि हमें कोई अमली तजवीजें पेश करें  यह बयान कर देना जरूर समझते हैं कि हमें बखूबी मालूम है कि ज्यादा दौलत इंसान के लिए वैसे ही नुकसानदेह  है जैसे कि मुफलिसी व गरीबी । इसलिए हमारी यह ख्वाहिश या कोशिश कभी न होगी कि सत्संगी भाई अमीर व कबीर बन जायँ। हमारी ख्वाहिश सिर्फ इस कदर है कि किसी तरह मौजूदा तंगी की सूरत दूर होकर सत्संगी भाइयों के लिए औसत दर्जे के गुजारे का इंतजाम हो जाये।ये ख्यालात न लोभ व लालच की वजह से पैदा होते हैं और न दौलत फराहम करने व कराने के मंसूबों से ताल्लुक रखते हैं ।हमारी आरजू यह है कि हर सत्संगी भाई की माली हालत ऐसी हो जैसे कि कबीर साहब की नीचे लिखी हुई साखी में दर्ज की गई है:- "साहब एती मांगू जामे कुटुम्ब समाय । मैं भी भूखा ना रहूं साध न भूखा जाय।।" 🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
[27/05, 04:52] +91 97176 60451: **परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र -भाग -1-(23)-【 परमार्थ में गुरु की जरूरत और उनकी किस्म और दर्जे और भेद】:-                             (1) कोई काम दुनियाँ  का ऐसा नहीं है कि जो बिना उस्ताद के सिखाएं हुए कोई आदमी (औरत या मर्द ) कर सके, यहां तक कि बच्चे को खड़ा होना और चलना और खाना और पीना वगैरह सिखाये नहीं आता है। और लिखना और पढ़ना और हर पेशे का काम तो जरूर मास्टर या उस्ताद से सीखना पड़ता है । इसी तरह सच्चे परमार्थ यानी सच्ची मुक्ति के हासिल करने के लिए अभ्यास के सिखाने वाले की, जिसको गुरु कहते हैं ,निहायत जरूरत है।                     (2) पंडित या पुरोहित या पाधे (जो परमार्थी शास्त्र या पोथियाँ पढाते हैं या कर्म कराते हैं या बाहरी पूजा और होम और यज्ञ कराते हैं, इनको गुरु नहीं कहा जा सकता है । जो कोई आप पढ़ना जानता है यानी थोड़ा बहुत विद्यावान है वह कर्मकांड और जाहिरी पूजा की किताबें आप पढ़ सकता है और उनकी कार्यवाही करा सकता है , पर ऐसा दस्तूर रक्याखा गया है कि चाहे कोई पढ़ना जाने या नहीं वह सब पंडित या पाधे या पुरोहित से कर्मकांड की कार्रवाई में मदद लेते हैं और उसी वक्त उनका हक मेहनत यानी जो उनका दस्तूर हर एक पूजा और रस्म और त्यौहार वगैरह का मुकर्रर है , उनको अदा कर देते हैं ।।                                                 (3 ) आम परमार्थी गुरु की दो ही किस्में है - एक वंशावली गुरु- और दूसरा निष्ठावान यानी अभ्यासी गुरु। क्रमश:.                   🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**

27/05 का दिन मंगलमय हो



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*_⚜!!श्री् हरि् !!_*⚜
*_𖡼•┄•𖣥𖣔𖣥•┄•𖡼🔅𖡼•┄•𖣥𖣔𖣥•┄•𖡼_*
               
 🙏🏻 *_नमस्कार_* 🙏🏻
*_ईश्वर से मेरी प्रार्थना है कि आपके एवं आपके पूरे परिवार के लिए हर दिन शुभ एवं मंगलमय हों।_*

👉🏼 *_27 मई 2020

ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि और बुधवार का दिन है। इसके साथ ही बुधवार को पूरे दिन वृद्धि योग रहेगा। इसके अलावा पूरे दिन पूरी रात पुष्य नक्षत्र रहेगा। यह एक शुभ नक्षत्र है। इस नक्षत्र के दौरान शुभ कार्य करने से सफलता मिलती है। जानिए कैसा रहेगा राशिनुसार आपका दिन और कौन से उपाय राशिुसार करने से मिलेगा विशेष लाभ।_*

🐑 *_मेष राशि आज आपका पूरा ध्यान अपने पुराने कामों को पूरा करने में रहेगा। किसी खास काम को लेकर कोई स्पेशल योजना बनायेंगे। परिवार में किसी सदस्य की जॉब से संबधित समस्या आज ठीक हो जायेगी। दाम्पत्य जीवन में खुशियां बनी रहेंगी। कुल मिलकर आज का दिन ठीक ठाक रहने वाला है। महिलाएं रसोई में काम करते वक्त थोडी सावधानी बरते।_*

🐂 *_वृष राशि आज का दिन बहुत ही बढ़िया रहने वाला है। कारोबार को बढाने के नये विचार अपके दिमाग में आयेंगे। महिलायें आज लाइफ को इन्जॉय करेंगी। इस राशि के आविवाहितों को शादी के लिए कोई अच्छा प्रस्ताव आयेगा। छात्रों के लिये आज का दिन सामान्य रहेगा। किसी बड़ी कंपनी में इंटरव्यू देने की तैयारी करेंगे। लवमेट्स का एक दूसरे के प्रति विश्वास बढ़ेगा। आज आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी होगी।_*

👨‍❤️‍👨 *_मिथुन राशि आज का दिन अच्छा रहने वाला है। कहीं उधार दिया हुआ पैसा आज वापस मिलेगा। आपके अन्दर पॉजिटिव बदलाव आयेगा। जिससे आगे चलकर लोग आपसे खुश रहेंगे। आपका कोई खास दोस्त कारोबार में साझेदारी के लिये आपसे कह सकता है। आज अपनी पर्सनॉल्टी में अच्छे सुधार लायेंगें। मॉस कम्यूनिकेशन कर रहे छात्रों के लिए दिन अच्छा है।_*

🦀 *_कर्क राशि आज का दिन सामान्य रहने वाला है। आज आपको अपने गुस्से पर कंट्रोल रखने की जरुरत है। आज घर में ही कोई सामान रखकर भूल जायेंगे। दाम्पत्य जीवन में मधुरता बनी रहेगी। विद्यार्थियों के लिए आज का दिन अनुकूल रहने वाला है। साथ ही अपना प्रोजेक्ट पूरा करने में सफल होंगे। कार्यों में परिवार के सदस्यों का सहयोग प्राप्त होता रहेगा। लवमेट्स एक दूसरे की भावनाओं की कद्र करेंगे। साथ ही आज कोई सरप्राइज मिलने से पुरे दिन मन प्रसन्न रहेगा।_*

🦁 *_सिहं राशि आज का दिन मुश्किलों को आसान करने वाला है। आज कोई काम पूरा करने में किसी की दी हुयी सलाह काम आएगी। इस राशि के जो लोग वकील हैं, वो आज अपने काम मे सफल होंगे। विरोधी पक्ष आज आपको भ्रमित करने की कोशिश करेगा।आपका कूल कूल एटीट्यूड काम आएगा। छात्र आज ऑनलाइन किसी प्रश्न का जबाब जानने की कोशिश करेंगे।_*

👰🏻 *_कन्या राशि आज का दिन खुशियां लेकर आयेगा। कारोबार में आ रही दिक्कतें आज एक्सपायर हो जाएंगी यानि जो दिक्कतें टाइम बाउन्ड थीं वो स्वाभाविक रूप से खत्म हो जाएंगी। नवविवाहित लोगों के लिए आज का दिन अच्छा रहने वाला है। परिवार में सभी लोगों का सहयोग मिलाने से अपने कार्यों को पूरा करने में सफल होंगे। सेहत के लिहाज से आज का दिन अच्छा रहेगा।_*

⚖️ *_तुला राशि आज किसी काम को लेकर आपको जल्दबाजी करने से बचना चाहिए। माता-पिता के साथ आपके रिश्ते और बेहतर होंगे। आज आपका पैसा कहीं अटक सकता है, साथ ही बढ़ता खर्च का बोझ आपको थोड़ा परेशान कर सकता है। इस राशि के छात्रों को आज थोड़ा आराम करने, मन को इकट्ठा करने और उसके बाद अभ्यास पर जुटने की जरुरत है।_*

🦂 *_वृश्चिक राशि आज आप अपने डेली रूटीन में बदलाव करेंगे। अर्ली टु बेड एंड अर्ली टु राइज़ के पैटर्न पर आप अपना नया शेड्यूल बनाएंगे। नए शेड्यूल के एकॉर्डिंग कोई जरूरी प्लानिंग भी आज करेंगे| नौकरीपेशा लोगों के लिए आज का दिन बढ़िया रहेगा। पारिवारिक माहौल खुशहाल बना रहेगा। आज आपका मन आध्यात्म की ओर लगा रहेगा।_*

🏹 *_धनु राशि जो जातक वर्क फ्रॉम होम कर रहे है वो आज आपने काम के प्रति बेहद एक्टिव रहेंगे। कई दिनों से रुके काम को पूरा करके, आज आप राहत की सांस लेंगे। जरूरतमंद की मदद के लिए आप हर संभव कोशिश करेंगे। परिवार में आपका पॉजिटिव व्यवहार आच्छे नतीजे जनरेट करेगा। आज आप खुद को तरोताजा महसूस करेंगे। आज धन लाभ के योग बन रहे है।_*

🐊 *_मकर राशि आज आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत रहेगा। आपसी विश्वास के सहारे पारिवारिक रिश्तों में मजबूती आयेगी। इस राशि की महिलाओं को आज के दिन कोई खास खबर मिलेगी। इस राशि के जो लोग राजनीति के क्षेत्र से जुड़े हैं आज उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। आज आपको किसी भी प्रकार के लेन-देन में सावधानी बरतने की आवश्यकता है।_*

⚱️ *_कुंभ राशि आज आप परिवार वालों के साथ सुखद समय बितायेंगे। महिलाओ  के लिए आज का दिन सुखद व्यस्तता से भरा रहने वाला है| छात्रों का मन पढ़ाई में लगेगा, किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करेंगे। साइंस और रिसर्च की फील्ड से जुड़े लोगो को कोई अच्छी खबर मिल सकती है। रुके हुए कार्यों को पूरा करने के लिए आज का दिन है ठीक है।_*

🐬  *_मीन राशि आज आपका उदार भाव लोगों को काफी प्रभावित करेगा। आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। अपने किसी काम में आपको दोस्त की मदद मिलेगी। आज आप रिश्तों की गंभीरता को समझने की कोशिश करेंगे। बच्चों के साथ आप ख़ुशी के पल बितायेंगे। आज आपकी रचनाओं की लोग तारीफ करेंगे। विद्यार्थियों के लिए आज का दिन अच्छा रहने वाला है।_*
         *_। य

Tuesday, May 26, 2020

सहजता को सहेजें, तभी जीवन है।।




*💐जीवन की सहजता खोने न दें*💐

एक बार एक छोटा सा *पारिवारिक* कार्यक्रम चल रहा था।उसमें बहुत लोग *उपस्थित* थे। उस कार्यक्रम में बहुत ही बढ़िया बासमती चावल का पुलाव बन रहा था, सभी का मन *पुलाव* में लगा हुआ था। खाने में देर हो रही थी,भूख भी खूब लग रही थी। आखिर खाने में *पुलाव* परोसा गया, खाना शुरू ही होने वाला था कि *रसोईयें* ने आकर कहा कि पुलाव *सम्हल* कर खाइयेगा क्योंकि शायद उसमें एक आध *कंकड़* रह गया है वह किसी के भी मुँह में आ सकता हैं। मैंने बहुत से *कंकड़* *निकाल* दिए हैं, फिर भी एक आध रह गया होगा तो *दाँत* के नीचे आ सकता हैं। यह सुनकर सभी लोग बहुत *सम्हल* कर *खाना* खाने लगे सभी को लग रहा था कि *कंकड़* उसी के मुँह में आयेगा। यह सोचकर खाने का सारा मजा *किरकिरा* हो गया। और *पुलाव* खाने की जो प्रबल *इच्छा* थी वह भी *थम* गई। सब लोग बिना कुछ बोले, बिना किसी *हंसी मजाक* के भोजन करने लगे। जब सबने *खाना* खा लिया तब उन्होंने *रसोईये* को बुलाया और पूछा कि तुमने ऐसा क्यों कहा था। जबकि कंकड़ तो *भोजन* में था ही नहीं हममें से किसी के भी *मुँह* में नहीं आया । तब *रसोईये* ने कहा कि मैंने अच्छी तरह से *चावल* बिने थे, लेकिन *चावल* में *कंकड़* भी ज्यादा थे इसलिए मुझे लगा शायद *एक* आध रह गया होगा। यह सुनकर सब एक *दूसरे* की तरफ देखने लगे। खाने के बाद किसी को कुछ भी *अच्छा* नहीं लग रहा था सब निराश हो गए थे क्योंकि सभी का ध्यान *कंकड़* में था खाने का *स्वाद* कोई भी नहीं ले पा रहा था इसलिए सब *निराश* हो गए।

यही *परिस्थिति* हमारी आज की हैं। एक *वायरस* को लेकर हम हमारी *आजादी* खो बैठे हैं। हर वस्तु, व्यक्ति, प्राणी पर *शंका* कर रहे हैं। आज तक जो लोग हमारी *आवश्यकताओं* की पूर्ति कर रहे हैं, जैसे *दूध* *वाला, फल वाला, सब्जी वाला,* *पेपर* वाला इन लोगों पर से भी हमारा *विश्वास* उठ गया है, और हम हमारे आज के *सुहाने* दिन खो बैठे हैं। और *शारीरिक* रूप से भी *थकान* महसूस कर रहे हैं। यह सब, कुछ *हद* , तक हमारी *सोच* पर भी *निर्भर* हैं। इस लिए इससे *बाहर* निकलना है
 *वाइरस को नहीं अपने आप को मजबूत करिये ।* *अपने विचारों को सकारात्मक दिशा दीजिये।* ईश्वर की कृपा से सब कुछ जल्दी ही *अच्छा* हो जाएगा। आज के सुंदर *दिन* के लिए *सुंदर* शुरुआत करिये । और अपने आप को *मजबूत* कीजिये । *खाना* खाते समय खाने को पूरी *रूचि* से स्वाद लेकर खाइये।
*सदैव प्रसन्न रहिये!!*
*जो प्राप्त है- पर्याप्त है,,।।
यही जीवन है।।

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ई शादी के मौके पर हुजूर का संदेश





2405-2020

*आज सुबह शादी के अवसर पर ग्रेसियस हुज़ूर जी ने फरमाया*

आज तक सभी शादियां फिजिकल रिएलिटी में होती थी, यह पहला अवसर है कि ये वर्चुअल रिएलिटी मोड़ में हो रही है। यह हमने हाल में इंटरनेशनल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मोड में कॉविड १९ पेंडेमिक की वजह से इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस की थी। जिसके को -  होस्ट अलग अलग संसार के देशों में डटे हुए, तो यहां जो हमारे नेटवर्क से लोगों ने जो कॉन्फ्रेंस का फायदा उठाया  वो १०००० हैं। यूट्यूब को भी परमिट कर दिया गया था। उसकी वजह से ९०००० और लोगों ने इस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया। आप समझ सकते हैं कि करीब १ लाख लोगों ने इसको देखा। इसी मोड में वर्चुअल रिएलिटी जिसे कहते हैं अब ये आपकी पहली शादी हो रही है। आपको गर्व होना चाहिए कि जितने लोग यहां हैं उससे १० गुना और लोग आपकी शादी में शरीक हुए।

*राधास्वामी*

सत्संग के उपदेश भाग-3 बचन - 146





राधास्वामी!!26-05- 2020-
आज शाम के सत्संग में पढ़ा बचन-

कल से आगे -(146)

सवाल सत्संगी का -लोग कहते हैं कि जिसका आदि नहीं है उसका अंत भी नहीं है । इसलिए अगर हमारे सुरतों को आदि कर्म की वजह से संसार में आना पड़ा और वह आदि कर्म अजल( हमेशा) से हमारी सुरतों के साथ था तो उसका कभी खात्मा नहीं हो सकता और इसलिए हमारी हर्गिज हमेशा के लिए मुक्ति नहीं हो सकती।                                                       जवाब- अगर आदिकर्म का लेश किसी सुरत के जिम्मे  सिर्फ इस कदर हो कि कुछ मुद्दत संसार में जन्म मरण का चक्कर भुगते फिर खत्म हो जाए तो लाजमी है कि इस लेश के खत्म होने पर वह सुरत इस संसार से बाहर हो जाए । चुनांचे हरचंद आदिकर्म का लेश बाज सुरतों के साथ अजल  से चला आता है लेकिन उसकी मिकदार या तेजी ऐसी है कि कुछ अर्से  बाद खत्म हो जाती है और उस वक्त उन सुरतों को हमेशा के लिए मोक्ष मिलना लाजमी है।।

                                                  

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻

 सत्संग के उपदेश भाग तीसरा

 राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
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26/05 को शाम के सत्संग में पढ़ा गया पाठ - बचन





**राधास्वामी!!     
                               
 26-05- 2020 -

आज शाम के सत्संग में पढे गये पाठ-                                                 
   (1)  जीव उबारन जग में आए । राधास्वामी दीन दयाला हो ।।टेक।। मगन होय स्रुत धुन रस लेती। पीती प्रेम पियाला हो।।( प्रेमबानी- 3- शब्द 4 ,पृष्ठ संख्या 266)                               
  (2) समझ मोहि आई आज गुरु बात।। टेक।। भाग जगे हुई सुरत सुहागिन । सतगुरु आए मिले मोहि नाथ।।( प्रेमबिलास -शब्द 120- पुष्ट संख्या 176)                                                   
  ( 3)  सत्संग के उपदेश -भाग तीसरा -कल से आगे।                                                   
 🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**


**राधास्वामी!!26-05- 2020-

आज शाम के सत्संग में पढ़ा बचन

- कल से आगे -(146)

 सवाल सत्संगी का -लोग कहते हैं कि जिसका आदि नहीं है उसका अंत भी नहीं है । इसलिए अगर हमारे सुरतों को आदि कर्म की वजह से संसार में आना पड़ा और वह आदि कर्म अजल( हमेशा) से हमारी सुरतों के साथ था तो उसका कभी खात्मा नहीं हो सकता और इसलिए हमारी हर्गिज हमेशा के लिए मुक्ति नहीं हो सकती।                                                   
 जवाब- अगर आदिकर्म का लेश किसी सुरत के जिम्मे  सिर्फ इस कदर हो कि कुछ मुद्दत संसार में जन्म मरण का चक्कर भुगते फिर खत्म हो जाए तो लाजमी है कि इस लेश के खत्म होने पर वह सुरत इस संसार से बाहर हो जाए । चुनांचे हरचंद आदिकर्म का लेश बाज सुरतों के साथ अजल  से चला आता है लेकिन उसकी मिकदार या तेजी ऐसी है कि कुछ अर्से  बाद खत्म हो जाती है और उस वक्त उन सुरतों को हमेशा के लिए मोक्ष मिलना लाजमी है।।                                                   

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻

 सत्संग के उपदेश भाग तीसरा।।**

 राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
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Monday, May 25, 2020

सत्संग के उपदेश भाग-3 बचन - 145 (महत्वपूर्ण)





राधास्वामी!! 25-05-2020-
 आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-                                 
  (1) जीव उबारन जग में आए। राधास्वामी दीन दयाला हो।।टेक।। (प्रेमबानी-3-शब्द-4,पृ.सं.265)                                                                   
 (2) समझ मोहि आई आज गुरू बात।।टेक।। (प्रेमबिलास-शब्द-120- पृ.सं.176)                                                                             
(3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा।                                       
  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

**राधास्वामी!! 24-05 -2020-.
                       

आज शाम के सत्संग पढ़ा गया बचन-

 कल से आगे-( 145)

 दुनिया में बहुत से लोग ऐसे मिलेंगे जो अपने मजहबी फरायज बड़े कायदे से अदा करते हैं यानी उनके अदा करने में कभी नहीं चूकते लेकिन उनकी हर बात से अहंकार की बू आती है। हरचंद उनकी जाहिरी सूरत परहेजगारों की सी होती है लेकिन उनके साथ मोहब्बत करने से तबीयत नफरत खाती है।

वजह यह है कि उनके दिल में प्रेम नहीं होता और वे अपने मजहबी फरायज रोजाना काम के तौर पर अदा करते हैं और चूँकि खुद उन्हें अपनी इस कार्रवाई से कुछ अंतरी आनंद हासिल नहीं होता इसलिए उनका मन इस कमी को अहंकार के जरिए पूरा करने की कोशिश करता है ।

यह लोग अपने अभ्यास, जप, रोजा व नमाज का लोगों से जिक्र करके वाह-वाह कराते हैं और उसे सुनकर खुश होते हैं और यह ख्याल करके ठीक ही लोगों को यह न मालूम हो जाए कि उन्हे अंतर में कुछ प्राप्त नहीं है अपनी भारी शक्ल बनाए रखने के मुतअल्लिक़ खास एहतियात से काम लेते हैं।

जाहिर है कि यह जिंदगी और भजन बंदगी दो कौड़ी की है । याद रखना चाहिए कि परमार्थ में दिल की सच्चाई के बगैर कुछ प्राप्त नहीं होता।

अगर कोई शख्स सच्चे दिल से मालिक की याद बकायदा करें तो उसे जरूर दया व रुहानी तरक्की हासिल होगी । अगर ऐसा शख्स बावजूद सच्ची कोशिश के जब तब अपने मजहबी फरायज की अदायगी से चूक जाय या कभी उसका मन रूखा फीका होकर साधन में ना लगे तो उसे चाहिए कि अपनी भूल चूक व नाकामयाबी को ख्याल में लाकर सच्चे दिल से झुरे व पछतावै। यह झुरना व पछताना उसके लिए अजहद मुफीद होगा। उसके जरिए उसको मामूल से ज्यादा दया हासिल होगी ।।     

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🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻


 सत्संग के उपदेश भाग तीसरा**


**राधास्वामी!! 25-05 -2020-. 
                 
  आज शाम के सत्संग पढ़ा गया बचन- कल से आगे-( 145)  का शेष भाग:-

                                            
 जिक्र है कि अमीर मुआविया, जो अपने मजहब के बडे पक्के थे, हमेशा बकायदा नमाज अदा करते थे लेकिन एक रात वो ऐसे सोये कि सुबह हो गई और नमाज का वक्त गुजरने लगा।

हालते ख्वाब में आपको शैतान ने आकर जगाया और कहग उठो, सुबह हो गई।नमाज का वक्त जा रहा है। अमीर बड़े ताज्जुब में पड़ गए कि यह कैसे मुमकिन है कि शैतान, जिसका काम लोगों को मालिक की याद से हटाना है, उन्हें नमाज के लिए जगावे।

 उन्होंने शैतान से कहा- सच बतला, तू यह काम खिलाफफितरत (स्वभाव के विरुद्ध) क्यों करता है ? उसने जवाब दिया- तुम्हारी मदद करने के लिये।अमीर ने कहा यह नामुमकिन है । तुझसे सिवाय दुश्मनी के और किसी बात की उम्मीद नहीं हो सकती।

आखिर शैतान ने असल वजह बतलाई और कहा कि मैंने तुम्हें इसलिए बेदार किया कि अगर तुम्हारी नमाज कजा हो जाती तो तुम अपने इस कसूर पर इतना रोते की जमीन तर हो जाती और सातों आसमान थर्रा उठते। जिससे तुम पर खुदा की अजहद मेहरबानी होती ।

इसलिए मैंने मुनासिब समझा कि तुम्हें जगा दूँ ताकि तुम हस्बमामूल नमाज पढ़ लो और तुम्हारा  दिल ठंडा रहे और तुम्हे खुदा की मेहरबानी हासिल करने का मौका ना मिले जो नमाज कजा होने पर झुरने व पछताने से मिलती।।         

   🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻         

                   
  सत्संग के उपदेश -भाग तीसरा।**

राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी।।
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मंदिर के भीतर.का रीति-रिवाज.



बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि जब भी किसी मंदिर में दर्शन के लिए जाएं तो दर्शन करने के बाद बाहर आकर मंदिर की पेडी या ऑटले पर थोड़ी देर बैठते हैं । क्या आप जानते हैं इस परंपरा का क्या कारण है?

आजकल तो लोग मंदिर की पैड़ी पर बैठकर अपने घर की व्यापार की राजनीति की चर्चा करते हैं परंतु यह प्राचीन परंपरा एक विशेष उद्देश्य के लिए बनाई गई । वास्तव में मंदिर की पैड़ी पर बैठ कर के हमें एक श्लोक बोलना चाहिए। यह श्लोक आजकल के लोग भूल गए हैं । आप इस लोक को सुनें और आने वाली पीढ़ी को भी इसे बताएं । यह श्लोक इस प्रकार है -

*अनायासेन मरणम् ,बिना देन्येन जीवनम्।*

*देहान्त तव सानिध्यम्, देहि मे परमेश्वरम् ।।*

इस श्लोक का अर्थ है *अनायासेन मरणम्*...... अर्थात बिना तकलीफ के हमारी मृत्यु हो और हम कभी भी बीमार होकर बिस्तर पर पड़े पड़े ,कष्ट उठाकर मृत्यु को प्राप्त ना हो चलते फिरते ही हमारे प्राण निकल जाएं ।

*बिना देन्येन जीवनम्*......... अर्थात परवशता का जीवन ना हो मतलब हमें कभी किसी के सहारे ना पड़े रहना पड़े। जैसे कि लकवा हो जाने पर व्यक्ति दूसरे पर आश्रित हो जाता है वैसे परवश या बेबस ना हो । ठाकुर जी की कृपा से बिना भीख के ही जीवन बसर हो सके ।

*देहांते तव सानिध्यम* ........अर्थात जब भी मृत्यु हो तब भगवान के सम्मुख हो। जैसे भीष्म पितामह की मृत्यु के समय स्वयं ठाकुर जी उनके सम्मुख जाकर खड़े हो गए। उनके दर्शन करते हुए प्राण निकले ।

*देहि में परमेशवरम्*..... हे परमेश्वर ऐसा वरदान हमें देना ।

यह प्रार्थना करें गाड़ी ,लाडी ,लड़का ,लड़की, पति, पत्नी ,घर धन यह नहीं मांगना है यह तो भगवान आप की पात्रता के हिसाब से खुद आपको देते हैं । इसीलिए दर्शन करने के बाद बैठकर यह प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए ।
यह प्रार्थना है, याचना नहीं है । याचना सांसारिक पदार्थों के लिए होती है जैसे कि घर, व्यापार, नौकरी ,पुत्र ,पुत्री ,सांसारिक सुख, धन या अन्य बातों के लिए जो मांग की जाती है वह याचना है वह भीख है।

हम प्रार्थना करते हैं प्रार्थना का विशेष अर्थ होता है अर्थात विशिष्ट, श्रेष्ठ । अर्थना अर्थात निवेदन। ठाकुर जी से प्रार्थना करें और प्रार्थना क्या करना है ,यह श्लोक बोलना है।

*सब_से_जरूरी_बात*
जब हम मंदिर में दर्शन करने जाते हैं तो खुली आंखों से भगवान को देखना चाहिए, निहारना चाहिए । उनके दर्शन करना चाहिए। कुछ लोग वहां आंखें बंद करके खड़े रहते हैं । आंखें बंद क्यों करना हम तो दर्शन करने आए हैं । भगवान के स्वरूप का, श्री चरणों का ,मुखारविंद का, श्रंगार का, संपूर्णानंद लें । आंखों में भर ले स्वरूप को । दर्शन करें और दर्शन के बाद जब बाहर आकर बैठे तब नेत्र बंद करके जो दर्शन किए हैं उस स्वरूप का ध्यान करें । मंदिर में नेत्र नहीं बंद करना । बाहर आने के बाद पैड़ी पर बैठकर जब ठाकुर जी का ध्यान करें तब नेत्र बंद करें और अगर ठाकुर जी का स्वरूप ध्यान में नहीं आए तो दोबारा मंदिर में जाएं और भगवान का दर्शन करें । नेत्रों को बंद करने के पश्चात उपरोक्त श्लोक का पाठ करें।

यहीं शास्त्र हैं यहीं बड़े बुजुर्गो का कहना हैं !मंदिर के भीतर 

Sunday, May 24, 2020

भक्ति के मार्ग में अहंकार





**राधास्वामी!!

24-05 -2020-.       

           
 आज शाम के सत्संग पढ़ा गया बचन- कल से आगे-( 145)  दुनिया में बहुत से लोग ऐसे मिलेंगे जो अपने मजहबी फरायज बड़े कायदे से अदा करते हैं यानी उनके अदा करने में कभी नहीं चूकते लेकिन उनकी हर बात से अहंकार की बू आती है। हरचंद उनकी जाहिरी सूरत परहेजगारों की सी होती है लेकिन उनके साथ मोहब्बत करने से तबीयत नफरत खाती है। वजह यह है कि उनके दिल में प्रेम नहीं होता और वे अपने मजहबी फरायज रोजाना काम के तौर पर अदा करते हैं और चूँकि खुद उन्हें अपनी इस कार्रवाई से कुछ अंतरी आनंद हासिल नहीं होता इसलिए उनका मन इस कमी को अहंकार के जरिए पूरा करने की कोशिश करता है । यह लोग अपने अभ्यास, जप, रोजा व नमाज का लोगों से जिक्र करके वाह-वाह कराते हैं और उसे सुनकर खुश होते हैं और यह ख्याल करके ठीक ही लोगों को यह न मालूम हो जाए कि उन्हे अंतर में कुछ प्राप्त नहीं है अपनी भारी शक्ल बनाए रखने के मुतअल्लिक़ खास एहतियात से काम लेते हैं। जाहिर है कि यह जिंदगी और भजन बंदगी दो कौड़ी की है । याद रखना चाहिए कि परमार्थ में दिल की सच्चाई के बगैर कुछ प्राप्त नहीं होता। अगर कोई शख्स सच्चे दिल से मालिक की याद बकायदा करें तो उसे जरूर दया व रुहानी तरक्की हासिल होगी । अगर ऐसा शख्स बावजूद सच्ची कोशिश के जब तब अपने मजहबी फरायज की अदायगी से चूक जाय या कभी उसका मन रूखा फीका होकर साधन में ना लगे तो उसे चाहिए कि अपनी भूल चूक व नाकामयाबी को ख्याल में लाकर सच्चे दिल से झुरे व पछतावे। यह झुरना व पछताना उसके लिए अजहद मुफीद होगा। उसके जरिए उसको मामूल से ज्यादा दया हासिल होगी ।।                                                         

 🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻

सत्संग के उपदेश भाग तीसरा।।*

राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी
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विभिन्न प्रसंग सत्संग वचन उपदेश





**परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र -भाग-1-


 कल से आगे (2)

ऐसे जीवो का हिसाब अलग है , यानी उनके वास्ते जो कुछ होता है और उनसे जो कुछ की बनता है वह सब कुल मालिक राधास्वामी दयाल की मौज से होता है। वह  तो सच्ची शरण में आकर बाल समान अपने सच्चे माता पिता राधास्वामी दयाल के आसरे और उनकी दया के भरोसे पर जीते हैं और सब अपने कारोबार और कुटुंब परिवार को उनकी मौज के आहरे रखते हैं, यानी जैसे वे रक्खे उसी में राजी रहते हैं ।

और दुनिया के दस्तूर के मुआफिक थोड़ा बहुत जतन भी दुनिया के कामों में करते हैं, पर उसमें राधास्वामी दयाल की मौज को अपनी चाह और जरूरत पर सबसे बढ़कर रखते हैं और कभी मौज से नाराज नहीं होते है।।         

(3) ऐसे जीव पुरुषार्थ का कुछ भरोसा नहीं रखते , सिर्फ अपने मालिक के हुकुम और मौज को सब कामों में मानते हैं और समझते हैं कि जो कुछ उनके और उनके कुटुम्ब और परिवार के वास्ते होता है वह राधास्वामी दयाल माता औऋ पिता के हुकुम से होता है और मां बाप अपने बच्चों के वास्ते कभी कोई बात तकलीफ या नुकसान कि नहीं करेंगे ।इस वास्ते जब कोई बात जाहिर में नुकसान या तकलीफ की पैदा होवे, तो उसमें भी मौज और अपना असली नफा और फायदा समझते हैं , जैसे कि जब बालक को फोड़ा निकलता है तो माता बालक को अपनी गोद में लेकर डॉक्टर से चिरा दिलवाती है ।

उस वक्त जाहिर में यह काम दुखदाई मालूम होता है, पर फायदा उसका थोड़े अरसे में जाहिर होगा कि फोड़े का दर्द दूर हो जाएगा और जल्द उसको आराम होवेगा।

क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**




**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज
 -सत्संग के उपदेश- भाग 2

 -कल से आगे :- 


    यह लोग भी एक मानी में दौलत पैदा करने वाले ही हैं क्योंकि बिला इनकी सहायता के पहली किस्म के आदमी दौलत पैदा करने में लाचार रहते हैं।

 इन दो के अलावा एक तीसरी किस्म के लोग हैं, जिनकी मौजूदगी हर मुल्क के अंदर निहायत है लाजिमी है और जिनसे दौलत पैदा करने वालों को बहुत कुछ फायदा पहुंचता है। ये तिजारतपेशा है, जो एक जगह की चीजें दूसरी जगह भेज कर जिसं पैदा करने वालों के लिए बाजार या मांग पैदा करते हैं।

अगर तिजारतपेशा न हो तो कच्ची चीजें पैदा करने वालों के लिए जीना निहायत दुश्वार हो जाय व नीज तैयारशुदा चीजों की कुछ कीमत ना रहे। इनके अलावा हकीम, डॉक्टर, वैद्य, मुलाजिमाने फौज व पुलिस वगैरह है जो आवाम की जान व  माल की हिफाजत करके अपने तई मुल्क के लिए मुफीद व कारआमद बनाते हैं।

देखने में आता है कि इन सब पेशों में जिस कदर आदमी लगे हैं ज्यादातर औसत दर्जे की जिंदगी बसर करने वाले है और इनमें थोड़े ही खुशहाल या अमीर है और दौलत ज्यादातर उन लोगों के कब्जे में रहती है जो बड़े-बड़े सौदागर है या दूसरों की कमाई हुई दौलत की हेराफेरी करते हैं या जिनके हाथों से दूसरों की दौलत या जायदाद का इंतजाम होता है और जिनको कानून ने यह मौका दिया है कि जिंसों के भाव में और दौलत व जायदाद के कब्जे में इच्छानुसार तब्दिलिया करा सकें।

क्रमशः

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**




**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज

- रोजाना वाक्यात-

4 अक्टूबर 1932 -मंगलवार:-                       

सुबह सैर का सारा वक्त नए मकानात के लिए मौको की तलाश में खर्च हुआ। दया से काफी जगह मनचाही मिल गई। हम चाहते हैं कि हरचंद दयालबाग गरीबी की बस्ती है लेकिन खुली हवा और खुली रोशनी से कोई शख्स वंचित ना रखा जावे।

इसलिए यही कोशिश है कि जगह जगह खुली हवा आने के लिए खुले मैदान रखे जावे। आज 47 मकानों के लिए बुनियादें खोदनी शुरू हो गई।।                     

दो पहर के वक्त इंटरव्यू में दो सत्संगी सुपुत्रियों ने दयालबाग के लिए अपनी सेवाएं पेश की। इन दिनों यह फोर्थ ईयर क्लास में पढ़ती है। अगले साल ग्रेजुएट हो जाएगी। मैंने शुक्रिया अदा किया और कहा इंतिहान में पास होने के बाद दरख्वास्तें दें मुनासिब गौर किया जाएगा।

हम लोगों ने अपनी संगत के अंदर जागृति पैदा करने के लिए बेहद जो लगाया है । यह जानने के लिए कि हमें अपने कोशिश में किस कदर कामयाबी हासिल हुई है सबसे अच्छा तरीका यही है कि आयंदा नस्ल के दिलों और होसंलो का इमंतहान करें।

अब तक लड़कों ने तो अपनी खिदमात पेश की थी लेकिन आज पहला दिन है कि लड़कियों ने खिदमात पेश की। राधास्वामी दयाल इन बच्चों को सेवा करने की योग्यता इनायत फरमावें।

रियासत फरीदकोट से बारस सतसंगियों ने खत भेजा है जिसमें लिखा है कि" वह सख्त तकलीफ म़ें है। उनके यहां न कोई है न मजदूरी । अगर दयालबाग में कोई काम मिल जाए तो पेट भर जाए तो पेट भरने कि फिक्र छूट जाये।"

 अभी क्या है ? आयंदाक्षदेखिए यहां के लोगों के सर पर क्या गुजरती है।  जो कौमें खुद  अपनी फिक्र नही करती वह इसी तरह दुख पाया करती है। खत के जवाब में तहरीर किया गया है कि फिलहाल दो आदमी दयालबाग आकर यहां के कामकाज का हाल देंखे। अगर उन्हे यहाँ का  तरीका पसंद आवे और यहाँ के नियमों की पाबंदी कर सकें तो बकिया  लोगों को भी बुला सकते हैं । 

            

रात के सत्संग में मिलकर रहने और मिलकर सेवा करने के फायदो की निस्बत बातचीत हुई।

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**



**परम गुरु हुजूर महाराज-

प्रेम पत्र -भाग-1-

कल से आगे -(2)

ऐसे जीवो का हिसाब अलग है , यानी उनके वास्ते जो कुछ होता है और उनसे जो कुछ की बनता है वह सब कुल मालिक राधास्वामी दयाल की मौज से होता है।  वह  तो सच्ची शरण में आकर बाल समान अपने सच्चे माता पिता राधास्वामी दयाल के आसरे और उनकी दया के भरोसे पर जीते हैं और सब अपने कारोबार और कुटुंब परिवार को उनकी मौज के आहरे रखते हैं, यानी जैसे वे रक्खे उसी में राजी रहते हैं । और दुनिया के दस्तूर के मुआफिक थोड़ा बहुत जतन भी दुनिया के कामों में करते हैं, पर उसमें राधास्वामी दयाल की मौज को अपनी चाह और जरूरत पर सबसे बढ़कर रखते हैं और कभी मौज से नाराज नहीं होते है।।            (3) ऐसे जीव पुरुषार्थ का कुछ भरोसा नहीं रखते , सिर्फ अपने मालिक के हुकुम और मौज को सब कामों में मानते हैं और समझते हैं कि जो कुछ उनके और उनके कुटुम्ब और परिवार के वास्ते होता है वह राधास्वामी दयाल माता औऋ पिता के हुकुम से होता है और मां बाप अपने बच्चों के वास्ते कभी कोई बात तकलीफ या नुकसान कि नहीं करेंगे ।इस वास्ते जब कोई बात जाहिर में नुकसान या तकलीफ की पैदा होवे, तो उसमें भी मौज और अपना असली नफा और फायदा समझते हैं , जैसे कि जब बालक को फोड़ा निकलता है तो माता बालक को अपनी गोद में लेकर डॉक्टर से चिरा दिलवाती है । उस वक्त जाहिर में यह काम दुखदाई मालूम होता है, पर फायदा उसका थोड़े अरसे में जाहिर होगा कि फोड़े का दर्द दूर हो जाएगा और जल्द उसको आराम होवेगा। क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
[25/05, 05:43] +91 97176 60451: **परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज- रोजाना वाक्यात- 4 अक्टूबर 1932 -मंगलवार:-                       

सुबह सैर का सारा वक्त नए मकानात के लिए मौको की तलाश में खर्च हुआ। दया से काफी जगह मनचाही मिल गई। हम चाहते हैं कि हरचंद दयालबाग गरीबी की बस्ती है लेकिन खुली हवा और खुली रोशनी से कोई शख्स वंचित ना रखा जावे। इसलिए यही कोशिश है कि जगह जगह खुली हवा आने के लिए खुले मैदान रखे जावे। आज 47 मकानों के लिए बुनियादें खोदनी शुरू हो गई।। 

                   सेह पहर के वक्त इंटरव्यू में दो सत्संगी सुपुत्रियों ने दयालबाग के लिए अपनी सेवाएं पेश की। इन दिनों यह फोर्थ ईयर क्लास में पढ़ती है। अगले साल ग्रेजुएट हो जाएगी। मैंने शुक्रिया अदा किया और कहा इंतिहान में पास होने के बाद दरख्वास्तें दें मुनासिब गौर किया जाएगा। हम लोगों ने अपनी संगत के अंदर जागृति पैदा करने के लिए बेहद जो लगाया है । यह जानने के लिए कि हमें अपने कोशिश में किस कदर कामयाबी हासिल हुई है सबसे अच्छा तरीका यही है कि आयंदा नस्ल के दिलों और होसंलो का इमंतहान करें। अब तक लड़कों ने तो अपनी खिदमात पेश की थी लेकिन आज पहला दिन है कि लड़कियों ने खिदमात पेश की। राधास्वामी दयाल इन बच्चों को सेवा करने की योग्यता इनायत फरमावें। रियासत फरीदकोट से बारस सतसंगियों ने खत भेजा है जिसमें लिखा है कि" वह सख्त तकलीफ म़ें है। उनके यहां न कोई है न मजदूरी । अगर दयालबाग में कोई काम मिल जाए तो पेट भर जाए तो पेट भरने कि फिक्र छूट जाये।"  अभी क्या है ? आयंदाक्षदेखिए यहां के लोगों के सर पर क्या गुजरती है।  जो कौमें खुद  अपनी फिक्र नही करती वह इसी तरह दुख पाया करती है। खत के जवाब में तहरीर किया गया है कि फिलहाल दो आदमी दयालबाग आकर यहां के कामकाज का हाल देंखे। अगर उन्हे यहाँ का  तरीका पसंद आवे और यहाँ के नियमों की पाबंदी कर सकें तो बकिया  लोगों को भी बुला सकते हैं ।                 रात के सत्संग में मिलकर रहने और मिलकर सेवा करने के फायदो की निस्बत बातचीत हुई।🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
[25/05, 05:43] +91 97176 60451: **परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज -सत्संग के उपदेश- भाग 2 -कल से आगे :-         यह लोग भी एक मानी में दौलत पैदा करने वाले ही हैं क्योंकि बिला इनकी सहायता के पहली किस्म के आदमी दौलत पैदा करने में लाचार रहते हैं। इन दो के अलावा एक तीसरी किस्म के लोग हैं, जिनकी मौजूदगी हर मुल्क के अंदर निहायत है लाजिमी है और जिनसे दौलत पैदा करने वालों को बहुत कुछ फायदा पहुंचता है। ये तिजारतपेशा है, जो एक जगह की चीजें दूसरी जगह भेज कर जिसं पैदा करने वालों के लिए बाजार या मांग पैदा करते हैं। अगर तिजारतपेशा न हो तो कच्ची चीजें पैदा करने वालों के लिए जीना निहायत दुश्वार हो जाय व नीज तैयारशुदा चीजों की कुछ कीमत ना रहे। इनके अलावा हकीम, डॉक्टर, वैद्य, मुलाजिमाने फौज व पुलिस वगैरह है जो आवाम की जान व  माल की हिफाजत करके अपने तई मुल्क के लिए मुफीद व कारआमद बनाते हैं। देखने में आता है कि इन सब पेशों में जिस कदर आदमी लगे हैं ज्यादातर औसत दर्जे की जिंदगी बसर करने वाले है और इनमें थोड़े ही खुशहाल या अमीर है और दौलत ज्यादातर उन लोगों के कब्जे में रहती है जो बड़े-बड़े सौदागर है या दूसरों की कमाई हुई दौलत की हेराफेरी करते हैं या जिनके हाथों से दूसरों की दौलत या जायदाद का इंतजाम होता है और जिनको कानून ने यह मौका दिया है कि जिंसों के भाव में और दौलत व जायदाद के कब्जे में इच्छानुसार तब्दिलिया करा सकें।

क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**

राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी
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झूरनेऔर पछताने से मालिक की दया मिलती है




**राधास्वामी!! 24-05 -2020-. 

                    

आज शाम के सत्संग पढ़ा गया बचन-

कल से आगे-( 145)

दुनिया में बहुत से लोग ऐसे मिलेंगे जो अपने मजहबी फरायज बड़े कायदे से अदा करते हैं यानी उनके अदा करने में कभी नहीं चूकते लेकिन उनकी हर बात से अहंकार की बू आती है। हरचंद उनकी जाहिरी सूरत परहेजगारों की सी होती है लेकिन उनके साथ मोहब्बत करने से तबीयत नफरत खाती है। वजह यह है कि उनके दिल में प्रेम नहीं होता और वे अपने मजहबी फरायज रोजाना काम के तौर पर अदा करते हैं और चूँकि खुद उन्हें अपनी इस कार्रवाई से कुछ अंतरी आनंद हासिल नहीं होता इसलिए उनका मन इस कमी को अहंकार के जरिए पूरा करने की कोशिश करता है । यह लोग अपने अभ्यास, जप, रोजा व नमाज का लोगों से जिक्र करके वाह-वाह कराते हैं और उसे सुनकर खुश होते हैं और यह ख्याल करके ठीक ही लोगों को यह न मालूम हो जाए कि उन्हे अंतर में कुछ प्राप्त नहीं है अपनी भारी शक्ल बनाए रखने के मुतअल्लिक़ खास एहतियात से काम लेते हैं।
जाहिर है कि यह जिंदगी और भजन बंदगी दो कौड़ी की है । याद रखना चाहिए कि परमार्थ में दिल की सच्चाई के बगैर कुछ प्राप्त नहीं होता। अगर कोई शख्स सच्चे दिल से मालिक की याद बकायदा करें तो उसे जरूर दया व रुहानी तरक्की हासिल होगी ।

अगर ऐसा शख्स बावजूद सच्ची कोशिश के जब तब अपने मजहबी फरायज की अदायगी से चूक जाय या कभी उसका मन रूखा फीका होकर साधन में ना लगे तो उसे चाहिए कि अपनी भूल चूक व नाकामयाबी को ख्याल में लाकर सच्चे दिल से झुरे व पछतावे। यह झुरना व पछताना उसके लिए अजहद मुफीद होगा। उसके जरिए उसको मामूल से ज्यादा दया हासिल होगी ।।                                                             🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻 सत्संग के उपदेश भाग तीसरा।।*


राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी

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24/05 को सुबह और शाम का सत्संग पाठ और बचन





 राधास्वामी!! 24-05-2020-

आज सुबह के सतसंग में पढे गये पाठ-


(1) सुरतिया बिगस रही, हर दम गुरू सेवा धार।।टेक।। (प्रेमबिलास-शब्द-86,पृ.सं.122)                      (2) सुन री सखी मेरे प्यारे राधास्वामी। मोही प्यार से गोद बिठाय रहे री।।टेक।। (प्रेमबानी-4-शब्द-4,पृ.सं.32) नोट -दोनो पाठ विद्यार्थियों द्वारा गाये गये।।         
                    सतसंग के बाद पाठ:- (1) धन धन राधास्वामी गाय रहूँगी। जग में शोर मचाय रहूँगी।। गुरु गुरु नाम पुकार रहूँगी।।टेक।। (प्रेमबानी-4-शब्द-20,पृ.सं.157)                                                                             

  (2) हे दयाल सद् कृपाल हम जीवन आधारे। सप्रेम प्रीति और भक्ति रीति बन्दे चरन तुम्हारे।। दीन अजान इक चहें दान दीजे दया बिचारे। कृपा दृष्टि निज मेहर बृष्टि सब करो पियारे।। (प्रेमबिलास-शब्द-114-पृ.सं.171)                                                                               

(3) तमन्ना यही है कि जब तक जिऊँ। चलू या फिरू या कि मेहनत करूँ।। पढू या लिखू मुहँ से बोलूँ कलाम । न बन आये मुझसे कोई ऐसा काम।।जो मर्जी तेरी के मुवफिक न हो। रजा के तेरी कुछ मुखालिफ जो हो।। नोट:-दोनो पाठ सतं सू द्वारा पढे गये।         
           

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻*




**राधास्वामी!! 24-05-2020

- आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-   

                             

(1) प्रेम भक्ति गुरू धार हिये में, आया सेवक प्यारा हो।।टेक।। (प्रेमबानी-3-शब्द-3,पृ.सं. 265)                                                           

 (2) हित की बात खोल कहूँ प्यारे गुरु पूरे का खोज लगाना।।टेक।। संत बचध पर जो है निश्चय गुरु पूरे का खोज लगाना।।(प्रेमबिलास-शब्द-116,पृ.सं. 175)                                                                           

(3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा-

कल से आगे-     

   🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

**राधास्वामी!! 24-05 -2020-.     

              

 आज शाम के सत्संग पढ़ा गया बचन-

 कल से आगे

-( 145)

दुनिया में बहुत से लोग ऐसे मिलेंगे जो अपने मजहबी फरायज बड़े कायदे से अदा करते हैं यानी उनके अदा करने में कभी नहीं चूकते लेकिन उनकी हर बात से अहंकार की बू आती है।

हरचंद उनकी जाहिरी सूरत परहेजगारों की सी होती है लेकिन उनके साथ मोहब्बत करने से तबीयत नफरत खाती है। वजह यह है कि उनके दिल में प्रेम नहीं होता और वे अपने मजहबी फरायज रोजाना काम के तौर पर अदा करते हैं और चूँकि खुद उन्हें अपनी इस कार्रवाई से कुछ अंतरी आनंद हासिल नहीं होता इसलिए उनका मन इस कमी को अहंकार के जरिए पूरा करने की कोशिश करता है ।

यह लोग अपने अभ्यास, जप, रोजा व नमाज का लोगों से जिक्र करके वाह-वाह कराते हैं और उसे सुनकर खुश होते हैं और यह ख्याल करके ठीक ही लोगों को यह न मालूम हो जाए कि उन्हे अंतर में कुछ प्राप्त नहीं है अपनी भारी शक्ल बनाए रखने के मुतअल्लिक़ खास एहतियात से काम लेते हैं।


जाहिर है कि यह जिंदगी और भजन बंदगी दो कौड़ी की है । याद रखना चाहिए कि परमार्थ में दिल की सच्चाई के बगैर कुछ प्राप्त नहीं होता। अगर कोई शख्स सच्चे दिल से मालिक की याद बकायदा करें तो उसे जरूर दया व रुहानी तरक्की हासिल होगी ।

अगर ऐसा शख्स बावजूद सच्ची कोशिश के जब तब अपने मजहबी फरायज की अदायगी से चूक जाय या कभी उसका मन रूखा फीका होकर साधन में ना लगे तो उसे चाहिए कि अपनी भूल चूक व नाकामयाबी को ख्याल में लाकर सच्चे दिल से झुरे व पछतावै। यह झुरना व पछताना उसके लिए अजहद मुफीद होगा। उसके जरिए उसको मामूल से ज्यादा दया हासिल होगी ।।   
                                                        🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻

सत्संग के उपदेश भाग तीसरा।।**

राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी
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परम गुरू हुजूर महाराज साहब जी के प्रेम पत्र





**परम गुरु हुजूर महाराज-

 प्रेम पत्र- भाग 1- कल का शेष-( 8 )

जो इस तरह अपनी हालत की परख करने से मालूम पड़े कि संसार और संसारियों की तरफ से तबीयत किसी कदर दिन दिन हटती जाती है और अंतर अभ्यास में और सत्संग और पानी के पाठ में ज्यादा लगती जाती है और इधर का रस ज्यादा आनंद देता है और संसार के भोग दिन दिन किसी कदर फीके लगते मालूम होते हैं, तो यही सबूत इस बात का है कि अंतर का रस भारी और पायदार है और बाहर का भोगों का रस हल्का और फीका और नाशवान् है ।

फिर मुनासिब है कि जिस कदर बने इसी अभ्यास को आहिसता आहिसता बढ़ाता जावे और संसार की मोहब्बत आहिस्ता  आहिस्ता कम करता जावे, तो रफ्ता रफ्ता एक दिन काम दुरुस्त बन जावेगा और इसी अभ्यास से एक दिन सच्ची मुक्ति और परम आनंद प्राप्त हो जावेग ।।             

  (9) मालूम होवे कि ऊपर जो कुछ लिखा है यह सच्चे अभ्यासी का हाल है, यानी जिसके दिल में निर्मल चाह सच्चे मालिक के मिलने और अपने जीव का कल्याण करने की है और कोई दूसरी इच्छा शक्ति सिद्धि शक्ति की या मान बड़ाई हासिल करने की नहीं है ।

और संसार के भोगों की फजूल चाह जिसने सचौटी के साथ दूर करी है यह काम करता जाता है, उसी की हालत अभ्यास करके आहिस्ता आहिस्ता सहायता बदलती जावेगी और बुरे कामों से नफरत और नेक कामों से रग्बत होती जाएगी और उसको अभ्यास की हालत में यह भी मालूम हो जाएगा कि इसी जुगत की कमाई से तन मन और इंद्रियों से न्यारा होना मुमकिन है।

और फिर वही जीव संतो के वचन की परीक्षा अपने अंतर में बखूबी करता जाने का और दिन दिन राधास्वामी दयाल की दया से प्रीति और प्रतीति उनके चरणों में बढ़ाकर 1 दिन अपना काम पूरा बना लेवेगा।

और जो कोई अपने मन में और इंद्रियों  में आसक्त है और संसार के पदार्थों की कदर जोर की है और संसार के और उसको दूर या कम नहीं कर सकते, उनकी हालत जल्द नहीं बदलेगी । पर जो सत्संग और अभ्यास करते रहेंगे तो अव्वल उनके अंतर में सफाई और फिर आए आहिस्ता आहिस्ता चढ़ाई होती जाएगी और फिर हालत भी बदलती जावेगी।

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**


राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी
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परम गुरू हुजूर साहबजी महाराज / रोजानावाकियात




परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज -रोजाना वाकियात- 3 अक्टूबर 1932- सोमवार:-      छुट्टी का दिन है लेकिन बचा हुआ काम ज्यादा था इसलिए सुबह 10:30 बजे तक काम किया। सत्संग के उपदेश भाग तीसरा छट कर तैयार हो गया। आज टाइटल पेज पास किया गया।  दो नये क्लॉक तैयार होकर पूरे पेश हुए।  अभी कुछ कसर है। वैसे काम देते हैं लेकिन पास करने के काबिल नहीं है। वजह यह है कि हिंदुस्तान पर ढूंढ मारा कहीं से बढ़िया स्प्रिंग प्राप्त नहीं हुए। मजबूरन  बाहर आर्डर भेजा गया। कोलकाता से खरीद कर बढ़िया से बढ़िया स्प्रिंग इस्तेमाल किए हैं लेकिन उनमें दम नहीं है। आठ-दस दिन के अंदर यूरोप से स्प्रिंग आ जाएंगे और सब कसर दूर हो जाएगी।                                         रात के सत्संग में सच्ची भक्ति के मुताल्लिकक भक्ति करना बड़ा कठिन है। बिला आपा तजे भक्ति करना बडा कठिन है।बिला आपा तजे भक्ती बन ही नहीं सकती और कोई अपना आपा क्यों तजे?   हिंदुस्तान में जो पॉलिटिकल लहर चल रही है उसका नतीजा यह हो रहा है कि हर शख्स किसी न किसी किस्म की कशमकश में लगा है।  म्युनिसिपल बोर्ड की मेंम्बरी, डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के मेंबरी,इन बोर्डो की सब कमेटियों की मेंबरी , प्रोविंशियल काउंसिलो की मेंबरी, लेजिस्लेटिव असेंबली की मेंबरी गर्जकि बीसों घुड़दौड़ के मैदान है । फिर सत्संगी आपा तजने के लिए क्यों आसानी से रजामंद हो ? सतसंगीयो को मशवरा दिया जाता है कि अगर वह अपने को जेर डालकर राधास्वामी दयाल की हिदायत पर अमल करेंगे तो एक दिन आएगा कि दुनिया उनकी कुर्बानियों के दाद देगी और सत्संग के नक्शे पद चिन्हों पर चलना गर्व का कारण समझेगी । गौर का मुकाम है कि यह कभी नहीं होता कि किसी जगह सब के सब आदमी एकदम बीमार हो जाए , या मर जाए, या भूखे रहने के लिए मजबूर हो । आबादी का कोई ना कोउ  हिस्सा बकिया लोगों से बेहतर हालात में रहता है । और संसार चक्र का यह हिसाब है कि कभी कोई जमात दबी जा रही है कभी कोई।इसलिये अक्लमंदी इसी में है कि सब जमाअते मिलकर जिंदगी बसर करें। जिस जमाअत के दबे जाने की बारी को दूसरे लोग उसकी इमदाद करें। इस तरह मुल्क भर का सृष्टि नियमों से नमूदार होने वाले दुखों से बहुत कुछ बचाव  हो सकता है लेकिन सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व और हिंदुस्तानियों के लिए मिलकर काम करना लगभग नामुमकिन बना दिया है और अगर मूल्क के अंदर वातावरण ना बदला तो मिलकर काम करना कतई नामुमकिन हो जावेगा । सत्संगी भाइयों को सत्संग के सिद्धांतों की उस दिन खूब कद्र आवेगी।                                          🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

प्रेम-पत्र भाग-1




**परम गुरु हुजूर महाराज-

प्रेम पत्र- भाग 1- कल का शेष-

( 8 )

जो इस तरह अपनी हालत की परख करने से मालूम पड़े कि संसार और संसारियों की तरफ से तबीयत किसी कदर दिन दिन हटती जाती है और अंतर अभ्यास में और सत्संग और पानी के पाठ में ज्यादा लगती जाती है और इधर का रस ज्यादा आनंद देता है और संसार के भोग दिन दिन किसी कदर फीके लगते मालूम होते हैं, तो यही सबूत इस बात का है कि अंतर का रस भारी और पायदार है और बाहर का भोगों का रस हल्का और फीका और नाशवान् है । फिर मुनासिब है कि जिस कदर बने इसी अभ्यास को आहिसता आहिसता बढ़ाता जावे और संसार की मोहब्बत आहिस्ता  आहिस्ता कम करता जावे, तो रफ्ता रफ्ता एक दिन काम दुरुस्त बन जावेगा और इसी अभ्यास से 1 दिन सच्ची मुक्ति और परम आनंद प्राप्त हो जावेग ।।             

 (9) मालूम होवे कि ऊपर जो कुछ लिखा है यह सच्चे अभ्यासी का हाल है, यानी जिसके दिल में निर्मल चाह सच्चे मालिक के मिलने और अपने जीव का कल्याण करने की है और कोई दूसरी इच्छा शक्ति सिद्धि शक्ति की या मान बड़ाई हासिल करने की नहीं है । और संसार के भोगों की फजूल चाह जिसने सचौटी के साथ दूर करी है यह काम करता जाता है, उसी की हालत अभ्यास करके आहिस्ता आहिस्ता सहायता बदलती जावेगी और बुरे कामों से नफरत और नेक कामों से रग्बत होती जाएगी और उसको अभ्यास की हालत में यह भी मालूम हो जाएगा कि इसी जुगत की कमाई से तन मन और इंद्रियों से न्यारा होना मुमकिन है। और फिर वही जीव संतो के वचन की परीक्षा अपने अंतर में बखूबी करता जाने का और दिन दिन राधास्वामी दयाल की दया से प्रीति और प्रतीति उनके चरणों में बढ़ाकर 1 दिन अपना काम पूरा बना लेवेगा।और जो कोई अपने मन में और इंद्रियों  में आसक्त है और संसार के पदार्थों की कदर जोर की है और संसार के और उसको दूर या कम नहीं कर सकते, उनकी हालत जल्द नहीं बदलेगी । पर जो सत्संग और अभ्यास करते रहेंगे तो अव्वल उनके अंतर में सफाई और फिर आए आहिस्ता आहिस्ता चढ़ाई होती जाएगी और फिर हालत भी बदलती जावेगी।🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**

राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी
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मेरी पहली विदेश यात्रा भाग-2 / त्रिलोकदीप




उन दिनों विदेशी मुद्रा1के लिए रिज़र्व।बैंक का परमिट ज़रूरी होता था। वैसे विदेश जाने वाले सैलानी को 8 डॉलर या 3 पाउंड ही मिला करते थे। पश्चिम जर्मनी की मेरी यह यात्रा 16 फरवरी से  1 मार्च, 1975 तक थी। उसके बाद मुझे लंदन औऱ रोम जाना था जिस का प्रबंध मेरी जर्मनी वाली टिकट में ही कर दिया गया। लंदन में उस समय टाइम्स ऑफ इंडिया के विशेष संवाददाता जे.डी. सिंह थे, उन्हें मैंने अपने लंदन आने की खबर दे दी थी। पश्चिम जर्मनी देखने का मन में बहुत उत्साह था। 1945 में दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हुआ था। लेकिन सितंबर 1949 को ही मित्र देशों अमेरिका,।ब्रिटेन और फ्रांस से खुदमुख्तारी प्राप्त हुई थी। उसकी पुरानी राजधानी बर्लिन पर मित्र देशों का अधिकार था। लिहाज़ा उसने बोन में अपनी नई राजधानी बनाने का1फैसला किया और वहां के लोग दिलोजान से देश के पुनर्निर्माण के काम में जुट गये। इसी प्रकार ध्वस्त हुए दूसरे शहरों के पुर्ननिर्माण का काम पूरी रफ्तार पर था। मन में यह देखने की ललक थी कि किस तरह से तीस साल के भीतर न केवल अपने देश को जर्मनी ने नई राजधानी सहित  देश को  अपने पैरों पर खड़ा कर दिया बल्कि आर्थिक तौर पर भी वह बहुत मजबूत ही गया है।  जब मैं फ़्रंकफ़र्ट एयरपोर्ट पर उतरा तो उसे देखकर गजब का रोमांच महसूस हुआ। न केवल वह बहुत ही आधुनिक हवाई अड्डा था बल्कि उस दौर का सबसे बड़ा।  ऐसा लग कि वास्तव में यह1शहर जर्मनी की धड़कन ह। ऊंची गगनचुंबी इमारतें, दुनिया भर के बैंक, रेलों से जुड़ाव, सभी2संस्कृतियों2का1संगम वहा दीख रहा था।





Saturday, May 23, 2020

काव्यात्मक अभिव्यक्ति प्रेम विरह प्रीति की





🌹🌹दरस आज दीजिए मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।     
 मेहर अब कीजिए मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।

सरन में लीजिए मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।

मनुआँ तड़प रहा मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।
दरस को तरस रहा मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।
दुखी की अरज सुनो मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।
दरस दे दुख हरो मेरे राधास्वामी प्यारे हो।। 

 क्यों ऐती देर करी मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।    घर कुछ नाहि कमी मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।     दुक्ख सहा न जाए मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।

मेहर बिन नाहि उपाय मेरे राधास्वामी प्यारे हो।। मेहर चित धारिये मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।       पन न बिसारिये  मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।🌹🌹*





*हम होते ही कौन हैं ,
मालिक के काम में दखलअंदाज़ी करने वाले ....*
*जो कुछ हो रहा है
 , उस मालिक की मर्ज़ी से ही तो हो रहा है ..*
*इसलिए
कभी जीवन में दुःख भी आ जायें तो चिन्ता नहीं करनी चाहिये ..*

*क्योंकि उसकी
 ☝🏻गत वो ही जाने , न जाने कौन से कर्म कटवाने होंगे , कौनसा लेनदेन चुकता करना होगा , हमें क्या खबर ?*
*इसलिये मालिक की रज़ा में राज़ी रहने में ही समझदारी है ..*

*मालिक के भाणे में रहना सीखें हम लोग ...और बाकी सब कुछ उस परमपिता परमात्मा पर छोड़ दें , विश्वास रखें बस ... अपने विश्वास को डगमगाने बिल्कुल ना दें ...

 फिर देखें कि कैसे हमें मालिक इन दुःखों को सहन करने शक्ति हमें बख्शते हैं ...*


*सहनशक्ति तो क्या मालिक इन दुःखों को कैसे पहाड़ से राई में तब्दील कर देते हैं , हमें पता तक नहीं चलता ...*


*बस जरूरत है अटूट विश्वास और सच्ची सेवा की , जिसकी ओर तो हम लोगों का बहुत कम ध्यान जाता है ....*


*इसलिये हम लोग ये प्रण करें कि उठते-बैठते , सोते-जागते ,चलते-फिरते , खाते-पीते , काम-काज करते , कभी-भी , कहीं-भी अपनी असली कमाई यानी सिमरन-भजन की ओर ध्यान दें ..
..ना कि बाकी की फालतू और बेमतलब की चीज़ों की ओर .....*


*फिर देखें कि सच्चा सुख क्या होता है....*


गुरू प्यारी साध संगत जी सभी सतसंगी भाई बहनों और दोस्तों को हाथ जोड़ कर प्यार भरी राधा सवामी जी.





#विरह


गुरू से प्रेम करने का सबसे बड़ा साधन है ''विरह'' जब गुरू की याद में शिष्य आँसू बहाता है तो वह आँसू गंगा से भी ज्यादा पवित्र हो जाती है.

विरह गुरू की प्रसन्नता को पाने का सबसे सहज और पावन तरीका है 'विरह' प्रेम को प्रकट करती है और मजबूत भी बनाती है.

विरह की तड़प ही प्रेमिका को प्रेम की राह तय करके प्रीतम की मंजिल तक पहुँचाती है.

जिस हृदय में ''विरह'' पैदा नहीं होती,वह तो शमशान की तरह मनहूस है.

ऐसा भी हो सकता है गुरू के दीदार में उम्मीद से कहीं ज्यादा समय लग जाए और विरह अग्नि में तन जलकर राख भी हो सकता है.

लेकिन जो गुरू के सच्चे आशिक होते हैं बो हार नहीं मानते दिल में मुर्शिद के दीदार की आशा,उम्मीद और उमंग सदा कायम रखते हैं.

                           *शुभ संध्या*🙏🏻


राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी
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मिश्रित प्रसंग बचन उपदेश और डायरी






प्रस्तुति - सपन कुमार

**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज -

रोजाना वाकियात- 3 अक्टूबर 1932-

सोमवार

:-      छुट्टी का दिन है लेकिन बचा हुआ काम ज्यादा था इसलिए सुबह 10:30 बजे तक काम किया। सत्संग के उपदेश भाग तीसरा छट कर तैयार हो गया। आज टाइटल पेज पास किया गया।  दो नये क्लॉक तैयार होकर पूरे पेश हुए।  अभी कुछ कसर है। वैसे काम देते हैं लेकिन पास करने के काबिल नहीं है। वजह यह है कि हिंदुस्तान पर ढूंढ मारा कहीं से बढ़िया स्प्रिंग प्राप्त नहीं हुए। मजबूरन  बाहर आर्डर भेजा गया। कोलकाता से खरीद कर बढ़िया से बढ़िया स्प्रिंग इस्तेमाल किए हैं लेकिन उनमें दम नहीं है। आठ-दस दिन के अंदर यूरोप से स्प्रिंग आ जाएंगे और सब कसर दूर हो जाएगी।                                         रात के सत्संग में सच्ची भक्ति के मुताल्लिकक भक्ति करना बड़ा कठिन है। बिला आपा तजे भक्ति करना बडा कठिन है।बिला आपा तजे भक्ती बन ही नहीं सकती और कोई अपना आपा क्यों तजे?   हिंदुस्तान में जो पॉलिटिकल लहर चल रही है उसका नतीजा यह हो रहा है कि हर शख्स किसी न किसी किस्म की कशमकश में लगा है।  म्युनिसिपल बोर्ड की मेंम्बरी, डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के मेंबरी,इन बोर्डो की सब कमेटियों की मेंबरी , प्रोविंशियल काउंसिलो की मेंबरी, लेजिस्लेटिव असेंबली की मेंबरी गर्जकि बीसों घुड़दौड़ के मैदान है । फिर सत्संगी आपा तजने के लिए क्यों आसानी से रजामंद हो ? सतसंगीयो को मशवरा दिया जाता है कि अगर वह अपने को जेर डालकर राधास्वामी दयाल की हिदायत पर अमल करेंगे तो एक दिन आएगा कि दुनिया उनकी कुर्बानियों के दाद देगी और सत्संग के नक्शे पद चिन्हों पर चलना गर्व का कारण समझेगी । गौर का मुकाम है कि यह कभी नहीं होता कि किसी जगह सब के सब आदमी एकदम बीमार हो जाए , या मर जाए, या भूखे रहने के लिए मजबूर हो । आबादी का कोई ना कोउ  हिस्सा बकिया लोगों से बेहतर हालात में रहता है । और संसार चक्र का यह हिसाब है कि कभी कोई जमात दबी जा रही है कभी कोई।इसलिये अक्लमंदी इसी में है कि सब जमाअते मिलकर जिंदगी बसर करें। जिस जमाअत के दबे जाने की बारी को दूसरे लोग उसकी इमदाद करें। इस तरह मुल्क भर का सृष्टि नियमों से नमूदार होने वाले दुखों से बहुत कुछ बचाव  हो सकता है लेकिन सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व और हिंदुस्तानियों के लिए मिलकर काम करना लगभग नामुमकिन बना दिया है और अगर मूल्क के अंदर वातावरण ना बदला तो मिलकर काम करना कतई नामुमकिन हो जावेगा । सत्संगी भाइयों को सत्संग के सिद्धांतों की उस दिन खूब कद्र आवेगी।     

                             

  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**



**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज

-सत्संग के उपदेश -भाग 2-( 50 )-

【सेवा की जरूरत 】:-

दुनिया में कोई ऐसी जमाअत या मुल्क ना मिलेगा जिसके सभी मेंबर या वाशिंदे  अपने भुजबल से अपनी दुनयवी जरूरियात पूरी करते हों बल्कि देखने में यही आता है कि ज्यादा तादाद, चंद आदमियों की मेहनत के आसरे जिंदगी बसर करती है ।आर्थिक विद्या उसूलों के माहिर बखूबी जानते हैं कि दोनों पैदा करने वाले वे ही लोग होते हैं जो जिस्मानी मेहनत या अपनी अक्ल को खर्च में लाकर जमीन से कच्ची चीजों और उनसे  बेशकीमत व उपयोगी वस्तुएं तैयार करते हैं । चुनांचे सब के सब काश्तकार,खानों में काम करने वाले , जंगल लगाने वाले जो मेहनत करके अनाज ,फल ,फूल, कपास ,लकड़ी ,लोहा, कोयला और गोंद वगैरह कच्चा माल पैदा करते हैं व और भी सूत कातने वाले, कपड़ा बुनने वाले, रबड बनाने वाले, लोहे वगैरह की चीजें बनाने वाले सबके सब दौलत पैदा करने वाले मेम्बरान सोसाइटी में शुमार जाते हैं ।इसके अलावा ऐसे लोग हैं जो खुद कच्ची या तैयारशुदा चीजें तो पैदा नहीं करते लेकिन चीजें पैदा करने वालों के सहायक बनकर काम करते हैं । मसलन, बढई व लौहार,जो काश्तकारों के लिए हल व दूसरे औजार तैयार करते हैं और कपड़ा रँगने व धोने वाले ,फसल काटने वाले और मवेशी चराने वाले वगैरा-वगैरा ।

क्रमशः 

   🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**




**परम गुरु हुजूर महाराज-

प्रेम पत्र- भाग 1-


कल का शेष-( 8 )


जो इस तरह अपनी हालत की परख करने से मालूम पड़े कि संसार और संसारियों की तरफ से तबीयत किसी कदर दिन दिन हटती जाती है और अंतर अभ्यास में और सत्संग और पानी के पाठ में ज्यादा लगती जाती है और इधर का रस ज्यादा आनंद देता है और संसार के भोग दिन दिन किसी कदर फीके लगते मालूम होते हैं, तो यही सबूत इस बात का है कि अंतर का रस भारी और पायदार है और बाहर का भोगों का रस हल्का और फीका और नाशवान् है । फिर मुनासिब है कि जिस कदर बने इसी अभ्यास को आहिसता आहिसता बढ़ाता जावे और संसार की मोहब्बत आहिस्ता  आहिस्ता कम करता जावे, तो रफ्ता रफ्ता एक दिन काम दुरुस्त बन जावेगा और इसी अभ्यास से एक दिन सच्ची मुक्ति और परम आनंद प्राप्त हो जावेगा।।             


 (9) मालूम होवे कि ऊपर जो कुछ लिखा है यह सच्चे अभ्यासी का हाल है, यानी जिसके दिल में निर्मल चाह सच्चे मालिक के मिलने और अपने जीव का कल्याण करने की है और कोई दूसरी इच्छा शक्ति सिद्धि शक्ति की या मान बड़ाई हासिल करने की नहीं है । और संसार के भोगों की फजूल चाह जिसने सचौटी के साथ दूर करी है यह काम करता जाता है, उसी की हालत अभ्यास करके आहिस्ता आहिस्ता सहायता बदलती जावेगी और बुरे कामों से नफरत और नेक कामों से रग्बत होती जाएगी और उसको अभ्यास की हालत में यह भी मालूम हो जाएगा कि इसी जुगत की कमाई से तन मन और इंद्रियों से न्यारा होना मुमकिन है। और फिर वही जीव संतो के वचन की परीक्षा अपने अंतर में बखूबी करता जाने का और दिन दिन राधास्वामी दयाल की दया से प्रीति और प्रतीति उनके चरणों में बढ़ाकर 1 दिन अपना काम पूरा बना लेवेगा।और जो कोई अपने मन में और इंद्रियों  में आसक्त है और संसार के पदार्थों की कदर जोर की है और संसार के और उसको दूर या कम नहीं कर सकते, उनकी हालत जल्द नहीं बदलेगी । पर जो सत्संग और अभ्यास करते रहेंगे तो अव्वल उनके अंतर में सफाई और फिर आए आहिस्ता आहिस्ता चढ़ाई होती जाएगी और फिर हालत भी बदलती जावेगी।

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**


राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी
।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।

।।।।।।।। 

23/05 को शाम के सत्संग में पढ़ा गया पाठ - बचन





**राधास्वामी!!       
                              
  23-05 -2020-

 आज शाम के सत्संग में पढ़े गए पाठ:-                                               

   (1) राधास्वामी दाता दीनदयाला किया भारी उपकारा हों।।टेक।।                               
सुरत लगार शब्द सँग धाऊँ। निरखूँ जोत उजारा हो।। ( प्रेमबानी -भाग तीन -शब्द 2- पृष्ठ संख्या 263)                                         

(2) हित की बात खोल कहूँ प्यारे गुरु पूरे का खोज लगाना।। टेक।। (प्रेमबिलास- शब्द 119 -पृष्ठ संख्या 175 )                                           

 (3 ) सत्संग के उपदेश -भाग तीसरा- कल से आगे।।                       

 🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**


**राधास्वामी!!
                               

 आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन

- कल से आगे-( 144)

कहने को तो हर कोई कहता है कि वह फुलाँ  मजहब का मानने वाला है मगर किसी मजहब का सच्चा पैरों होना निहायत मुश्किल है। जिसका विश्वास सच्चा है उसके अंदर दो अलामते मौजूद होनी चाहिए- अव्वल यह कि उसे दुनिया के दुख व रंज दिक न कर सके, दोयम् यह कि बिला संसार के धन व ऐश्वर्य की प्राप्ति की उसकी तबीयत में हर वक्त खास किस्म की खुशी कायम रहे। गौर का मुकाम है जब किसी को मालिक से मिलने या संसारी दुखों से हमेशा के लिए नजात पाने की राह मिल गई तो फिर उसके दिल में दुनिया की ऊँच नीच हालतों का असर क्यों हो?  जब किसी को दस पाँच हजार रुपये मिल जाते हैं वह फूला नही समाता तो जब किसी को परम व अविनाशी सुख के धाम की सड़क मिल जाए उस मुकाम से आए हुए या उस मुकाम तक पहुंचे हुए किसी कामिल पुरुष की शरण प्राप्त हो जाय,उसके हृदय का कमल क्यों हर वक्त खिला न रहे?     
                       

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻

सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा।।**

राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
।।।।।।।।।। 

रवि अरोड़ा की नजर में




समुंद्र मंथन से निकलेगा झुनझुना

रवि अरोड़ा

यदि हमसे पूछा जाए कि पौराणिक कथा समुंद्र मंथन में मथनी किस पर्वत को बनाया गया था तो यक़ीनन हममें से अनेक लोग झट से बता देंगे- मंदराचल पर्वत । अब यदि पूछा जाये कि कोरोना संकट से अमृत निकालने को जो सरकारी प्रयास हो रहे हैं , उसमें वह मथनी कौन है जिसके हिस्से केवल पीड़ा और टूट-फूट ही आनी है तब शायद कुछ ही लोगों के मुँह से निकलेगा- मध्य वर्ग यानि मिडिल क्लास । जवाब न देने का कारण लोगों की अज्ञानता नहीं वरन पीड़ा को चुपचाप सह जाने की प्रवृत्ति ही है । कोरोना मंथन में अमृत निकलेगा अथवा नहीं , अन्य रत्न क्या क्या होंगे , शेषनाग की भूमिका में कौन है और दैत्य व देवता किसे कहा जाये ? इसका कोई भी जवाब मेरे पास नहीं है मगर एक छोटा सा भाग होने के चलते यह मैं यक़ीन से कह सकता हूँ कि इस मंथन में मंदराचल की तरह चक़रघिन्नी मध्य वर्ग ही बनेगा ।


आँकड़े बताते हैं कि देश में तीस करोड़ से अधिक लोग मध्य वर्ग की श्रेणी में आते हैं । विश्व गुरु और चौथी बड़ी आर्थिक शक्ति बनने का ख़्वाब देश इसी वर्ग के दम पर देख रहा है । यही वह वर्ग है जिसकी क्रय शक्ति को तमाम सरकारें दुनिया भर में भुनाती रही हैं । जीडीपी और शेयर बाज़ार का सेंसेक्स इसी के दम पर कुलाँचे मारता है । रीयल एस्टेट, कम्प्यूटर, मोबाइल फ़ोन, विलासिता के तमाम ब्राण्ड और क्रेडिट कार्ड जैसे इकोनोमिक बूस्टर इस मिडिल क्लास के रहमो करम पर हैं । इसी वर्ग के हाउसिंग लोन, कार-स्कूटर और कंजयूमर लोन ही देश की बैंकिंग व्यवस्था का आक्सीजन हैं । बीमा कम्पनियों को भी सर्वाधिक भुगतान यही वर्ग करता है । पैसे-धेले की दुनिया से इतर बात करें तो तमाम सांस्कृतिक-धार्मिक़ और सामाजिक मूल्यों का  पोषक भी यही वर्ग है । मगर कोरोना संकट के इस काल में देश के इस महत्वपूर्ण वर्ग के प्रति व्यवस्था कितनी सहयोगी है , यह प्रश्न मौजू है ।

इसमें कोई दो राय नहीं कि मध्य वर्ग भारतीय मानस का शब्द ही नहीं है और इसे हमने यूरोप से उधार लिया है । यह भी सच है कि अंग्रेज़ों से पहले इस तरह का कोई वर्ग हमारे यहाँ था ही नहीं । अपने लाभ के लिए अंग्रेज़ी हुकूमत ने जो अभिजात्य वर्ग पैदा किया मूलत वही इस वर्ग का सृजक है । इससे पूर्व तो हम वर्ण और जातीय व्यवस्था वाले देश थे । विद्वान बताते हैं कि देश 1857 की पहली क्रांति से पहले देश सामाजिक वर्गों में और क्रांति के बाद राजनैतिक वर्गों में विभाजित हुआ । आज़ादी यानि 1947 के बाद ही आर्थिक केटेगरी बनी और शहरीकरण के चलते यह मध्यवर्ग परवान चढ़ा । न जाने क्या वजह रही कि दुनिया भर के राजनीतिक-सामाजिक विश्लेषकों ने कभी इस वर्ग को गम्भीरता से नहीं लिया । मार्क्सवादी विचारधारा के जनक कार्ल मार्क्स ने तो बुर्जुआ कह कर इसे हेय दृष्टि से ही देखा । भारतीय परिप्रेक्ष्य में भी देखें तो इस वर्ग को वह सम्मान और सहयोग अभी तक नहीं मिला है , जिसकी वह हक़दार है ।


क़ोरोना संकट से पार पाने के लिए बीस लाख करोड़ की बंदर बाँट आजकल हो रही है । इसी पैकेज से कोरोना मंथन होना है । मगर साफ़ दिख रहा है कि मंथन में पर्वत बने मध्य वर्ग के हिस्से अभी तक झुनझुना भी नहीं आया है । भविष्य के सपने बुनने वाली हवाई योजनाएँ यदि धरती पर उतर भी आईं तो भी अमृत चाटने को समृद्ध वर्ग तैयार बैठा है । मध्य वर्ग को तो बस जो बैंकों की किश्त छः महीने बाद अदा करने का झुनझुना मिला है उससे भी अंततः उसकी ही जेब कटेगी । न बिजली का बिल मुआफ़ हुआ न हाउस टैक्स । न कोई किश्त मुआफ़ हुई न कोई सरकारी अदायगी । लघु उद्योगों के नाम पर कुछ घोषणाएँ हैं , वह भी क़र्ज़ देने भर की हैं । सीधे लाभ के नाम पर तो पाँच रुपये का एक अदद मास्क तक नहीं मिला । ऊपर से ताली-थाली बजाने और दीया जलाने का काम भी इसी वर्ग के ज़िम्मे । शायद इसे ही कहते हैं- रहने को घर नहीं , सारा जहाँ हमारा है ।

बोध कथा प्रसंग



*सतगुरु,मैला कपड़ा और जीवात्मा*

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एक बच्चा जब 13 साल झका हुआ तो उसके पिता ने उसे एक पुराना कपड़ा देकर उसकी कीमत पूछी।
बच्चा बोला 100 रु।
तो पिता ने कहा कि इसे बेचकर दो सौ रु लेकर आओ। बच्चे ने उस कपड़े को अच्छे से साफ़ कर धोया और अच्छे से उस कपड़े को फोल्ड लगाकर रख दिया। अगले दिन उसे लेकर वह रेलवे स्टेशन गया, जहां कई घंटों की मेहनत के बाद वह कपड़ा दो सौ रु में बिका।
कुछ दिन बाद उसके पिता ने उसे वैसा ही दूसरा कपड़ा दिया और उसे  500 रु में बेचने को कहा।
इस बार बच्चे ने अपने एक पेंटर दोस्त की मदद से उस कपड़े पर सुन्दर चित्र बना कर रंगवा दिया और एक गुलज़ार बाजार में बेचने के लिए पहुंच गया। एक व्यक्ति ने वह कपड़ा 500 रु में खरीदा और उसे 100 रु ईनाम भी दिया।
जब बच्चा वापस आया तो उसके पिता ने फिर एक कपड़ा हाथ में दे दिया और उसे दो हज़ार रु में बेचने को कहा। इस बार बच्चे को पता था कि इस कपड़े की इतनी ज्यादा कीमत कैसे मिल सकती है । उसके शहर में  मूवी की शूटिंग के लिए एक नामी कलाकार आई थीं। बच्चा उस कलाकार के पास पहुंचा और उसी कपड़े पर उनके ऑटोग्राफ ले लिए।
ऑटोग्राफ लेने के बाद बच्चे ने उसी कपड़े की बोली लगाई। बोली दो हज़ार से शुरू हुई और एक व्यापारी ने वह कपड़ा 12000 रु में ले लिय।
रकम लेकर जब बच्चा घर पहुंचा तो खुशी से पिता की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने बेटे से पूछा कि इतने दिनों से कपड़े बेचते हुए तुमने क्या सीखा ?
बच्चा बोला -  पहले खुद को समझो , खुद को पहचानो । फिर पूरी लगन से मन्ज़िल की और बढ़ो क्योकि जहां चाह होती है, राह अपने आप निकल आती है।'
पिता बोले कि तुम बिलकुल सही हो, मगर मेरा ध्येय तुमको यह समझाना था कि कपड़ा मैला होने पर इसकी कीमत बढ़ाने के लिए उसे धो कर साफ़ करना पड़ा, फिर और ज्यादा कीमत मिली जब उस पर एक पेंटर ने उसे अच्छे से रंग दिया और उससे भी ज्यादा कीमत मिली जब एक नामी कलाकार ने उस पर अपने नाम की मोहर लगा दी ।
तो विचार करें जब इंसान उस निर्जीव कपड़े को अपने हिसाब से उसकी कीमत बड़ा सकता है ।
तो फिर वो मालिक जिसने हम जीवों को बनाया है क्या वो हमारी कीमत कम होने देगा?
 जीवात्मा भी यहां आकर मैली हो जाती है लेकिन सतगुरु हम मैली जीवात्माओं को पहले साफ़ और स्वच्छ करते हैं, जिससे परमात्मा की नज़र में हम जीवात्माओं की कीमत थोड़ी बढ़ जाती है ।
 फिर सतगुरु हम जीवात्माओं को अपनी रहनी के रंग में रंग देते हैं, फिर कीमत और ज्यादा बढ़ जाती है।
और फिर सतगुरु हम पर अपने नाम की मोहर लगा देते हैं फिर तो इंसान अपनी कीमत का अंदाज़ा ही नही लगा सकता।
लेकिन अफ़सोस इतना कीमती इंसान अपने आप को कौड़ियों के दाम खर्च करते जा रहा है उसे अपने आप की ही पहचान नही , उसे अपने ऊपर लगी सतगुरु के नाम रूपी कृपा और उस अपार दया की कद्र नही, क्योकि अगर कद्र होती तो उसके हुकुम में रहकर भजन बन्दगी को पूरा पूरा समय देकर अपने इंसानी जामे का मकसद और उसकी कीमत भी जरूर समझते।।

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[04/04, 10:15] KS कुसुम सहगल दीदी: ☝🏽 *जब हम सच्चे दिल से* *कोशिश करते हैं,*
 *तब परमात्मा भी हमारी सहायता* *करते हैं... कुदरत भी हमारे अनुकूल वैसा ही वातावरण और* *परिस्थिति बना देती है।*
 *परमात्मा की दया का हाथ सदा* *हमारे सिर पर होता है,* *चाहे पता हो या न  हो ।*
🙏🏽☝🏽🙏🏽
 🌹सुप्रभात🌹
[06/04, 09:44] KS कुसुम सहगल दीदी: ✍🏻.....
*बात लगाव और एहसास की होती है*    *वरना...*
 *मैसेज तो कंपनी वाले भी कर देते हैं..*
          *🌞सुप्रभात🌞*
*🍃༺꧁꧂༻🍂*
[07/04, 09:54] KS कुसुम सहगल दीदी: *कुछ सिखाकर ये दौर भी गुजर जायेगा..*
*फिर एक बार हर इंसान मुस्कुराएगा...*
*मायूस न होना मेरे दोस्तों इस बुरे वक़्त से,*
*कल ,आज है और आज , कल हो जाएगा।*.

*”अपना व परिवारजन का ख़याल रखें...घर से बाहर ना निकले

🙏🙏🙏🙏🙏
[09/04, 10:44] KS कुसुम सहगल दीदी: 🌹🌹🌹 *जीवन का सत्य* 🌹🌹🌹

*दिल में "बुराई" रखने से बेहतर है, कि "नाराजगी" जाहिर कर दो ।*

*जहाँ दूसरों को "समझाना" कठिन हो, वहाँ खुद को समझ लेना ही बेहतर है ।*

*"खुश" रहने का सीधा सा एक ही "मंत्र" है, कि "उम्मीद" अपने आपने किसी खास से रखो, सभी से नहीं*.

 *"गिले-शिकवों" का भी कोई "अंत" नहीं है साहिब..!*
*"पत्थरों" को शिकायत ये है कि पानी की मार से टूट रहे हैं हम...!*
                    *और*
*"पानी" का गिला ये है कि पत्थर हमें खुलकर बहने नहीं देते हैं ...!!*
 *🙏�🌺 🌾🌺🙏*
[11/04, 10:38] KS कुसुम सहगल दीदी: *कठिनाइयां जब आती हैं तो कष्ट देती हैं, पर जब जाती हैं तो आत्म बल का ऐसा उत्तम उपहार दे जाती है जो उन कष्टों, दुःखों की तुलना में हजारों गुना मूल्यवान होता है।*

                *🌹सुप्रभात🌹*
[21/04, 10:37] KS कुसुम सहगल दीदी: *समय जब निर्णय करता है तब उसे किसी साक्ष्य की आवश्यकता नहीं पड़ती।*



*⛳✨🙏🏻सुप्रभात🙏🏻✨⛳*
[22/04, 09:17] KS कुसुम सहगल दीदी: *उम्र का बढ़ना तो*
                 *दस्तूरे-जहाँ है*
                 *महसूस न करो तो*
                   *बढ़ती कहां है*

                   *उम्र को अगर*
                   *हराना है तो..* 
                   *शौक जिन्दा रखिए*
               *घुटने चले या न चले*
               *मन उड़ता परिंदा रखिए*
      *मुश्किलों का आना*
               *'Part of life' है*
    *और उनमें से हँस कर बाहर आना*
                  *'Art of life' है*
🙏🙏 🌹🌹🌹🌹🙏🙏
[24/04, 10:31] KS कुसुम सहगल दीदी: *ठंडा पानी और गरम प्रेस*
    *कपड़ों की सारी,*
  *सलवटें निकाल देती हैं..,*


*ऐसे ही ठंडा दिमाग और*
    *ऊर्जा से भरा हुआ दिल*
     *जीवन की सारी उलझन*
          *मिटा देते हैं..!!*

  *सुप्रभात*🙏🙏
[25/04, 09:15] KS कुसुम सहगल दीदी: *ऋतुओं के पन्ने*
*पलट*
*जाने से क्या होगा.*
*हमारे मन का सावन*
*आप सभी के स्नेह व अपनेपन से*
*ही हरा होगा🌱*

*उसको निरंतर बनाये रखिये*

     
          *🙏सुप्रभात🙏*
[26/04, 09:16] KS कुसुम सहगल दीदी: 🌷 *शांत मन ही आत्मा की ताकत है, शांत मन में ही ईश्वर विराजते हैं।*
🌷 *जब पानी उबलता है तो हम उसमें अपना प्रतिबिम्ब नहीं देख सकते हैं और शांत  पानी में हम खुद को देख सकते हैं।*
🌷 *ठीक वैसे ही अगर हमारा हृदय शांत रहेगा तो हमारी आत्मा के वास्तविक स्वरूप को हम देख सकेंगे।*
    🙏 Good morning🙏
[27/04, 09:22] KS कुसुम सहगल दीदी: *समय कभी विपरीत हो तो धैर्य पूर्वक अच्छे समय  की प्रतिक्षा भगवान स्मरण के साथ करना चाहिए।कर्म फल से भगवान् भी नही बचाते, अत:कर्म के समय सतर्कता जरुरी है।*

        *किसी से भी गलती हो ही जाय ,चाहे वह राजा ही क्यो न हो । नम्रता पूर्वक क्षमा माग लेना चाहिए।जितेन्द्रिय हूं ऐसा अभीमान् मत करो मन मे विषय सूक्ष्मरीति से बैठे है। मौका मिलते ही प्रकट होने लगेगें ।*
      *सब तरह से शोचनीय ब्यक्ति वह जो समय और सम्पत्ति का दुरुपयोग करता है,जो दुसरो का अहित करता है एवं प्रभु भजन नही करता है।*

 *🌹🙏🙏जय श्री कृष्ण*🙏🙏🌹
[28/04, 09:49] KS कुसुम सहगल दीदी: *हँसते हुए लोगो की संगत*,
*इत्तर की दूकान जैसी होती है*,

*कुछ न खरीदो तो भी,*
*रूह तो महका ही देती है*!!
 
    🌹🙏  *सुप्रभात*  🙏🌹
[29/04, 10:20] KS कुसुम सहगल दीदी: *हम सब एक दूसरे के बिना कुछ नहीं हैं,*
*यही रिश्तों की खूबसूरती है......*

*सुख में सौ मिले, दुख में मिले न एक.....*
*साथ कष्ट में जो रहे साथी वही है नेक....*
         
      *🌷शुभ प्रभात🌷*
[01/05, 09:50] KS कुसुम सहगल दीदी: *ज़िंदगी में समस्या देने*
*वाले की हस्ती कितनी*
*भी बड़ी क्यों न हो,*
*पर भगवान की "कृपादृष्टि"*
*से बड़ी नहीं हो सकती...!!*

         *🙏🏻🌞सुप्रभात🌞🙏🏻*
[05/05, 10:41] KS कुसुम सहगल दीदी: *💐💫चार दिन है जि़न्दगी,*
    *हंसी खुशी में काट ले*
       
*💫💐मत किसी का दिल दुखा ,*
        *दर्द सबके बाँटले*
       
*💐💫कुछ नही हैं साथ जाना,*
      *एक नेकी के सिवा,*
       
*💫💐कर भला होगा भला,*
     *गाँठ में ये बांध ले!*
           *🙏🙏सुप्रभात🙏🙏*
[06/05, 09:33] KS कुसुम सहगल दीदी: *ख़ौफ़ ने सड़कों को वीरान कर दिया,*                   
*वक़्त ने ज़िंदगी को हैरान कर दिया*
*काम के बोझ से दबे हर इंसान को,*
*अब आराम के अहसास ने परेशान कर दिया..*



                   *शुभप्रभात*
[07/05, 10:08] KS कुसुम सहगल दीदी: *✍मित्र, पुस्तक, रास्ता,*
                    *और विचार*
        *गलत हों तो गुमराह कर देते हैं,*
            *और यदि सही हों तो*
               *जीवन बना देतें हैं*
                      *वैसे*
        *सफल जीवन के चार सुत्र••*
             *मेहनत करे तो धन बने*
                 *सब्र करे तो काम*
          *मीठा बोले तो पहचान बने*और*
               *इज्जत करे तो नाम

🍁 *सुप्रभात 🍁
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
[09/05, 09:26] KS कुसुम सहगल दीदी: *💥👌🏻आज का उत्तम विचार :-*
*"व्यवहार" अगर अच्छा है तो.....*
*"मन" मन्दिर है*।।

*"आहार" अगर अच्छा है तो........*
*"तन" मंदिर है* ।।

*"विचार" अगर अच्छे हैं तो.........*
*"मष्तिष्क" मंदिर है*।।।।

*यह तीनों अगर अच्छे हैं तो.......*
*"जीवन" ही "मंदिर" है*।।।

*हँसते रहिये हंसाते रहिये सदा मुस्कुराते रहिये*
             
         *स्नेह वंदन*
         *प्रात:नमन*
             🙏🏻🙏🏻


[12/05, 09:47] KS कुसुम सहगल दीदी: *गलतियां*
     *सुधारी जा सकती है*
       *गलतफेमियां*
             *भी*
     *सुधारी जा सकती है*
       *मगर गलत सोच*
           *कभी नहीं*
      *सुधारी जा सकती है*


*🌹🙏सुप्रभात🙏🌹


बांसुरी में तीन गुण है...*

*पहला-*
*बांसुरी में गांठ नहीं है,*
*जो संकेत है कि अपने अंदर किसी भी प्रकार की गांठ मत रखो,*
*यानि मन में बदले की भावना मत रखो ।*

*दूसरा गुण-*
*बिना बजाये ये बजती नहीं है,*
*मानो ये बता रही है कि जब तक आवश्यक नही हो, ना बोलें ।*

*और तीसरा-*
*जब भी बजती है, मधुर ही बजती है ।*
*अर्थात जब भी बोलो....... मीठा ही बोलो ।*



*फिक्र के तूफाँ का सिलसिला तो चलेगा ..❗*
 *बेफिक्री का एक लम्हा जीना ज़िंदगी है ‼*
                               *🙏🏻सुप्रभात😷*

*प्रयत्न करने से कभी मत चूके

*क्योकि..*

*हिम्मत नहीं..तो प्रतिष्ठा नहीं,*
*विरोधी नहीं..तो प्रगति नही
           *
🙏🙏सुप्रभात🙏🙏*




*रिश्तों की खूबसूरती एक दूसरे की बातें बर्दास्त करने में ही हैं।*
*खुद जैसा इंसान तलाश करोगे तो अकेले ही रह जाओगे।।*
*घर पर रहे, स्वस्थ रहें, सुखी रहें।*
*🙏शुप्रभात🙏*
*"जीवन में कभी भी आशा*
                 *को न छोड़े क्योंकि आप*
                 *कभी यह नहीं जान सकते*
                 *कि आने वाला कल आपके*
                 *लिए क्या लाने वाला है I"*


*सुप्रभात🌹*


_*ऐ - परिंदे कुछ तो दुआ दें*_
_*इंसान को खुले आसमानों की..!*_

_*पिंजरे का दर्द क्या है*_
_*अब समझ चुकी है ये ज़िन्दगी..!!*_

_*सुप्रभात.!!*_🌹

जिंदगी का सारा खेल तो वक्त रचता है,*

*इंसान तो सिर्फ अपना किरदार निभाता हैं।*
*घर पर रहे, स्वस्थ रहें, सुखी रहें।*


*🙏सुप्रभात🙏*


👌🏿 *क्या खूब लिखा है किसी ने
               
*जब से सभी के अलग अलग मकान हो गए.....*

*पुरा बचपन साथ बिताने वाले भाई और बहन भी, आज एक दूसरे के मेहमान हो गए...*🌹🌹🌹
     
           *💐💐सुप्रभात💐💐*

*जिन्दगी की तपिश को सहन किजिए......!*

*अक्सर वे पौधे मुरझा जाते हैं, जिनकी परवरिश छाया में होती है*

             *सुप्रभात🌹*

सूर्य को जल चढ़ाने का अर्थ

  प्रस्तुति - रामरूप यादव  सूर्य को सभी ग्रहों में श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि सभी ग्रह सूर्य के ही चक्कर लगाते है इसलिए सभी ग्रहो में सूर्...