Friday, February 25, 2022

सहजता / ओशो

 मैंने सुना है, एक महिला अपने पुत्र के साथ बस में बैठी हुई थी। उसने मात्र एक टिकट खरीदा। कंडक्टर ने बच्चे को संबोधित किया, छोटे बच्चे तुम्हारी आयु कितनी है?

मैं चार वर्ष का', लड़के ने उत्तर दिया।


और तुम पांच वर्ष के कब होओगे? कंडक्टर ने पूछा।

बच्चे ने अपनी मां की ओर एक नजर डाली, जो बच्चे की इस बातचीत को मुस्कुरा कर अपनी सहमति दे रही थी, और बोला, जब मैं इस बस से नीचे उतर जाऊंगा।


उस बच्चे को कुछ कहना सिखाया गया है, लेकिन फिर भी वह असली उद्देश्य को नहीं जानता है। उसको टिकट के रुपये बचाने के लिए चार वर्ष कहना सिखाया गया है, लेकिन इसके पीछे उद्देश्य क्या है वह यह नहीं जानता, इसलिए वह इस बात को तोते की तरह दोहरा देता है।


प्रत्येक बच्चा बड़े लोगों की तुलना में मौलिक मन के साथ अधिक लयबद्धता में होता है। बच्चों को खेलते हुए, इधर—उधर दौड़ते हुए देखो, तुम्हें उनका कोई विशिष्ट उद्देश्य नहीं मिलेगा। वे आनंदित हो रहे हैं, और यदि तुम उनसे पूछते हो किसलिए? तो वे अपने कंधे उचका देंगे। उनके लिए बडे लोगों से संवाद कर पाना लगभग असंभव है। बच्चों को यह करीब—करीब नामुमकिन सा महसूस होता है; कोई सेतु नहीं है; क्योंकि बड़े लोग एक बहुत मूर्खतापूर्ण प्रश्न पूछते हैं किसलिए? बड़े लोग एक खास किस्म के अर्थशास्त्रीय मन के. साथ जीते हैं। तुम कुछ कमाने के लिए कुछ करते हो। बच्चे इन सतत उद्देश्यपूर्ण कृत्यों से अभी परिचित नहीं हैं। वे इच्छा की भाषा को नहीं जानते वे खेलपूर्ण होने की भाषा को जानते हैं। जब जीसस कहते हैं, तुम परमात्मा के राज्य में तब तक प्रवेश नहीं कर सकते जब तक कि तुम छोटे बच्चों जैसे नहीं हो जाते, तो यही है उनका अभिप्राय, वे कह रहे हैं कि जब तक कि तुम पुन: बच्चे नहीं बन जाते, जब तक कि तुम उद्देश्य नहीं छोड़ते और खेलपूर्ण नहीं हो जाते...। याद रखो, कार्य कभी किसी को परमात्मा तक नहीं ले गया है। और वे लोग जो परमात्मा की ओर जाने वाले अपने रास्ते पर कार्य कर रहे हैं, बाजार में ही गोल—गोल घेरे में घूमते रहेंगे, वे कभी परमात्मा तक नहीं पहुचेंगे। वह खेलपूर्ण है और तुमको भी खेलपूर्ण होना पड़ेगा। तब अचानक संवाद घटित होगा, अचानक एक संपर्क, एक सेतु बन जाएगा।


खेलपूर्ण ढंग से ध्यान करो, गंभीरतापूर्वक ध्यान मत करो। जब तुम ध्यान—कक्ष में जाते हो तो अपने गंभीर चेहरे वहीं छोड़ दो जहां तुम अपने जूते छोड़ देते हो। ध्यान को एक मजा होने दो। मजा एक बहुत धार्मिक शब्द है; गंभीरता बहुत अधार्मिक शब्द है। यदि तुम मौलिक मन को उपलब्ध करना चाहते हो तो तुमको एक बहुत ही गैर—गंभीर किंतु निष्ठापूर्ण जीवन जीना पड़ेगा, तुमको अपने कार्य को खेल में रूपांतरित करना पड़ेगा; तुम्हें अपने सभी कर्तव्यों को प्रेम में. रूपांतरित करना पड़ेगा। कर्तव्य एक कुरूप शब्द है, निसंदेह यह एक चार अक्षर वाला शब्द है।


कर्तव्य से बच कर रहो। कार्य में और प्रेम अर्पित करो। अपने कार्य को एक नई ऊर्जा में, जिसका तुम आनंद ले सकी, और—और परिवर्तित करो, और अपने जीवन को और अधिक मजे, और अधिक हंसी और कम इच्छा, और कम उद्देश्य वाला हो जाने दो। जितना अधिक तुम उद्देश्यपूर्ण हो उतना ही अधिक तुम एक निश्चित प्रकार के मन से बंध जाओगे। तुमको बंधना ही पड़ेगा, क्योंकि उस उद्देश्य को एक विशिष्ट प्रकार का मन ही पूरा कर सकता है। और यदि तुम सारे मनों का परित्याग करना चाहते हो—और सभी मनों का परित्याग किया जाना है—केवल तब तुम अपने अंतर्तम स्वभाव _ तुम्हारी सहजता को उपलब्ध कर सकते हो। 


ओशो

Tuesday, February 15, 2022

ज़र्रे ज़र्रे में* *रब की निगाहें करम हैं*

 *ज़र्रे ज़र्रे में*

*रब की निगाहें करम हैं*


 *कभी ये नहीं कहना कि*

*औरों पर ज्यादा और मुझ पर कम है*


*हे प्रभु!*

मेरे *पैरों* में इतनी *शक्ति* देना

 कि *दौड़~दौड़* कर   *आपके दरवाजे* आ सकूँ।


मुझे एेसी *सद्बुद्धि*  देना

कि *सुबह-शाम* घुटने के बल बैठकर

आपको *प्रणाम* कर सकूँ


*जब तक जीऊँ,

जिह्वा पर आपका नाम रहे,

देने में मेरे हाथ कभी थके नहीं।*


*मेरे मालिक!*

*प्रेम* से भरी हुई *आँखें* देना,

*श्रद्धा* से झुुका हुआ *सिर* देना,

*सहयोग* करते हुए *हाथ* देना,

*सत्पथ* पर चलते हुए *पाँव* देना

और

*सिमरण* करता हुआ *मन* देना।


*हे प्रभु!*

अपने *बच्चों* को

अपनी *कृपादृष्टि* देना,

 *सद्बुद्धि* देना।

*🙏🏻पल पल शुक्राना🙏🏻*

*🙏🏻हर पल शुकराना🙏🏻*


जगत सँग मनुआँ रहत उदास

 *राधास्वामी!                                             

 15-02-2022-आज शाम सतसंग में पढ़ा जाने वाला दूसरा शब्द पाठ:-                                                                                            

जगत सँग मनुआँ रहत उदास ।

चहत गुरु चरनन नित्त बिलास ॥ १ ॥                                                        

रीति मोहि जग की नहिं भावे ।

साध सँग छिन छिन मन धावें ॥ २ ॥                                                                                         

 तजत मन अब कृत संसारी ।

भजत गुरु नाम सुरत प्यारी ॥ ३ ॥                                     

काम और क्रोध रहे मुरझाय ।

चरन गुरु आसा मनसा लाय ॥४ ॥                                                    

लोभ और मोह गये घर छोड़ ।

 नाम में राधास्वामी के चित जोड़ ॥ ५ ॥                                                                                 

 अहँगता दीनी सब जारी।

दीनता चरनन में  बाढ़ी ॥ ६ ॥                                              

बिरह अनुराग रहे घट छाय।

सुरत मन धुन सँग रहे

लिपटाय  ॥ ७ ॥                                                          किया राधास्वामी यह सिंगार ।

गाऊँ कस महिमा उनकी सार ॥ ८ ॥                                                                                       

 चरन गुरु लागी बिरह सम्हार ।

रही मैं अचरज रूप निहार ॥ ९ ॥                                      

 प्रेम की धारा बढ़ी नियार। 

करी राधास्वामी दया अपार ॥१० ॥                                 

 गाऊँ नित आरत राधास्वामी साज ।

 दिया मोहि राधास्वामी अचरज दाज।। ११।।                                          

गगन में बाजे अनहद तूर ।

लखा घट अंतर अद्भुत नूर ॥१२ ॥                                   

गुरू पद परस गई सुन में ।

रली जाय फिर मुरली धुन में ॥१३ ॥                                

सुनी धुन बीना सतपुर में ।

अलख लख गई अगमपुर में ॥१४ ॥                                    

परे तिस धाम अनूप दिखाय ।

 चरन राधास्वामी परसे जाय ॥१५ ॥

 (प्रेमबानी-1-शब्द-42- पृ.सं.309,310)*


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राधास्वामी मत स्थापना दिवस - 15021861

 राधास्वामी।

आज के दिन 15 फरवरी 1861 को परम गुरु हुज़ूर महाराज की प्रार्थना पर परम पुरुष पूरन धनी हुज़ूर स्वामी जी महाराज ने अति दया कर के "सतसंग आम ज़ारी करने की" मौज फरमाई थी।

राधास्वामी।



*राधास्वामी।*



*आज के दिन 15 फरवरी 1861 को परम गुरु हुज़ूर महाराज की प्रार्थना पर परम पुरुष पूरन धनी हुज़ूर स्वामी जी महाराज ने अति दया कर के "सतसंग आम ज़ारी करने की" मौज फरमाई थी।*

*राधास्वामी।*


Monday, February 14, 2022

रा धा स्वा मी, रा धा स्वा मी, जाप / धुन

 : *रा धा स्वा मी, रा धा स्वा मी,                                 रा धा स्वा मी, रा धा स्वा मी,                                 रा धा स्वा मी, रा धा स्वा मी,      

                

राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी!      🌹🌹


 *गुरु  आज्ञा  जो  शिष्य  करहि,*


*वह  करतूत भक्ति  फल  देही ।।*



इसी  में  सारा  तथ्य  हैं, यहीं  प्रिंसिपल  एडॉप्ट  करिए,  बाकी  कुछ  नही। जो  गुरु  महाराज  फरमाते  हैं,  उसको  फॉलो  करिए, अपना  दिमाग  लगाएगे  तो  घड़े  में  जाएंगे, कभी  नही  उबर  पाएंगे। 


*राधास्वामी*


 *यह तो घर है प्रेम का, खाला का घर नाहिं ।*

*सीस उतारे भुइॅ धरे, तब घर पैठे माहिं।।*


 *यही कहन है Prem Saran का*


धुन जो हम  सुनते वही सब कुछ है। जो पाठ सुनते है वो descriptive है।

धुन सुन कर ही निज धाम पहुंचेंगे।

हमे articulative एंड accelerative होना है।


*रा धा स्वा मी, रा धा स्वा मी,                               

 रा धा स्वा मी, रा धा स्वा मी,                             

   रा धा स्वा मी, रा धा स्वा मी,                     

  राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी राधास्वामी!      🌹🌹*

आज मैं गुरु सँग खेलूँगी होरी ॥टेक ॥

 *राधास्वामी!                                            

  15-02-2022-आज सुबह सतसंग में पढ़ा जाने वाला दूसरा शब्द पाठ:-                                                                                             

आज मैं गुरु सँग खेलूँगी होरी ॥टेक ॥                                                 

    भाग जगे गुरु सतगुरु पाये ।

मन बिच हरख बढ़ो री ॥ १ ॥                                        

 बिरह अनुराग रंग घट भरिया ।

 गुरु पर छिड़क रहूँ री ॥ २ ॥                                

उमँग अबीर गुलाल प्रेम का ।

 गुरु चरनन पर आन मलूँ री ॥ ३ ॥                                   

प्रेम दान बिनती कर माँगूँ ।

तन मन धन सब वार धरूँ री ॥ ४ ॥                                  

शब्द रूप प्यारे राधास्वामी का ।

 घट में दरस करूँ री ॥ ५ ॥

(प्रेमबानी-3-शब्द-14- पृ.सं.304)*


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यह तो घर हैं प्रेम का*

 *यह  तो  घर   हैं   प्रेम   का*

*खाला    का     घर    नाहि ।*

*सीस  उतारे    भुईं    धरे* 

*तब      पैठे      घर     माहि।।*


*ये  प्रेमसरन  का  यहीं  मतलब  हैं  और  यह  करने  से  आपको  सच्ची  मुक्ति  मिल  जाएगी। इसमें  जो  रैंपिंग  होती  हैं  या  एस्केलेट  होता  हैं, इसके  साथ एस्केलेटिव  भी  आप  करेगे, उतना  आप  दौड़ने  लगेगे, आगे  बढ़ने  लगेंगे, मूव  करने  लगेगे।*


*इसका  मतलब  हैं  -  लिव  एंड  लैट   लिव्ड (14-02-2022-शाम खेतों में)*

Saturday, February 12, 2022

संदेश

 प्रति,

  अध्यक्ष,

  (सभी क्षेत्रीय सत्संग संघ), शाखा सचिव/प्रभारी, सत्संग केंद्र।


  प्रिय भाई/बहन,


        मुझे विश्वास है कि आप प्रतिदिन सुबह और शाम सत्संग के दौरान दयालबाग से  ई- सत्संग कैस्केड के माध्यम से प्रसारित होने वाले राधास्वामी धुन के मंत्र को सुन रहे होंगे।  आपने इस संबंध में की जा रही घोषणाओं को भी सुना होगा जिसमें परम कृपालु हुजूर राधास्वामी दयाल द्वारा किए जा रहे आध्यात्मिक लाभों पर प्रकाश डाला गया था।


        इसलिए, आपसे अनुरोध है कि आप कृपया अपनी शाखा/क्षेत्र के सत्संगियों/ जिज्ञासुओं को ई-सत्संग कैस्केड से जुड़ने की सलाह दें, जैसे ही प्रसारण 03.15 पूर्वाह्न/अपराह्न प्रारंभ होता है।  प्रत्येक व्यक्ति को "राधास्वामी" कलात्मक मंत्र पर एक साथ ध्यान केंद्रित करते हुए दोनों आंखों की पुतलियों को जोड़ने वाली सीधी रेखा के द्विभाजक पर लगभग आधा / तीन चौथाई इंच अंदर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।  यदि सत्संगी/जिज्ञासू खेत में कृपालु उपस्थिति में भौतिक रूप से उपलब्ध नहीं है, तो उसे अपने फोटोग्राफ में कृपालु हुजूर की आँखों पर ध्यान देना चाहिए।  आध्यात्मिक लाभ प्रचुर मात्रा में प्राप्त होगा।


        यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि ऑडियो प्रसारण को सुनने से जो लाभ होता है, वह वीडियो प्रसारण में भाग लेने से जितना अधिक या अधिक फायदेमंद होता है।  इसलिए, आपको उन सभी सतसंगियों / जिज्ञासुओं को प्रोत्साहित करना चाहिए, जिन्होंने ई सत्संग कैस्केड के साथ पंजीकरण किया है, बिना किसी असफलता के नियमित रूप से जुड़ें और पूरे प्रसारण में जुड़े रहें और पूर्ण मात्रा में अनुग्रह में भाग लें।  वे केवल अपने मोबाइल फोन का उपयोग करके ऑडियो मोड में कनेक्ट हो सकते हैं।  वे सत्संगी/जिज्ञासु जो अभी तक ई-सत्संग नेटवर्क पर पंजीकृत नहीं हैं, वे संबंधित शाखा सचिव द्वारा उचित सत्यापन/पुनरीक्षण के बाद तुरंत ऐसा करें।  आपको यह जानकर खुशी होगी कि ऑडियो और वीडियो में उपस्थित लोगों की उपस्थिति (पर्यवेक्षित नेक मोड में) लगातार बढ़ रही है।


  सादर और हार्दिक राधास्वामी के साथ

  आपका स्नेहपूर्वक,

  (गुर सरूप सूद)

  अध्यक्ष, राधास्वामी सत्संग सभा,

  दयालबाग, आगरा-282005, भारत।

Friday, February 11, 2022

महत्वपूर्ण एनाउसमेंट 10/2/22 शाम के खेतो के समय*

 


जो  निस्वार्थ  सेवा  करेंगे  और  ये  धुन  जो  राधास्वामी  की  हैं  सुनेंगे,  तो  आपकी   सुरत  अपने  आप  ही  आकर्षित  हो  जाएगी।  राधास्वामी  दयाल  आपको  गोदी  में  उठा  कर  लेजाएगे।


*सा  रे  गा  मा  पा  धा  नि  सा* 


पे  इस  धुन  को  एक्सटेंड  किया  गया  हैं।  उसी  को  सीरियल  ले  करते  हुए  यह  धुन  को  बनाया  गया  हैं। एसेंडिंग  और  डिसेंडिंग  ऑर्डर  में  आप  अपने  शब्द  पाठ  को  सिंक्रोनाइज  करते  हुए  आगे  से  करेंगे।


जो  क्लासिकल  म्यूजिक  का  ज्ञान  रखते  हैं,  उनसे  सलाह  लेके  और  शब्दों  की  धुन  इसके  साथ  सिंक्रोनाइज  कराकर,  उनसे  ट्रेनिंग  लीजिए  उनके  साथ  रिहर्सल   करिए।


देखिए,  आपको  अपनी  आत्मा  को  गुरु  महाराज  की  आत्मा  से  जोड़ना  हैं। आप  उनकी  आंखों  में  दृष्टि  से  दृष्टि  मिलाएंगे और  जो  फिजिकली  यहाँ  पर  मौजूद  नही  हैं, वो  गुरु  महाराज  की  फोटोग्राफ  में  आखों  से  आँखे  मिलाएंगे(दृष्टि  से  दृष्टि  मिलाएंगे)। जैसा  आपने  शब्दो  में  भी  सुना  हैं, मुरशिद  की  आँख  बीच  से  हैं  रास्ता  चला, तो  आप  ऐसा  करेगे  और  ये  ऑडियो  में  राधास्वामी  धुन  सुनते  जाएंगे साथ - साथ, यह  आपके  लिए  प्राइमरी  इंडिकेशन  हैं। इसके  साथ - साथ  ऐसा  करेगे, राधास्वामी  नाम  ही  प्राइमरी  फोर्स  हैं, अगर  आप  ऐसा  करेगे  तो  अपने  आप  सुरत  का  खिंचाव  होगा  और  राधास्वामी  दयाल  आपको  गोद  में  बैठा  कर  निज  धाम  लेजाएगे।


देखिए  पहले  यह  धारणा  थी  कि  वीडियो  मेन  हैं, लेकिन  ऑडियो  मेन  हैं  और  इस  तरह  से  ऑडियो  में  ये  धुन  सुनने  से आपका  फायदा  होगा।  वीडियो  तो  सुपरवाइज  मोड  में  कुछ  लोग  ही  इसको  देखते  हैं।


यहाँ  पर  उपदेश  दिया  जाता  हैं,  उसका  दारोमदार  तो  राधास्वामी  नाम  में  ही  निहित  हैं। उसी  के  द्वारा  आप  आगे  निजधाम  तक, उसको  पकड़कर  ही  आप  वहाँ  तक  पहुंच  सकते  हैं। उसी  से  आपका  उद्धार  होगा। अभ्यास भी  नही  करेगे,  तब  भी  पार  लग  जाएंगे।


*साहब  जी  महाराज  ने  फरमाया  था,  ८वे  संत  सत्गुरु  की  बहुत  महिमा  होगी। लेकिन  ९वे  संत  सत्गुरु  की  महिमा  उससे  दोगुनी  होगी और  वैसे  ही  आगे  होता  रहेगा। दोगुने  से  चौगुनी, चौगने  से  अट्ठनी, इस  तरह  होता  रहेगा। अनंतकाल  तक  ये  प्रोसेस  चलता  रहेगा।*


राधास्वामी

Monday, February 7, 2022

होली के दिन आये सखी ।

 राधास्वामी!                                              

07-02-2022-आज सुबह सतसंग में पढ़ा जाने वाला दूसरा शब्द पाठ:-                                                                                           

होली के दिन आये सखी । उठ खेलो फाग नई॥१॥                                                  दया धार आये सतगुरु प्यारे । प्रेम का रंग बही॥२॥                                              भक्ति दान फगुआ दिया सब को ।

 प्रीति जगाय दई।।३।।                                  

 बिरह गुलाल अबीर तड़प का ।

 मन पर डाल दई॥४॥                                                उमँग रंग भर भर अब घट में।

गुरु पर छिड़क दई॥५॥                                                आओ सखी अब सोच न कीजे ।

चरनन लिपट रही॥६॥                                       

 दया दृष्टि अब सतगुरु डारी।

अंतर भीज रही।।७॥                                               दरशन करत हुई मतवारी।

सुध बुध बिसर गई।।८।।                                                नैनन की पिचकार छुड़ावत । तिल में उलट गई॥९॥                                        सहसकँवल चढ़ जोत जगाई।

संख बजाय रही॥१०॥                                              लाल गुलाल रूप गुरु देखा । त्रिकुटी जाय रही॥११॥                                                 चंद्र रूप लख निरखी गुफा। जहाँ मुरली बाज रही॥१२॥                                         सत्तलोक जाय पुरुष रूप लख ।

 अचरज कौन कही॥१३॥                                         हंसन से मिल खेली होली।बीन बजाय रही  ।।१४॥                                                                

 प्रेम रंग की बरषा कीनी । अमृत धार बही      ।।१५॥                                               अलख अगम से भेंटा करके।

राधास्वामी चरन पई॥१६॥                                    अचरज रूप निरख हिये दिरगन ।

छिन छिन रीझ रही॥१७॥                                    

अद्भुत शोभा रूप अनूपा ।

निरखत मगन भई ॥१८॥                                          महिमा राधास्वामी बरनी न जाई ।

हिया जिया वार रही॥१९॥                                   

 ऐसी होली खेल राधास्वामी से।

 अचल सुहाग लई।।२०।।

 (प्रेमबानी-3-शब्द-7- पृ.सं.297,298,299)

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सतसंग सुबह पाठ / 07022022

 राधास्वामी! -                       

 07-02-2022-आज सुबह सतसंग में पढे गये शब्द पाठ:-                                                      

(1) गुरू नाम रटूँ अँग अँग से।

 गुरु आरत करूँ उमँग से।।

(सारबचन-शब्द-9- पृ.सं.765)

(अधिकतम् उपस्थिति-वाराणसी ब्राँच उत्तरप्रदेश-@-2:48-दर्ज-95)                                                                    

(2) होली के दिन आये सखी।

 उठ खेलो फाग नई।।-

(सहसकँवल चढ जोत जगाई।

संख बजाय रही।।)

(प्रेमबानी-3-शब्द-7- पृ.सं.296,297,298)                                                       

(3) सजीले सज तुम अकह अपारी।।टेक।।

(प्रेमबिलास-शब्द-127- पृ.सं.186,187)

 (विद्युतनगर मोहल्रा-उपस्थिति-24)                                                                                                                                                                    

सतसंग के बाद:-                                          

(1)-राधास्वामी मूल नाम।                                                                                             

(2)-मिश्रित शब्द पाठ एवं मेरे तो राधास्वामी दयाल दूसरो न कोई।

सबके तो राधास्वामी दयाल।

मेरे तो तेरे तो सबके तो। राधास्वामी दयाल दूसरो न कोई।

राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से जनम सुफल कर ले।।                                                                                                                                                                                               

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻


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Saturday, February 5, 2022

प्रेम समाचार / (परम गुरु सरकार साहब) बसंत

 आज का बचन /  बसंत 



प्रेम समाचार /  (परम गुरु सरकार साहब) बसंत 




            माघ सुदी पंचमी, जो बसंत-पंचमी के नाम से प्रसिद्ध है, हिन्दुओं में एक मुबारक दिन माना जाता है और सुख व ख़ुशी के मौसम का अगुआ समझा जाता है। संतों ने भी मालिक के इस संसार में आने के समय की उपमा बसंत ऋतु से दी है। परम पुरुष पूरन धनी स्वामीजी महाराज ने पहले ही आरती के शब्द में सारबचन में फ़रमाया है-


चलो री सखी मिल आरत गावें।


ऋतु  बसंत आये पुरुष  पुराने।


            जिस अपार दया मेहर की प्राप्ति की आशा संतों के इस संसार में आने से उत्पन्न होती है बेशक वही भक्तजनों के वास्ते सच्ची परमार्थी बसंत ऋतु है और इस मनोहर उपमा के सिलसिले में बसंत भक्त-मंडली में भी एक सुहावना दिन है, मगर जो भारी महिमा इस दिन को हुज़ूर राधास्वामी दयाल ने बख़्शी है उसके कारण सतसंगियों के वास्ते तो यह दिन महा आनन्द व बिलास का है। परम दाता स्वामीजी महाराज ने संदेश जगत उद्धार का पहले पहल इसी दिन प्रगट फ़रमाया और इसी दिन से आम सतसंग जारी हुआ। हमेशा यह परम शुभ दिन पूर्ण उमंग व प्रेम के साथ आरती, पूजा, अभ्यास में सर्फ़ करने योग्य है।

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Friday, February 4, 2022

बसंत पंचमी / कृष्ण मेहता

 बसंत पंचमी 

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पंचांग के अनुसार हर सामाघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। वहीं इस दिन से ही बसंत ऋतु की शुरूआत होती है। बसंत पंचमी के दिन किसी भी अच्छे कार्य की शुरूआत बिना किसी मुहूर्त के की जा सकती है। इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण कर विद्या की देवी सरस्वती की पूजा-आराधना की जाती है। अबूझ मुहूर्त होने के कारण इस दिन कई शुभ कार्य किए जाते हैं। 


बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त

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बसंत पंचमी तिथि साल 2022 में बसंत पंचमी का पर्व 05 फरवरी, दिन शनिवार को मनाया जाएगा। पंचमी तिथि आरंभ 05 फरवरी प्रात:काल 03:47 बजे से पंचमी तिथि समाप्त 06 फरवरी प्रात:काल 03:46 बजे बसंत पंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त 05 फरवरी प्रात:काल 07:07 बजे से दोपहर 12:35 बजे तक रहेगा।


बसंत पंचमी पूजा विधि

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बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन शिक्षण संस्थानों में मां सरस्वती की पूजा के साथ-साथ घरों में भी उनकी पूजा की जाती है। इस दिन प्रात:काल स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण कर मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें। अब तिलक कर धूप-दीप जलाकर मां को पीले फूल अर्पित करें। बसंत पंचमी के दिन अगर पूजा मे सरस्वती स्त्रोत का पाठ किया जाए तो इससे व्यक्ति को अद्भूत परिणाम प्राप्त होते हैं। साथ ही आज के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी, भगवान विष्णु, वाद्य यंत्र और किताबें रखकर उनको भी धूप-दीप दिखाएं और विधि विधान से पूजा करें। पूजास्थल पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु जी की प्रतिमाएं स्थापित कर श्री सूक्त का पाठ करना बहुत लाभकारी माना जाता है। 


विद्या-बुद्धि के लिए करें ये काम 

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बसंत पंचमी के दिन अबूझ मुहूर्त होता है। इसीलिए इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना किसी मुहूर्त के किया जा सकता है। शास्त्रों में इस दिन किए जाने वाले कुछ विशेष कार्य बताए गए हैं, जिन्हें करने से मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं। कहते हैं कि हमारी हथेलियों में मां सरस्वती का वास होता है। बसंत पंचमी के दिन जगने के बाद सबसे पहले अपनी हथेलियां देखने से मां सरस्वती के दर्शन करने के बराबर फल प्राप्त होता है। बसंत पंचमी के दिन शिक्षा से जुड़ी चीजें किसी जरुरतमंद को दान करना चाहिए। बसंत पंचमी के दिन पुस्तकों की पूजा कर उनपर मोरपंख रखें। इससे छात्रों का मन पढ़ाई में लगने के साथ ही एकाग्रता बढ़ती है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पीले वस्त्र पहनकर पीले और सफेद रंग के फूलों और पूजन सामग्री से पूजा करनी चाहिए। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की आराधना कर उनके मंत्रों का जप करने से विद्या-बुद्धि प्राप्त होती है।

शुभ बसंत एवं सतसंग नववर्ष

 🌻🌻राधास्वामी!                                

 05-02-2022-[शुभ बसंत एवं सतसंग नववर्ष तथा परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज के भंडारा के पावन अवसर पर प्रेम प्रचारक का संयुक्त - विशेषांक-फरवरी-2022-अंक-13]:-

【बसन्त-1935】


(परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज )


“आज का दिन सतसंग जमाअत के लिए निहायत मुबारक (पवित्र) है क्योंकि इसी मुतबर्रक (पवित्र) रोज़ सन् 1861 ई० में यानी आज से 74 वर्ष क़ब्ल(पहले) राधास्वामी मत के प्रथम आचार्य हुज़ूर स्वामीजी महाराज ने इसी आगरा शहर में सतसंग आम जारी करने की मौज फरमाई। बअलफ़ाज़ दीगर (दूसरे शब्दों में) आज राधास्वामी सतसंग 74 वें वर्ष में क़दम रखता है। आम इन्सान के लिए 74 वाँ साल बुढ़ापे की अलामत (निशानी) है लेकिन जमाअतों व संस्थाओं के लिए 74 वर्ष 6 माह का अर्सा भी नहीं होता। यही नहीं बल्कि आज से बीस वर्ष पेश्तर यानी सन् 1915 ई० में इसी बसन्त पंचमी के मुबारक रोज़ इसी शहर आगरा बल्कि इसी मुक़ाम पर, जहाँ आप इस वक्त़ बैठे हैं, एक बच्चे का जन्म हुआ जिसका शुभ नाम दयालबाग़ रक्खा गया। पस बसन्त पंचमी का दिन सतसंग जमाअत के लिए निहायत मुबारक है क्योंकि इसी रोज़ सतसंग जमाअत की बुनियाद रक्खी गई और इसी रोज़ सतसंग के सदर मुक़ाम की दाग़बेल डाली गई।”       

(पुनः प्रकाशित प्रे. प्र. 22 जनवरी, 2007)

चलो री सखी मिल आरत गावें। 

ऋतु बसंत आये पुरुष पुराने।।1।।

अलख अगम का भेद सुनावें। 

राधास्वामी नाम धरावें।।2।।

ऐसे समरथ पुरुष अपारा। 

दृष्टि  जोड़  रहूँ  दर्श  अधारा।।6।।

राधास्वामी राधास्वामी नित गुन गाऊँ। चरन सरन पर  हिया उमगाऊँ।।8।।

(सारबचन, ब.1, श.1)

 सारबचन (नज़्म)

(परम पुरुष पूरन धनी हुज़ूर स्वामीजी महाराज)

।। बचन पहला।।

प्रगट होना परम पुरुष पूरन धनी राधास्वामी का संत  सतगुरु  रूप धर कर वास्ते उद्धार जीवों के।

।। संदेश।।

            सुनावना अधिकारी को इस संदेश का कि परम पुरुष पूरन धनी राधास्वामी जीवों को महादुखी और भ्रम में भूला हुआ देख कर आप उनके उद्धार के निमित्त संत सतगुरु रूप धारण करके प्रगट हुए और अति दया करके भेद अपने निज स्थान का और जुक्ति उसके प्राप्ति की सुरत शब्द के मार्ग से उपदेश करते हैं। जीवों को चाहिए कि उनके चरण-कमल में प्रेम प्रीति करें।

           इस मार्ग की कमाई से मन बस में आवेगा और सिवाय इसके दूसरा कोई उपाव मन के निश्चल और निर्मल करके चढ़ाने का आकाश के परे इस कलयुग में निश्चय करके नहीं है। जितने मत संसार में प्रवृत्त हैं उन सबका सिद्धान्त संतों की पहली मंज़िल निहायत दूसरी मंज़िल तक ख़तम हो जाता है। जो सुरत शब्द का अभ्यास विधि-पूर्वक बन आवे तो मन और सुरत निर्मल होकर और शब्द को पकड़ के आकाश के परे, जो घट घट में व्यापक है, चढ़ेंगे और नौ द्वार अथवा पिंडदेश को छोड़ कर ब्रह्मांड यानी त्रिकुटी में पहुँचेंगे और वहाँ से सुरत मन से अलग होकर आगे चलेगी और सुन्न और महासुन्न के बिलास देखती हुई और सत्तलोक और अलखलोक और अगमलोक में दर्शन सत्तपुरुष और अलखपुरुष और अगमपुरुष का करती हुई राधास्वामी के निज देश में प्राप्त होगी। इसी स्थान से आदि में सुरत उतरी थी और त्रिलोकी में आकर काल के जाल में फँस गई थी, सो उसी स्थान पर फिर जा पहुँचेगी। सुरत-शब्द-मार्गी को ये सब स्थान यानी विष्णुलोक और शिवलोक और ब्रह्मलोक और शक्तिलोक और कृष्णलोक और रामलोक और ब्रह्म और पारब्रह्म पद और जैनियों का निर्वाण पद और ईसाइयों का मुक़ाम ख़ुदा और रूहुल्क़ुद्स और मुसलमानों के आलम मलकूत और जबरूत और लाहूत सुन्न के नीचे नीचे रास्ते में पड़ेंगे। यह सब लीला देखती हुई सुरत संतों के प्रताप से अपने निज़ देश को प्राप्त होगी।

(सारबचन नज़्म, ब.1)

【बसंत】:-

परम पुरुष पूरन धनी हुज़ूर स्वामीजी महाराज ने सारबचन में फ़रमाया है:-(136)-अंत में जिसने जा कर बासा किया, वही बसंत है और वही अच्छा बसंत है और उनको ही हमेशा बसंत है जो चढ़ कर, जहाँ सबका अंत है, वहाँ बसे हैं।

(सारबचन नसर, भाग- 2, ब. 136)

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻🌻🌻

Thursday, February 3, 2022

होली

 *राधास्वामी!                                            

 04-02-2020- आज सुबह सतसंग में पढ़ा जाने वाला दूसरा शब्द पाठ:-                                                                                        

होली खेलन ऋतु आई सखी री।

 क्या भूल रही संसारी ॥ १ ॥                                     काम क्रोध और मोह नशे में l

लोभ मतवारी ॥ २ ॥                                                      

नर देही फिर हाथ न आवे ।

धरमराय करे ख्वारी।।३।।                                              याते समझो बूझो अब ही। सरन सतगुरु उबारी ॥ ४ ॥                                             खोज लगाय पड़ो उन चरनन । प्रीति प्रतीति सम्हारी ॥ ५ ॥                                        माया की फिर धूल उड़ाओ । देखो घट उजियारी ॥ ६ ॥                                      सुरत अबीर मलो गुरु चरनन ।

प्रेम का रंग बहा री ॥ ७ ॥                                          गुनन गुलाल उड़ाय सुनो धुन ।

 मिरदूँग बीन बजा री ॥ ८ ॥                                     जगमग जोत सूर चमका री ।

झलक चंद्र और नूर निहारी ॥ ९॥                                       

गुरु दयाल काटें जम जाला ।

कर दें तुम छुटकारी ॥१० ॥                                  

मगन होय जाओ घर अपने ।

राधास्वामी चरन सिहारी ॥

११॥

(प्रेमबानी-3-शब्द-6- पृ.सं.294,295)*

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सतसंग पाठ बसंतोत्सव 2022

 **राधास्वामी! -                        

03-02-2022-आज श सतसंग में पढे गये शब्द पाठ:-                                                      

(1)

 ऋतु बसंत आये सतगुरु जग में।

 चलो चरनन पर सीस धरो री।।

(प्रेमबानी-3-शब्द-3- पृ.सं.283,284)

 (अधिकतम् उपस्थिति-डेढगाँव ब्राँच उत्तरप्रदेश- @-14:35-दर्ज-107)                                                                   

(2)

बिरह प्रेम सतसँग की जागी।

 प्रीति मेरी गुरु चरनन लागी।।

(जीव की दया बसे मन माहिं।

देओ मुझको भी चरनन छाहिं।।)

(प्रेमबानी-1-शब्द-37- पृ.सं.301,302)                                                        (3)

आज साहब घर मंगलकारी। गाय रही सखियाँ मिल सारी।।

(प्रेमबिलास-शब्द-1- पृ.सं.5 )-(प्रेमनगर मोहल्ला -60)                                                                

(4)

प्रेम प्रचारक-विशेषांक-                                                                                               

सतसंग के बाद:-                                          

(1)-

राधास्वामी मूल नाम।                                                                                              (2)-

मिश्रित

शब्द पाठ एवं

 मेरे तो राधास्वामी दयाल दूसरो न कोई।

 सबके तो राधास्वामी दयाल।

मेरे तो तेरे तो सबके तो। राधास्वामी दयाल

दूसरो न कोई।

राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से

 जनम सुफल कर ले।।                                                                                                                                                                                                🙏🏻राधास्वामी🙏🏻*


**राधास्वामी!                                             

आज शाम सतसंग में पढ़ा गया बचन-

(प्रेम प्रचारक विशेषांक:-)

(अर्ध - शतक 101

 राधास्वामी सम्वत् 204

 गुरुवार फ़रवरी 03 , 2022 अंक 13)-                                               

[ परम गुरु हुज़ूर डॉ.लाल साहब के अत्यंत दया भरे बचन ,दिवस 3]:-बसंत , 3 फ़रवरी 1987 को शाम के सतसंग के बाद पूज्य हुज़ूर ने फ़रमाया-

“ अभी जो बचन पढ़ा गया आपने सुना होगा । इस सिलसिले में शायद मेरा कुछ कहना ग़ैर - मुनासिब न हो , इस वास्ते मैं आपसे कुछ अर्ज करूँ । जो लोग बराबर दो - तीन दिन से शाम के सतसंग में यहाँ आते रहे हैं , उन्होंने सुना होगा कि रोज़ एक बचन पढ़ा जाता था जिसमें यह प्रार्थना स्वामीजी महाराज के चरणों में की गई कि बसंत के मौक़े पर वह दयालबाग़ तशरीफ़ लाएँ । आज जो बचन पढ़ा गया , उसमें भी यह बतलाया गया है कि शायद स्वामीजी महाराज सतसंग में तशरीफ़ रखते हैं ।

 आपको मालूम है कि जहाँ सतसंगी , बहुत से सतसंगी इकट्ठा हो करके , और कोई प्रार्थना दाता दयाल के चरणों में करते हैं , तो विशेष दया होती है ।

अब आप यह ग़ौर करें कि अगर यह बात सही है जैसा कि बचन में जो आज शाम को अभी पढ़ा गया , उसमें वर्णन किया गया है कि स्वामीजी महाराज सतसंग में पधारे हों , तो अब आप यह भी सोचें कि अगर स्वामीजी महाराज ने यह दया की कि दयालबाग़ में तशरीफ़ लाने की तकलीफ़ गवारा की तो यह ग़ैर मुमकिन है कि हुज़ूर साहबजी महाराज भी साथ तशरीफ़ न लाएँ क्योंकि दयालबाग़ तो उन्हीं ने क़ायम किया । तो अगर स्वामीजी महाराज यहाँ का inspection ( निरीक्षण ) करना चाहते हैं तो यह ज़रूरी है कि साहबजी महाराज वह सब चीज़ दिखावें जो उन्होंने 1915 में क़ायम की और यहाँ बहुत सी संस्थाएँ उस वक्त बीज रूप से शुरू हुईं और कुछ बढ़ीं

 अब और यह भी सोचें आप कि अगर हुज़ूर साहबजी महाराज दयालबाग़ में तशरीफ़ लावें तो यह कैसे हो सकता है कि परम गुरु हुज़ूर मेहताजी महाराज भी साथ न हों । क्योंकि उन्होंने तो यहाँ पर दिन - रात क़रीब 38 बरस दिन रात मेहनत करके , तकलीफ़ गवारा करके और सतसंगियों से काम ले कर , दयालबाग़ की पौध को सींच कर हरा भरा किया ।

आज जो आप दयालबाग़ देख रहे हैं , उनकी दया की वजह से आप देख रहे हैं, तो अगर स्वामीजी महाराज तशरीफ़ लावें और हुज़ूर साहबजी महाराज तशरीफ़ लावें और हुज़ूर मेहताजी महाराज तशरीफ़ लावें तो आप यह समझ लीजिये कि जो दयालबाग़ निवासियों ने इधर 8-10 रोज़ ख़ूब मेहनत करके दयालबाग़ की सफ़ाई की और दयालबाग़ कालोनी को चमकाया , वह इस वक्त देखा जावेगा ।

 आप यह भी मानिये कि जिन लोगों ने , आदमियों ने , औरतों ने , लड़कों ने , लड़कियों ने , बच्चों ने मेहनत करके यह काम किया है , और अगर आपका काम पसंद आ गया तो उन सब लोगों के ऊपर विशेष दया होगी । यह मत समझिये कि जो आपने उनके स्वागत में थोड़ी या बहुत अपनी सेवा का परिचय पेश किया , उसका कोई इनाम नहीं है । मैं यह कहूँगा कि आपको अब लगातार वही प्रार्थना करनी चाहिये कि हमारे गुरु महाराज दयालबाग़ में ही जैसा कि कल - परसों के बचन में भी था , हमेशा क़याम करें । अब एक पाठ और कर लीजिये ।                                                              प्रेमबिलास से- पाठ पढ़ा गया

 ' धन्य धन्य सखी भाग हमारे । ' ( शब्द 126 )                                                 

  ( पुनः प्रकाशित प्रेम प्रचारक 30 जनवरी 2006 )*


#रामप्पा_मंदिर_तेलंगाना

 

तैरने वाले पत्थरों से बना रहस्यमयी मंदिर

भारत वर्ष के हिन्दू मंदिर की भव्यता देखो। 

मन्दिर का हर एक चित्र ध्यान से देखिए आपको इसकी भव्यता साफ साफ दिखाई देगी।


इस मंदिर की मूर्तियों और छत के अंदर जो पत्थर उपयोग किया गया है वह है बेसाल्ट जो कि पृथ्वी पर सबसे मुश्किल पत्थरों में से एक है इसे आज की आधुनिक Diamond electron machine ही काट सकती है वह भी केवल 1 इंच प्रति घंटे की दर से।


अब आप सोचिये कैसे इन्होंने 900 साल पहले इस पत्थर पर इतनी बारीक कारीगरी की है ।


बहुत सी नृत्यांगनाओं को बहुत बारीकी से तराशा गया है।यहां पर एक नृत्यांगना की मूर्ति भी है जिसने हाई हील पहनी हुई है।


सबसे ज्यादा अगर कुछ आश्चर्यजनक है वह है इस मंदिर की छत यहां पर इतनी बारीक कारीगरी की गई है  जिसकी सुंदरता देखते ही बनती है


मंदिर की बाहर की तरफ जो पिलर लगे हुए हैं उन पर कारीगरी देखिए दूसरा उनकी चमक और लेवल में कटाई।


मंदिर के प्रांगण में एक नंदी भी है जो भी इसी पत्थर से बना हुआ है और जिसकी ऊंचाई नौ फीट है,उस पर जो कारीगरी की हुई है वह भी बहुत अद्भुत है।


पुरातात्विक टीम जब यहां पहुंची तो वह इस मंदिर की शिल्प कला और कारीगिरी  से बहुत ज्यादा प्रभावित हुई लेकिन वह एक बात समझ नहीं पा रहे थे कि यह पत्थर क्या है और इतने लंबे समय से कैसे टिका हुआ है


पत्थर इतना सख्त होने के बाद भी बहुत ज्यादा हल्का है और वह पानी में तैर सकता है इसी वजह से आज इतने लंबे समय के बाद भी मंदिर को किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंची है


यह सब आज के समय में करना असंभव है इतनी अच्छी टेक्नोलॉजी होने के बाद भी तो इतने साल पहले क्या इनके पास मशीनरी नहीं थी?


उस समय की टेक्नोलॉजी आज से भी ज्यादा आगे थी ।

यह सब इस वजह से संभव था कि उस समय वास्तु शास्त्र और शिल्पशास्त्र से जुड़ी हुई बहुत सी किताबें उपलब्धि थी जिनके माध्यम से ही यह निर्माण संभव हो पाये उस समय के जो इंजीनियर थे उनको इस बारे में लंबा अनुभव था क्योंकि सनातन संस्कृति के अंदर यह सब लंबे समय से किया जा रहा है

मंदिर शिव को समर्पित है

🙏🚩 हर हर महादेव🚩🙏

तेजी ग्रोवर की कविताएँ

 आज अपने प्रिय कवि में बात करेंगे कवियत्री तेजी ग्रोवर  की। तेजी , भाषा की नयी मुहावरे गढ़ने ‌वाली एक अच्छी कवियत्री होने के साथ एक कथा लेखिका,अनुवादक और चित्रकार हैं। उन्हें 1950 के बाद पैदा हुए पीढ़ियों में हिंदी कविता में एक महत्वपूर्ण आवाज के रूप में माना जाता है।  उन्होंने ने हिन्दी में कई स्कैंडिनेवियाई एवं अन्य विदेशी और भारतीय लेखकों की रचनाओं का अनुवाद किया है।


 कवियत्री तेजी ग्रोवर  पारम्परिक ‌बिम्बों के साथ फैंटसी और वास्तविकता के मिश्रण से सर्वथा एक नई मुहावरा गढ़ती हुइ कविता में अतित से शुरू कर ‌वर्तमान के गलियों से होते हुए भविष्य की तरफ बढ़ती है। वह प्रेम के अतीन्द्रिय अनुभवों , समसामयिक विषयों और त्रासदियों को केवल वर्तमान नहीं वरण  अतित और भविष्य  के वरक्स ‌भी देखने की कोशिश करती   है और ऐसा करते हुए जन्म, मृत्यु और इससे इतर मानवीय चेतना के सुक्ष्म तरंगों को भी आत्मसात करतीं है।


जन्म 1955

 जन्म स्थान पठानकोट, पंजाब, भारत

 कुछ प्रमुख कृतियाँ

यहाँ कुछ अंधेरी और तीखी है नदी (1983), जैसे परम्परा सजाते हुए (1982), लो कहा साँबरी (1994)

 जीवन परिचय

तेजी ग्रोवर 

कविता संग्रह

यहाँ कुछ अंधेरी और तीखी है नदी / तेजी ग्रोवर

लो कहा साँबरी / तेजी ग्रोवर (1994)

अन्त की कुछ और कविताएँ / तेजी ग्रोवर (2000)

मैत्री / तेजी ग्रोवर


प्रतिनिधि कविताएँ


क्या मालूम है तुम्हें / तेजी ग्रोवर


नीलमणि मुख पोखर में खड़ा सूर्य / तेजी ग्रोवर

जिस भी सेमल की छीम्बी से उडती है वह / तेजी ग्रोवर

भाषा के साथ खेल सकते हो / तेजी ग्रोवर

तुमने एक फूल को देख लिया है / तेजी ग्रोवर

पूरा हो चुका चाँद / तेजी ग्रोवर

अभी टिमटिमाते थे / तेजी ग्रोवर

क्या यही मिला है / तेजी ग्रोवर

कभी वह उतरती है बिम्ब में / तेजी ग्रोवर

बेतरह आँख पोंछता है / तेजी ग्रोवर

मीलों-मील बँधी हुई धूप में / तेजी ग्रोवर

सरक आती है कान की प्याली में / तेजी ग्रोवर

ऊँघतीं हैं दोपहर की कच्ची डगार से / तेजी ग्रोवर

बहुरंगी छींट की खाल में / तेजी ग्रोवर

पर्वतों के नील से किसक रही है / तेजी ग्रोवर

मालूम नहीं इच्छा होती है जब / तेजी ग्रोवर

रात आई और अदृश्य में डूब गए / तेजी ग्रोवर

अपने फूलों की दहक से / तेजी ग्रोवर

क्षण के उस नामालूम अंश में / तेजी ग्रोवर

प्रतीक्षा करो या न करो / तेजी ग्रोवर


पगली


तेरे सपने में थोड़े हूँ पगली 


मैं तो बैठा हूँ 


टाट पर 


सजूगर 


अचार भरी उँगलियाँ चाटता हुआ 


मैं टाट पर थोड़े हूँ पगली 


झूलती खाट में 


सो रहा हूँ तेरे पास 


इतना पास 


कि तेरा पेट गुड़गुड़ाया 


तो मैंने सोचा मेरा है 


भोर तक यहीं हूँ पगली 


तू साँस छोड़ेगी 


तो भींज उठेंगी मेरी कोंपलें 


मेरी खुरदरी उँगलियाँ 


नींद की रोई तेरी आँखों पर 


काँप-काँप जाएँगी 


और तू 


झपकी भर नहीं जगेगी रात में 


मैं जा रहा हूँ पगली 


तेरे खुलने से पहले 


उजास में घुल रही है मेरी आँख 


छूना मटका तो मान लेना 


मैं आया था 


घोर अँधेरे तपते तीर की तरह आया था 


रात भर प्यासा रहा। दो।


तेरे सपने में थोड़े हूँ पगली 


मैं तो बैठा हूँ 


टाट पर 


सजूगर 


अचार भरी उँगलियाँ चाटता हुआ 


मैं टाट पर थोड़े हूँ पगली 


झूलती खाट में 


सो रहा हूँ तेरे पास 


इतना पास 


कि तेरा पेट गुड़गुड़ाया 


तो मैंने सोचा मेरा है 


भोर तक यहीं हूँ पगली 


तू साँस छोड़ेगी 


तो भींज उठेंगी मेरी कोंपलें 


मेरी खुरदरी उँगलियाँ 


नींद की रोई तेरी आँखों पर 


काँप-काँप जाएँगी 


और तू 


झपकी भर नहीं जगेगी रात में 


मैं जा रहा हूँ पगली 


तेरे खुलने से पहले 


उजास में घुल रही है मेरी आँख 


छूना मटका तो मान लेना 


मैं आया था 


घोर अँधेरे तपते तीर की तरह आया था 


रात भर प्यासा रहा। 


बेतरह‌आंख पोछता है

________________

बेतरह आंख पोछता है

इस क्षण का ईश्वर

(आँसू 


प्याज़ के?) 


ऐश्वर्य में 


उसे भी नहीं मालूम 


वह भी नहीं जानता 


प्रतीक्षा है वह 


जिसकी प्रतीक्षा 


होना अभी शेष है 


शेष है 


अभी इस नक्षत्र पर।

Wednesday, February 2, 2022

बन्द मुठ्ठी लाख की !!*/+कृष्ण मेहता

 *


एक समय एक होलकर राज्य में  राजा ने घोषणा की कि वह राज्य के शिव मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए अमुक दिन जाएगा।

 *इतना सुनते ही  मंदिर के पुजारी ने मंदिर की रंग रोगन और सजावट करना शुरू कर दिया, क्योंकि राजा आने वाले थे। इस खर्चे के लिए उसने सर सेठ हुकम चंद जी से  ₹6000/- का कर्ज लिया ।*

 नियत तिथि पर राजा मंदिर में दर्शन, पूजा, अर्चना के लिए पहुंचे और पूजा अर्चना करने के बाद आरती की थाली में *चार आने दक्षिणा* स्वरूप रखें और अपने महल में प्रस्थान कर गए !

 पूजा की थाली में चार आने देखकर पुजारी बड़ा नाराज मन ही मन हुआ, उसे लगा कि राजा जब मंदिर में आएंगे तो काफी दक्षिणा मिलेगी पर चार आने !!

*बहुत ही दुखी हुआ कि कर्ज कैसे चुका पाएगा, वह सर सेठ हुकम चंद जी के पास गया और उनसे उपाय पूछा हुकम चंद सेठ एक उपाय सोचा ! ओर पुजारी जी को कान में बता दिया!!*पुजारी जी ने अगले दीन पुरे इंदौर में ढिढोरा पिटवाया की राजा की दी हुई वस्तु को वह नीलाम कर रहा है।

 नीलामी पर उसने अपनी मुट्ठी में चार आने रखे पर मुट्ठी बंद रखी और किसी को दिखाई नहीं।

 *लोग समझे की राजा की दी हुई वस्तु बहुत अमूल्य होगी इसलिए बोली हुकमचंद सेठ ने  रु10,000/- से शुरू की*

*रु 10,000/- की बोली बढ़ते बढ़ते रु50,000/- तक पहुंची और पुजारी ने वो वस्तु फिर भी देने से इनकार कर दिया।* यह बात राजा के कानों तक पहुंची ।

राजा ने अपने सैनिकों से पुजारी को बुलवाया और पुजारी से निवेदन किया कि वह मेरी वस्तु को नीलाम ना करें मैं तुम्हें रु50,000/-की बजाय *सवा लाख रुपए* देता हूं और इस प्रकार राजा ने *सवा लाख रुपए देकर अपनी प्रजा के सामने अपनी इज्जत को बचाया  !*

तब से यह कहावत बनी *बंद मुट्ठी सवा लाख की खुल गई तो खाक की !!*

*यह मुहावरा आज भी प्रचलन में है।*

2022 के प्रदोष व्रत और पूजा मुहूर्त।*

 *प्रस्तुति - कृष्ण मेहता


15 जनवरी, शनिवार- शनि प्रदोष व्रत। 

पूजा मुहूर्त- शाम 05:46 बजे से रात 08:28 बजे तक।



30 जनवरी, रविवार- रवि प्रदोष व्रत।

पूजा मुहूर्त- शाम 05:59 बजे से रात 08:37 बजे तक।

14 फरवरी, सोमवार- सोम प्रदोष व्रत।

पूजा मुहूर्त- शाम 06:10 बजे से रात 08:28 बजे तक।



28 फरवरी, सोमवार- सोम प्रदोष व्रत।

पूजा मुहूर्त- शाम 06:20 बजे से रात 08:49 बजे तक।

15 मार्च, मंगलवार- भौम प्रदोष व्रत।

पूजा मुहूर्त- शाम 06:29 बजे से रात 08:53 बजे तक।


29 मार्च, मंगलवार- भौम प्रदोष व्रत.

पूजा मुहूर्त- शाम 06:37 बजे से रात 08:57 बजे तक.


14 अप्रैल, गुरुवार- गुरु प्रदोष व्रत।

पूजा मुहूर्त- शाम 06:46 बजे से रात 09:00 बजे तक।

28 अप्रैल, गुरुवार- गुरु प्रदोष व्रत।

पूजा मुहूर्त- शाम 06:54 बजे से रात 09:04 बजे तक।


13 मई, शुक्रवार- शुक्र प्रदोष व्रत।

पूजा मुहूर्त- शाम 07:04 बजे से रात 09:09 बजे तक।

27 मई, शुक्रवार- शुक्र प्रदोष व्रत।

पूजा मुहूर्त- शाम 07:12 बजे से रात 09:14 बजे तक।


12 जून, रविवार- रवि प्रदोष व्रत.

पूजा मुहूर्त- शाम 07:19 बजे से रात 09:20 बजे तक।


26 जून, रविवार- रवि प्रदोष व्रत।

पूजा मुहूर्त- शाम 07:23 बजे से रात 09:23 बजे तक।


11 जुलाई, सोमवार- सोम प्रदोष व्रत।

 पूजा मुहूर्त- शाम 07:22 बजे से रात 09:24 बजे तक।


25 जुलाई, सोमवार- सोम प्रदोष व्रत।

पूजा मुहूर्त- शाम 07:17 बजे से रात 09:21 बजे तक।


09 अगस्त, मंगलवार- भौम प्रदोष व्रत.

पूजा मुहूर्त- शाम 07:06 बजे से रात 09:14 बजे तक।


24 अगस्त, बुधवार- बुध प्रदोष व्रत।

पूजा मुहूर्त- शाम 06:52 बजे से रात 09:04 बजे तक।


08 सितंबर, गुरुवार- गुरु प्रदोष व्रत।

पूजा मुहूर्त- शाम 06:35 बजे से रात 08:52 बजे तक।


23 सितंबर, शुक्रवार- शुक्र प्रदोष व्रत।

पूजा मुहूर्त- शाम 06:17 बजे से रात 08:39 बजे तक।


07 अक्टूबर, शुक्रवार- शुक्र प्रदोष व्रत।

पूजा मुहूर्त- शाम 06:00 बजे से रात 08:28 बजे तक।


22 अक्टूबर, शनिवार- शनि प्रदोष व्रत।

पूजा मुहूर्त- शाम 06:02 बजे से रात 08:17 बजे तक।


05 नवंबर, शनिवार- शनि प्रदोष व्रत।

पूजा मुहूर्त- शाम 05:33 बजे से रात 08:10 बजे तक।


21 नवंबर, सोमवार- सोम प्रदोष व्रत।

पूजा मुहूर्त- शाम 05:25 बजे से रात 08:06 बजे तक।


05 दिसंबर, सोमवार- सोम प्रदोष व्रत।

पूजा मुहूर्त- शाम 05:24 बजे से रात 08:07 बजे तक।


21 दिसंबर, बुधवार- बुध प्रदोष व्रत।

पूजा मुहूर्त- शाम 05:29 बजे से रात 08:13 बजे तक।

प्रगति गुप्ता की कहानियों पर चित्रा मुदगल की टिप्पणी

 हमारी वरिष्ठ प्रख्यात लेखिका चित्रा मुद्गल  दीदी का कुछ दिन पूर्व मेरे पास फ़ोन आया।  वह दिन मेरे लिए एक सुंदर स्मृति बन गया।   कहानियों पर उनके विचारों ने न सिर्फ़ मेरा उत्साहवर्धन किया बल्कि उन्होंने अपना आशीर्वाद और असीम स्नेह लिख कर भी भेज दिया जो मेरे लिए अमूल निधि है।

😇🙏


प्रिय  प्रगति

आशीष

'स्टेपल्ड् पर्चियां', मधुर व्यक्तित्व की धनी प्रगति गुप्ता का भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित नया कथा संकलन है । प्रगति की कई कहानियां मैंने पहले भी पढ़ी  हैं और यदा-कदा उसकी कविताएं भी।  प्रगति की रचना शीलता से गुजरते हुए मैंने सदैव यह महसूस किया है कि वह अपने परिवर्तित समय काल की जागरूक अभिव्यक्ति कार ही नहीं है बल्कि वर्तमान समाज में बदलती जीवन शैली से उपजे अनेक नए संक्रमणों के दबावों और उनसे उपजी सामाजिक विसंगतियों की निरुत्तर कर देने वाली घुटन और परिणीतिओं की मारक प्रहारात्मकता को बड़ी संजीदगी और कुशलता के साथ रेखांकित करने वाली गंभीर लेखिका है कि उस रचना से गुजरते हुए आप अचंभित हुए बिना नहीं रहते । आपको लगता है, आप अनायास उन पात्रों की जगह जा बैठे हैं। उन स्थितियों में उस पीड़ा से गुजर रहे हैं,  उन्हें झेल रहे हैं । जाहिर है यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि आखिर नए उपजे इन संक्रमणओं के लिए जिम्मेदार कौन है?

 प्रगति की रचना शीलता में मैं और और प्रगति देखना चाहती हूं। बड़ी संभावना उसके भीतर पैंठी हुई है । कामना है कि प्रगति उस उत्कर्ष को छुए और हिंदी साहित्य में अपने विशेष रचना शीलता को रेखांकित करते हुए विशेष प्रतिष्ठा अर्जित करें जिसकी वह अधिकारिणी  है।

भविष्य में तुम्हारी जैसी बड़ी संभावनाओं को लेकर में कुछ लिख सकूंगी तो मुझे परम खुशी होगी।


चित्रा मुद्गल

29/1/2022

दिल्ली

: आत्मीय मित्र हंसादीप की कहानी संग्रह "स्टेपल्ड पर्चियाँ" की समीक्षा। सभी मित्रों की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी। लिंक पर जाकर आप समीक्षा पढ़ पाएंगे।

😇🙏

https://www.setumag.com/2022/01/Stapled-Parchiyan-Pragati-Gupta.html

Tuesday, February 1, 2022

राधास्वामी

🌹🙏 राधास्वामी🙏🌹

आज घड़ी अति पावन भावन।

राधास्वामी आये जक्त चितावन।।।

जाके गिरह प्रेम पद धारन।

तिस जीवन का करे उद्धारन।।


🌹🙏राधास्वामी🙏🌹


: *🌹🌹राधास्वामी जीव उद्धार करेंरी ।

राधास्वामी संत औतार धरें  री ।।

राधास्वामी अतिकर दयाल हुए री ।

राधास्वामी दया जम काल मुए री ।।

 राधास्वामी गुन गाऊँ नित नित री ।

राधास्वामी मात हुए और पित री ।।


(परम पुरुष पूरन धनी हुजूर स्वामीजी महाराज पावन जन्मदिन व पावन भंडारा समस्त सतसंग जगत व प्राणीमात्र को बहुत बहुत बधाई ।।🌹🌹**)




🙏🌹👏Radhasoami 👏🌹


🙏गुरू चरनन में बासा चाहत,

जग जीवन से नाता तोड.;

गुरूसेवा लगे अति प्यारी,

प्रेम रगं भीजत सरबोर;

राधास्वामी दया काज हुआ पूरा,

काल करम सिर दीना फोड़।


🙏🌹👏Radhasoami 👏🌹🙏🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿


eye to eye contact

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आज शाम खेतों की छुट्टी के बाद जब Gracious Huzur गाड़ी में बैठ गए और सुपरमैन Phase I का मार्च पास्ट शुरू हो गया, तो फरमाया - "eye to eye contact करें, उससे pure spiritual gain होता है।"


फिर फरमाया - "जो लोग यहां physically

 मौजूद नहीं हैं, उनके सामने जो फोटो है, उसमें आंखों में देखें। गुरू महाराज की फोटो में भी उनकी आंखों में देखें। ऊपर जाने का रास्ता आपकी आंखों के बीच से है। वो आपके बस की बात नहीं है। गुरू महाराज ही आपको ले जाएंगे, अपनी गोद में बैठा कर। धुर धाम तक।"


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हुज़ूर साहब जी महाराज की जीवनी पर क्विज

 https://forms.gle/pCpvbPhiLndRq4jp8


[ *राधास्वामी*


 यह quiz  परम गुरू  हुज़ूर साहबजी महाराज की जीवनी पर आधारित है। आप सभी को विदित है कि यह quiz सभी के लिये है, age की कोई restrictions नहीं हैं। ब्रांच के सभी मैम्बर्स इसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लें घर में जितने सदस्य हैं सभी हिस्सा लें।

यह हिंदी एवं english दोनों भाषाओं में है। *आपको सही उत्तर भी मिल* *जायेगा।* जब आप submit करेंगे, उसके बाद आपको view score click करना है।.

जिससे आपको अपने marks एवम् कौन सा उत्तर गलत है, क्या सही है सब पता चल जाएगा।  किसी और को आपके नंबर नहीं पता लगेंगे। इसलिए बेझिझक कोशिश करें *

Link branch grid पर आज 1st February 2021 से 10th February को शाम 9 pm  तक उपलब्ध होगा।* आप चाहें तो *एक  से ज्यादा बार attempt* कर सकते।


आप सबसे निवेदन है कि इसमें ज़रूर हिस्सा लें। चाहें तो दूसरे ब्रांच में भी forward कर सकते हैं।

सूर्य को जल चढ़ाने का अर्थ

  प्रस्तुति - रामरूप यादव  सूर्य को सभी ग्रहों में श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि सभी ग्रह सूर्य के ही चक्कर लगाते है इसलिए सभी ग्रहो में सूर्...