Wednesday, November 23, 2022

गया ब्रांच के सत्संगियों के लिए महत्वपूर्ण सूचना :-

 


यह निणॅय लिया गया है कि , अन्‍य ब्राॕचों की तरह , हमारा ब्राॕच भी , दाता दयाल ग्रेशियस हुजूर के सन्मुख पाठ करे | इसके लिए यह जरुरी है कि बहनों एवं भाईयों की तरफ से एक एक पाठ पार्टी बने |

बहनों की तरफ से महिला एशोसिएसन की प्रेसिडेन्ट ,  प्रेमीन बहन पल्लवी पारिजात को इस सेवा के लिए अधिकृत किया जाता है | 

उनसे अनुरोध है कि , वे कृपया एक पाठ पार्टी बनायें तथा कम से कम दो पाठ का सस्वर रियाज करें | ऐसा हो जाने के बाद  , सभी की राय से ब्राॕच एक तिथि तय करेगा , और उसी  तिथि पर मालिक के सन्मुख इसे पेश किया जायगा |

प्रेमी भाई अम्बुज जी से भी अनुरोध है कि वे कृपया , भाईयों की तरफ के लिये एक दो पाठ का चयन कर इसे कोओर्डिनेट करने में सहयोग करेगें |

     ज्यादा ,   रा धा स्व आ मी

ब्राॕच सेक्र॓टरी ,

 गया ब्राॕच , गया

Tuesday, November 22, 2022

रिश्ते मृत्यु के साथ मिट जाते है ....*


*कहें कबीर देय तू , जब लग तेरी देह।*

*देह खेह हो जायेगी, कोन कहेगा देह।।*

*अर्थ:* दान_पुण्य करते रहो, जब तक शरीर (देह) में प्राण है जब यह शरीर धूल में मिल जायेगा तब दान का अवसर नहीं मिलेगा इसलिए मनुष्य ने जब तक शरीर में प्राण है तब तक दान अवश्य करना चाहिए।

*रिश्ते मृत्यु के साथ मिट जाते है ....*


एक बार देवर्षि नारद अपने शिष्य तुम्बरू के साथ मृत्युलोक का भ्रमण कर रहे थे। गर्मियों के दिन थे। गर्मी की वजह से वह पीपल के पेड़ की छाया में जा बैठे। इतने में एक कसाई वहाँ से 25-30 बकरों को लेकर गुजरा। उसमें से एक बकरा एक दुकान पर चढ़कर मोठ खाने लपक पड़ा। उस दुकान पर नाम लिखा था - 'शगालचंद सेठ।' दुकानदार का बकरे पर ध्यान जाते ही उसने बकरे के कान पकड़कर दो-चार घूँसे मार दिये। बकरा 'बैंऽऽऽ.... बैंऽऽऽ...' करने लगा और उसके मुँह में से सारे मोठ गिर पड़े।


फिर कसाई को बकरा पकड़ाते हुए कहाः "जब इस बकरे को तू हलाल करेगा तो इसकी मुंडी मेरे को देना क्योंकि यह मेरे मोठ खा गया है।" देवर्षि नारद ने जरा-सा ध्यान लगाकर देखा और जोर-से हँस पड़े। तुम्बरू पूछने लगाः "गुरुजी ! आप क्यों हँसे? उस बकरे को जब घूँसे पड़ रहे थे तब तो आप दुःखी हो गये थे, किंतु ध्यान करने के बाद आप हँस पड़े। इसमें क्या रहस्य है?"


नारद जी ने कहाः "छोड़ो भी.... यह तो सब कर्मों का फल है, छोड़ो।"

"नहीं गुरुजी ! कृपा करके बताइये।"


"इस दुकान पर जो नाम लिखा है 'शगालचंद सेठ' - वह शगालचंद सेठ स्वयं यह बकरा होकर आया है। 

यह दुकानदार शगालचंद सेठ का ही पुत्र है। सेठ मरकर बकरा हुआ है और इस दुकान से अना पुराना सम्बन्ध समझकर इस पर मोठ खाने गया। उसके बेटे ने ही उसको मारकर भगा दिया। मैंने देखा कि 30 बकरों में से कोई दुकान पर नहीं गया फिर यह क्यों गया कमबख्त? इसलिए ध्यान करके देखा तो पता चला कि इसका पुराना सम्बंध था। जिस बेटे के लिए शगालचंद सेठ ने इतना कमाया था, वही बेटा मोठ के चार दाने भी नहीं खाने देता और गलती से खा लिये हैं तो मुंडी माँग रहा है बाप की। इसलिए कर्म की गति और मनुष्य के मोह पर मुझे हँसी आ रही हैं कि अपने - अपने कर्मों का फल को प्रत्येक प्राणी को भोगना ही पड़ता है और इस जन्म के रिश्ते - नाते मृत्यु के साथ ही मिट जाते हैं, कोई काम नहीं आता।

अपने पाप ओर पुण्य का हिसाब इंसान को खुद ही भोगना है 

इसलिए,, दोस्तों 


शतहस्त समाहर सहस्त्रहस्त सं किर


सैकड़ों हाथों से इकट्ठा करो और हज़ारों हाथों से बांटो। 


।। जय श्री कृष्णा।।

*🌹

Friday, November 18, 2022

शाहदरा ब्रांच के सत्संगी भाइयों एवं बहनोंके लिए सूचनार्थ


 रा धा स्वा आ  मी

ब्रांच के सभी मेंबर से अनुरोध है की ऊपर दी गई लिस्ट में अपना नाम देखकर अपना प्रेम प्रचारक और दयालबाग हेराल्ड की कॉपी ब्रांच में आकर इस रविवार को जरूर लेकर जाएं |इन सभी का अभी भी ई सब्सक्रिप्शन शुरू नहीं    हुआ है|


 *रा धा स्व आ  मी*



हम  एडवांस मे च्यवनप्राश के लिए सूची तैयार कर रहे हैं । जो लोग दवा के रूप में च्यवनप्राश का उपयोग करते हैं, वह अपना नाम _*प्रेमी भाई अचिंत कुमार जी 9210880801*_ को लिखवा सकते हैं । अधिकतम मात्रा 3 किलोग्राम |



*रा-धा-स्व-आ-मी*_


शाहदरा ब्रांच सतसंग में रजिस्टर्ड उपदेश प्राप्त सतसंगी भाई / बहने और जिज्ञासु भाई-बहन जो ब्रांच में बायोमेट्रिक कार्ड के लिए अपनी कार्यवाही 31.10.2022 तक पूरी कर चुके है ।


उनके बायोमेट्रिक कार्ड दयालबाग़ से बनकर आ गए है। 


आप अपने बायोमेट्रिक कार्ड 20 November (Sunday) को शाहदरा ब्रांच में रीजनल सत्संग के बाद ले सकते हैं ।


यदि कोई सतसंगी भाई / बहन, अपने बायोमेट्रिक कार्ड किसी और के द्वारा संग्रह (collect) करना चाहता है, तो कृपया उनके साथ एक प्राधिकरण पत्र  (Authorisation letter) जारी करें ।


*रा धा स्व आ मी*

ब्रांच सेक्रेटरी (शाहदरा)

9911990049

9136136525


_*Ra-Dha-Sva-Aah-Mi*_


*Regional Satsang will be held on Sunday,20th, November 2022* via virtual mode and program will be as under


*Transmission of* _*Regional Satsang & Important announcements*_ via video mode in Shahdara Branch and Different Video Hubs:

*9.30 AM - 10.30 AM*


*Cultural Programme including PT by children of Sant Su(perman)  Evolutionary Scheme of Region* :     

*10.30 AM -12 PM* 


_*Mahila Association Stalls for Refreshments and Sales*_


_*Sale of Dayalbagh Products through Store*_


*रा-धा-स्व-आ-मी*_


 *रीजनल सत्संग रविवार, 20 नवंबर, 2022* को वर्चुअल मोड के माध्यम से आयोजित किया जाएगा और कार्यक्रम निम्नानुसार होगा


 * _*रीजनल सत्संग एवं महत्वपूर्ण घोषणाओं का प्रसारण*_ शाहदरा ब्रांच एवं विभिन्न वीडियो हब में वीडियो मोड के माध्यम से:

 *9.30 पूर्वाह्न - 10.30 पूर्वाह्न*


 *संत सु (स्थायी) क्षेत्र की विकासवादी योजना के बच्चों द्वारा पीटी सहित सांस्कृतिक कार्यक्रम* :

 *10.30 पूर्वाह्न -12 अपराह्न*


 _*जलपान और बिक्री के लिए महिला एसोसिएशन के स्टाल*_


 _*दयालबाग उत्पादों की स्टोर के माध्यम से बिक्री*_



_*Ra-Dha-Sva-Aah-Mi*_


*Regional Satsang will be held on Sunday,20th, November 2022* via virtual mode and program will be as under


*Transmission of* _*Regional Satsang & Important announcements*_ via video mode in Shahdara Branch and Different Video Hubs:

*9.30 AM - 10.30 AM*


*Cultural Programme including PT by children of Sant Su(perman)  Evolutionary Scheme of Region* :     

*10.30 AM -12 PM* 


_*Stalls of Woolen and Cotton clothes and food stalls will be arranged by Mahila Association*_


_*Sale of Dayalbagh Products through Store*_


: _*Ra-Dha-Sva-Aah-Mi*_


*Regional Satsang will be held on Sunday,20th, November 2022* via virtual mode and program will be as under

N

*Transmission of* _*Regional Satsang & Important announcements*_ via video mode in Shahdara Branch and Different Video Hubs:

*9.30 AM - 10.30 AM*


*Cultural Programme including PT by children of Sant Su(perman)  Evolutionary Scheme of Region* :     

*10.30 AM -12 PM* 


_*Stalls of Woolen and Cotton clothes and food stalls will be arranged by Mahila Association*_


_*Sale of Dayalbagh Products through Store*_

Saturday, November 12, 2022

शाहदरा ब्रांच के सत्संगी भाइयों एवं बहनों के लिए सूचनाके लिए सूचनार्थ


Ra-Dha-Sva-Aah-Mi.


We are pleased to inform that DEI-APAC North Zone, as per guidance from Dayalbagh, will be organizing a 9-week workshop (from 27th Nov 2022 to 29th Jan 2023) on MS Office & Soft Skills.

     

Details regarding the workshop is as under:


1. The mode of workshop is *offline* and the classes are mostly on weekends at Karolbagh Satsang Hall.


2. Prerequisite for registration is; candidate should have a provision for internet and computer/laptop, as the syllabus of the workshop requires regular practice for the content.


3. *Eligibility Criteria-* Candidates who have completed 12th standard and are job seekers can register themselves for this workshop.


4. Certificates will be issued to the candidates who complete the workshop.


5. Job seekers completing this workshop can also take placement assistance from DEI-APAC.


6. Date-wise Schedule of the workshop will be shared with the candidates once the registration process done.


 

For registration link and any clarification in this regard, please feel free to connect with APAC Branch Coordinator/s: 


Pb. Saran Adhar Bhatia (+91-9999009228)


Pb. Anurag Satsangi (+91-9811813337)

 

*रा धा स्व आ  मी*



हम  एडवांस मे च्यवनप्राश के लिए सूची तैयार कर रहे हैं । जो लोग दवा के रूप में च्यवनप्राश का उपयोग करते हैं, वह अपना नाम _*प्रेमी भाई अचिंत कुमार जी 9210880801*_ को लिखवा सकते हैं । अधिकतम मात्रा 3 किलोग्राम |



: *Ra dha Sva Aah Mi*


We have *NO Volunteer for Field Security Duty and Chyawanprash Seva* for the week (13 - 20 November 2022) from Shahdara branch. 

Please come forward for Sewa as Dayalbagh is demanding for volunteers from our branch.



*रा धा स्व आ मी*


हमारे पास शाहदरा ब्रांच से 13 - 20 Nov 2022 सप्ताह  मे फील्ड सुरक्षा ड्यूटी और च्यवनप्राश सेवा के लिए *कोई वालंटियर  नहीं है।*

कृपया सेवा के लिए आगे आएं क्योंकि दयालबाग़ से अधिक वालंटियरर्स की मांग है।


*कृपया सेवा के लिए आगे बढ़ें*

अपना नाम लिखवाने के लिए संपर्क करें:


प्रेमी भाई शुभम शरण (PB. Shubham Sharan)

9205092385

8383988643

प्रेमी भाई आशुतोष सोनी (PB. Ashutosh Soni)

8851507726 

98912 52518 


 हार्दिक रा धा स्व आ मी (WHRS)



*रा धा स्व आ मी*


ब्रांच के सभी मेंबर्स को सूचित किया जाता हैं कि  विद्या विहार स्कूल के अपने निजी कार्यक्रम की वजह से  *13  नवम्बर 2022, रविवार* को  *09:00am वाला ब्रांच सतसंग* नहीं हो पाएगा |

सुबह केवल *3:15am वाला ई सत्संग* ही होगा


आप सभी भाई बहन अपने आस पास और अपने जानकार भाई बहनओं को सूचित करें जिससे किसी को असुविधा ना हो |


निवेदक :

ब्रांच सेक्रेटरी, शाहदरा



 *रा धा स्व आ मी*


ब्रांच के सभी मेंबर्स को सूचित किया जाता हैं कि  विद्या विहार स्कूल के अपने निजी कार्यक्रम की वजह से  *13  नवम्बर 2022, रविवार* को  *09:00am वाला ब्रांच सतसंग* नहीं हो पाएगा |

सुबह केवल *3:15am वाला ई सत्संग* ही होगा


आप सभी भाई बहन अपने आस पास और अपने जानकार भाई बहनओं को सूचित करें जिससे किसी को असुविधा ना हो |


निवेदक :

ब्रांच सेक्रेटरी, शाहदरा


Thursday, November 10, 2022

रजनीश बनाम भगवान रजनीश रजनीश

 सुशोभित-

बम्बई में रजनीश… रजनीश के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण शहर कौन-से थे? अनेक मित्र कहेंगे- पुणे, जबलपुर और रजनीशपुरम्। पुणे में उन्होंने अपना कम्युन बनाया था, जो आज भी संचालित हो रहा है। जबलपुर में वो 19 साल रहे और यहीं वे आचार्य रजनीश बने। अमेरिका के ओरेगॉन में रजनीश के शिष्यों-संन्यासियों ने जो रजनीशपुरम् बसाया था, वह उनके जीवन की सर्वाधिक विवादित परिघटना थी, जिसने उन्हें अंतरराष्ट्रीय सुर्ख़ियाँ दिलाईं। कुछ मित्र सागर का भी नाम लेंगे, जहाँ रजनीश छात्र के रूप में दो साल रहे। गाडरवारा तो शहर नहीं था, छोटा क़स्बा था, लेकिन रजनीश के जीवन में बहुत महत्व का है। यहीं उनकी स्कूली पढ़ाई हुई और आरम्भिक जीवन बीता- 1939 से 1951 तक। वहीं 1931 में जन्म से 1939 तक वे मध्यप्रदेश के रायसेन ज़िले के कुचवाड़ा गाँव में रहे थे।

लेकिन एक और शहर है, जिसका रजनीश के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रहा। यह था बम्बई। रजनीश 1970 से 1974 तक बम्बई में रहे, अलबत्ता व्याख्यान आदि के सिलसिले में वे 1960 से ही निरंतर बम्बई की यात्रा करते आ रहे थे। 1966 में उन्होंने जबलपुर विश्वविद्यालय में प्राध्यापक की नौकरी से त्यागपत्र दिया था, लेकिन जबलपुर नहीं छोड़ा। वे 1970 तक जबलपुर में ही रहे। 30 जून 1970 को उन्होंने जबलपुर को अलविदा कह दिया। 28 जून को जबलपुर के शहीद स्मारक में उनके लिए एक विदाई समारोह आयोजित किया गया, जिसमें जबलपुर विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति और समादृत विद्वान डॉ. राजबलि पांडे भी बोले। तब नवभारत अख़बार ने शीर्षक दिया था- ‘और सुकरात चला गया!’ 21 मार्च 1974 को अपनी सम्बोधि की 21वीं वर्षगाँठ पर रजनीश पुणे स्थित आश्रम चले गए थे। लेकिन 1970 से 1974 तक के जो चार वर्ष उन्होंने बम्बई में बिताए, वे ‘द मिथ ऑफ़ रजनीश’ के निर्माण में केंद्रीय महत्व के थे।

इन्हीं वर्षों में रजनीश को विश्व-ख्याति मिली, विदेशी साधक बड़ी संख्या में आकर उनसे जुड़े, इन्हीं वर्षों में उन्होंने नवसंन्यास का सूत्रपात किया, इन्हीं वर्षों में वे आचार्य से भगवान कहलाने लगे।

इस भगवान उपाधि की भी बड़ी रोचक कथा है। मई 1971 में रजनीश ने अपने सचिव स्वामी योग चिन्मय से कहा कि अब वे आचार्य उपाधि त्यागना चाहते हैं, वे उन्हें कोई नया नाम सुझाएँ। योग चिन्मय ने अनेक नाम सुझाए, जिनमें से भगवान एक था। रजनीश जानते थे कि नाम के आगे भगवानश्री जोड़ने की देश में तीखी प्रतिक्रिया होगी, लेकिन वे ठीक यही तो चाहते थे। गाँधी और समाजवाद पर प्रहार करते समय और सम्भोग से समाधि की बात करते समय वे सजग होकर तीखी प्रतिक्रियाओं को ही न्योता दे रहे थे। रजनीश ने समझ लिया कि इस नए प्रपंच में उन्हें रस आने वाला है।

मई 1971 के अंत तक उनके कुछ शिष्यों ने उन्हें भगवान कहकर सम्बोधित करना शुरू कर दिया था। इससे कुछ अन्य श्रोता विचलित हुए। 26 मई 1971 को बम्बई में ही गीता ज्ञान-यज्ञ पर प्रवचनों के दौरान रजनीश ने कहा कि कुछ मित्र उन्हें भगवान कहकर सम्बोधित करने लगे हैं, जिस पर कुछ अन्य मित्रों ने घोर आपत्ति जताई है और कहा है कि इसे तुरंत रुकवाएँ, वरना हम आपको सुनना बंद कर देंगे। रजनीश ने चिर-परिचित शैली में कहा, तब तो मुझे सुनना बिलकुल ही बंद कर दें। इतने वर्षों से मैं श्रोताओं के भीतर बैठे परमात्मा को प्रणाम करता रहा था, तब तो किसी ने आपत्ति नहीं ली। अब मुझे भगवान कहने पर आपत्ति क्यों? कहीं इसलिए तो नहीं कि इससे उनके अभिमान को चोट लगती है?

और सच में ही रजनीश अपने नाम के आगे भगवानश्री लगाने लगे। इससे अनेक जन नाराज़ हुए और उनका साथ छोड़ दिया। विवादित व्यक्तित्व के जीवन में विवाद का और एक प्रकरण जुड़ा। 1972 में ‘ताओ उपनिषद्’ पर चर्चा के दौरान किसी ने उनसे पूछा कि आप स्वयं को भगवान क्यों कहते हैं? रजनीश ने उत्तर दिया, क्योंकि मैं भगवान हूँ। तुम भी भगवान हो। अंतर यह है कि अभी तुम्हें इसका पता नहीं चला, मुझे पता चल गया है। वास्तव में सभी कुछ भगवत्ता है। भगवान के सिवा कुछ और हो ही नहीं सकता।

फिर एकान्त में योग चिन्मय से कहा, अभी कुछ दिन यह खेल चलने दो, फिर भगवान नाम को त्याग दूँगा, कोई और नाम ग्रहण कर लूँगा। कुछ दिन तो नहीं, कुछ वर्ष लगे, जब जीवन की सान्ध्यवेला में रजनीश ने भगवान को त्याग दिया और ओशो कहलाने लगे।

बम्बई आने के चंद ही महीनों बाद सितम्बर 1970 में रजनीश ने मनाली कैम्प में नवसंन्यास का सूत्रपात कर दिया था। इसमें संन्यासियों को नए नाम दिए गए, गैरिक वस्त्र और 108 मनकों की माला दी गई, जिसमें रजनीश का चित्र था। इसने भी अनेक जनों को भड़काया। रजनीश से बौद्धिक रूप से जुड़े मित्र सशंक हो गए। धर्मगुरुओं और धार्मिक संस्थाओं के विरोधी रजनीश इस संन्यास-पर्व के माध्यम से क्या स्वयं का एक पंथ चलाना चाहते हैं- यह पूछा जाने लगा। रजनीश को इस सबसे भी रस ही मिला होगा। अनन्य प्रतिमाभंजक स्वयं की प्रतिमाओं को खण्डित करने से भी चूकता नहीं था। वास्तव में बम्बई आकर रजनीश का आत्मविश्वास दूसरे ही स्तर पर चला गया था। महानगर ने उन्हें संकेत दे दिए थे कि इतिहास में उनका नाम दर्ज होने जा रहा है और अब कोई भी उन्हें रोक नहीं सकेगा। उनकी कीर्ति देश की सीमाओं को लाँघकर विदेश तक पहुँच चुकी थी।

बम्बई में आकर रजनीश ने अपनी यात्राओं को आंशिक विराम दिया। पूर्णकालिक विराम तो पुणे में स्थिर होने के बाद ही दिया, लेकिन जबलपुर के दिनों जैसी सघन यात्राएँ अब वे नहीं करते थे। बम्बई के दिनों में वे साल में दो या तीन साधना शिविर अवश्य लेते रहे और इसके लिए पर्वतीय-निर्जन क्षेत्रों की यात्राएँ करते रहे, लेकिन इस अवधि में उनके व्याख्यान मुख्यतया बम्बई में ही होते थे- पाटकर हॉल, षण्मुखानंद सभागृह, गोवालिया टैंक मैदान, पारसी कुंआ और क्रॉस मैदान में। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण थीं 40 से 50 निकटतम मित्रों-साधकों-संन्यासियों के साथ वुडलैंड्स अपार्टमेंट या सीसीआई चैम्बर्स में हुई निजी वार्ताएँ, जो गुह्यविज्ञान, कुण्डलिनी जागरण, तंत्रविधियों और आध्यात्मिक रहस्यों पर केंद्रित होती थीं। ‘जिन खोजा तिन पाइयाँ’, ‘तंत्र सूत्र’ (द बुक ऑफ़ सीक्रेट्स), ‘द साइकोलॉजी ऑफ़ द एसोटेरिक’, ‘मैं मृत्यु सिखाता हूँ’, ‘द अल्टीमेट अल्केमी’ (आत्म पूजा उपनिषद्) जैसी विलक्षण पुस्तकें इसी कालखण्ड की देन हैं! ‘गीता दर्शन’ और ‘ताओ उपनिषद्’ जैसी वृहद प्रवचनमालाओं के कुछ सत्र भी वुडलैंड्स में चुनिंदा श्रोताओं के सम्मुख ही हुए थे। बम्बई- जो अब मुम्बई कहलाता है- के पेडर रोड पर आज भी वह वुडलैंड्स अपार्टमेंट मौजूद है।

21 मार्च 1974 को जब रजनीश पुणे चले गए तो उनके जीवन के इस महत्वपूर्ण बम्बई-प्रकरण का अंत हो गया।

किन्तु बम्बई के साथ रजनीश के जीवन का अंतिम अध्याय शेष था और वह बहुत सुखद न था। अमेरिका से अवमानित, निष्कासित होकर लौटने और दुनिया के 20 से अधिक देशों के द्वारा प्रवेश की अनुमति नहीं देने के बाद वे जुलाई 1986 में बम्बई पहुँचे और यहाँ अपने जीवन के अंतिम हिंदी व्याख्यान दिए। ये ‘कोंपलें फिर फूट आईं’ और ‘फिर अमरित की बूँद पड़ी’ पुस्तकों में संकलित हैं। वे पाँच माह जुहू में रहे। जनवरी 1987 में वे पुन: पुणे लौट गए। लेकिन 1970 में जबलपुर से बम्बई आने वाले रजनीश और 1986 में विश्व-यात्रा से बम्बई लौटने वाले रजनीश में बहुत अंतर था। वह अंतर कैसा था और क्यों था, वह पृथक से विवेचना का विषय है। हमारा बम्बई-प्रकरण तो यहाँ पूर्ण हो जाता है।

लेख के साथ दिया गया चित्र मम्बई के मरीन ड्राइव का है। रजनीश खुले में व्याख्यान दे रहे हैं। उनके समीप गैरिक वस्त्रों में मा योग लक्ष्मी हैं। एक बहुत महत्वपूर्ण व्यक्तित्व- जिन्होंने आरम्भिक काल में रजनीश का पूरा काम सम्भाल लिया था। योग लक्ष्मी उनकी निष्ठावान सचिव, सम्पादक, संकलनकर्ता थीं। शीला को सचिव बनाने की भूल रजनीश ने पुणे में की।

पत्रकार और चिंतक सुशोभित इन दिनों रजनीश पर पुस्तक लिख रहे हैं। किताब का प्रकाशन जल्द होगा। उसी किताब से एक अंश यहाँ प्रकाशित है।




भविष्यवाणी / कृष्ण मेहता

 *मन को छूने वाला प्रसंग...*

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एक बार शहर में एक  "ज्योतिषी" का आगमन हुआ..!! 

माना जाता है कि उनकी वाणी... वे जो भी बताते है वह 100% सच होता है।

*501/- रुपये देते हुए "शर्मा जी" ने अपना दाहिना हाथ आगे बढ़ाते हुए ज्योतिषी को कहा.., "महाराज, मेरी मृत्यु कब, कहॉ और किन परिस्थितियों में होगी?"*

.

ज्योतिषी ने शर्मा जी की हस्त रेखाऐं देखीं, चेहरे और माथे को अपलक निहारते रहे। स्लेट पर कुछ अंक लिख कर जोड़ते–घटाते रहे। बहुत देर बाद वे गंभीर स्वर में बोले.., 

"शर्मा जी, आपकी भाग्य रेखाएँ कहती है कि जितनी आयु आपके पिता को प्राप्त होगी उतनी ही आयु आप भी पाएँगे। 

*जिन परिस्थितियों में और जहाँ आपके पिता की मृत्यु होगी, उसी स्थान पर ओर उसी तरह, आपकी भी मृत्यु होगी।"*

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यह सुन कर "शर्मा जी" भयभीत हो उठे और चल पडे ......

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एक घण्टे बाद .......

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*"शर्मा जी" वृद्धाश्रम से अपने वृद्ध पिता को साथ लेकर घर लौट रहे थे..!!*

ग़जब_का_रिश्ता*

 *प्रस्तुति-- कौशल किशोर 


*मैं बिस्तर पर से उठा, अचानक छाती में दर्द होने लगा मुझे हार्ट की तकलीफ तो नहीं है? 


ऐसे विचारों के साथ मैं आगे वाली बैठक के कमरे में गया मैंने देखा कि मेरा पूरा परिवार मोबाइल में व्यस्त था*


*मैंने पत्नी को देखकर कहा- "मेरी छाती में आज रोज से कुछ ज़्यादा दर्द हो रहा है, डाॅक्टर को दिखा कर आता हूँ* 


*हाँ मगर सँभलकर जाना, काम हो तो फोन करना"   मोबाइल में देखते-देखते ही पत्नी बोलीं*


*मैं एक्टिवा की चाबी लेकर पार्किंग में पहुँचा, पसीना मुझे बहुत आ रहा था, ऐक्टिवा स्टार्ट नहीं हो रही थी*


*ऐसे वक्त्त हमारे घर का काम करने वाला ध्रुव साईकिल लेकर आया, साईकिल को ताला लगाते ही, 

उसने मुझे सामने खड़ा देखा*

*क्यों सा'ब ऐक्टिवा चालू नहीं हो रही है?*

*मैंने कहा- "नहीं..!!*

*आपकी तबीयत ठीक नहीं लगती सा'ब,*


*इतना पसीना क्यों आ रहा है?* *सा'ब इस हालत में स्कूटी को किक नहीं मारते,* 


*मैं किक मार कर चालू कर देता हूँ ध्रुव ने एक ही किक मारकर ऐक्टिवा चालू कर दिया, साथ ही पूछा-* 

*साब अकेले जा रहे हो?*

*मैंने कहा- "हाँ*

*उसने कहा- ऐसी हालत में अकेले नहीं जाते,* 

*चलिए मेरे पीछे बैठ जाइये मैंने कहा- तुम्हें एक्टिवा चलानी आती है?*


*सा'ब गाड़ी का भी लाइसेंस है, चिंता  छोड़कर बैठ जाओ पास ही एक अस्पताल में हम पहुँचे ध्रुव दौड़कर अंदर गया और व्हील चेयर लेकर बाहर आया*

*"सा'ब अब चलना नहीं, इस कुर्सी पर बैठ जाओ"*


*ध्रुव के मोबाइल पर लगातार घंटियां बजती रहीं, मैं समझ गया था। फ्लैट में से सबके फोन आते होंगे कि अब तक क्यों नहीं आया? ध्रुव ने आखिर थक कर किसी को कह दिया कि*


 *#आज_नहीं_आ_सकता*

*ध्रुव डाॅक्टर के जैसे ही व्यवहार कर रहा था, उसे बगैर बताये ही मालूम हो गया था कि सा'ब को हार्ट की तकलीफ है* 


*लिफ्ट में से व्हील चेयर ICU की तरफ लेकर गया*

*डाॅक्टरों की टीम तो तैयार ही थी, मेरी तकलीफ सुनकर। सब टेस्ट शीघ्र ही किये*


*डाॅक्टर ने कहा- "आप समय पर पहुँच गये हो, इसमें भी आपने व्हील चेयर का उपयोग किया, वह आपके लिए बहुत फायदेमन्द रहा"*

*अब किसी की राह देखना आपके लिए बहुत ही हानिकारक है


 इसलिए बिना देर किए हमें हार्ट का ऑपरेशन करके आपके ब्लोकेज जल्द ही दूर करने होंगे इस फार्म पर आप के स्वजन के हस्ताक्षर की ज़रूरत है डाॅक्टर ने ध्रुव की ओर देखा* 

*मैंने कहा- "बेटे, दस्तखत करने आते हैं?"*


*उसने कहा-* 

*"सा'ब इतनी बड़ी जिम्मेदारी मुझ पर न डालो"* 

*"बेटे तुम्हारी कोई जिम्मेदारी नहीं है तुम्हारे साथ भले ही लहू का सम्बन्ध नहीं है,*


 *फिर भी बगैर कहे तुमने अपनी जिम्मेदारी पूरी की वह जिम्मेदारी हकीकत में मेरे परिवार की थी एक और जिम्मेदारी पूरी कर दो बेटा*


 *मैं नीचे सही करके लिख दूँगा कि मुझे कुछ भी होगा तो जिम्मेदारी मेरी है ध्रुव ने सिर्फ मेरे कहने पर ही हस्ताक्षर  किये हैं", बस अब... ..*


*"#और_हाँ_घर_फोन_लगा_कर_खबर_कर_दो"* 


*बस, उसी समय मेरे सामने मेरी पत्नी का फोन ध्रुव के मोबाइल पर आया। वह शांति से फोन सुनने लगा*


*थोड़ी देर के बाद ध्रुव बोला-* *"मैडम, आपको पगार काटने का हो तो काटना, निकालने का हो तो निकाल देना मगर अभी अस्पताल में ऑपरेशन शुरु होने के पहले पहुँच जाओ हाँ मैडम, मैं सा'ब को अस्पताल लेकर आया हूँ,*


 *डाक्टर ने ऑपरेशन की तैयारी कर ली है और राह देखने की कोई जरूरत नहीं है"*

*मैंने कहा- "बेटा घर से फोन था?"*


*"हाँ सा'ब"* 

*मैंने मन में पत्नी के बारे में सोचा, तुम किसकी पगार काटने की बात कर रही हो और किसको निकालने की बात कर रही हो?*


 *आँखों में आँसू के साथ ध्रुव के कन्धे पर हाथ रखकर मैं बोला- "बेटा चिंता नहीं करते"*


*"मैं एक संस्था में सेवायें देता हूँ, वे बुज़ुर्ग लोगों को सहारा देते हैं, वहां तुम जैसे ही व्यक्तियों की ज़रूरत है"*


*"तुम्हारा काम बरतन कपड़े धोने का नहीं है, तुम्हारा काम तो समाज सेवा का है, बेटा पगार मिलेगा*

*#इसलिए_चिंता_बिल्कुल_भी_मत_करना"*


*ऑपरेशन के बाद मैं होश में आया, मेरे सामने मेरा पूरा परिवार नतमस्तक खड़ा था। मैं आँखों में आँसू लिये बोला- "ध्रुव कहाँ है?"*

*पत्नी बोली- "वो अभी ही छुट्टी लेकर गाँव चला गया कह रहा था कि उसके पिताजी हार्ट अटैक से गुज़र गये है,* 


*15 दिन के बाद फिर आयेगा"*

*अब मुझे समझ में आया कि उसको मेरे अन्दर उसका बाप दिख रहा होगा*


*हे प्रभु, मुझे बचाकर आपने उसके बाप को उठा लिया?*

*पूरा परिवार हाथ जोड़कर, मूक, नतमस्तक माफी माँग रहा था*


*एक मोबाइल की लत (व्यसन) एक व्यक्ति को अपने दिल से कितना दूर लेकर जाती है, वह परिवार देख रहा था* 


👌 *यही नहीं मोबाइल आज घर-घर कलह का कारण भी बन गया है बहू छोटी-छोटी बातें तत्काल अपने माँ-बाप को बताती है और माँ की सलाह पर ससुराल पक्ष के लोगों से व्यवहार करती है,


 जिसके परिणाम स्वरूप  वह बीस-बीस साल में भी ससुराल पक्ष के लोगों से अपनत्व नहीं जोड़ पाती.* 👍


*डाॅक्टर ने आकर कहा- "सबसे पहले यह बताइये ध्रुव भाई आप के क्या लगते हैं?"*


*मैंने कहा- "डाॅक्टर साहब,  कुछ सम्बन्धों के नाम या गहराई तक न जायें तो ही बेहतर होगा, 

उससे सम्बन्ध की गरिमा बनी रहेगी,

 बस मैं इतना ही कहूँगा कि वो आपात स्थिति में मेरे लिए फरिश्ता बन कर आया था"*


*पिन्टू बोला- "हमको माफ़ कर दो पापा, जो फर्ज़ हमारा था, वह ध्रुव ने पूरा किया, यह हमारे लिए शर्मनाक है। अब से ऐसी भूल भविष्य में कभी भी नहीं होगी पापा"*


*"बेटा,#जवाबदारी_और_नसीहत (सलाह) लोगों को देने के लिये ही होती है*


*जब लेने की घड़ी आये, 

तब लोग  बग़लें झाँकते हैं या ऊपर नीचे हो जाते हैं*

                   

*अब रही मोबाइल की बात...*


*बेटे, एक निर्जीव खिलौने ने जीवित खिलौने को गुलाम बनाकर रख दिया है अब समय आ गया है कि उसका मर्यादित उपयोग करना है*

*नहीं तो....*


*#परिवार_समाज_और_राष्ट्र को उसके गम्भीर परिणाम भुगतने पडेंगे और उसकी कीमत चुकाने के लिये तैयार रहना पड़ेगा"*


*अतः बेटे और बेटियों को बड़ा #अधिकारी या #व्यापारी बनाने की जगह एक #अच्छा_इन्सान बनायें*

          🙏🙏🙏🙏

*पता नहीं, किन महानुभाव ने लिखी है, लेकिन मेरे दिल को इतना छू गयी कि शेयर करने से मैं अपने आप को रोक नहीं पाया*

*यह हर बेटे बेटी के मोबाइल पर पहुंचनी चाहिए.!*

            *श्रोत अज्ञात*

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

चिल्लाने लगते हैं"*/ अनंग

 *"


अब कौन  भरोसे  के  लायक, अपने  बेगाने  लगते  हैं।

सब अपने धुन में मस्त हुए, घर-घर  मैखाने  लगते  हैं।।


चेहरों की खूब सजावट  में, छिप  जाते हैं असली चेहरे।

इस भरी भीड़ में भी  देखो, ये  शहर  विराने  लगते  हैं।।


सामान भरे घर में  ताले, फिर भी व्याकुल घर भरने को।

रिश्वत   खाने    वाले   सारे,  जाने-पहचाने   लगते   हैं।।


रिश्तों  में  बस  ससुराल  बचा, बाकी चुभने वाले रिश्ते।

भाई-भाई  गर  साथ  रहे, सब  आग  लगाने  लगते हैं।।


जिनका  है  धर्म  दिखावे  का, उनके  चोले  रंगीन  हुए।

जो लोग पढ़े कम मजहब को,ज्यादा चिल्लाने लगते हैं।।


अंधेरों  में  परछाईं  भी,  कब  साथ  निभाती  है  बोलो।

अच्छे दिन आते ही देखो, मेहमान  भी  आने  लगते हैं।।

K

हम मेहनत करने वालों को, बस  काम  चाहिए जी लेंगे।

पूछो कि अवसर कब दोगे, मजहब दिखलाने लगते हैं।।


दुनिया  देखेगी  अच्छाकर, आने  जाने  की  चाह  नहीं।

चोरों की तरह  चुनावों  में, आकर फुसलाने  लगते  हैं।।


तुम कद्र करो उन लोगों की,जिन लोगो ने पाला तुमको।

मर जाने पर दिखलाने को, जी जान  लगाने  लगते  हैं।।

                            ...*"अनंग"*

Wednesday, November 9, 2022

परम गुरु हुज़ूर महाराज का भण्डारा मनाए जाने के संबंध में परामर्श - दिसम्बर, 2022

 


         

   5. अनुमति प्राप्त क्षेत्रों के उपदेश प्राप्त सतसंगी भाई बहन सोमवार, 26 दिसम्बर, 2022 को भेंट देंगे। भेंट की सीमा निम्नवत् रहेगी-

            (i) भारत की सतसंग ब्रांचों में रजिस्टर्ड उपदेश प्राप्त सतसंगी न्यूनतम 15/- रु. तथा अधिकतम 3,000/- रु. तक भेंट दे सकते हैं।

            (ii) विदेशों की सतसंग ब्रांचों में रजिस्टर्ड उपदेश प्राप्त सतसंगी (अनुमति प्राप्त क्षेत्र) न्यूनतम 150/-रु. तथा अधिकतम 7,500/- रु. तक भेंट दे सकते हैं।

            (iii) अनुमति प्राप्त क्षेत्रों के सतसंगी जिन्हें पैरा 1 के अनुसार दयालबाग़ आने की अनुमति है वे कार्यक्रमानुसार भेंट दे सकते हैं। उन्हें हैल्मेट, मास्क पहनना, हाथों की सफ़ाई रखना व सामाजिक दूरी का पालन करना आवश्यक है।

            (iv) अनुमति प्राप्त क्षेत्रों के अन्य सतसंगी जो दयालबाग़ नहीं आ सकते हैं वे अपनी भेंट की धनराशि NEFT/ RTGS द्वारा ब्रांच के खाते में जो कि सेक्रेटरी व अन्य दो व्यक्तियों द्वारा संचालित किया जाता है, ऑनलाइन जमा करेंगे। जो लोग भेंट की राशि ट्रांसफ़र करने में अक्षम हैं वे ब्रांच सेक्रेटरी को नक़द दे सकते हैं। ब्रांच सेक्रेटरी प्रत्येक "ट्रांज़ेक्शन" की जाँच कर यह देखेंगे कि यह धनराशि निर्दिष्ट नियमानुसार की गई है अथवा नहीं। ब्रांच द्वारा एकत्रित की गई भेंट की कुल धनराशि NEFT/ RTGS द्वारा केवल एक ट्रांज़ेक्शन से सभा के खाते में जमा करें व Form 'A' सूची प्रेषित करें, जिससे भेजी गई धनराशि का मिलान हो सके। सभा के खाते का विवरण रीजनल प्रेसीडेन्ट्स को भेज दिया गया है। इस सम्बन्ध में उनसे सम्पर्क करें। (कार्यक्रम व प्रक्रिया अलग से सूचित की जायेगी)।

            विदेशों की ब्रांचों के उपदेश प्राप्त सतसंगी भाई-बहन जो भंडारे में शामिल हो सकते हैं किन्तु कोविड-19 के कारण दयालबाग़ नहीं आ सके हैं वे अपनी भेंट की धनराशि अपने रीजनल एसोसिएशन के बैंक एकाउन्ट में ऑनलाइन  (online) भेज सकते हैं। रीजनल प्रेसीडेंट, ब्रांच सेक्रेटरी द्वारा भेजी गई भेंट की लिस्ट जाँच करने के बाद उसे अपने बैंक एकाउन्ट में रीजनल स्तर पर उपयोग के लिये स्वीकृत करेंगे।

            6. (a) अनुमति प्राप्त क्षेत्रों के जिज्ञासु (UID सहित जिनका बायोमेट्रिक पूरा हो गया है) जो एग्रोइकोलोजी एवं प्रिसीज़न फ़ार्मिंग सेवा में भाग लेना चाहते हैं और पैरा 1 में दी गई शर्तों को पूरा करते हैं व उपदेश प्राप्त करने के इच्छुक हैं उन पर भंडारा दिसम्बर, 2022 के दौरान उपदेश देने के लिए विचार (consider) किया जाएगा। जिज्ञासु जो उपदेश प्राप्त करने के इच्छुक हैं उन्हें सेक्रेटरी, सभा की अनुमति से अधिक दिन तक ठहरने की अनुमति दी जा सकती है।

            (b) दूसरा उपदेश (भजन-उपदेश/रिवीज़न)- कृपया नोट करें कि यह सुपरवाइज़्ड वीडियो कॉन्फ़रेन्सिंग मोड/व्यक्तिगत उपस्थिति में दयालबाग़ से ट्रांस्मिट किया जाएगा। (ब्रांच सेक्रेटरीज़ यह सुनिश्चित करें कि सुमिरन ध्यान/भजन/रिवीज़न से संबंधित प्रपत्र उपदेश विभाग, दयालबाग़ में भंडारे की तिथि से कम से कम एक माह पूर्व पहुँच जाएँ।)

            (c) उपदेश (सुमिरन - ध्यान/भजन) के इच्छुक लोगों के लिये दोनों समय खेत की चार दिन की हाज़िरी आवश्यक है।

            7. अनुमति प्राप्त सतसंगियों/ जिज्ञासुओं के लिये पोथी व च्यवनप्राश की सेल के लिये निर्देशानुसार प्रबंध किया जाएगा।

            8. सरन आश्रम हॉस्पिटल के डॉक्टर्स/ पैरा मेडिकल स्टाफ़ तथा अन्य लोग कोविड-19 (Corona virus) के प्रति पूर्ण सावधानियाँ रखेंगे। हॉस्पिटल व परिसर को प्रतिदिन सेनेटाइज़ किया जाएगा। डॉ. एस.के. सतसंगी, MOI/C सरन आश्रम हॉस्पिटल कोविड-19 से बचाव के संबंध में रीजन्स को जारी किए गए निर्देशों का सख़्ती से पालन करायेंगे।

Monday, November 7, 2022

भाव भक्ति / कृष्ण मेहता

 *

भील सरदार कण्णप्प की भक्ति की कहानी क्या है?*


भील सरदार कण्णप्प वन में भटकते-भटकते एक मंदिर के समीप पहुंचा। मंदिर में भगवान शंकर की मूर्ति देख उसने सोचा- भगवान इस वन में अकेले हैं। कहीं कोई पशु इन्हें कष्ट न दे। शाम हो गई थी। कण्णप्प धनुष पर बाण चढ़ाकर मंदिर के द्वार पर पहरा देने लगा। सवेरा होने पर उसे भगवान की पूजा करने का विचार आया किंतु वह पूजा करने का तरीका नहीं जानता था।


वह वन में गया, पशु मारे और आग में उनका मांस भून लिया। मधुमक्खियों का छत्ता तोड़कर शहद निकाला। एक दोने में शहद और मांस लेकर कुछ पुष्प तोड़कर और नदी का जल मुंह में भरकर मंदिर पहुंचा। मूर्ति पर पड़े फूल-पत्तों को उसने पैर से हटाये मुंह से ही मूर्ति पर जल चढ़ाया, फूल चढ़ाए और मांस व शहद नैवेद्य के रूप में रख दिया।


उस मंदिर में रोज सुबह एक ब्राहमण पूजा करने आता था। मंदिर में नित्य ही मांस के टुकड़े देख ब्राहमण दुखी होता। एक दिन वह छिपकर यह देखने बैठा कि यह करता कौन है? उसने देखा कण्णप्प आया। उस समय मूर्ति के एक नेत्र से रक्त बहता देख उसने पत्तों की औषधि मूर्ति के नेत्र पर लगाई, किंतु रक्त बंद नहीं हुआ।


तब कण्णप्प ने अपना नेत्र तीर से निकालकर मूर्ति के नेत्र पर रखा। रक्त बंद हो गया। तभी दूसरे नेत्र से रक्त बहने लगा। कण्णप्प ने दूसरा नेत्र भी अर्पित कर दिया। तभी शंकरजी प्रकट हुए और कण्णप्प को हृदय से लगाते हुए उसकी नेत्रज्योति लौटा दी और ब्राहमण से कहा- मुझे पूजा पद्धति नहीं, श्रद्धापूर्ण भाव ही प्रिय है।


वस्तुत: ईश्वर पूर्ण समर्पण के साथ किए स्मरण मात्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं और मंगल आशीषों से भक्त को तार देते हैं।


जय महाकाल ❣

Saturday, November 5, 2022

शाहदरा ब्रांच के सत्संगी भाइयों बहनों के लिए सूचनार्थ

  रा धा स्व आ मी


कुछ समय पहले ही DEI APAC, दिल्ली रीजन की एक मीटिंग हुई है जिसके दौरान दिल्ली में एक ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किए जाने का कार्याक्रम फ़ाईनल किया गया है। इस ट्रेनिंग के दौरान *माइक्रोसॉफ़्ट ऑफिस एवं Soft Skills पर सबसे ज़्यादा ध्यान दिया जाएगा।*


यह ट्रेनिंग प्रोग्राम दिल्ली की स्वामी नगर और करोलबाग़ ब्रांच में आयोजित किया जाएगा जिसकी क्लासेज़ अनुमानित तारीख़ २७ नवम्बर से शुरू होंगी और लगभग १.५ घंटे चलेंगी। रीजन की ऐसी कोशिश रहेगी के क्लासेस सिर्फ़ शनिवार एवं रविवार ही हों।


हम आशा करते हैं के जो भी कोई नौकरी कि तलाश में है वह अपना नाम इस ट्रेनिंग में आवश्य देकर इसका संपूर्ण लाभ उठाएँगे।


इच्छुक कैंडिडेट्स पूरी जानकारी एवं अपना नाम इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में देने के लिए निम्नलिखित APAC coordinators से जल्द से जल्द संपर्क करें।


*Coordinators:*


प्रेमी भाई सरन आधार भाटिया (+91-9999009228)


प्रेमी भाई अनुराग सत्संगी (+91-9811813337)



 *रा धा स्वा आ मी*


जो भी भाई, बहन जिज्ञासु का फार्म भरना चाहता है, वो फार्म को डाउनलोड करके और फॉर्म भरके  *06 नवम्बर 22* तक प्रेमी भाई आशुतोष सोनी जी को जमा करा दे। 


 जिज्ञासु के लिए निर्देश -


1. जिसके भी माता पिता दोनो उपदेशी है वो 18+ होने पर जिज्ञासु मे अपने आपको रजिस्टर  करा सकते है। 

2. जिसके भी माता पिता दोनो मे से एक उपदेशी है वो 22+ होने पर जिज्ञासु मे अपने आपको रजिस्टर  करा सकते है। फार्म ऊपर साथ मे दिया हुआ है! 

किसी भी जानकारी के लिए नीचे दिये गये नंबर पर संपर्क करे। 


प्रेमी भाई आशुतोष सोनी

9891252518

8851507726



*रा धा स्वा आ मी*


जो भी भाई, बहन जिज्ञासु का फार्म भरना चाहता है, वो फार्म को डाउनलोड करके और फॉर्म भरके  *06 नवम्बर 22* तक प्रेमी भाई आशुतोष सोनी जी को जमा करा दे। 


 जिज्ञासु के लिए निर्देश -


1. जिसके भी माता पिता दोनो उपदेशी है वो 18+ होने पर जिज्ञासु मे अपने आपको रजिस्टर  करा सकते है। 

2. जिसके भी माता पिता दोनो मे से एक उपदेशी है वो 22+ होने पर जिज्ञासु मे अपने आपको रजिस्टर  करा सकते है। फार्म ऊपर साथ मे दिया हुआ है! 

किसी भी जानकारी के लिए नीचे दिये गये नंबर पर संपर्क करे। 


प्रेमी भाई आशुतोष सोनी

9891252518

8851507726




 *06 नवम्बर 2022 (रविवार)*

 *ई सत्संग लॉगिन 03:15am*


 *ब्रांच सत्संग प्रातः 09.00 बजे*


 *नोट*

 कृपया सत्संग परिसर में मास्क/हेलमेट पहनें और ब्रांच में  शाम के सत्संग का प्रसारण नहीं होगा।



सूर्य को जल चढ़ाने का अर्थ

  प्रस्तुति - रामरूप यादव  सूर्य को सभी ग्रहों में श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि सभी ग्रह सूर्य के ही चक्कर लगाते है इसलिए सभी ग्रहो में सूर्...