राधास्वामी!! 04-10-2020-/ आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) मन मोरा गुरु सँग लाग हो।।टेक।। गुरु सँग प्रीति करो तुम ऐसी। जस मोतु सँग नयनि। पल बिसरे कुछ सूझे नाहीं घोरमघोर ही रैना (हो)।। -(राधास्वामी सतगुरु मिले भाग से औसर जाने न देवो। चरनकमल में उनके लग कर अमृत रस नित लेवो (हो)।। (प्रेमबिलास-शब्द-111,पृ.सं.166) (2) मेरे सतगुरु दीन दयाल। अरज इक सुन लीजे। मेरे समरथ पुरुष सुजान। चरन में मोहि लीजे।। -(राधास्वामी गुरु दयाल। दरद मेरा लेव बूझे। तुम बिन और दुवार। कोई नहिं मोहिं सूझे।।)-(प्रेमबिलास-शब्द-38,पृ.सं.51)
सतसंग के बाद:-
(1) प्रेमी मिलियो रे सतगुरु से। देवें काछ बनाय।।टेक।। दया निधान परम हितकारी। जीवों को दें ओट बुलाय।। (प्रेमबानी-4-शब्द-2,पृ.सं.39)
(2) सतगुरु प्यारी चरन अधारी। खुन २ करती आई हो।। (प्रेमबानी-4-शब्द-16 पृ.सं.102)
(3) तमन्ना यही है कि जब तक जिऊँ। चलूँ या फिरूँ या की मेहनत करूँ।। पढूँ या लिखूँ मुँह से बोलूँ कलाम। न बन आये मुझसे कोई ऐसा काम।। जो मर्जी तेरी के मुआफिक न हो। रजा के तेरी कुछ मुखालिफ जो हो।।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
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