Friday, October 2, 2020

आज का दिन मंगलमय हो

 ....प्रस्तुति - कृष्ण  मेहता 

........ ✦•••  *_जय श्री हरि_*  •••✦ ..........

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              🧾 *_आज का पंचाग_* 🧾

            *_शुक्रवार  02 अक्टूबर 2020_*


*_।। आप सभी देशवासियों को लाल बहादुर शास्त्री जयंती पर हार्दिक शुभकामनाएं।।_*


*_ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥_*


         *_।। आज का दिन मंगलमय हो ।।_*


🌠 *_दिन (वार) - शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं। धन लाभ के लिए इस दिन शाम के समय घर के ईशान कोण / मंदिर में गाय के घी का दीपक लगाएं। इसमें रुई के स्थान पर लाल रंग के धागे से बनी बत्ती का उपयोग करें और दिये में थोड़ी केसर भी डाल दें।_*

*_शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें । शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।_*

🌐 *_विक्रम संवत् – 2077.संकल्पादि में प्रयुक्त होनेवाला संवत्सर – प्रमादी._*

☸️ *_शक संवत - 1942_*

☣️ *_अयन - दक्षिणायण_*

⛈️ *_ऋतु - सौर शरद ऋतु_*

🌤️ *_मास - आश्विन माह_*

🌔 *_पक्ष - कृष्ण पक्ष_*

📆 *_तिथि - प्रतिपदा  03 अक्टूबर 04:46 तक तत्पश्चात द्वितीय_*

✏️ *_तिथि का स्वामी –प्रतिपदा  तिथि की स्वामी अग्नि देव जी है ।_*

💫 *_नक्षत्र – रेवती – पूर्ण रात्रि तक_*

*_रेवती नक्षत्र आकाश मंडल में अंतिम नक्षत्र है। यह मीन राशि में आता है। रेवती नक्षत्र का स्वामी बुद्धि के कारक बुध देव जी एवं इस नक्षत्र के देवता “पूषा” हैं जो सूर्य भगवान का ही एक रूप है रेवती नक्षत्र की गणना गंडमूल नक्षत्रों में की जाती है । इस नक्षत्र में जन्मे जातको को विष्णु भगवान की पूजा अवश्य करनी चाहिए । इन्हे नित्य विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से जीवन में श्रेष्ठ सफलता की प्राप्ति होती है ।_*

*_रेवती नक्षत्र में जन्म लेने वाले स्त्री और पुरुष दोनों में विपरीत लिंग के व्यक्तियों के प्रति अधिक आकर्षण होता है। इनके दोस्तों में विपरीत लिंग के व्यक्तियों की अच्छी संख्या होती है।_*

*_रेवती नक्षत्र में जन्मे जातक मध्यम कद और गौर वर्ण के व्यक्ति होते हैं। यह छल कपट से दूर रहते है । यह कुशाग्र बुध्दि के, ईश्वर में आस्था रखने वाले, व्यवहार कुशल लेकिन बहुत ही जिद्दी होते है, इन्हे किसी की भी गलत बात सहन नहीं होती है। यह अपने जीवन में काफी सुदूर / विदेश यात्रायें करते है ।_*

*_रेवती नक्षत्र के लिए भाग्यशाली अंक 3 और 5, भाग्यशाली रंग भूरा, और भाग्यशाली दिन शनिवार और गुरुवार होता है ।_*

🔔 *_योग – ध्रुव 21:14_*

⚡ *_प्रथम करण : – बालव – 15:44  तक_*

✨ *_द्वितीय करण : –कौलव -04:56 03 अक्टूबर तक_*

🔥 *_गुलिक काल : –शुक्रवार को शुभ गुलिक दिन 7:30 से 9:00 तक ।_*

⚜️ *_दिशाशूल - शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही खाकर जाएँ ।_*

🤖 *_राहुकाल -दिन – 10:30 से 12:00 तक।_*

🌞 *_सूर्योदय -प्रातः 06:05_*

🌅 *_सूर्यास्त – सायं : 18:10_*

⚛️ *_पर्व व त्यौहार :- गांधी जयंती, लालबहादुर शास्त्री जयंती, द्वितीय आश्विन मासरंभ, पंचक_*

✍🏼 *_विशेष – प्रतिपदा को कद्दू का सेवन नहीं करना चाहिए ।_*


             🏚️ *_वास्तु टिप्स_* 🏘️


*_वास्तु शास्त्र में आज जानिए दरवाजे की तरफ पीठ करके बैठने के बारे में। कई लोगों के ऑफिस में इस तरह से व्यवस्था होती है कि आपकी पीठ दरवाजे के सामने स्थित होती है, जो कि बिल्कुल अनुचित है।_*

*_वास्तु शास्त्र के अनुसार ऑफिस में या घर में भी दरवाजे के सामने पीठ करके नहीं बैठना चाहिए। साथ ही खिड़की के एकदम सामने भी पीठ करके बैठना अवॉयड करना चाहिए। दरअसल दरवाजे या खिड़की की तरफ पीठ करके बैठने से आपके अंदर की ऊर्जा बह जाती है। इससे आपका कॉन्फिडेंस लेवल कम होता है और आपका तनाव बढ़ता है, जिसका सीधा असर आपके काम पर पड़ता है। इससे आप अपने काम को बेहतर ढंग से नहीं कर पायेंगे। अतः आपको इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि बैठते समय आपकी पीठ किसी दरवाजे या खिड़की के ठीक सामने न हो।_*


         🔰 *_जीवनोपयोगी कुंजियां_* ⚜️


*_स्नानं दानं तपो होमो देवता पितृकर्म च |_*

*_तत्सर्व निष्फलं याति ललाटे तिलकं विना ||_*


*_अर्थात स्नान, दान, तप, होम तथा देव व पितृ कर्म करते समय यदि तिलक न लगा हो तो ये सब कार्य निष्फल हो जाते हैं |_*


*_उल्लेखनीय है कि ललाट पर दोनों भौहों के बीच विचारशक्ति का केंद्र है | योगी इसे आज्ञाचक्र कहते हैं | इसे शिवनेत्र अर्थात कल्याणकारी विचारों का केंद्र भी कहा जाता है | इसके नजदीक दो महत्त्वपूर्ण अंत:स्त्रावी ग्रंथियाँ स्थित हैं : १) पीनियल ग्रंथि और २) पीयूष ग्रंथि | दोनों भौंहों के बीच चंदन अथवा सिंदूर आदि का तिलक लगाने से उपरोक्त दोनों ग्रंथियों का पोषण होता है और विचारशक्ति एवं आज्ञाशक्ति का विकास होता है |_*


           🍃 *_आरोग्य कुंजियां_* 🍁


*_चाहे मूत्राशय में पथरी हो, चाहे गुद्दे में हो, चाहे पित्ताशय में हो – कहीं भी पथरी हो, भूलकर भी ऑपरेशन नहीं करना | पत्थरचट्टा पोधे के २ -२ पत्ते रोज खाओ, इससे कुछ ही दिनों में पथरी चट हो जाती है | यह पथरी के लिए अक्सीर इलाज है | जिनको मैं यह प्रयोग बताया और उन्होंने किया तो उनकी पथरी निकल गयी |_*


           🎗️ *_गुरु भक्ति योग_* 🕯️


*_"सभी प्रकार के भय से बदनामी का भय सबसे बड़ा होता है।"_*


      * उपरोक्त लाइनों में मनुष्य के जीवन के सबसे बड़े भय का जिक्र किया है। इस कथन के मुताबिक मनुष्य को अपने जीवन में सबसे ज्यादा भय अगर किसी चीज का होता है तो वो बदनामी है। बदनामी की आग मनुष्य के जीवन को इस कदर झुलसाती है कि वो जिंदगी भर शर्मिंदगी महसूस करता है।_*

        *_बदनामी उसके दिमाग और जीवन पर इस कदर हावी हो जाती है कि वो समाज में अपने आपको को हीन भावना से देखने लगता है। यही हीन भावना उसे अंदर ही अंदर इतनी कचोटती है कि वो खुद को अपने परिवार और समाज से दूर करने लगता है। बदनामी के डर से उसकी जिंदगी बस चार दीवारी में ही कैद होकर रह जाती है।_*

      *_जीवन में कई बार ऐसे पड़ाव किसी की जिंदगी में आते हैं जब उसे बदनामी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में उस व्यक्ति का मजाक उड़ान से अच्छा है कि आप उसे अपना कंधा दें। उसकी परेशानी समझें और उसे इस दुख से उबारने की कोशिश करें। अगर आप भी किसी व्यक्ति को जानते हैं जो बदनामी की आग में झुलस रहा तो उसके साथ बिल्कुल भी गलत व्यवहार न करें। ऐसा करके आप न केवल अपने बल्कि उस व्यक्ति के जीवन को भी खुशियों से भर सकते हैं।_*


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⚜️ *_आज प्रतिपदा है । प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव हैं। अग्नि देव इस पृथ्वी पर साक्षात् देवता हैं, देवताओं में सर्वप्रथम अग्निदेव की उत्पत्ति हुई थी । ऋग्वेद का प्रथम मंत्र एवं प्रथम शब्द अग्निदेव की आराधना से ही प्रारम्भ होता है। हिन्दू धर्म ग्रंथो में  देवताओं में प्रथम स्थान अग्नि देव का ही दिया  गया  है।_*

*_अग्निदेव सब देवताओं के मुख हैं और यज्ञ में इन्हीं के द्वारा देवताओं को समस्त यज्ञ-वस्तु प्राप्त होती है। अग्नि देव की पत्नी का नाम स्वाहा हैं। अग्निदेव की पत्नी स्वाहा के पावक, पवमान और शुचि नामक तीन पुत्र और पुत्र-पौत्रों की संख्या उनंचास है।_*


      

  *_※❖ॐ∥▩∥ जयश्री महाकाल∥ ۩۞۩ ∥श्री∥▩ॐ❖※_*

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