*कोयंबटूर ई एस आई अस्पताल*
*141/141 इससे ठीक हो गए और घर लौट आए।*
● *पानी में थोड़ी काली मिर्च पाउडर, नींबू का रस और अदरक का एक टुकड़ा मिलाएं और पानी को उबालकर पिएं।*
● *यदि हम दिन में 2 या 3 बार इसको पीते हैं, तो हम वायरल या बैक्टीरियल संक्रमणों से प्रभावित नहीं होंगे।*
● *एक विशेष रासायनिक प्रतिक्रिया तब बनती है :-*
*जब अदरक, काली मिर्च और नींबू के रस को पानी में मिलाकर उबाला जाता है।*
● *यह नया रासायनिक परिवर्तन किसी भी बुरे वायरस और बैक्टीरिया को मार देगा। कोरोना नामक इस भ्रम के बारे में कैसे पता चलता है जो दिन-प्रतिदिन अपने आणविक आकार को बदलता है? चिकित्सा जगत खालीपन से घूर रहा है।*
● *अदरक, काली मिर्च और नींबू त्रिमूर्ति हैं जो भविष्य में सभी जादू वाइरस राक्षसों को नष्ट कर देंगे, चाहे इस कोरोना जादू की तरह कितने नए जादूगर हों।*
● *कर्नाटक में कोरोना रोग को नियंत्रित करने के लिए*
*"अदरक, काली मिर्च और नींबू के रस*
*का उपयोग किया जा रहा हैं*
*कूर्ग और मदिकेरी जैसे शहर,जो उच्च गुणवत्ता की काली मिर्च पैदा करते हैं, सभी कर्नाटक में हैं। कर्नाटक में भी यही प्रयोग से कोरोना मुक्ति पा रहे है।*
*आप इस पोस्ट को किसी भी फेसबुक, व्हाट्सएप ग्रुप पर पोस्ट कर सकते हैं ..।*
*अदरक, नींबू, काली मिर्च हर जगह उपलब्ध हैं। अगर यह अद्भुत, सरल चिकित्सा दुनिया के सभी देशों में जाता है तो हम सभी कोरोना ग्रस्त पीड़ित को हराने में सहयोग कर सकतें हैं ....*🙏🏼🙏🏼
*अगर हर एक व्यक्ति,इस मैसेज की पालना करता है,, तो निश्चित कोरोना पर विजय प्राप्त कर सकते है।*
🙏🏻 *जनहित में होकर उपयोगी भी है* 🙏
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*"यदि जीवन के 40 वर्ष पार कर लिए है तो अब लौटने की तैयारी प्रारंभ करें....इससे पहले की देर हो जाये... इससे पहले की सब किया धरा निरर्थक हो जाये....."✍️*
*लौटना क्यों है*❓
*लौटना कहाँ है*❓
*लौटना कैसे है*❓
इसे जानने, समझने एवं लौटने का निर्णय लेने के लिए आइये टॉलस्टाय की मशहूर कहानी आज आपके साथ साझा करता हूँ :
*"लौटना कभी आसान नहीं होता*"
एक आदमी राजा के पास गया कि वो बहुत गरीब था, उसके पास कुछ भी नहीं, उसे मदद चाहिए...
राजा दयालु था..उसने पूछा कि "क्या मदद चाहिए..?"
आदमी ने कहा.."थोड़ा-सा भूखंड.."
राजा ने कहा, “कल सुबह सूर्योदय के समय तुम यहां आना..ज़मीन पर तुम दौड़ना जितनी दूर तक दौड़ पाओगे वो पूरा भूखंड तुम्हारा। परंतु ध्यान रहे,जहां से तुम दौड़ना शुरू करोगे, सूर्यास्त तक तुम्हें वहीं लौट आना होगा,अन्यथा कुछ नहीं मिलेगा...!"
आदमी खुश हो गया...
सुबह हुई..
सूर्योदय के साथ आदमी दौड़ने लगा...
आदमी दौड़ता रहा.. दौड़ता रहा.. सूरज सिर पर चढ़ आया था..पर आदमी का दौड़ना नहीं रुका था..वो हांफ रहा था,पर रुका नहीं था...थोड़ा और..एक बार की मेहनत है..फिर पूरी ज़िंदगी आराम...
शाम होने लगी थी...आदमी को याद आया, लौटना भी है, नहीं तो फिर कुछ नहीं मिलेगा...
उसने देखा, वो काफी दूर चला आया था.. अब उसे लौटना था..पर कैसे लौटता..? सूरज पश्चिम की ओर मुड़ चुका था.. आदमी ने पूरा दम लगाया --
वो लौट सकता था... पर समय तेजी से बीत रहा था..थोड़ी ताकत और लगानी होगी...वो पूरी गति से दौड़ने लगा...पर अब दौड़ा नहीं जा रहा था..वो थक कर गिर गया... उसके प्राण वहीं निकल गए...!
राजा यह सब देख रहा था...
अपने सहयोगियों के साथ वो वहां गया, जहां आदमी ज़मीन पर गिरा था...
राजा ने उसे गौर से देखा..
फिर सिर्फ़ इतना कहा...
*"इसे सिर्फ दो गज़ ज़मीं की दरकार थी...नाहक ही ये इतना दौड़ रहा था...! "*
आदमी को लौटना था... पर लौट नहीं पाया...
वो लौट गया वहां, जहां से कोई लौट कर नहीं आता...
अब ज़रा उस आदमी की जगह अपने आपको रख कर कल्पना करें, कही हम भी तो वही भारी भूल नही कर रहे जो उसने की
हमें अपनी चाहतों की सीमा का पता नहीं होता...
हमारी ज़रूरतें तो सीमित होती हैं, पर चाहतें अनंत..
अपनी चाहतों के मोह में हम लौटने की तैयारी ही नहीं करते...जब करते हैं तो बहुत देर हो चुकी होती है...
फिर हमारे पास कुछ भी नहीं बचता...
अतः *आज अपनी डायरी पैन उठाये कुछ प्रश्न एवं उनके उत्तर अनिवार्य रूप से लिखें* ओर उनके जवाब भी लिखें
मैं जीवन की दौड़ में सम्मिलित हुआ था, आज तक कहाँ पहुँचा?
आखिर मुझे जाना कहाँ है ओर कब तक पहुँचना है?
इसी तरह दौड़ता रहा तो कहाँ ओर कब तक पहुँच पाऊंगा?
हम सभी दौड़ रहे हैं... बिना ये समझे कि सूरज समय पर लौट जाता है...
अभिमन्यु भी लौटना नहीं जानता था...हम सब अभिमन्यु ही हैं..हम भी लौटना नहीं जानते...
सच ये है कि "जो लौटना जानते हैं, वही जीना भी जानते हैं...पर लौटना इतना भी आसान नहीं होता..."
काश टॉलस्टाय की कहानी का वो पात्र समय से लौट पाता...!
*"मै ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि हम सब लौट पाएं..! लौटने का विवेक, सामर्थ्य एवं निर्णय हम सबको मिले.... सबका मंगल होय...."*✍️
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