Saturday, October 3, 2020

परम्l पूज्य हुज़ूर डॉ लाल साहब का वचन

 परम गुरु हुजूर डा. लाल साहब के बचन


 आप मूखे नहीं मरें , लेकिन इतना नहीं कमायें कि हर वक्त गिनते रहें कि अब कितना हो गया , अब कितना हो गया । 


ता 0 26.12.1982 को शाम के सतसंग में हुजूर मेहताजी महाराज के बचन भाग 1 से बचन नं 119 पढ़ा गया जो कि हुजूर मेहताजी महाराज ने 26 दिसम्बर सन् 1943 ई 0 को परम गुरु हुजूर महाराज के भंडारे के मौके पर फ़रमाया था । बचन पढ़े जाने के बाद ग्रेशस हुजूर ने फ़रमाया-





 " आप लोगों के फ़ायदे के लिए यह बचन दोबारा पढ़वाया गया । बचन के सुनने के बाद आप यह तय करें कि क्या आप भी कुछ जगत की . राणी मात्र की सेवा humanity की सेवा , मुल्क की सेवा कर सकते हैं , कैसे करें क्या करें ? आपको मालूम है कि सतसंग में Preaching ( उपदेश ) नहीं की जाती । ऐसा नहीं होता है कि जाकर पब्लिक में बड़े - बड़े भाषण दिए जाएँ और आप , जो आपका Religion ( धर्म ) है या जो आप कार्यवाही करते हैं , वह सब लोगों को बताएँ । सतसंग में ऐसा करने की प्रथा नहीं है तो सवाल यह उठता है कि आप किस तरह दूसरों को फायदा पहुंचा सकते हैं ? सेवा करके उनके दिल में कुछ ख्यालात उठा सकते हैं कि वह यह समझें कि आप ठीक रास्ते पर चल रहे हैं और वह भी इस रास्ते पर चल सकें तो बहुत अच्छा हो । यह आप कैसे बतायेंगे ? मेरी समझ में तो इसके दो ही तरीके हैं - एक तो खुद आप ऐसी सेवा करें जिससे आप लोगों को कोई फायदा पहुंचा सकें । मैंने आप की खिदमत में कुछ पोथियाँ पेश कीं । यही सोचकर कि अमर मैं और कुछ नहीं कर सकता तो कम से कम जो पोथियों में instructions हैं , ख्यालात हैं , वह आप सबके समझने में मैं कुछ मदद करूं । इसका मतलब यही है कि एक तरीका मानवजाति की सेवा करने का यह है कि लोगों के फ़ायदे की जो चीजे हैं या जिनकी उन्हें ज़रूरत है , उनको आप उन तक पहुँचावें । आप उन चीज़ों का उत्पादन करें और उन्हें बेच सकते हैं । उत्पादन के लिए लघु उद्योग की आवश्यकता होती है । आप ग्रुप में को - ऑपरेटिव बेसिस पर या सोसायटी बना के जो चीजें आप बनावें उन्हें आप लोगों की ख़िदमत में पेश करें , सस्ती दें , अच्छी दें । यह भी एक सेवा है ।




  दूसरी सेवा यह कि आप अपनी रहनी - गहनी ठीक करें जिससे सतसंगी लोग ठीक से रहते हैं , इनका behaviour ( बर्ताव ) बहुत अच्छा है । यह आप कैसे करेंगे ? यह भी आप preach ( उपदेश ) करके नहीं कर सकते । आप जाकर यह नहीं कहेंगे कि हम ऐसे हैं . वैसे हैं । मुश्किल हो जाता है । इसका एक तरीका यह है कि आप दयालबाग के बाहर जहाँ हो सके छोटी - छोटी कॉलोनीज़ बनाइये । उनमें बसिये और अपनी रहनी - गहनी दुरुस्त कीजिए । वहाँ बाहर के लोगों के सम्पर्क में आने के चांसेज ज़्यादा हैं । दयालबाग में तो बाहर के लोग limited number ( सीमित संख्या ) में आते हैं बहुत कम आते हैं तो एक तरीका यह भी है कि आपके रहने का ठीक तरीका हो , आप दूसरों से ठीक व्यवहार करें । कुछ चीजें आप बनावें । जहाँ पर आप 10 , 20 या 50 सतसंगी एक जगह रहें वहाँ ऐसी activities ( संस्थाएँ ) शुरु कीजिए । उनके जरिये से आप दूसरों की सेवा भी कर सकेंगे । जैसा कि मैंने पहले अर्ज किया कि आप अपने बर्ताव से और रहन - सहन से उनके ऊपर इस चीज का impression ( असर ) डालें कि आप सतसंगी लोग तरीके से रहते हैं और ठीक तरीके से चलते हैं । यह तो मैंने आपसे इस वास्ते अर्ज किया कि प्राणीमात्र की सेवा हम लोग भी खुद कैसे कर सकें । एक छोटा सा Simple तरीका है । उसको शायद आप भी कर सकें ।


 




दूसरी बात इस बचन में यह फ़रमाई गई है कि जो घोषणा या message या आज्ञाएँ हमारे पहले revered leaders ( पूज्य आचार्यो ) ने पूरी करने को फ़रमाई हों और आपकी knowledge ( जानकारी ) में हों उनको पूरा करने की कोशिश करिए क्योंकि इसमें कुछ ऐसा आया है । आप कुछ लोगों को अच्छी तरह से याद होगा कि हुजूर साहबजी महाराज ऐसा फ़रमाते थे कि जब दयालबाग में अच्छा काम हो जाएगा और हैडक्वार्टर मजबूत हो जाएगा , activities ( संस्थाएँ ) दयालबाग़ की तरह मुल्क में फैलाई जाएँगी । ग्रेशस हुजूर ने भी कई बार इस मामले के ऊपर सतसंगियों का attention draw किया ( ध्यान आकृष्ट किया ) । अब से 40 वर्ष पहले सतसंग में हुजूर ने यह फ़रमाया था कि हमको अपने यहाँ की industries and activities ( उद्योगों और संस्थाओं ) को decentralize ( विकेन्द्रित ) करना होगा । जैसा कि हम देख रहे हैं कि आजकल के टाइम में जो restrictions ( प्रतिबन्ध ) इण्डस्ट्री के ऊपर लग रहे है , जो दिक्कतें काम करने में आती है , रोज तरह - तरह के Laws ( कानून ) बनते है जिनकी वजह से हम आजादी से काम नहीं कर पाते तो जरूरत इस बात की है कि बड़ी इण्डस्ट्रीज कायम न करके हम छोटी - छोटी Cottage Industries चलायें । इसमें इस तरह के problems ( समस्याएँ ) बहुत कम , शायद बिल्कुल न हो । Activities decentralization करने का मतलब यह भी हुआ कि दयालबाग़ में हम लोग जो काम करते आए हैं उसी तरह के काम आप दयालबाग के बाहर मिलजुल करके शुरु करिये । जब कहीं पर इस तरह की activities आप शुरु करेंगे तो उनका consolidation ( एकीकरण ) भी ज़रूरी होगा । दो चार छोटी - छोटी इण्डस्ट्रीज लगायेंगे , कुछ Agriculture Work ( खेती का काम ) करेंगे या इस तरह की कुछ और आपकी activity होगी , जो सतसंग प्रोग्राम के अनुसार है , तो उनका consolidation करने के लिए जरूरी हो जाता है कि वह एक ही जगह पर हों । उसका supervision ( देखभाल ) अच्छा होगा , management ( प्रबन्ध ) अच्छा होगा । इसमें काम करने वाले ऐसे हों जो dedicated workers ( आत्म - समर्पक कार्यकर्ता ) हों । जिनको सतसंग के प्रोग्राम से प्रेम हो । यह तभी मुमकिन होगा जब आप इसको एक शक्ल छोटी कॉलोनी के रूप में दें । कुछ लोग वहाँ रहें , इण्डस्ट्री चलावें , अपनी रहनी - गहनी दुरुस्त करें , सतसंग करें , चीजें तैयार करें , लोगों की खिदमत में quality goods market ( अच्छी चीजें बाजार - भाव ) से कम कीमत पर , पेश करें , तब आपकी क़दर होगी और मैं समझता हूँ कि इस तरह से आप सतसंग का message बहुत जल्दी मुल्क में फैला सकेंगे ।

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