Saturday, October 3, 2020

दयालबाग़ सत्संग

 **राधास्वामी!! 02-10-2020- 

आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-     

                              

 (1)जो तुझे चलना है तो इस ढंग चल। जो खिजल है तौ भी गुरु के संग चल।। पूरे गुरु को खटमुखी आईना जान। मालिक उसमें बैठ कर देखे है आन।। बे वसीले गुरु के परमारथ न पाय। चाहे कोई कुछ करे निज घर न जाय।। जिनको मालिक का हुआ हासिल विसाल। थोडा सा मैने कहा यह उनका हाल।।(गुरु की फटकार और निरादर जिन सहा। वह हुआ इन सबसे बेहतर मैं कहा।।) (प्रेमबानी-3-बहर दूसरी-पृ.सं.387-388)                                                    

 (2) ना जानूँ साहब कैसा है ।।टेक।।।                                          मेरे मन अस निश्चय आई, तुम्हरे किंकर सब ये रहाई। तुमते अधिका और न काई, क्या साहब तू ऐसा है।-(भटक भटक मैं बहु भटकाया, कहीं खोज न तुम्हरा पाया। राधास्वामी दर जब सीस नवाया, तब समझा यह लेखा है।।१२।।) (प्रेमबिलास-शब्द-64,पृ.सं.85)                                                              

 (3) यथार्थ प्रकाश-भाग-दूसरा-कल से आगे।।                          

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**राधास्वामी!!      

                            

शाम सतसंग में पढ़ा गया बचन-

 कल से आगे :-                                                    

(3) राधास्वामी- मत भक्ति मार्ग है और इस मत में सच्चा कुलमालिक भगवन्त माना जाता है। दूसरे शब्दों में, राधास्वामी-मत-अनुयायियों को सच्चे कुल मालिक के चरणो में प्रेम और श्रद्धा स्थिर करने की शिक्षा दी जाती है। पर जोकि साधारण मनुष्यों के लिए अव्यक्त अर्थात गुप्त मालिक के चरणो प्रेम और श्रद्धा स्थिर करना अत्यंत कठिन वरन् असम्भव है इसलिए आज्ञा है कि पहले-पहल प्रेमीजन जीवित गुरु के चरणों में प्रेम और श्रद्धा स्थिर करें।।                                                                 🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻                               यथार्थ -प्रकाश-भाग-2-परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**


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