Thursday, November 27, 2014

सरस्वती नदी




प्रस्तुति--- अखौरी प्रमोद रुपेश कुमार



सरस्वती नदी
सरस्वती नदी
देश भारत, पाकिस्तान
राज्य हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब
उद्गम स्थल उत्तरांचल में रूपण नाम के हिमनद से[1]
सहायक नदियाँ यमुना, सतलुजघग्घर
पौराणिक उल्लेख ऋग्वेद के नदी सूक्त में सरस्वती का उल्लेख है, 'इमं में गंगे यमुने सरस्वती शुतुद्रि स्तोमं सचता परुष्ण्या असिक्न्या मरूद्वधे वितस्तयार्जीकीये श्रृणुह्या सुषोमया'[2]
धार्मिक महत्त्व प्रयाग के निकट गंगा-यमुना संगम में मिलने वाली एक नदी जिसका रंग लाल माना जाता था।
अन्य जानकारी वाल्मीकि रामायण में भरत के केकय देश से अयोध्या आने के प्रसंग में सरस्वती और गंगा को पार करने का वर्णन है- 'सरस्वतीं च गंगा च युग्मेन प्रतिपद्य च, उत्तरान् वीरमत्स्यानां भारुण्डं प्राविशद्वनम्'[3]
Disamb2.jpg सरस्वती एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- सरस्वती (बहुविकल्पी)
सरस्वती नदी पौराणिक हिन्दू धर्म ग्रन्थों तथा ऋग्वेद में वर्णित मुख्य नदियों में से एक है। ऋग्वेद के नदी सूक्त में सरस्वती का उल्लेख है, 'इमं में गंगे यमुने सरस्वती शुतुद्रि स्तोमं सचता परुष्ण्या असिक्न्या मरूद्वधे वितस्तयार्जीकीये श्रृणुह्या सुषोमया'[4] वेद पुराणों में गंगा और सिंधु से ज्यादा महत्त्व सरस्वती नदी को दिया गया है। इसका उद्गम बाला ज़िला के सीमावर्ती क्षेत्र सिरपुर की शिवालिक पहाड़ियों में माना जाता है। वहां से बहती हुई यह जलधारा पटियाला में विनशन नामक स्थान में बालू में लुप्त हो जाती है।

नामकरण

‘सरस’ यानी जिसमें जल हो तथा ‘वती’ यानी वाली अर्थात जलवाली; इस अर्थ में इसका नामकरण हुआ है। इसका अंत अप्रकट होने के कारण इसे अंत:सलिला की संज्ञा दी गई है।

भौगोलिक संरचना

मैदानी क्षेत्र में इसका प्रवेश आदि बद्री के पास होता है। भवानीपुर और बलछापर से गुजरती हुई यह बालू में लुप्त हो जाती है, फिर थोड़ी दूर पर करनाल से बहती है। घाघरा नदी जिसका उद्-गम भी इसी क्षेत्र से है, 175 किमी की दूरी पर जाकर रसूला के निकट इससे मिल जाती है। यह बीकानेर के पहले हनुमानगढ़ के पास बालुकामय राशि में लुप्त हो जाती है। अब भी बीकानेर से क़रीब दस किमी दूर रेतीले इलाके को सरस्वती कहकर पुकारते हैं।

पौराणिक संदर्भ

वेद और पुराणों में सरस्वती का वर्णन नदी के रूप में नहीं, बल्कि वाणी तथा विद्या की देवी के रूप में हुआ है। स्कंदपुराण और महाभारत में इसका विवरण बड़ी श्रद्धा-भक्ति से किया गया है। इनके अनुसार सरस्वती नदी हिमालय से निकलकर कुरुक्षेत्र, विराट, पुष्कर, सिद्धपुर, प्रभास आदि इलाकों से होती हुई गुजरात के कच्छ के रास्ते से सागर में मिलती थी। प्रयाग में गंगा और यमुना से सरस्वती का संगम हुआ। कई भू-विज्ञानी मानते हैं, और ऋग्वेद में भी कहा गया है, कि हज़ारों साल पहले सतलुज (जो सिन्धु नदी की सहायक नदी है) और यमुना (जो गंगा की सहायक नदी है) के बीच एक विशाल नदी थी जो हिमालय से लेकर अरब सागर तक बहती थी। आज ये भूगर्भी बदलाव के कारण सूख गयी है। ऋग्वेद में, वैदिक काल में इस नदी सरस्वती को 'नदीतमा' की उपाधि दी गयी है। उस सभ्यता में सरस्वती ही सबसे बड़ी और मुख्य नदी थी, गंगा नहीं। सरस्वती नदी हरियाणा, पंजाबराजस्थान से होकर बहती थी और कच्छ के रण में जाकर अरब सागर में मिलती थी। तब सरस्वती के किनारे बसा राजस्थान भी हराभरा था। उस समय यमुना, सतलुजघग्घर इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ थीं। बाद में सतलुज व यमुना ने भूगर्भीय हलचलों के कारण अपना मार्ग बदल लिया और सरस्वती से दूर हो गईं। हिमालय की पहाड़ियों में प्राचीन काल से हीभूगर्भीय गतिविधियाँ चलती रही हैं।
संभवतः ऐसी ही किसी हलचल के कारण सरस्वती का प्राकृतिक मार्ग अवरुद्ध हुआ और वह मार्ग बदलकर बहने लगी। बदले मार्ग पर इसे हिमालय से जल नहीं मिला और यह वर्षा जल से बहने वाली नदी बनकर रह गई। धीरे-धीरे राजस्थान क्षेत्र में मौसम गर्म होता गया और वर्षा जल भी न मिलने के कारण सरस्वती नदी सूखकर विलुप्त हो गई। के एस वल्दिया की पुस्तक 'सरस्वती, द रिवर दैट डिसेपीयर्ड' और बी पी राधाकृष्णा व एस एस मेढ़ा की पुस्तक 'वैदिक सरस्वती' में कहा गया है कि मानसरोवर से निकलने वाली सरस्वती हिमालय को पार करते हुए हरियाणा, राजस्थान के रास्ते कच्छ पहुंचती थी।

वैज्ञानिक प्रमाण एवं पुरातात्विक तथ्य

1996 में 'इन्डस-सरस्वती सिविलाइजेशन' नाम से जब एक पुस्तक प्रकाश में आयी तो वैदिक सभ्यता, हड़प्पा सभ्यता और आर्यों के बारे में एक नया दृष्टिकोण सामने आया। इस पुस्तक के लेखक सुप्रसिद्ध पुरातत्वविद् डॉ. स्वराज्य प्रकाश गुप्त ने पहली बार हड़प्पा सभ्यता को सिन्धु-सरस्वती सभ्यता नाम दिया और आर्यों को भारत का मूल निवासी सिद्ध किया। उनका यह शोध अब एक बड़ी परियोजना 'सिन्धु-सरस्वती परियोजना' के रूप में सामने आने वाला है। भारतीय पुरातत्व परिषद् के अध्यक्ष डा. स्वराज्य प्रकाश गुप्त 'एटलस आफ इंडस-सरस्वती सिविलाइजेशन' जैसे बड़े प्रकल्प पर कार्य कर रहे हैं। अपने इस प्रकल्प को पूर्णतया वैज्ञानिक और प्रामाणिक आधार पर दुनिया के सामने लाने के लिए उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (बंगलौर), फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी (अहमदाबाद), भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग (भारत सरकार) सहित देश के अनेक अग्रणी संस्थानों और वैज्ञानिकों को इस प्रकल्प के साथ जोड़ा। इससे पूर्व डॉ. गुप्त की अनेक महत्त्वपूर्ण पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें प्रमुख हैं-'डिस्पोजल आफ द डेड एंड फिजिकल टाइप्स इन एंशियंट इंडिया', 'टूरिज्म,म्यूजियम्स एंड मोन्यूमेंट्स', 'द रूट्स आफ इंडियन आर्ट'। शीघ्र ही 'ऐलीमेंट्स आफ इंडियन आर्ट' और 'कल्चरल टूरिज्म इन इंडिया' शीर्षक से प्रकाशित होने वाली इनकी दो पुस्तकों में प्राचीन भारतीय कला और संस्कृति की विस्तृत जानकारी सप्रमाण शामिल है।[1] सरस्वती एक विशाल नदी थी। पहाड़ों को तोड़ती हुई निकलती थी और मैदानों से होती हुई समुद्र में जाकर विलीन हो जाती थी। इसका वर्णन ऋग्वेद में बार-बार आता है। कई मंडलों में इसका वर्णन है। ऋग्वेद वैदिक काल में इसमें हमेशा जल रहता था। सरस्वती आज की गंगा की तरह उस समय की विशाल नदियों में से एक थी। उत्तर वैदिक काल और महाभारत काल में यह नदी बहुत कुछ सूख चुकी थी। ऋषि यहां तक कहते हैं कि अब तो उसमें मछली भी जीवित नहीं रह सकती। तब सरस्वती नदी में पानी बहुत कम था। लेकिन बरसात के मौसम में इसमें पानी आ जाता था। तो ऋग्वैदिक काल, उत्तर वैदिक काल और महाभारत काल में प्रमाण मिलते हैं कि एक नदी, जो सदानीरा थी, धीरे-धीरे विलुप्त हो गई।[1]

सिन्धु-सरस्वती सभ्यता की खोज में जुटे विशेषज्ञ

  1. डॉ. के. कस्तूरी रंगन (अध्यक्ष, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, बंगलौर)
  2. प्रो. यशपाल (पूर्व अध्यक्ष, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली)
  3. डॉ. अशोक सिंघवी (फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी, अहमदाबाद)
  4. डॉ. स्वराज्य प्रकाश गुप्त (भारतीय पुरातत्व परिषद्, नई दिल्ली)
  5. डॉ. एस.के. टंडन (भूगर्भ विज्ञान विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली)
  6. डॉ. एस. कल्याण रमण (सरस्वती-सिन्धु शोध केन्द्र, चेन्नई)
  7. विजय मोहन कुमार पुरी (हिमनद विशेषज्ञ, पूर्व निदेशक,भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग, लखनऊ)
  8. प्रो. के.एस. वाल्डिया (जवाहर लाल नेहरू एडवांस्ड सेंटर फार रिसर्च, बंगलौर)
  9. डॉ. एस.एम.राव (भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, मुम्बई)
  10. जे.आर. शर्मा, डा. ए.के. गुप्ता, श्री एस. श्रीनिवासन (दूर संवेदी सेवा केन्द्र, जोधपुर, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान)[1]

सरस्वती का उद्गम

यह उत्तरांचल में रूपण नाम के हिमनद (ग्लेशियर) से निकली। रूपण ग्लेशियर को अब सरस्वती ग्लेशियर भी कहा जाने लगा है। नैतवार में आकर यह हिमनद जल में परिवर्तित हो जाता था, फिर जलधार के रूप में आदि बद्री तक सरस्वती बहकर आती थी और आगे चली जाती थी। महाभारत में मिले वर्णन के अनुसार सरस्वती हरियाणा में यमुना नगर से थोड़ा ऊपर और शिवालिक पहाड़ियों से थोड़ा सा नीचे आदि बद्री नामक स्थान से निकलती थी। आज भी लोग इस स्थान को तीर्थस्थल के रूप में मानते हैं और वहां जाते हैं। किन्तु आज आदि बद्री नामक स्थान से बहने वाली नदी बहुत दूर तक नहीं जाती एक पतली धारा की तरह जगह-जगह दिखाई देने वाली इस नदी को लोग सरस्वती कह देते हैं। वैदिक और महाभारत कालीन वर्णन के अनुसार इसी नदी के किनारे ब्राह्मावर्त था, कुरुक्षेत्र था, लेकिन आज वहां जलाशय हैं। अब प्रश्न उठता है कि ये जलाशय क्या हैं, क्यों हैं? उन जलाशयों में भी पानी नहीं है। इस परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो किसी नदी के सूखने की प्रक्रिया एक दिन में तो होती नहीं, यह कोई घटना नहीं एक प्रक्रिया है, जिसमें सैकड़ों वर्ष लगते हैं। जब नदी सूखती है तो जहां-जहां पानी गहरा होता है, वहां-वहां तालाब या झीलें रह जाती हैं। ये तालाब और झीलें अर्द्ध-चन्द्राकार शक्ल में पायी जाती हैं। आज भी कुरुक्षेत्र में ब्रह्मसरोवर या पेहवा में इस प्रकार के अर्द्ध-चन्द्राकार सरोवर देखने को मिलते हैं, लेकिन ये भी सूख गए हैं। लेकिन ये सरोवर प्रमाण हैं कि उस स्थान पर कभी कोई विशाल नदी बहती थी और उसके सूखने के बाद वहां विशाल झीलें बन गयीं। यदि वहां से नदी नहीं बहती थी तो इतनी बड़ी झीलें वहां कैसे होतीं? इन झीलों की स्थिति यही दर्शाती है कि किसी समय यहां विशाल नदी बहती थी।[1]

सरस्वती के विलुप्त होने के कारण

तमाम वैज्ञानिक और भूगर्भीय खोजों से पता चला है कि किसी समय इस क्षेत्र में भीषण भूकम्प आए, जिसके कारण जमीन के नीचे के पहाड़ ऊपर उठ गए और सरस्वती नदी का जल पीछे की ओर चला गया। वैदिक काल में एक और नदी का ज़िक्र आता है, वह नदी थी दृषद्वती। यह सरस्वती की सहायक नदी थी। यह भी हरियाणा से होकर बहती थी। कालांतर में जब भीषण भूकम्प आए और हरियाणा तथा राजस्थान की धरती के नीचे पहाड़ ऊपर उठे, तो नदियों के बहाव की दिशा बदल गई और दृषद्वती नदी, जो सरस्वती नदी की सहायक नदी थी, उत्तर और पूर्व की ओर बहने लगी। इसी दृषद्वती को अब यमुना कहा जाता है, इसका इतिहास 4,000 वर्ष पूर्व माना जाता है। यमुना पहले चम्बल की सहायक नदी थी। बहुत बाद में यह इलाहाबाद में गंगा से जाकर मिली। यही वह काल था जब सरस्वती का जल भी यमुना में मिल गया। ऋग्वेद काल में सरस्वती समुद्र में गिरती थी। प्रयाग में सरस्वती कभी नहीं पहुंची। भूचाल आने के कारण जब जमीन ऊपर उठी तो सरस्वती का पानी यमुना में गिर गया। इसलिए यमुना में यमुना के साथ सरस्वती का जल भी प्रवाहित होने लगा। सिर्फ इसीलिए प्रयाग में तीन नदियों का संगम माना गया जबकि यथार्थ में वहां तीन नदियों का संगम नहीं है। वहां केवल दो नदियां हैं। सरस्वती कभी भी इलाहाबाद तक नहीं पहुंची।[5]

सरस्वती का महत्त्व

  • वैदिक काल में सरस्वती की बड़ी महिमा थी और इसे परम पवित्र नदी माना जाता था। ऋग्वेद के नदी सूक्त में सरस्वती का उल्लेख है, 'इमं में गंगे यमुने सरस्वती शुतुद्रि स्तोमं सचता परुष्ण्या असिक्न्या मरूद्वधे वितस्तयार्जीकीये श्रृणुह्या सुषोमया'[6] सरस्वती ऋग्वेद में केवल 'नदी देवता' के रूप में वर्णित है (इसकी वंदना तीन सम्पूर्ण तथा अनेक प्रकीर्ण मन्त्रों में की गई है), किंतु ब्राह्मण ग्रथों में इसे वाणी की देवी या वाच् के रूप में देखा गया और उत्तर वैदिक काल में सरस्वती को मुख्यत:, वाणी के अतिरिक्त बुद्धि या विद्या की अधिष्ठात्री देवी भी माना गया है और ब्रह्मा की पत्नी के रूप में इसकी वंदना के गीत गाये गए है।

विषय सूची

[छिपाएं]
  • ऋग्वेद में सरस्वती को एक विशाल नदी के रूप में वर्णित किया गया है और इसीलिए राथ आदि मनीषियों का विचार था कि ऋग्वेद में सरस्वती वस्तुत: मूलरूप में सिंधु का ही अभिधान है। किंतु मेकडानेल्ड के अनुसार सरस्वती ऋग्वेद में कई स्थानों पर सतलज और यमुना के बीच की छोटी नदी ही के रूप में वर्णित है। सरस्वती और दृषद्वती परवर्ती काल में ब्रह्मावर्त की पूर्वी सीमा की नदियां कही गई हैं। यह छोटी-सी नदी अब राजस्थान के मरूस्थल में पहुंचकर शुष्क हो जाती है, किंतु पंजाब की नदियों के प्राचीन मार्ग के अध्ययन से कुछ भूगोलविदों का विचार है कि सरस्वती पूर्वकाल में सतलुज की सहायक नदी अवश्य रही होगी और इस प्रकार वैदिक काल में यह समुद्रगामिनी नदी थी। यह भी संभव है कि कालांतर में यह नदी दक्षिण की ओर प्रवाहित होने लगी और राजस्थान होती हुई कच्छ की खाड़ी में गिरने लगी। राजस्थान तथा गुजरात की यह नदी आज भी कई स्थानों पर दिखाई पड़ती है। सिद्धपुर इसके तट पर है। संभव है कि कुरुक्षेत्र का सन्निहित ताल और राजस्थान का प्रसिद्धताल पुष्कर इसी नदी के छोड़े हुए सरोवर हैं। यह नदी कई स्थानों पर लुप्त हो गई है।
  • हापकिंस का मत है कि ऋग्वेद का अधिकांश भाग सरस्वती के तटवर्ती प्रदेश में (अंबाला के दक्षिण का भूभाग) रचित हुआ था। शायद यही कारण है कि सरस्वती नदी वैदिक काल में इतनी पवित्र समझी जाती थी और परवर्ती काल में तो इसको विद्या, बृद्धि तथा वाणी की देवी के रूप में माना गया। मेकडानल्ड का मत है कि यजुर्वेद तथा उसके ब्राह्मण ग्रंथ सरस्वती और यमुना के बीच के प्रदेश में जिसे कुरुक्षेत्र भी कहते थे रचे गये थे। सामवेद के पंचविंश ब्राह्मण (प्रौढ या तांड्य ब्राह्मण) में सरस्वती और दृषद्वती नदियों के तट पर किए गए यज्ञों का सविस्तार वर्णन है जिससे ब्राह्मण काल में सरस्वती के प्रदेश की पुण्यभूमि के रूप में मान्यता सिद्ध होती है। शतपथ ब्राह्मण में विदेघ (विदेह) के राजा माठव का मूल स्थान सरस्वती नदी के तट पर बताया गया है और कालांतर में वैदिक सभ्यता का पूर्व की ओर प्रसार होने के साथ ही माठव के विदेह (बिहार) में जाकर बसने का वर्णन है। इस कथा से भी सरस्वती का तटवर्ती प्रदेश वैदिक काल की सभ्यता का मूल केंद्र प्रमाणित होता है।

रामायण में सरस्वती

वाल्मीकि रामायण में भरत के केकय देश से अयोध्या आने के प्रसंग में सरस्वती और गंगा को पार करने का वर्णन है- 'सरस्वतीं च गंगा च युग्मेन प्रतिपद्य च, उत्तरान् वीरमत्स्यानां भारुण्डं प्राविशद्वनम्'[7] सरस्वती नदी के तटवर्ती सभी तीर्थों का वर्णन महाभारत में शल्यपर्व के 35 वें से 54 वें अध्याय तक सविस्तार दिया गया है। इन स्थानों की यात्रा बलराम ने की थी। जिस स्थान पर मरूभूमि में सरस्वती लुप्त हो गई थी, उसे 'विनशन' कहते थे।[8] इस उल्लेख में सरस्वती के लुप्त होने के स्थान के पास आभीरों का उल्लेख है।
  • यूनानी लेखकों ने अलक्षेंद्र के समय इनका राज्य सक्खर रोरी (सिंध, पाकि.) में लिखा है। इस स्थान पर प्राचीन ऐतिहासिक स्मृति के आधार पर सरस्वती को अंतर्हित भाव से बहती माना जाता था, 'ततो विनशनं गच्छेन्नियतो नियताशन: गच्छत्यन्तर्हिता यत्र मेरूपृष्ठे सरस्वती।[9] महाभारत काल में तत्कालीन विचारों के आधार पर यह किंवदंती प्रसिद्ध थी कि प्राचीन पवित्र नदी (सरस्वती) विनशन पहुंचकर निषाद नामक विजातियों के स्पर्श-दोष से बचने के लिए पृथ्वी में प्रवेश कर गई थी।[10]
  • सिद्धपुर (गुजरात) सरस्वती नदी के तट पर बसा हुआ है। पास ही बिंदुसर नामक सरोवर है जो महाभारत का विनशन हो सकता है। यह सरस्वती मुख्य सरस्वती ही की धारा जान पड़ती है। यह कच्छ में गिरती है किंतु मार्ग में कई स्थानों पर लुप्त हो जाती है। 'सरस्वती' का अर्थ है सरोवरों वाली नदी जो इसके छोड़े हुए सरोवरों से सिद्ध होता है। महाभारत में अनेक स्थानों पर सरस्वती का उल्लेख है। श्रीमद् भागवत [11] में यमुना तथा दृषद्वती के साथ सरस्वती का उल्लेख है।[12] मेघदूत[13] में कालिदास ने सरस्वती का ब्रह्मावर्त के अंतर्गत वर्णन किया ह। [14] सरस्वती का नाम कालांतर में इतना प्रसिद्ध हुआ कि भारत की अनेक नदियों को इसी के नाम पर सरस्वती कहा जाने लगा। पारसियों के धर्मग्रंथ जेंदावेस्ता में सरस्वती का नाम हरहवती मिलता है।
  • प्रयाग के निकट गंगा-यमुना संगम में मिलने वाली एक नदी जिसका रंग लाल माना जाता था। इस नदी का कोई उल्लेख मध्य काल के पूर्व नहीं मिलता और त्रिवेणी की कल्पना काफ़ी बाद की जान पड़ती है। जिस प्रकार पंजाब की प्रसिद्ध सरस्वती मरूभूमि में लुप्त हो गई थी उसी प्रकार प्रयाग की सरस्वती के विषय में भी कल्पना कर ली गई कि वह भी प्रयाग में अंतर्हित भाव से बहती है। गंगा-यमुना के संगम के संबंध में केवल इन्हीं दो नदियों के संगम का वृत्तांत रामायण, महाभारत, कालिदास तथा प्राचीन पुराणों में मिलता है। परवर्ती पुराणों तथा हिन्दी आदि भाषाओं के साहित्य में त्रिवेणी का उल्लेख है। [15] कुछ लोगों का मत है कि गंगा-यमुना की संयुक्त धारा का ही नाम सरस्वती है। अन्य लोगों को विचार है कि पहले प्रयाग में संगम स्थल पर एक छोटी-सी नदी आकर मिलती थी जो अब लुप्त हो गई है। 19 वीं शती में, इटली के निवासी मनूची ने प्रयाग के क़िले की चट्टान से नीले पानी की सरस्वती नदी को निकलते देखा था। यह नदी गंगा-यमुना के संगम में ही मिल जाती थी।[16]
  • (सौराष्ट्र) प्रभास पाटन के पूर्व की ओर बहने वाली छोटी नदी जो कपिला में मिलती है। कपिला हिरण्या की सहायक नदी है जो दोनों कर जल लेती हुई प्राची सरस्वती में मिलकर समुद्र में गिरती है।
  • (महाराष्ट्र) कृष्णा की सहायक पंचगंगा की एक शाखा। कृष्णा पंचगंगा संगम पर अमरपुर नामक प्राचीन तीर्थ है।
  • (ज़िला गढ़वाल, उ.प्र.) एक छोटी पहाड़ी नदी जो बदरीनारायण में वसुधारा जाते समय मिलती है। सरस्वती और अलकनंदा (गंगा) के संगम पर केशवप्रयाग स्थित है।
  • (बिहार) राजगीर के समीप बहने वाली नदी जो प्राचीन काल में तपोदा कहलाती थी। इस सरिता में उष्ण जल के स्रोत थे। इसी कारण यह तपोदा नाम से प्रसिद्ध थी। तपोद तीर्थ का, जो इस नदी के तट पर था, महाभारत वनपर्व में उल्लेख है। गौतमबुद्ध के समय तपोदाराम नामक उद्यान इसी नदी के तट पर स्थित था। मगध-सम्राट बिंदुसार प्राय: इस नदी में स्नान करते थे।
  • केरल की एक नदी जिसके तट पर होनावर स्थित है।
  • प्राची सरस्वती, (ज़िला परभणी, महाराष्ट्र) एक छोटी नदी जो पूर्णा की सहायक है। सरस्वती-पूर्णा संगम पर एक प्राचीन सुदंर मंदिर स्थित है।

सरस्वती नदी और हड़प्पा सभ्यता में संबंध

यदि सरस्वती नदी के तट पर बसी सभ्यता, जिसे हड़प्पा सभ्यता या सिन्धु-सरस्वती सभ्यता कहा जाता है, को वैदिक ऋचाओं से हटाकर देखा जाए तो फिर सरस्वती नदी मात्र एक नदी रह जाएगी, सभ्यता खत्म हो जाएगी। सभ्यता का इतिहास बताते हैं सरस्वती नदी तट पर बसी बस्तियों से मिले अवशेष। और इन अवशेषों की कहानी केवल हड़प्पा सभ्यता से जुड़ती है। हड़प्पा सभ्यता और सरस्वती नदी, दोनों का अस्तित्व आपस में जुड़ता है। यदि हड़प्पा सभ्यता की 2600 बस्तियों को देखें तो पाते हैं कि वर्तमान पाकिस्तान में सिन्धु तट पर मात्र 265 बस्तियां थीं, जबकि शेष अधिकांश बस्तियां सरस्वती नदी के तट पर मिलती हैं। आज हमारे सामने जमीनी सच्चाई उभर कर आ गई है। अभी तक हड़प्पा सभ्यता को सिर्फ सिन्धु नदी की देन माना जा रहा था, लेकिन इन शोधों से सिद्ध हो गया है कि सरस्वती का इस सभ्यता में बहुत बड़ा योगदान है। पुस्तक 'एटलस आफ द इण्डस-सरस्वतीश् सिविलाइजेशन' में एक व्यापक शोध कार्य हुआ है।[5]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार

प्रारम्भिक



माध्यमिक



पूर्णता



शोध


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4 गुप्त, डा. स्वराज्य प्रकाश। वैज्ञानिक प्रमाण, पुरातात्विक तथ्य (हिंदी) (एच.टी.एम.एल) पाञ्चजन्य डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 13 जनवरी, 2013।
  2. ऋग्वेद 10,75,5
  3. वाल्मीकि रामायण अयो. 71,5
  4. ऋग्वेद 10,75,5
  5. 5.0 5.1 और सरस्वती क्यों न बही अब तक? (हिंदी) (पी.एच.पी.) India Water Portal। अभिगमन तिथि: 13 जनवरी, 2013।
  6. ऋग्वेद 10,75,5
  7. वाल्मीकि रामायण अयो. 71,5
  8. 'ततो विनशनं राजन् जगामाथ हलायुध: शूद्राभीरानृ प्रतिद्वेषाद् यत्र नष्टा सरस्वती' महा. शल्य0 37,1
  9. विनशन
  10. 'एतद् विनशनं नाम सरस्वत्या विशाम्पते द्वारं निषादराष्ट्रस्य येषां दोषात् सरस्वती। प्रविष्टा पृथिवीं वीर मा निषादा हि मां विदु:
  11. श्रीमद् भागवत (5,19,18
  12. मंदाकिनीयमुनासरस्वतीदृषद्वदी गोमतीसरयु
  13. मेघदूत पूर्वमेघ
  14. कृत्वा तासामभिगममपां सौम्य सारस्वतीनामन्त:शुद्धस्त्वमपि भविता वर्णमात्रेण कृष्ण:
  15. 'भरत वचन सुनि भांझ त्रिवेनी, भई मृदुवानि सुमंगल देनी'-तुलसीदास
  16. मनूची, जिल्द 3,पृ0 75.

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

26 comments:

  1. After I originally left a comment I appear to have clicked
    the -Notify me when new comments are added- checkbox and
    now whenever a comment is added I get 4 emails with the same comment.
    Perhaps there is an easy method you are able to
    remove me from that service? Kudos!
    pc transfer crack
    pc building simulator crack
    team-viewer crack

    ReplyDelete
  2. Thanks for your personal marvelous posting! I seriously enjoyed reading it,
    you happen to be a great author.I will remember to bookmark your blog and may come back in the future.
    I want to encourage that you continue your great writing, have
    a nice weekend!
    idevice manager pro crack
    fonepaw data recovery crack
    cyberlink powerdvd ultra crack
    avg internet security crack
    wondershare safeeraser crack

    ReplyDelete
  3. Hello, everything is going well here and of course share all the facts,Very cool! Some very valid points!
    I appreciate you writing this revaluation and
    the rest of the page is very good too.
    iobit uninstaller pro crack
    360 total security key free
    easeus data recovery pro crack

    ReplyDelete
  4. This is very attention-grabbing, You’re an overly skilled blogger.
    I’ve joined your feed and look ahead to seeking more of your great post.
    Additionally, I have shared your site in my social networks


    matlab r2018b crack
    avg pc tuneup
    cinema
    leawo total media converter
    truecaller

    ReplyDelete
  5. Hi there it’s me, I am also visiting this web page on a regular
    basis, this web site is actually good and the users are truly
    sharing fastidious thoughts.
    vmix crack
    vero machining strategist
    email director classic edition
    daemon tools ultra crack
    holo launcher apk

    ReplyDelete
  6. I really love your blog.. Great colors & theme.
    Did you develop this website yourself? Please reply
    back as I’m hoping to create my own site and would love to know
    where you got this from or just what the theme is named.
    Thank you!
    vmix pro crack

    ReplyDelete
  7. Great blog! Is your theme custom made or did you download it from somewhere?
    A design like yours with a few simple tweeks would really make my blog stand out.
    Please let me know where you got your design. Bless you

    ReplyDelete
  8. Nicely written & done.
    I started writing in the last few days and realized that lot of
    writers simply rework old ideas but add very little of value.
    It’s fantastic to read an informative post of some genuine value to myself and your other followers.
    It is on the list of things I need to replicate as a new blogger.
    Reader engagement and content quality are king.
    Some terrific ideas; you’ve most certainly managed to get on my list of blogs to watch!
    Carry on the terrific work!
    Well done,
    Cheryl.
    Thank you!
    halo pc crack

    ReplyDelete
  9. […] a choice since a good watch is forever. It is surely has a continual value.Life is set in motion. netflix crack for pc in measures. Atoms are moving, molecules are moving, cells are moving, anatomical systems are […]
    grid 2020 crack
    windows 7 product key generator crack
    iobit uninstaller crack

    ReplyDelete
  10. nice post
    https://mega.nz/file/OiZElZwa#20AYrcXmRYDKnyIHAUXp0y3XwIxxRW4dGZMNJInPwrU

    ReplyDelete
  11. Thankyou this is a very helpful really appreaciated

    Very good, I think I found the knowledge. I will see and refer some information in your post. thank you.
    for more info;
    nullcracking.com

    daemon-tools-lite-crack free download
    enfocus-pitstop-pro-crack free download
    game-fire-pro crack free download
    wintousb-6-crack free download
    tenorshare-icarefone-pro crack free download
    wondershare-pro crack free download

    ReplyDelete
  12. And I appreciate your work, I'm a great blogger.
    This article bothered me a lot.
    I will bookmark your site and continue searching for new information.
    advanced video compressor crack
    isobuster crack
    avast pro antivirus crack
    idm crack

    ReplyDelete
  13. Your website has a great design. Colors and themes that pop!
    Is this a work of your own? Please respond again since I want to construct one of my own.
    and I'd want to know where you've came from on this site
    The item's name is derived from this location.
    Sincerely,
    iexplorer crack
    sketchup pro crack
    youtube movie maker crack
    kontakt crack

    ReplyDelete
  14. Good! Oh my God! Great article dude!
    Thanks, but I'm having trouble with your RSS feed.
    I don't understand why I can't subscribe to it.
    sketchup pro crack
    graphpad prism crack
    vector magic crack

    ReplyDelete
  15. Excellent posting. I have constantly checked this blog and I am impressed!
    Very useful information, especially the last part. I care a lot about this information.
    I've been looking for this special information for a long time.
    Thanks and good luck.
    dropbox crack
    nvidia rtx voice crack
    nvidia rtx voice crack
    avira free antivirus crack
    windows 8 crack
    active password changer iso crack
    windows server 2016 crack
    serif affinity designer crack

    ReplyDelete
  16. https://www.blogger.com/blogin.g?blogspotURL=https://erwinfauting.blogspot.com/2021/07/download-infected-rar-for-free-scarica.html?showComment%3D1649779535608&type=blog#c8656769983878275866

    ReplyDelete
  17. Your positive energy is the secret sauce that makes your blog an absolute delight. Your uplifting content is like a warm embrace, and your cheerful outlook is a reminder to savor the sweetness of life. Keep spreading those rays of happiness!https://crack-torrent.com/qcad-professional-crack/

    ReplyDelete

पूज्य हुज़ूर का निर्देश

  कल 8-1-22 की शाम को खेतों के बाद जब Gracious Huzur, गाड़ी में बैठ कर performance statistics देख रहे थे, तो फरमाया कि maximum attendance सा...