Thursday, March 19, 2020



*राधास्वामी!! 
                                      
18 -03 -2020 :-
                               
  आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-

 कल से आगे:-

( 84)

 जीव दुनिया के सामान हासिल करने के लिए एक उम्र तक हाथ पाव मारते हैं और बड़ी मुश्किल से सामान हाथ आते है। बीमारी व बुढ़ापा आ जाने से यह सब सामान बेकार हो जाते हैं इनके रहते हुए चोर ,डाकू या जानवरों से नुकसान पहुंचने का हर वक्त अंदेशा लगा रहता है और मरने के वक्त उनके मोह से सख्त तकलीफ पहुंचती है । यह सब बातें जानते हुए भी जीव उन्हीं की तरफ दौड़ते हैं और आत्म दर्शन के लिए, जिसके प्राप्त होने पर इन सामान से कहीं बढ़ चढ़कर आनंद प्राप्त होता है, जिसको न चोर चुरा सकता है ना डाकू छीन सकता है, जिसमें बीमारी व बुढ़ापा किसी तरह का विघ्न नहीं डाल सकते और जिससे मरने के वक्त कमाल दर्जे का सुख हासिल होता है, कुछ परवाह नहीं करते । यह दुरुस्त है कि हर किसी के लिए आत्म दर्शन प्राप्त करना कर लेना आसान नहीं है लेकिन अगर इंसान जरा सी सचौटी  के साथ कोशिश करें तो थोड़े ही अरसे के अंदर अपनी चित्तवृत्ति को छठे चक्र के मुकाम पर एकत्र करने का अभ्यास कर सकता है और इस गति से भी जो आनंद प्राप्त होता है उसकी संसार का कोई बराबरी नहीं कर सकता । राधास्वामी दयाल की फरमाई हुई युक्ति का साधन करने से या गति सहज में प्राप्त हो सकती है ।इसके प्राप्त होने पर परमार्थी की हिम्मत बंध जाती है और वह  आगे कदम बढ़ाने की कोशिश करता है और रफ्ता-रफ्ता उनके घाट के तजुर्बे हासिल करके अपना भाग सराहता है।   

           🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻

 (सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा)*



*राधास्वामी!! 18 -03 -2020 :- आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे:-( 84) जीव दुनिया के सामान हासिल करने के लिए एक उम्र तक हाथ पाव मारते हैं और बड़ी मुश्किल से सामान हाथ आते है। बीमारी व बुढ़ापा आ जाने से यह सब सामान बेकार हो जाते हैं इनके रहते हुए चोर ,डाकू या जानवरों से नुकसान पहुंचने का हर वक्त अंदेशा लगा रहता है और मरने के वक्त उनके मोह से सख्त तकलीफ पहुंचती है । यह सब बातें जानते हुए भी जीव उन्हीं की तरफ दौड़ते हैं और आत्म दर्शन के लिए, जिसके प्राप्त होने पर इन सामान से कहीं बढ़ चढ़कर आनंद प्राप्त होता है, जिसको न चोर चुरा सकता है ना डाकू छीन सकता है, जिसमें बीमारी व बुढ़ापा किसी तरह का विघ्न नहीं डाल सकते और जिससे मरने के वक्त कमाल दर्जे का सुख हासिल होता है, कुछ परवाह नहीं करते । यह दुरुस्त है कि हर किसी के लिए आत्म दर्शन प्राप्त करना कर लेना आसान नहीं है लेकिन अगर इंसान जरा सी सचौटी के साथ कोशिश करें तो थोड़े ही अरसे के अंदर अपनी चित्तवृत्ति को छठे चक्र के मुकाम पर एकत्र करने का अभ्यास कर सकता है और इस गति से भी जो आनंद प्राप्त होता है उसकी संसार का कोई बराबरी नहीं कर सकता । राधास्वामी दयाल की फरमाई हुई युक्ति का साधन करने से या गति सहज में प्राप्त हो सकती है ।इसके प्राप्त होने पर परमार्थी की हिम्मत बंध जाती है और वह आगे कदम बढ़ाने की कोशिश करता है और रफ्ता-रफ्ता उनके घाट के तजुर्बे हासिल करके अपना भाग सराहता है। 🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻 (सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा)*
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
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