**परम गुरु हुजूर महाराज -प्रेम पत्र -भाग-1
- कल से आगे:-
( 7) अब इन तीनों का सबब तफसील के साथ बयान किया जाता है--
(१) पहला संग:- यह जाहिर है कि जैसा जिसको संग मिलेगा, यानी जिस किस्म के आदमियों के साथ उसका मेल या रहना होगा , उसी किस्म की बोलचाल और चाल ढाल और आदत और स्वभाव और मन की चाहे होंवेंगी यानी जिस बात या चीज को वे लोग पसंद करते होंगे या जो काम वे करते होंगे और जो रीति रहनी और खाने-पीने और पहनने ओढने की जारी होगी, तो संग करने वाले की भी वैसी ही आदत और चाह और पसंद होगी और उसी सामान की ख्वाहिशे उसके मन में भरी रहेंगी और उनके पूरा करने के लिए जो जो जतन वे लोग भी करते होंगे, वह भी करेगा।।
(२) सैर और देखभाली:- इससे यह मतलब है कि जिस गांव या कस्बा या शहर या देश में वह रहता है, या जहाँ जहाँ सैर और तमाशे को जाता है और जो जो कारखाना और सामान और लोगों की रहनी और समझ बूझ और चाहें और करतूत वह आंख से देखता है और जिस जिस काम और चीज की तारीफ और बडाई सुनता और देखता है, उन्हीं कामों और चीजों की बडाई उसके मन में समाती जाती है और सामान और असबाब के हासिल करने की चाह पैदा होती है और उनकी प्राप्ति के लिए जैसी जैसी करतूत लोगों को करते देखता है, उसी काम के करने की ख्वाहिश बढ़ती जाती है।।
(३) जरूरत और एहतियाज:- इससे यह मतलब है कि जिन जिन चीजों या सामान की , जैसे खाने और पीने और पहनने और और ओढने की या और रोजमर्ह के बर्ताव और गुजारे के लिए दुनियाँ में मुआफिक हैसियत और रहनी अपने मेलवालों के जरूरत इसको होवेगी, उन चीजों और सामान की चाह मन में जरूर उठेगी और उनके हासिल करने के वास्ते जो जो जतन या करनी आमतौर पर लोगों को करते देखेगा, उसी मुआफिक आप भी चाह उठा कर मेहनत और जतन करेगा।
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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