Saturday, January 12, 2013

सुई के बगैर शुगर




इंसुलिन के काम करने के तरीके पर हुई नई खोज डायबिटीज का नया इलाज विकसित करने में मदद देगी. वैज्ञानिकों का कहना है कि तब हर दिन इंसुलिन का इंजेक्शन लेने की जरूरत नहीं होगी. इसका फायदा लाखों मरीजों को होगा.
अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों की टीम का कहना है कि उन्हें पहली बार यह पता करने में सफलता मिली है कि इंसुलिन के हारमोन कोशिकाओं की सतह पर किस तरह चिपकते हैं कि खून का ग्लूकोज उसे पार कर ऊर्जा के रूप में जमा होता जाता है. मुख्य रिसर्चर माइक लॉरेंस का कहना है कि शक्तिशाली एक्सरे किरणों का इस्तेमाल कर 20 साल की कठिन मेहनत के बाद हुई खोज डायबिटीज के नए और बेहतर इलाज का रास्ता साफ करेंगे.
मेलबर्न के मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के लॉरेंस कहते हैं, "अब तक हमें यह पता नहीं था कि ये मॉलेक्यूल कोशिकाओं के साथ किस तरह पेश आते हैं. अब हम इस जानकारी का इस्तेमाल बेहतर गुणों वाले नए इंसुलिन इलाज के विकास में कर सकते हैं, यह बहुत उत्साहजनक है." लॉरेंस का कहना है कि उनकी टीम की स्टडी ने इंसुलिन और कोशिकाओं के सतह पर उसके रिसेप्टर के बीच एक "मॉलेक्युलर हैंडशेक" का पता दिया है.
इस असामान्य जुड़ाव के बारे में वह कहते हैं, "इंसुलिन और रिसेप्टर दोनों ही मिलने पर फिर से व्यवस्थित होते हैं. इंसुलिन का टुकड़ा खुल जाता है और रिसेप्टर के अंदर के मुख्य टुकड़े बढ़कर इंसुलिन हारमोन से जा मिलते हैं." डायबिटीज का नया इलाज विकसित करने के लिए यह समझना जरूरी था कि इंसुलिन कोशिका से कैसे जुड़ता है. डायबिटीज ऐसी लाइलाज बीमारी है जब पैंक्रियास या तो पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता या शरीर उसका सही उपयोग नहीं कर पाता.
लॉरेंस कहते हैं, "नए प्रकार के इंसुलिन की संभावना इसलिए सीमित थी क्योंकि हम यह देख पाने में सक्षम नहीं थे कि इंसुलिन शरीर में रिसेप्टर से कैसे मिलता है." उनके अनुसार नई खोज से नए प्रकार के इंसुलिन बन सकते हैं जो इंजेक्शन से अलग तरीके से भी दिए जा सकते हैं. इसके अलावा उनमें बेहतर गुण होंगे ताकि उन्हें जल्दी जल्दी न लेना पड़े. इसका असर विकसित देशों में डायबिटीज के इलाज पर भी पड़ेगा, क्योंकि ऐसे इंसुलिन बनाए जा सकेंगे जिन्हें फ्रिज में नहीं रखना होगा.
उनकी राय में नई खोज का इस्तेमाल कैंसर और अल्जाइमर के इलाज में भी किया जा सकेगा, क्योंकि इंसुलिन की इन बीमारियों में भी भूमिका होती है. "हमारी खोज विज्ञान का मौलिक हिस्सा है जो आखिराकर इन तीनों गंभीर बीमारियों में भूमिका कर सकती है."
डायबिटीज के रोगियों की संस्था ऑस्ट्रेलिया के डॉयबिडीज काउंसिल ने नई खोज को स्वागत योग्य विकास बताया है. काउंसिल की निकोला स्टोक्स ने कहा, "इस समय हमारे पास डायबिटीज का इलाज नहीं है, ऐसे में इस तरह की खोज हमें उम्मीद देती है कि वह नजदीक आ रही है."
स्टोक्स का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया में हर पांचवें मिनट डायबिटीज के एक नए रोगी का पता चल रहा है और हर साल रोगियों की संख्या 8 फीसदी की दर से बढ़ रही है. दुनिया भर में करीब 35 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2030 तक यह मौत का सातवां सबसे बड़ा कारण होगा. डायबिटीज की वजह से दिल की बीमारी, अंधापन और किडनी की बीमारी भी हो जाती है.
एमजे/एजेए (एएफपी)

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