Saturday, January 12, 2013

रामपुर में है एक रात की मस्जिद / मुजस्सिम नूर





Published by: Vineet Verma
Published on: Fri, 30 Nov 2012 at 01:41 IST

डेढ़ सौ साल पहले बनाई थी जिन्नों ने एक रात की मस्जिद
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रामपुर| उत्तर प्रदेश के रामपुर शहर से कुछ दूर विरान जगह पर स्थित एक विशाल मस्जिद का इतिहास इंसानों को चौकाने वाला रहा है। इस मस्जिद को बनाने में न साल लगा न महिना, इसे बनाने में लगी तो बस एक रात, शायद यह बात किसी के भी गले न उतरे मगर क्रीक्रत यही है। एक रात की मस्जिद के नाम से जानी जाने वाली यह इबादत गाह इंसानों के द्वारा नहीं बनाई गयी बल्कि इसको महज एक रात में जिन्नों ने बना डाला।

जिला मुख्यालय और गांधी समाधि से महज एक किलोमीटर दूर लखनऊ दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग और कोसी नदी के बीच कई हजार बीघे में फैली कोठी खास बाग़ की एक वीरान जगह में स्थित है। इस विशाल मस्जिद के विषय में कहा जाता है कि इससे अब से डेढ़ सौ साल पहले इंसानों ने नहीं जिन्नों ने बनाया था वह भी महज एक रात में, इस मस्जिद की बनावट हकीकत में अपने आप में अदभुद है। एक रात की मस्जिद के नाम से मशहूर इस इबादतगाह में नमाज से पहले किये जाने वाले बुजू के लिए हौज, आजान देने की जगह और नमाज पढ़ने की ऊँची छत की बनावट अपने आप में अदभुद है। वही मस्जिद की मीनार और की गयी नक्क्सी इसकी सुन्दरता में चार चाँद लगाते हैं। इसके आलावा शहर में स्थित नवाबी दौर में बनी जमा मस्जिद एवं मोती मस्जिद अगर सुन्दरता का बेजोड़ नमूना है तो एक रात की मस्जिद की बनावट अपने आप में बेमिसाल है।

कहा जाता है कि एक रात की मस्जिद बनने से पहले यहाँ पर जिन्नों का वास था और वह इंसानों से दूर ही पसंद करते थे ऐसे में उन्होंने इस वीरान जगह को अपनी इबादत के लिए ही चुना और यहाँ पर उन्होंने इस इबादत गाह को एक ही रात में बना डाला। देखने में यह मस्जिद आज भी वीरानी जगह पर है अगर नवाबी जगह से इसकी तुलना की जाये तो उस समय यहाँ पर आना सचमुच रोंगटे खड़े कर देने वाला था। लोगों का कहना है कि आज भी यह पर विरान है और किसी अदृश्य बुजुर्ग की उपस्थिति की आहट महसूस की जा सकती है।

मस्जिद की कोठारी में उक्त अदृश्य व्यक्ति की उपस्थिति को महसूस कर अक़ीदत मदों द्वारा दरख्वास्त लिखाकर मन्नते मांगी जाती हैं और मन्नते पूरी होने पर अक़ीदतमंदों के द्वारा गोटे के हार चढ़ाये जाते हैं।

मस्जिद की देखरेख में कई वर्षों से लगे मुन्नू मियां बताते हैं कि इस मस्जिद में जिन्न अपने परिवार के साथ रहते हैं और वह कभी भी किसी इंसान को परेशान नहीं करते हैं बल्कि अक़ीदत मंदों की दुआ पूरी होने के लिए खुदा से गुहार लगाते हैं और इसका यह परिणाम होता है की यहाँ आकर लोगों की मन्नते जल्दी पूरी होती हैं।

मुन्ना मिया का यह भी कहना है कि पवित्र कुरान में इस बात का जिक्र है कि दुनिया में इंसान और जिन्नों का वास है। इंसान दिखाई देते है और जिन्न विशेष अवसरों को छोड़कर बाकी समय अदृश्य रहते हैं। यही नहीं जैसे इंसानों में सज्जन और दुर्जन इंसान होते है वैसे ही जिन्नों में भी सज्जन और दुर्जन जिन्न होते है| मगर एक रात की मस्जिद में वास करने वाले जिन्न सज्जन और बुजुर्ग अदृश्य है जो कभी किसी इंसान को भयभीत तथा परेशान नहीं करते।

गौरतलब है कि एक रात की मस्जिद के आसपास भी एक अजीब सी खामोशी का अहसास होने लगता है और जैसे-जैसे इंसान के कदम उक्त मस्जिद में प्रवेश करते है वैसे-वैसे ही एक अजीब सी शांति का सुखद अनुभव होने लगता है। शायद यही कारण है कि अक़ीदत मंद भले ही यहाँ पर तादाद में कम आते हैं मगर उनकी मन्नते पूरी होने की गवाही मस्जिद की कोठारी में टंगी अनगिनत गोटे के हार अवश्य देते हैं।

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