Thursday, July 24, 2014

दयालबाग ईको विलेज और आगरा बनेगा ईको सिटी







प्रस्तुति-- उषा रानी, राजेन्द्र प्रसाद

विश्‍व पर्यटन मानचित्र में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला आगरा जहाँ कि देश-विदेश के सैलानी भ्रमण के लिए आते हैं। स्वाभाविक है कि इस शहर में नागरिक सेवाएं और पर्यावरण स्तर उच्चतम कोटि का होना चाहिए। परंतु इसे इस शहर का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि प्रति वर्ष ताजमहल की वजह से देश-प्रदेश के लिए करोड़ो रुपये की विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाला यह शहर मूलभूत जरूरतों के लिए आज तक तरस रहा है। सरकार की उदासीनता व कुछ अर्थो में यहाँ के लोगों की संवेदनहीनता एक प्रमुख रोड़ा बनी हुई है वातावरण परविर्तन में।
यह कहना है स्फीहा के सचवि प्रदीप कुमार सहगल का, वह पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या में संस्था द्वारा दयालबाग में स्फीहा कार्यालय में आयोजित गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा शहर की लाइफ लाइन एमजी रोड व नेशनल हाईवे नंबर टू दिनभर जाम से कराहता है। वाहनों का बढ़ता शोर और उनसे उत्सर्जित हानिकारक गैसों से शहर का वातावरण लगातार प्रदूषित हो रहा है। चारों तरफ कंक्रीट के जंगल खड़े हो रहे हैं। यमुना नदी में नालों को सीधे प्रवाहित करके उसे नदी से नाला ही बना डाला है।
वर्ष 2006 में गठित सोसाइटी फॉर प्रिजर्वेशन ऑफ हेल्दी एन्वायरमेंट एण्ड इकोलॉजी एण्ड हेरीटेज ऑफ आगरा ने उल्लेखनीय कार्य किए हैं। इनमें दयालबाग को इको विलेज के रूप में विकसित करने के लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेजा है, आगरा को ईको सिटी बनाने की मंशा है। गोष्ठी में अध्यक्ष एम.असद पठान (पूर्व चेयरमैन इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन), उपाध्यक्ष अनिल ओबेरॉय (एडीशनल प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट्स म.प्र.) एवं हरियाणा के पूर्व मुख्य सचवि आईएएस प्रेम प्रशांत, कोषाध्यक्ष दयाल सरन एडवोकेट आदि थे।

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