Saturday, May 27, 2023

सच्ची सरकार

 

प्रस्तुति : रेणु दत्ता / आशा सिन्हा 


कन्धे पर कपड़े का थान लादे और हाट-बाजार जाने की तैयारी करते हुए नामदेव जी से पत्नि ने कहा- भगत जी! आज घर में खाने को कुछ भी नहीं है। आटा, नमक, दाल, चावल, गुड़ और शक्कर सब खत्म हो गए हैं। शाम को बाजार से आते हुए घर के लिए राशन का सामान लेते आइएगा।


भक्त नामदेव जी ने उत्तर दिया- देखता हूँ जैसी विठ्ठल जीकी कृपा।

अगर कोई अच्छा मूल्य मिला, तो निश्चय ही घर में आज धन-धान्य आ जायेगा।


पत्नि बोली संत जी! अगर अच्छी कीमत ना भी मिले, तब भी इस बुने हुए थान को बेचकर कुछ राशन तो ले आना। घर के बड़े-बूढ़े तो भूख बर्दाश्त कर लेंगे। पर बच्चे अभी छोटे हैं, उनके लिए तो कुछ ले ही आना।


जैसी मेरे विठ्ठल की इच्छा। ऐसा कहकर भक्त नामदेव जी हाट-बाजार को चले गए।


बाजार में उन्हें किसी ने पुकारा- वाह सांई! कपड़ा तो बड़ा अच्छा बुना है और ठोक भी अच्छी लगाई है। तेरा परिवार बसता रहे। ये फकीर ठंड में कांप-कांप कर मर जाएगा।दया के घर में आ और रब के नाम पर दो चादरे का कपड़ा इस फकीर की झोली में डाल दे।


भक्त नामदेव जी- दो चादरे में कितना कपड़ा लगेगा फकीर जी?


फकीर ने जितना कपड़ा मांगा, इतेफाक से भक्त नामदेव जी के थान में कुल कपड़ा उतना ही था। और भक्त नामदेव जी ने पूरा थान उस फकीर को दान कर दिया।


दान करने के बाद जब भक्त नामदेव जी घर लौटने लगे तो उनके सामने परिजनो के भूखे चेहरे नजर आने लगे। फिर पत्नि की कही बात, कि घर में खाने की सब सामग्री खत्म है। दाम कम भी मिले तो भी बच्चो के लिए तो कुछ ले ही आना।


अब दाम तो क्या, थान भी दान जा चुका था। भक्त नामदेव जी एकांत मे पीपल की छाँव मे बैठ गए।


जैसी मेरे विठ्ठल की इच्छा। जब सारी सृष्टि की सार पूर्ती वो खुद करता है, तो अब मेरे परिवार की सार भी वो ही करेगा।

और फिर भक्त नामदेव जी अपने हरिविठ्ठल के भजन में लीन गए।


अब भगवान कहां रुकने वाले थे। भक्त नामदेव जी ने सारे परिवार की जिम्मेवारी अब उनके सुपुर्द जो कर दी थी।


अब भगवान जी ने भक्त जी की झोंपड़ी का दरवाजा खटखटाया।


नामदेव जी की पत्नी ने पूछा- कौन है?


नामदेव का घर यही है ना? भगवान जी ने पूछा।


अंदर से आवाज हां जी यही आपको कुछ चाहिये भगवान सोचने लगे कि धन्य है नामदेव जी का परिवार घर मे कुछ भी नही है फिर ह्र्दय मे देने की सहायता की जिज्ञयासा हैl


भगवान बोले दरवाजा खोलिये


लेकिन आप कौन?


भगवान जी ने कहा- सेवक की क्या पहचान होती है भगतानी? जैसे नामदेव जी विठ्ठल के सेवक, वैसे ही मैं नामदेव जी का सेवक हूl


ये राशन का सामान रखवा लो। पत्नि ने दरवाजा पूरा खोल दिया।फिर इतना राशन घर में उतरना शुरू हुआ, कि घर के जीवों की घर में रहने की जगह ही कम पड़ गई। इतना सामान! नामदेव जी ने भेजा है? मुझे नहीं लगता।पत्नी ने पूछा।


भगवान जी ने कहा- हाँ भगतानी! आज नामदेव का थान सच्ची सरकार ने खरीदा है। जो नामदेव का सामर्थ्य था उसने भुगता दिया। और अब जो मेरी सरकार का सामर्थ्य है वो चुकता कर रही है। जगह और बताओ।सब कुछ आने वाला है भगत जी के घर में।


शाम ढलने लगी थी और रात का अंधेरा अपने पांव पसारने लगा था।


समान रखवाते-रखवाते पत्नि थक चुकी थीं। बच्चे घर में अमीरी आते देख खुश थे। वो कभी बोरे से शक्कर निकाल कर खाते और कभी गुड़। कभी मेवे देख कर मन ललचाते और झोली भर-भर कर मेवे लेकर बैठ जाते। उनके बालमन अभी तक तृप्त नहीं हुए थे।


भक्त नामदेव जी अभी तक घर नहीं आये थे, पर सामान आना लगातार जारी था।


आखिर पत्नी ने हाथ जोड़ कर कहा- सेवक जी! अब बाकी का सामान संत जी के आने के बाद ही आप ले आना। हमें उन्हें ढूंढ़ने जाना है क्योंकी वो अभी तक घर नहीं आए हैं।


भगवान जी बोले- वो तो गाँव के बाहर पीपल के नीचे बैठकर विठ्ठल सरकार का भजन-सिमरन कर रहे हैं। अब परिजन नामदेव जी को देखने गये।


सब परिवार वालों को सामने देखकर नामदेव जी सोचने लगे, जरूर ये भूख से बेहाल होकर मुझे ढूंढ़ रहे हैं।


इससे पहले की संत नामदेव जी कुछ कहते उनकी पत्नी बोल पड़ीं- कुछ पैसे बचा लेने थे।

अगर थान अच्छे भाव बिक गया था, तो सारा सामान संत जी आज ही खरीद कर घर भेजना था क्या?

भक्त नामदेव जी कुछ पल के लिए विस्मित हुए। फिर बच्चों के खिलते चेहरे देखकर उन्हें एहसास हो गया, कि जरूर मेरे प्रभु ने कोई खेल कर दिया है।


पत्नि ने कहा अच्छी सरकार को आपने थान बेचा और वो तो समान घर मे भैजने से रुकता ही नहीं था। पता नही कितने वर्षों तक का राशन दे गया।

उससे मिन्नत कर के रुकवाया- बस कर! बाकी संत जी के आने के बाद उनसे पूछ कर कहीं रखवाएँगे।


भक्त नामदेव जी हँसने लगे और बोले- ! वो सरकार है ही ऐसी।

जब देना शुरू करती है तो सब लेने वाले थक जाते हैं।

उसकी बख्शीश कभी भी खत्म नहीं होती।

वह सच्ची सरकार की तरह सदा कायम रहती है


जय जय भक्त वत्सल भगवान की... 🙏🏻🙏🏻


!! श्री महाराज !!

!!श्रीराम जय राम जय जय राम!!

!!श्रीराम जय राम जय जय राम!!

!!श्रीराम जय राम जय जय राम!!

!!श्रीराम जय राम जय जय राम!!

          !! श्रीराम समर्थ!!

🙏परम गुरु हुजूर डा, लाल साहब जी के संदेश

 रा-धा-स्व-आ-मी

          🙏🙏

आपके विचार आजाद हो, 

ब्यवहार दीनता और बुद्धिमत्तापूर्ण हो, 


आज्ञाओं का पालन फौरन और खुशी से करें, 

अगर आप ऐसा करेंगे तो आपकी पिछली गलतियां भी माफ हो जायेंगी, 

और आगे भी गलतियां होने की संभावना कम होगी, 


लोग कहते हैं कि हम कैसे काम करें, 

तमाम दिक्कत और पचासों बातें पेश करते हैं, समस्याएं लाते हैं, 

(हल) नहीं लाते हैं, 

हम सब तरह तरह की समस्याएं पैदा कर सकते हैं, 

आप लोगो को चाहिए कि आपके पास जितनी भी बुद्धि है उसका ठीक व मुनासिब स्तेमाल करें, 

और सोच समझकर समस्याओं का हल लाइये,, 


अगर सतसंगी भाई ऊंच नीच का खयाल छोडकर के सतसंगी घरानों में सादगी से शादी करें तो उनके घरानों में खास तौर से और सतसंग कम्यूनिटी में आमतौर से ऐसा वातावरण पैदा हो जायेगा कि सतसंग के तमाम फायदे उनको हासिल होगें, 


सतसंग की पालिसी के मुताबिक और उस पर पूरा अमल दरामद परमार्थी तरक्की के लिए निहायत जरुरी है, 

ऐसा न करके कोई सतसंगी पूरे परमार्थी फायदे हरगिज़ हरगिज़ हासिल नहीं कर सकता,, 


दयालबाग की जितनी भी संस्थाएं है सब सतसंगीयों के फायदे के लिए कायम की गई है, 

और सबके पीछे परमार्थी लाभ है

🙏🙏

Friday, May 26, 2023

❤️ मानूं एक प्रेम का नाता ❤️🌹

 🌹


एक संत जी थे। वह श्री कृष्ण के परम भक्त थे। श्रीकृष्ण की  पूजा-अर्चना  बड़ी श्रद्धा और विश्वास से करते थे।  उन्होंने श्रीकृष्ण के साथ पिता - पुत्र  का संबंध बनाया था । यही सोचते कि श्री कृष्ण मेरे बालक हैं और वह उसके पिता हैं।


वह हर रोज कान्हा को उठाते, भोजन कराते, गोद में खिलाते अपना पूरा वात्सल्य श्रीकृष्ण पर उड़ेल देते। कभी कहते कान्हा मेरी दाढ़ी नोच रहा है, कभी कान्हा को पकड़ने उसके पीछे भागते।


कृष्ण भक्ति में पूरा संसार भूल गए थे। हर समय कृष्ण भक्ति में ही रमे रहते। एक बार संत जी शिष्यों से कहने लगे कि मैं कभी गंगा स्नान करने नहीं गया। शिष्य कहते गुरु जी आप काशी जी चले जाओ।


लेकिन संत जी श्रीकृष्ण के वात्सल्य भाव में वे इLतने रमे हुए थे कि उन्हें लगता था ,श्री कृष्ण कह रहे हैं कि मैं अभी छोटा हूं बाबा अभी आप मत जाओ।


समय के साथ संत जी और वृद्ध हो गए लेकिन उनका कन्हैया वही साथ 8 साल का बालक ही रहा। उनका वात्सल्य अभी भी कान्हा के बाल रूप में ही था।


संत जी कृष्ण चिंतन में ही वह स्वर्ग सिधार गए। शिष्य उन्हें शमशान जाने के लिए जाने की तैयारी करने लगे। 

इतनी में एक सात - आठ साल का सुंदर बालक गंगाजल का घड़ा लिए आया और कहने लगा कि मैं इनका मानस पुत्र हूं इनका संस्कार मैं ही करूंगा।


इनकी इच्छा थी गंगा स्नान करने की , मैं उनकी इच्छा जरूर पूर्ण करूंगा ,इसलिए मैं घड़े में यह गंगा जल लाया हूं।


 बालक ने संत जी के पार्थिव शरीर को गंगा स्नान कराया, संत के माथे पर तिलक लगाया और उनका अग्नि संस्कार किया।


 उस बालक में एक अद्भुत सी कशिश थी । चेहरे पर एक अलौकिक तेज था। कोई कुछ बोल ना सका। किसी ने कुछ पूछा ही नहीं। अग्नि संस्कार के बाद में बालक अंतर्ध्यान हो गया।


उस बालक के जाने के पश्चात लोगों के मन में आया कि  संत जी तो बाल ब्रह्मचारी थे उनका तो कोई पुत्र था ही नहीं। वह तो श्री कृष्ण को अपना मानस पुत्र मानते थे इसलिए भगवान श्री कृष्ण जी स्वयं संत के पुत्र के रूप में आए थे ।


एक बार अपने इष्ट देव पर भरोसा करके तो देखिए।


जब सौंप दिया इस जीवन का सब भार तुम्हारे हाथों में,

है जीत तुम्हारे हाथों में ,और हार तुम्हारे हाथों में ।

रोजाना वाकिआत-परम गुरु गुरु जी महाराज!*

 *रा धा स्व आ मी* 




*26-05-23-आज शाम सतसंग में पढ़ा गया बचन-कल से आगे:-*




*(3-8-31-सोम)*




*मिस्टर फोर्ड की नई किताब Go Forward (बढ़े चलो) काबिलेदीद(देखने योग्य है) है। 

मिस्टर फोर्ड चूंकि दौलत(धन) में दुनिया का सबसे बड़ा आदमी है इसलिये इक्तिसादीयात(अर्थ व्यवस्था )में उसकी राय बड़ा वजन(महत्तव) रखती है। वह कहता है कि हर कारखाने वाला हमेशा यह कोशिश करे कि मजदूरों को तनख्वाह खूब दी जाये और चीजों के दाग कम से कम रखे जावें। उसकी राय है कि हर मुल्क में असली काम करने वाले 3 शख्स हैं। अव्वल - खेती करने वाला, दोयम- चीजें बनाने वाला और सोयम- चीजों व जिंसों(अनाजों) को एक मक़ाम से दूसरे मक़ाम(स्थान) पर पहुंचाने वाला। इसके अलावा सब खाने वाले(उपभोक्ता )हैं। इसलिये वह सिर्फ agriculture, manufacture, transport तीन ही कामों को अहमियत(महत्व )देता है। लोगों का बड़ा एतराज यह है कि कलों ने बड़ी आफत यह पैदा कर रखी है कि आज एक कल ईजाद(आविष्कृत )होती है, चन्द लोग लाखों रुपया लगाकर एक कम्पनी जारी करते हैं जिसमें उस कल का फायदा उठाया जाता है। दो बरस के बाद एक और कल ईजाद हो जाती है जिसके लिये दूसरी कम्पनी जारी होती है। दोनों का आपस में मुक़ाबला होता है। पहली कम्पनी शिकस्त(मात) खाती है और मर जाती है। लाखों रुपये बरबाद होते हैं। गरज किसी कल या किसी कारखाने को अपनी जिन्दगी का भरोसा नहीं है। जवाब में फ़ोर्ड कहता है मगर ज़िन्दगी का भी किसको भरोसा है? दुनिया में हर चीज में तगय्युर(परिवर्तन )होता है। बड़ी बड़ी हुकूमतें(शासन) और सल्तनते(राज्य) नेस्त व नाबूद(तहस नहस) हो जाती हैं। इसलिये कलों के जिम्मे ख़ास तौर इल्जाम(आरोप) क्यों लगाया जाता है। इसके अलावा उसका बयान है कि कलें मेहनत बचाने वाली (labour saving) चीजें नहीं हैं बल्कि (labour serving) मजदूरों की खिदमत-गुजार (सेवा करने वाली) चीजें हैं। महात्मा गांधी कलों के जितने खिलाफ़(प्रतिकूल )हैं फ़ोर्ड उतना ही उनके हक़(अनूकूल )में है।*


*क्रमशः ----------*


*🙏🏻रा धा स्व आ मी🙏🏻*

Friday, May 19, 2023

100 आवश्यक जानकारियां / दयानंद वत्स साभार WA

 100 आवश्यक जानकारियां

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*कुछ 100 जानकारी जिसका ज्ञान सबको होना चाहिए*

1.योग,भोग और रोग ये तीन अवस्थाएं है।

2. *लकवा* - सोडियम की कमी के कारण होता है ।

3. *हाई वी पी में* -  स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करे ।

4. *लो बी पी* - सेंधा नमक डालकर पानी पीयें ।

5. *कूबड़ निकलना*- फास्फोरस की कमी ।

6. *कफ* - फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है , फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है । गुड व शहद खाएं 

7. *दमा, अस्थमा* - सल्फर की कमी ।

8. *सिजेरियन आपरेशन* - आयरन , कैल्शियम की कमी ।

9. *सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें* ।

10. *अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें* ।

11. *जम्भाई*- शरीर में आक्सीजन की कमी ।

12. *जुकाम* - जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें ।

13. *ताम्बे का पानी* - प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें ।

14.  *किडनी* - भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये ।

15. *गिलास* एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें,  लोटे का कम  सर्फेसटेन्स होता है ।

16. *अस्थमा , मधुमेह , कैंसर* से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं ।

17. *वास्तु* के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा ।

18. *परम्परायें* वहीँ विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं ।

19. *पथरी* - अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें ना के बराबर है । 

20. *RO* का पानी कभी ना पियें यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता । कुएँ का पानी पियें । बारिस का पानी सबसे अच्छा , पानी की सफाई के लिए *सहिजन* की फली सबसे बेहतर है ।

21. *सोकर उठते समय* हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का *स्वर* चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें ।

22. *पेट के बल सोने से* हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है । 

23.  *भोजन* के लिए पूर्व दिशा , *पढाई* के लिए उत्तर दिशा बेहतर है ।

24.  *HDL* बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा ।

25. *गैस की समस्या* होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें ।

26.  *चीनी* के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है , यह शरीर में जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से *पित्त* बढ़ता है । 

27.  *शुक्रोज* हजम नहीं होता है *फ्रेक्टोज* हजम होता है और भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है ।

28. *वात* के असर में नींद कम आती है ।

29.  *कफ* के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है ।

30. *कफ* के असर में पढाई कम होती है ।

31. *पित्त* के असर में पढाई अधिक होती है ।

33.  *आँखों के रोग* - कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा , आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है ।

34. *शाम को वात*-नाशक चीजें खानी चाहिए ।

35.  *प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए* ।

36. *सोते समय* रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है ।

37. *व्यायाम* - *वात रोगियों* के लिए मालिश के बाद व्यायाम , *पित्त वालों* को व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिए । *कफ के लोगों* को स्नान के बाद मालिश करनी चाहिए ।

38. *भारत की जलवायु* वात प्रकृति की है , दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिए ।

39. *जो माताएं* घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम जरुरी नहीं ।

40. *निद्रा* से *पित्त* शांत होता है , मालिश से *वायु* शांति होती है , उल्टी से *कफ* शांत होता है तथा *उपवास* ( लंघन ) से बुखार शांत होता है ।

41.  *भारी वस्तुयें* शरीर का रक्तदाब बढाती है , क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है ।

42. *दुनियां के महान* वैज्ञानिक का स्कूली शिक्षा का सफ़र अच्छा नहीं रहा, चाहे वह 8 वीं फेल न्यूटन हों या 9 वीं फेल आइस्टीन हों , 

43. *माँस खाने वालों* के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं ।

44. *तेल हमेशा* गाढ़ा खाना चाहिएं सिर्फ लकडी वाली घाणी का , दूध हमेशा पतला पीना चाहिए ।

45. *छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है ।* 

46. *कोलेस्ट्रोल की बढ़ी* हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है । ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है ।

47. *मिर्गी दौरे* में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिए । 

48. *सिरदर्द* में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें ।

49. *भोजन के पहले* मीठा खाने से बाद में खट्टा खाने से शुगर नहीं होता है । 

50. *भोजन* के आधे घंटे पहले सलाद खाएं उसके बाद भोजन करें । 

51. *अवसाद* में आयरन , कैल्शियम , फास्फोरस की कमी हो जाती है । फास्फोरस गुड और अमरुद में अधिक है 

52.  *पीले केले* में आयरन कम और कैल्शियम अधिक होता है । हरे केले में कैल्शियम थोडा कम लेकिन फास्फोरस ज्यादा होता है तथा लाल केले में कैल्शियम कम आयरन ज्यादा होता है । हर हरी चीज में भरपूर फास्फोरस होती है, वही हरी चीज पकने के बाद पीली हो जाती है जिसमे कैल्शियम अधिक होता है ।

53.  *छोटे केले* में बड़े केले से ज्यादा कैल्शियम होता है ।

54. *रसौली* की गलाने वाली सारी दवाएँ चूने से बनती हैं ।

55.  हेपेटाइट्स A से E तक के लिए चूना बेहतर है ।

56. *एंटी टिटनेस* के लिए हाईपेरियम 200 की दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दे ।

57. *ऐसी चोट* जिसमे खून जम गया हो उसके लिए नैट्रमसल्फ दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दें । बच्चो को एक बूंद पानी में डालकर दें । 

58. *मोटे लोगों में कैल्शियम* की कमी होती है अतः त्रिफला दें । त्रिकूट ( सोंठ+कालीमिर्च+ मघा पीपली ) भी दे सकते हैं ।

59. *अस्थमा में नारियल दें ।* नारियल फल होते हुए भी क्षारीय है ।दालचीनी + गुड + नारियल दें ।

60. *चूना* बालों को मजबूत करता है तथा आँखों की रोशनी बढाता है । 

61.  *दूध* का सर्फेसटेंसेज कम होने से त्वचा का कचरा बाहर निकाल देता है ।

62.  *गाय की घी सबसे अधिक पित्तनाशक फिर कफ व वायुनाशक है ।* 

63.  *जिस भोजन* में सूर्य का प्रकाश व हवा का स्पर्श ना हो उसे नहीं खाना चाहिए 

64.  *गौ-मूत्र अर्क आँखों में ना डालें ।*

65.  *गाय के दूध* में घी मिलाकर देने से कफ की संभावना कम होती है लेकिन चीनी मिलाकर देने से कफ बढ़ता है ।

66.  *मासिक के दौरान* वायु बढ़ जाता है , 3-4 दिन स्त्रियों को उल्टा सोना चाहिए इससे  गर्भाशय फैलने का खतरा नहीं रहता है । दर्द की स्थति में गर्म पानी में देशी घी दो चम्मच डालकर पियें ।

67. *रात* में आलू खाने से वजन बढ़ता है ।

68. *भोजन के* बाद बज्रासन में बैठने से *वात* नियंत्रित होता है ।

69. *भोजन* के बाद कंघी करें कंघी करते समय आपके बालों में कंघी के दांत चुभने चाहिए । बाल जल्द सफ़ेद नहीं होगा ।

70. *अजवाईन* अपान वायु को बढ़ा देता है जिससे पेट की समस्यायें कम होती है 

71. *अगर पेट* में मल बंध गया है तो अदरक का रस या सोंठ का प्रयोग करें 

72. *कब्ज* होने की अवस्था में सुबह पानी पीकर कुछ देर एडियों के बल चलना चाहिए । 

73. *रास्ता चलने*, श्रम कार्य के बाद थकने पर या धातु गर्म होने पर दायीं करवट लेटना चाहिए । 

74. *जो दिन मे दायीं करवट लेता है तथा रात्रि में बायीं करवट लेता है उसे थकान व शारीरिक पीड़ा कम होती है ।* 

75.  *बिना कैल्शियम* की उपस्थिति के कोई भी विटामिन व पोषक तत्व पूर्ण कार्य नहीं करते है ।

76. *स्वस्थ्य व्यक्ति* सिर्फ 5 मिनट शौच में लगाता है ।

77. *भोजन* करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे को संतुष्टि का संकेत है ।

78. *सुबह के नाश्ते* में फल , *दोपहर को दही* व *रात्रि को दूध* का सेवन करना चाहिए । 

79. *रात्रि* को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिए । जैसे - दाल , पनीर , राजमा , लोबिया आदि । 

80.  *शौच और भोजन* के समय मुंह बंद रखें , भोजन के समय टी वी ना देखें । 

81. *मासिक चक्र* के दौरान स्त्री को ठंडे पानी से स्नान , व आग से दूर रहना चाहिए । 

82. *जो बीमारी जितनी देर से आती है , वह उतनी देर से जाती भी है ।*

83. *जो बीमारी अंदर से आती है , उसका समाधान भी अंदर से ही होना चाहिए ।*

84. *एलोपैथी* ने एक ही चीज दी है , दर्द से राहत । आज एलोपैथी की दवाओं के कारण ही लोगों की किडनी , लीवर , आतें , हृदय ख़राब हो रहे हैं । एलोपैथी एक बिमारी खत्म करती है तो दस बिमारी देकर भी जाती है । 

85. *खाने* की वस्तु में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिए , ब्लड-प्रेशर बढ़ता है । 

86 .  *रंगों द्वारा* चिकित्सा करने के लिए इंद्रधनुष को समझ लें , पहले जामुनी , फिर नीला ..... अंत में लाल रंग । 

87 . *छोटे* बच्चों को सबसे अधिक सोना चाहिए , क्योंकि उनमें वह कफ प्रवृति होती है , स्त्री को भी पुरुष से अधिक विश्राम करना चाहिए 

88. *जो सूर्य निकलने* के बाद उठते हैं , उन्हें पेट की भयंकर बीमारियां होती है , क्योंकि बड़ी आँत मल को चूसने लगती है । 

89.  *बिना शरीर की गंदगी* निकाले स्वास्थ्य शरीर की कल्पना निरर्थक है , मल-मूत्र से 5% , कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने से 22 %, तथा पसीना निकलने लगभग 70 % शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं । 

90. *चिंता , क्रोध , ईर्ष्या करने से गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है जिससे कब्ज , बबासीर , अजीर्ण , अपच , रक्तचाप , थायरायड की समस्या उतपन्न होती है ।* 

91.  *गर्मियों में बेल , गुलकंद , तरबूजा , खरबूजा व सर्दियों में सफ़ेद मूसली , सोंठ का प्रयोग करें ।*

92. *प्रसव* के बाद माँ का पीला दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को 10 गुना बढ़ा देता है । बच्चो को टीके लगाने की आवश्यकता नहीं होती  है ।

93. *रात को सोते समय* सर्दियों में देशी मधु लगाकर सोयें त्वचा में निखार आएगा 

94. *दुनिया में कोई चीज व्यर्थ नहीं , हमें उपयोग करना आना चाहिए*।

95. *जो अपने दुखों* को दूर करके दूसरों के भी दुःखों को दूर करता है , वही मोक्ष का अधिकारी है । 

96. *सोने से* आधे घंटे पूर्व जल का सेवन करने से वायु नियंत्रित होती है , लकवा , हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है । 

97. *स्नान से पूर्व और भोजन के बाद पेशाब जाने से रक्तचाप नियंत्रित होता है*। 

98 . *तेज धूप* में चलने के बाद , शारीरिक श्रम करने के बाद , शौच से आने के तुरंत बाद जल का सेवन निषिद्ध है 

99. *त्रिफला अमृत है* जिससे *वात, पित्त , कफ* तीनो शांत होते हैं । इसके अतिरिक्त भोजन के बाद पान व चूना ।  देशी गाय का घी , गौ-मूत्र भी त्रिदोष नाशक है ।

100. इस विश्व की सबसे मँहगी *दवा। लार* है , जो प्रकृति ने तुम्हें अनमोल दी है ,इसे ना थूके ।


_*जनजागृति हेतु लेख को पढ़ने के बाद साझा अवश्य करें*

Daya Nand Vats 

दयानंद वत्स

साभार WA

Tuesday, May 16, 2023

रोजाना वाकिआत- / परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज!

 रा धा स्व आ मी!                                      


 15-05-23-आज शाम सतसंग में पढ़ा गया बचन-कल से आगे:-25-7-31- सनीचर का शेष भाग)-रात के सतसंग में बयान हुआ कि दुनिया का आम तौर से तो यह हाल है कि मालिक की जानिब कोई तवज्जुह(ध्यान) नहीं किया जाती। जब कोई मुश्किल या मुसीबत सर पर आती है तो लोग मालिक की तरफ तवज्जुह देते हैं और बतौर भिखारी के मालिक के रूबरू(सामने)दस्त बदुआ(प्रार्थना में हाथ जोड़े) होते हैं। खैर! इसी बहाने से मालिक की तरफ मुखातिब(प्रवृत)हों। नामुखातिब होने से ऐसे ही मुखातिब(प्रवृत) होना अच्छा। लेकिन वाजेह(स्पष्ट) हो कि इस तरह मुखातिब होने पर कभी कभी तो प्रार्थना मंजूर होकर इमदाद(सहायता) मिल जाती है लेकिन हमेशा कामयाबी नहीं होती एक ऐसा भी तरीक़ा है कि जिस पर चलते बिला नागा कामयाबी हो सकती है वह यह है कि बजाय बतौर भिखारी के बतौर बच्चे के मालिक की तरफ रुजू(प्रवृत हो) लाओ। जैसे छोटा बच्चा अपनी मां से अपनी मोहब्बत के जोर पर चीजें मांगता है ऐसे ही तुम भी मोहब्बत के ज़ोर पर मालिक से हमकलाम(बातचीत करना)हो। लेकिन यह हालत तभी होगी जब तुम्हारा दिल बच्चे की तरह मासूम यानी निष्पाप होगा और जब बच्चे की तरह दिन रात मालिक से मोहब्बत करने की आदत डालोगे। जब तुम यह आदत डाल लोगे अव्वल तो तुम्हें किसी चीज के मांगने की जरूरत नहीं रहेगी क्योंकि वह दयाल मालिक खुद ही तुम्हारी हर तरह निगरानी (देखभाल )रखेगा और अगर कभी जरूरत भी पड़ी तो तुम्हारे मांग मांगते ही मांगते मंजूरी के अहकाम(आदेश) सादिर(जारी) हो जायेंगे। अगर रा धा स्व आ मी मत व रा धा स्व आ मी दयाल में सच्चा विश्वास है तो इस जुगती का इस्तेमाल करके पूरा फायदा उठाओ।                                                                                                 🙏🏻रा धा स्व आ मी 🙏🏻  रोजाना वाकिआत-परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज!

परम पूज्य ग्रैशस हुजूर सतसंगी साहब जी के सुझाव*

 *रा-धा-स्व-आ-मी*

*परम पूज्य ग्रैशस हुजूर सतसंगी साहब जी के सुझाव*

*(23 जुलाई 2006)-*                         

*आप लोग अमल करें, आप लोग अभी तक पुराने रीति रिवाजों में लिप्त है,* 

*हमारे किसी भी संत सतगुरु ने पुराने रीति रिवाजों व पुरानी परम्पराओं को अधिक दिन तक सतसंग में जारी नहीं रहने दिया,* 

*इन सभी पुराने रीति रिवाजों में फसे रहने से आप सब काल के भवर में फसे रहेगें,* 

और काल आपको जाल में फसाये रहेगा,* 

*आप लोगों को पहले भी कई बार स्पस्ट संकेत दिया गया था,* 

*सतसंग में नये सुपरमैन, नई राजनीति, और नई भक्तिरीति स्थापित होगी,* 

*इसलिए सतसंग में जिन चीजों पर जोर दिया जाता है उन्हें अपनायें,* 

*पुराने रीति रिवाजों व पुरानी परम्पराओं को छोडे,* 

🙏🏻🙏🏻

रोजाना वाकिआत-परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज!

 

रा धा स्व आ मी!                                     

  15-05-23-आज शाम सतसंग में पढ़ा गया बचन-कल से आगे:-25-7-31- सनीचर का शेष भाग)-रात के सतसंग में बयान हुआ कि दुनिया का आम तौर से तो यह हाल है कि मालिक की जानिब कोई तवज्जुह(ध्यान) नहीं किया जाती।

 जब कोई मुश्किल या मुसीबत सर पर आती है तो लोग मालिक की तरफ तवज्जुह देते हैं और बतौर भिखारी के मालिक के रूबरू(सामने)दस्त बदुआ(प्रार्थना में हाथ जोड़े) होते हैं। खैर! इसी बहाने से मालिक की तरफ मुखातिब(प्रवृत)हों। नामुखातिब होने से ऐसे ही मुखातिब(प्रवृत) होना अच्छा। लेकिन वाजेह(स्पष्ट) हो कि इस तरह मुखातिब होने पर कभी कभी तो प्रार्थना मंजूर होकर इमदाद(सहायता) मिल जाती है लेकिन हमेशा कामयाबी नहीं होती. 

एक ऐसा भी तरीक़ा है कि जिस पर चलते बिला नागा कामयाबी हो सकती है वह यह है कि बजाय बतौर भिखारी के बतौर बच्चे के मालिक की तरफ रुजू(प्रवृत हो) लाओ। जैसे छोटा बच्चा अपनी मां से अपनी मोहब्बत के जोर पर चीजें मांगता है ऐसे ही तुम भी मोहब्बत के ज़ोर पर मालिक से हमकलाम(बातचीत करना)हो। लेकिन यह हालत तभी होगी जब तुम्हारा दिल बच्चे की तरह मासूम यानी निष्पाप होगा और जब बच्चे की तरह दिन रात मालिक से मोहब्बत करने की आदत डालोगे। जब तुम यह आदत डाल लोगे अव्वल तो तुम्हें किसी चीज के मांगने की जरूरत नहीं रहेगी क्योंकि वह दयाल मालिक खुद ही तुम्हारी हर तरह निगरानी (देखभाल )रखेगा और अगर कभी जरूरत भी पड़ी तो तुम्हारे मांग मांगते ही मांगते मंजूरी के अहकाम(आदेश) सादिर(जारी) हो जायेंगे। 

अगर रा धा स्व आ मी मत व रा धा स्व आ मी दयाल में सच्चा विश्वास है तो इस जुगती का इस्तेमाल करके पूरा फायदा उठाओ।                                                                                               

  🙏🏻रा धा स्व आ मी🙏🏻 

 रोजाना वाकिआत-परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज!


Wednesday, May 3, 2023

ब्लूटूथ

 

ब्लूटूथ

ब्लूटूथ एक बिना तार यानी वायरलेस कनेक्टीविटी हैं

ब्लूटूथ बेतार (वायरलेस) संचार के लिए एक प्रोटोकॉल है। मोबाइल फोन, लैपटॉप, संगणक, प्रिंटर, अंकीय (डिजिटल) कैमरा और वीडियो गेम जैसे उपकरण इसके माध्यम से एक दूसरे से जुड़ कर जानकारी विनिमय कर सकते हैं। जुड़ने के लिए उपकरण रेडियो तरंगों का उपयोग करते हैं। ब्लूटूथ को मूलत: संगणक से अन्य उपकरणों को जोड़ने वाले तारों (केबलों) की संख्या को कम करने के लिए विकसित किया गया था। ब्लूटूथ को अपेक्षाकृत कम दूरी यहाँ तक कि सिर्फ् कुछ मीटर के लिए ही इस्तेमाल किया जा सकता है।

एक ब्लूटूथ हैडसेट मोबाइल फोन से जोड़ने के लिए
O
यूएसबी एडेप्टर

ब्लूटूथ के लिए कई मानक हैं। आंकडे़ प्रसार दरें बदलती रहती हैं। वर्तमान में यह दर प्रति सेकंड 1-3 MBit पर हैं। आम तौर पर ब्लूटूथ अनुप्रयोग का उपयोग एक हेडसेट को मोबाइल फोन या एक कंप्यूटर माउस, कुंजीपटल या मुद्रक (प्रिंटर) को कंप्यूटर से जोड़ने के लिए किया जाता है। ब्ल्यूटूथ, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे पर्सनल डिजिटल असिस्टेंट (पीडीए), मोबाइल फोन, लैपटॉप, पर्सनल कम्प्यूटर, पिरन्टर, डिजिटल कैमरा और वीडियो गेम कन्सोल इत्यादि को जोड़ने एवं सूचनाओं को आदानप्रदान करने का एक तरीका प्रदान करता है। यह वास्तव में मूलरूप से एक नेटवर्किग मानक है जो दो स्तरों पर काम करता हैः

  1. प्रथम स्तर में यह भौतिक आधार पर रजामंदी (एगरीमेन्ट) प्रदान करता है,

  1. द्वितीय स्तर में यह प्रत्रोटोकॉल के आधार पर भी रजामंदी प्रदान करता है। द्वितीय स्तर में उपकरणों या उत्पादों को इस बात पर सहमत होना पड़ता है। कि बिट्सं का प्रेषण कब होता है। एक समय में कितनी बिट्स भेजी जाएंगी तथा विभिन्न पक्ष सूचनाओं के आदानप्रदान (कंवरशेषन) के दौरान कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि अभिगरहित संदेश वहीं है जो भेजा गया है।

ब्ल्यूटूथ टैक्नोलॉजी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह एक बेतार, सस्ती और स्वचालित टैक्नोलॉजी है। इस संदर्भ में अन्य तकनीकों का भी प्रयोग किया जा सकता है। इन तकनीकों में इंफ्रारेड संचार भी शामिल है। यद्यपि इन्परारेड संचार उपकरण काफी हद तक विश्वसनीय होते हैं और इनकी कीमत भी ज्यादा नहीं होती है लेकिन इनकी कुछ खास कमियां भी है। ये कमियां हैं:

  1. इन्परारेड एक लाइनऑफ-साइट टैक्नोलॉजी है। उदाहरण के लिए हम टेलीविजन या डी़वी़डी प्लेयर के रिमोट को लेते हैं। टेलीविजन या डी़वी़डी़ प्लेयर को चलाने या बंद करने के लिए हमें रिमोट का केन्दर बिंदु उसी ओर करना पड़ेगा जिस और टेलीविजन या डी़वी़डी प्लेयर है

  1. इन्परारेड एक वनटू-वन टैक्नोलॉजी है। उदाहरणार्थ आप अपने डेस्कटॉप कम्प्यूटर और लैपटॉप कम्प्यूटर के बीच डाटा भेज सकते हैं लेकिन लैपटॉप कम्प्यूटर और पर्सनल डिजिटल असिस्टेंट (पी़डी़ए़) के बीच एक समय में डाटा नहीं भेज सकते है।

ब्ल्यूटूथ नामकरण ब्ल्यूटूथ नाम 10वीं सदी के डेनमार्क के राजा हैराल्ड ब्ल्यूटूथ से लिया गया है। ब्ल्यूटूथ टैक्नोलॉजी के अन्वेषकों के अनुसार हैराल्ड ने राजनयिक अर्थात डिप्लोमेसी की एक चाल जिसके अंतर्गत युद्धरत दल या पार्टियों ने एक दूसरे से समझौता करना शुरू कर दिया और इसी प्रक्रिया ने ब्ल्यूटूथ को इस टैक्नोलॉजी के नाम के साथ दिया जिसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के उपकरण या युक्तियाँ आपस में बात/सूचनाओं का आदानप्रदान कर सकते हैं।

पूज्य हुज़ूर का निर्देश

  कल 8-1-22 की शाम को खेतों के बाद जब Gracious Huzur, गाड़ी में बैठ कर performance statistics देख रहे थे, तो फरमाया कि maximum attendance सा...