Monday, November 13, 2023

बचन

 रा धा/ध: स्व आ मी



- आज शाम सतसंग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे:- (24-11-31 मंगल का तीसरा भाग)- जब तीसरा नम्बर आया तो सेक्रेटरी साहब ने कहा कि मेरा नम्बर सरका दिया गया है। सबसे अव्वल पण्डित चमूपति जी ने जो आर्य समाज के माननीय वक्ता हैं तक़रीर की।             

                           

फ़िर रेवरेण्ड़ ठाकुर दास  साहब का लेक्चर हुआ उसके बाद प्रिंसिपल छबीलदास साहब ने व्याख्यान दिया। प्रिंसिपल साहब के सिवाय सबने यही कहा कि परमार्थ कौमी तरक्की के रास्ते में स‌ददेराह नहीं है। उसके बाद मुझे बोलने की इजाजत दी गई। डाक्टर नौरंग साहब ने बतौर सदर (अध्यक्ष) के अव्वल हाजिरीन(उपस्थित जन) से मेरा तार्रुफ (परिचय) कराया। मेरी सहूलियत के लिये एक कुसी रख दी गई थी जिस पर बैठकर में आराम से बोल सका। हाजिरीन एकदम खामोश हो गये।


मैने सुगांधीर सामला कि आवल में आर्य समाज के उस फैज (लाभ) के लिये जो मुझे गुजिश्ता (पिछली) सदी के आखिर में अपनी तालिबद्दल्ली(विद्यार्थी ) के जमाने में समाज से मिला है जिक्र कर दूँ। चुनांचे मैंने ऐसा ही किया और इस फिकरें   (वाक्य) पर बढ़े जोर से तालियां बजी। इससे जाहिर है कि अब समाजी भाई मेरी तरफ मोहब्बत की निगाह से देखने लगे हैं। उनको व नीज दूसरे सब मbतों के अनुयायियों को जेहननशीन (समझना)  चाहिये कि सतसंग प्राणिमात्र के लिये रोम रखता है और सत्संग के साथ प्रेम रखने में सबका भला है।


मजहबी ध्यासात में तकरको बेशक रहे लेकिन दिलों में तफरका (भिन्नता ) सेवक रहे लेकिन दिलों तफ़रका नहीं होना चाहिये। खैर! निस्फ़ घंटा गुजर गया। मुझे अफसोस है कि बमुश्किल तमाम निस्फ़ मजमून अदा हो सका। साहबेसद्र ने अजराहे-नवाजिश(कृपा वंश) तस्वीर जारी रखने की इजाजत दे दी। मैंने मजबूरन आयन्दा पांच मिनट के अन्दर जैसे जैसे मजमून खत्म कर दिया।

ऐसे जबरदस्त मजमून के लिये दो घंटे भी कम वक़्त था। चूंकि इस तक़रीर का अवाम(सामान्य जन) पर निहायत ही अच्छा असर पड़ा इसलिये इरादा है कि प्रेम प्रचारक में इसका खुलासा (Simply) तहरीर करूँ। साहबे सद्र ने मेरे बैठ जाने कर ऐसे तारीफ़ी कलमात(शब्द) जबान से निकाले कि मुझे बड़ी शर्म मालूम हुई क्योंकि यह मेरी जिन्दगी में पहला ही मौका था कि किसी ने बसरेआम(सार्वजनिक रूप से) मेरी ऐसी पुरजोश(उत्साह  पूर्वक) तारीफ़ की हो।

N यह महज रा धा/ध: स्व आ मी दयाल की दया है यह जब जैसा मुनासिब खयाल फ़रमाते हैं उसके लिये सभी सामान मुहय्या(एकत्रित )फरमा देते हैं। मेरे बाद मिस्टर जुत्शी जी, पण्डित विश्व बन्धु जी की तकरीरे हुई। दस बज गये और मैं चला आया।     

                                        🙏🏻रा धा/ध: स्व आ मी!


रोजाना वाकिआत-परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज!*

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