*राधास्वामी!! - / 03-08-2021-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
सतगुरु प्यारे ने दिलाया, शब्द में भावा हो।।टेक।।
शब्द ने पिरथम करी पुकारा। शब्द ने चहुँ दिस किया उजारि। वही सब रचन रचावा हो।१।
आदि पुकार सुने जो कोई। देश संत का पावे सोई। शब्दहि देत बुलावा हो।२।
शब्दहि फैल रहा चहुँ देशा। शब्द शब्द सुन करो प्रवेशा। शब्दहि पार लगावा हो।३।
शब्द भेद बडभागी पावें।शब्द संग वे सुरत चढावें। शब्दहि शब्द मिलावा हो।४।
राधास्वामी मेहर से दिया घट भेदा। सुन सुन शब्द मिटे कर्म खेदा। नित गुरु महिमा गावा हो।५।
(प्रेमबानी-3-शब्द-21-पृ.सं.118,119)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
राधास्वामी!! - / 03-08-2021-आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
राधास्वामी मेरी सुनो पुकारा। घट प्रीति बढ़ाओ सारा।१।
दृढ परतीत चरन में दीजे। किपा कर अपना कर लीजे।२।
भजन भक्ति कुछ बन नहीं आवत। लोभ मोह मोहि अति भरमावत।३।
मेरा बल कुछ पेश न जावे। मान ईरखा नित्त सतावे।४।
यह मन बैरी सदा भुलावे। समझ न लावे भटका खावे।५।
छिन रुखा छिन फीका होवे। माया मोह नींद में सोवे।६।
बहुत जगाऊँ कहन न माने। प्रेम भक्ति की सार न जाने।७।
सेवा में नित आलस करता। फिर फिर भोग रोग में गिरता।८।
नित नित भरमन में भरमाई। सत्संग बचन न चित्त समाई।९।
कुमति अधीन हुआ अब यह मन। कौन सुधारे इसको गुरु बिन।१०।
याते करूँ प्रकार पुकारी। हे राधास्वामी मोहि लेव सम्हारी।११।
दीन अधीन पड़ी तुम द्वारे। तुम बिन अब मोहि कौन सुधारे।१२।
चरन बिना नहिं ठौर ठिकाना। जैसे काग जहाज़ निमाना।१३।
तुम बिन और न कोई आसर। राधास्वामी २ गाँऊ निस बासर।१४।
अब तो लाज तुम्हे है मेरी। सरन पड़ी होय चरनन चेरी।१५।
राधास्वामी पति और पिता दयाला। अपनी मेहर से करो निहाला।१६।
(प्रेमबानी-1- शब्द- 9 -पृ.सं. 117,118, 119 )
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
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