Monday, February 13, 2012

सेक्स करो और नंबर पाओ!



द्वारा: rajawat     लेखक : saroj rajawat
जबलपुर का किस्मत के बदले अस्मत मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ कि मुंबई के एक नामी कॉलेज में अच्छे नंबर के बदले सेक्स का ऑफर जैसा मामला सामने आया है। नंबर के बदले सेक्स की मांग करने वाला कोई और नहीं कॉलेज का प्रोफेसर है जो इस पद की मर्यादा को गिरा रहा है।
‘तुम्हें पता नहीं है कि सेक्स कैसे किया जाता है? एक लड़की जिसने मेरे साथ सेक्स किया..क्योंकि उसे मेरा पढ़ाने का स्टाइल पसंद था.. और मैंने उसे इंजिनियरिंग फस्र्ट ईयर में टॉपर बना दिया।’ यह मुंबई के गोरेगांव के एक जाने-माने कॉलेज के प्रोफेसर के अपनी स्टूडेंट को भेजा गया एसएमएस हैं। वह अपनी इस स्टूडेंट से नंबर के बदले सेक्स की डिमांड कर रहा था। जब युवती ने प्रोफेसर की पोल खोली, तो वह अब कह रहा है कि दरअसल वह लड़की का कैरक्टर जांच रहा था। पुलिस ने अभी तक प्रोफेसर पर मामला दर्ज नहीं किया है। गोरेगांव के एलएस पाटकर कॉलेज ऑफ आर्ट्स के 24 वर्षीय राहुल सरांगले कंप्यूटर हार्डवेयर पढ़ाता है। युवती ने बताया कि मैंने राहुल सर को एसएमएस किया कि मेरे काफी कम नंबर आए हैं। सर ने एसएमएस का जो जवाब दिया मैं सन्न रह गई। युवती ने बताया कि सर ने कई एसएमएस किए जिसमें उन्होंने पूछा कि क्या उसने कभी सेक्स किया है? एक एसएमएस में उसने मुङो दूसरे स्टूडेंट्स के साथ सोने के बारे में बताया, जिन्हें बाद उसे अच्छे नंबर मिले।
जबलपुर मेडिकल सेक्स स्कैंडलःफर्जी प्रोफेसरों ने किया पुनर्मूल्यांकन! जबलपुर मेडिकल कालेज सैक्स स्कैंडल के तार भोपाल से जुड़ रहे हैं। इस पूरे मामले को उजागर करने वाली छात्रा संधु आर्या सहित तीन छात्राओं की एमबीबीएस परीक्षा की कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय ने राजधानी में कराया था।
यह काम पीपुल्स मेडिकल कॉलेज के दो कथित प्रोफेसर डॉ.आरती कपूर और डॉ.मनोज शाक्य ने किया।
मामले की जांच कर रहे जबलपुर क्राइम ब्रांच के अधिकारी जब इन दोनों प्रोफेसरों के बयान लेने भोपाल आए तो पता चला कि इन नामों के कोई प्रोफेसर पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में है ही नहीं। कॉलेज के डीन डॉ. व्हीके पंड्या ने पुलिस को लिखित में यह जानकारी दी है।
इसी तरह एक अन्य छात्र की कॉपी का पुनर्मूल्यांकन भी पीपुल्स डेंटल कॉलेज की डॉ. मंजू श्रीवास्तव ने किया, जबकि इस नाम की प्रोफेसर भी कॉलेज में नहीं है। क्राइम ब्रांच के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एके शुक्ला ने बताया कि पीपुल्स कॉलेज को नोटिस देकर तीनों प्रोफेसरों के बयान दर्ज कराने कहा था,लेकिन कॉलेज की तरफ से लिखित जवाब में बताया गया कि ये प्रोफेसर कॉलेज में कभी कार्यरत नहीं रहे। उन्होंने बताया कि अब रानी दुर्गावती विवि को नोटिस देकर तीनों छात्राओं की परीक्षा कॉपी मांगी गई है।
एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने तोड़फोड़ की
रानी दुर्गावती विवि में धारा 52 लगाने की मांग को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने जमकर हंगामा किया। इस दौरान उन्होंने विवि में तोडफ़ोड़ भी की। दूसरी तरफ पुलिस ने विवि के परीक्षा विभाग से जुड़े जयदीप पांडे व प्रदीप शुक्ला को बुधवार को न्यायालय में पेश किया। जहां से उन्हें 27 मई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
प्रदेश सरकार ने जानबूझकर एबीवीपी को बेलगाम कर रखा है। ये कार्यकर्ता सरकार के इशारे पर ही तोडफ़ोड़ करते हैं। ""
जेपी धनोपिया,प्रवक्ता प्रदेश कांग्रेस
जेल भेजे गए तीनों अधिकारियों को विवि ने निलंबित नहीं किया है। इस मांग को लेकर कार्यकर्ता कुलपति के पास गए थे। लेकिन उन्होंने कोई तोडफ़ोड़ नहीं की है।""


बीडी शर्मा,क्षेत्रीय संगठन मंत्री एबीवीपी(दैनिक भास्कर,भोपाल,19.5.11)
शासन ने राजभवन को सौंपी रिपोर्ट जबलपुर मेडिकल कॉलेज सेक्स स्कैंडल मामले की रिपोर्ट सरकार ने राजभवन को सौंप दी है। मुख्य सचिव और विभाग के प्रमुख सचिव ने राज्यपाल एवं कुलाधिपति रामेश्वर ठाकुर को घटनाक्रम और शासन द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में बता दिया है। उधर, जबलपुर विवि के पूर्व कुलसचिव विजय शर्मा की गिरफ्तारी से निलंबन तय हो गया है। विवि को भी निर्देश दिए गए हैं कि जांच में दोषी ठहराए गए अधिकारी-कर्मचारियों पर सीधी कार्रवाई की जाए।
जानकारी के मुताबिक एडीएन वाजपेयी की अध्यक्षता वाली हाईपॉवर कमेटी का प्रतिवेदन मुख्यमंत्री को सौंपे जाने के बाद विचार-विमर्श कर रिपोर्ट राजभवन को सौंप दी गई। इसमें पूरे घटनाक्रम का ब्यौरा है। सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट में जिन अफसर-कर्मचारियों पर कार्रवाई की अनुशंसा की गई है उनमें से अधिकांश विवि सेवा के हैं। राजभवन के सीधे नियंत्रण में होने की वजह से इन पर कार्रवाई के लिए शासन सीधे विवि को निर्देश नहीं दे सकता है। इसलिए राजभवन को पूरा स्थिति साफ कर दी गई है। बताया जा रहा है कि राजभवन की ओर से भी इस मामले में सख्त रूख अख्तिायर किया गया है। विवि को निर्देश दिए गए हैं कि जांच में पहली नजर में दोषी ठहराए गए कर्मियों के खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई की जाए।
उधर शासन स्तर से तीन मोर्चों पर काम चल रहा है। पुलिस महकमे को कार्रवाई की खुली छूट देने के साथ लोक निर्माण विभाग से कहा जा रहा है कि राजू खान का ठेकेदारी लाइसेंस निरस्त किया जाए। वहीं उच्च शिक्षा महकमा विवि के प्रशासनिक नियंत्रण की स्थिति की समीक्षा कर रहा है। यदि स्थितियां बेकाबू पाई जाती हैं तो "आपातकाल" धारा ५२ के इस्तेमाल पर विचार किया जाएगा। वैसे सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से सेक्स स्कैंडल का खुलासा हुआ और इसमें विवि कर्मियों के शामिल होने के प्रमाण मिले हैं वह जाहिर करते हैं कि प्रशासनिक नियंत्रण में खामियां तो थीं
(नई दुनिया,दिल्ली,19.5.2011 में जबलपुर की रिपोर्ट)।

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