Tuesday, September 13, 2022

शिक्षक / आज हाशिए पर है शिक्षक "

 "आज हाशिए पर है शिक्षक "

श्रद्धा से मस्तक झुक जाए,बिना स्वार्थ के सिद्धि देता। 

शिक्षक ही  पीढ़ी -दर - पीढ़ी , ज्ञान दान समृद्धि देता।।

बिना स्वार्थ सुख-दुख की चिंता,सर्वसमाज हितों की चिंता। 

स्नेहाशीष के अभिसिंचन से , वही चतुर्दिक वृद्धि देता।। 

छाया  बनकर  साथ रह रहे , दिग्भ्रमित सन्मार्ग बताएं।

गढ़ कर  मेरे  जीवन  को वह , चारों और प्रसिद्धि देता।।

विकट   परिस्थितियों  में  केवल ,ज्ञान साथ ही देता है।

कठिन साधना के तपबल से ,सबको बुद्धि-शुद्धि देता।।

राम-रहीम खुदा के बंदे , फिर भी शिक्षक बिना अधूरे। 

नव पथ पर चलने वालों को , वह हरदम विवृद्धि देता।।

कौशल और कला से सजकर,हम समाज के लायक होते।

वह प्रत्यक्ष - परोक्ष  रूप से ,  हमें सदा  ही रिद्धि देता।। 

नेता-वक्ता-अधिकारी को,ख्याति मिल  रही चारों ओर।

आज हाशिए पर है शिक्षक,जो सबको अभिवृद्धि 

देता।।...

"अनंग"

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