Monday, February 27, 2023

श्रद्धा, विश्वास और समर्पण माने भगवान*


प्रस्तुति-रेणु दत्ता /आशा सिन्हा 


द्रौपदी के स्वयंवर में जाते वक्त श्री कृष्ण अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं कि, "हे पार्थ तराजू पर पैर संभालकर रखना, संतुलन बराबर रखना, लक्ष्य मछली की आंख पर ही केंद्रित हो उसका खास खयाल रखना", तो अर्जुन ने कहा, "हे प्रभु, सबकुछ अगर मुझे ही करना है, तो फिर आप क्या करोगे ???"

 वासुदेव हंसते हुए बोले, "हे पार्थ जो तुम से नहीं होगा वह मैं करुंगा।" पार्थ ने कहा " प्रभु ऐसा क्या है, जो मैं नहीं कर सकता ???" वासुदेव फिर हंसे और बोले, जिस अस्थिर, विचलित, हिलते हुए पानी में तुम मछली की आंख पर निशाना साधोगे, उस विचलित "पानी" को स्थिर "मैं" रखूंगा !!

कहने का तात्पर्य है कि आप चाहे कितने ही निपुण हो,कितने ही बुद्धिमान क्यूँ ना हो, कितने ही महान एवं विवेकपूर्ण क्यूँ ना हो, लेकिन *आप स्वंय हरेक परिस्थिति के उपर पूर्ण नियंत्रण नहीं रख सकते। आप सिर्फ अपना प्रयास कर सकते हो,जो उस सीमा से आगे की बागडोर संभालता है उसी का नाम "भगवान" है।* 

आज आपका हम सबका दिन शुभ एवं मंगलमय हो ऐसी मंगल कामना जय महाकाल ।

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