Thursday, October 5, 2023

कुछ तो लोग कहेँगे /कृष्ण मेहता


प्रस्तुति - उषा रानी -राजेंद्र प्रसाद सिन्हा


एक *साधू* किसी नदी के पनघट पर गया और पानी पीकर पत्थर पर सिर रखकर सो गया....!!!


पनघट पर पनिहारिन आती-जाती रहती हैं!!!

तो आईं तो एक ने कहा- *"आहा! साधु हो गया, फिर भी तकिए का मोह नहीं गया*...

*पत्थर का ही सही, लेकिन रखा तो है।"*


पनिहारिन की बात साधु ने सुन ली...

*उसने तुरंत पत्थर फेंक दिया*...

दूसरी बोली--

*"साधु हुआ, लेकिन खीज नहीं गई👆..* 

*अभी रोष नहीं गया,तकिया फेंक दिया।"* 

तब साधु सोचने लगा, अब वह क्या करें ?


तब तीसरी बोली-

*"बाबा! यह तो पनघट है,यहां तो हमारी जैसी पनिहारिनें आती ही रहेंगी, बोलती ही रहेंगी, उनके कहने पर तुम बार-बार परिवर्तन करोगे तो साधना कब करोगे?"*


लेकिन चौथी ने

बहुत ही सुन्दर और एक बड़ी अद्भुत बात कह दी-

*"क्षमा करना,लेकिन हमको लगता है,तूमने सब कुछ छोड़ा लेकिन अपना चित्त नहीं छोड़ा है,अभी तक वहीं का वहीं बने हुए है।*

*दुनिया पाखण्डी कहे तो कहे, तूम जैसे भी हो,हरिनाम लेते रहो।"* 

*सच तो यही है, दुनिया का तो काम ही है कहना...*


आप ऊपर देखकर चलोगे तो कहेंगे... 

*"अभिमानी हो गए।"*


नीचे दखोगे तो कहेंगे... 

*"बस किसी के सामने देखते ही नहीं।"*


आंखे बंद करोगे तो कहेंगे कि... 

*"ध्यान का नाटक कर रहा है।"*


चारो ओर देखोगे तो कहेंगे कि... 

*"निगाह का ठिकाना नहीं। निगाह घूमती ही रहती है।"*


और परेशान होकर आंख फोड़ लोगे तो यही दुनिया कहेगी कि...

*"किया हुआ भोगना ही पड़ता है।"*


*ईश्वर* को राजी करना आसान है,

लेकिन *संसार* को राजी करना असंभव है....


*दुनिया* क्या कहेगी, उस पर ध्यान दोगे तो....????


*आप अपना ध्यान नहीं लगा पाओगे.*            

    🌹जय श्री कृष्ण🌹

      🌹

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