Friday, January 19, 2024

हुज़ूर सत्संगी जी महाराज द्वारा रचित

 स्वणि॔म शुकराना

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ग्रेशस हुजूर सतसंगी साहब जी द्वारा रचित


गाऊँ रा-धा-स्व-आ-मी  परम गुरु महिमा |

सुनाऊँ दया निज धार का बहना ||


काशीवासी भोलानाथ साहब मित्र रहना |

कनिका भक्तसहेली कृष्ण कुमार ब्याहना ||


एक नहीं तीन संतान अल्पायु रह जाना |

भोलानाथ करें फरियाद साहब देव एक दाना ||


होय संतान दीघऻयु सतसंग संस्कार समाना |

अस दयालदेई प्रेम सरन जन्म पा जाना ||


यथा प्रेम रंग होली खेलन संयोग मिलाना |

मेहता साहब प्रेम सरन  पर्म आदर्श रहाना ||


सत्यवती विश्वनाथ-प्रेमबाला घर  जन्माना |

अत एव प्रेम-सत्य संगम दीपावली पुन पुन सजाना ||


सुरत समागम हेतु प्रेम और दयाल प्यारी आ जाना |

रजत जयंती पर्म गुरु हुजूर चरन सरन मनाना ||


अर्श बानी मुक्ति भी सुरत समागम संयोग मिलाना |

पाणिग्रहण स्वणऺ-जयती रा-धा-स्व-आ-मी रा-धा-स्व-आ-मी शुकराना गाना ||


जिन्ही अपार मेहर-वृष्टि दासानुदास सरन पर होना |

जिन समरथ सतगुरु दाता संस्पर्शन प्रेम पुनः पुनः पा जाना ||


जस पारस स्पर्श से लोहा बन जाय सोना |

तस गुरु पाणिग्रहण से गुरुमुख गुरु-गति पाना ||

मै बुलबुल सम भया हूँ मस्ताना |

स्वणिऺम शुकराना गाता  हूँ शुकराना ||


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