Tuesday, January 23, 2024

मानत नहीं मन मोरा साधो

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मानत नहीं मन मोरा साधो |

मानत नहीं मन मोरा 

रे || टेक||

बार बार मै मन समझाउं, 

जग जीवन थोड़ा 

रे ||1||

या देही का गरव न कीजे, 

क्या सांवर क्या गोरा 

रे, ||2||

बिना भक्ति तन काम न आवे, 

कोटि सुगंध चमोरा

रे ||3||

या माया का गरव न कीजे, 

क्या हाथी क्या घोड़ा

रे ||4||

जोड जोड धन बहुत बिगूचे, 

लाखन कोट करोडा

रे ||5||

दुविधा दुरमति और चतुराई, 

जनम गयो नर बोरा

रे ||6||

अजहुँ आन मिलो सतसंगत, 

सतगुरु मान निहोरा

रे ||7||

लेत उठाय पडत भुई गिर गिर, 

जयो बालक बिन 

कोरा रे ||8||

कहैं कबीर चरन चित राखो, 

जैसे सूई बिच डोरा

रे ||9||

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