Tuesday, March 9, 2021

किलर रिफाईन्ड तेल

 सबसे ज्यादा मौतें देने वाला भारत में कोई है l 

तो वह है... 

               *रिफाईन्ड तेल*


केरल आयुर्वेदिक युनिवर्सिटी आंफ रिसर्च केन्द्र के  अनुसार, हर वर्ष 20 लाख लोगों की मौतों का कारण बन गया है... 

*रिफाईन्ड तेल*


आखिर भाई राजीव दीक्षित जी के कहें हुए कथन सत्य हो ही गये! 


रिफाईन्ड तेल से *DNA डैमेज, RNA नष्ट, , हार्ट अटैक, हार्ट ब्लॉकेज, ब्रेन डैमेज, लकवा शुगर(डाईबिटीज), bp नपुंसकता *कैंसर* *हड्डियों का कमजोर हो जाना, जोड़ों में दर्द,कमर दर्द, किडनी डैमेज, लिवर खराब, कोलेस्ट्रोल, आंखों रोशनी कम होना, प्रदर रोग, बांझपन, पाईलस, स्केन त्वचा रोग आदि!. एक हजार रोगों का प्रमुख कारण है।* 


*रिफाईन्ड तेल बनता कैसे हैं।*


बीजों का छिलके सहित तेल निकाला जाता है, इस विधि में जो भी Impurities तेल में आती है, उन्हें साफ करने वह तेल को स्वाद गंध व कलर रहित करने के लिए रिफाइंड किया जाता है

*वाशिंग*-- वाशिंग करने के लिए पानी, नमक, कास्टिक सोडा, गंधक, पोटेशियम, तेजाब व अन्य खतरनाक एसिड इस्तेमाल किए जाते हैं, ताकि Impurities इस बाहर हो जाएं |इस प्रक्रिया मैं तारकोल की तरह गाडा वेस्टेज (Wastage} निकलता है जो कि टायर बनाने में काम आता है। यह तेल ऐसिड के कारण जहर बन गया है। 


*Neutralisation*--तेल के साथ कास्टिक या साबुन को मिक्स करके 180°F पर गर्म किया जाता है। जिससे इस तेल के सभी पोस्टीक तत्व नष्ट हो जाते हैं।


*Bleaching*--इस विधी में P. O. P{प्लास्टर ऑफ पेरिस} /पी. ओ. पी. यह मकान बनाने मे काम ली जाती है/ का उपयोग करके तेल का कलर और मिलाये गये कैमिकल को 130 °F पर गर्म करके साफ किया जाता है! 


*Hydrogenation*-- एक टैंक में तेल के साथ निकोल और हाइड्रोजन को मिक्स करके हिलाया जाता है। इन सारी प्रक्रियाओं में तेल को 7-8 बार गर्म व ठंडा किया जाता है, जिससे तेल में पांलीमर्स बन जाते हैं, उससे पाचन प्रणाली को खतरा होता है और भोजन न पचने से सारी बिमारियां होती हैं। 

*निकेल*एक प्रकार का Catalyst metal (लोहा) होता है जो हमारे शरीर के Respiratory system,  Liver,  skin,  Metabolism,  DNA,  RNA को भंयकर नुकसान पहुंचाता है। 


रिफाईनड तेल के सभी तत्व नष्ट हो जाते हैं और ऐसिड (कैमिकल) मिल जाने से यह भीतरी अंगों को नुकसान पहुंचाता है। 


जयपुर के प्रोफेसर श्री राजेश जी गोयल ने बताया कि, गंदी नाली का पानी पी लें, उससे कुछ भी नहीं होगा क्योंकि हमारे शरीर में प्रति रोधक क्षमता उन बैक्टीरिया को लडकर नष्ट कर देता है, लेकिन रिफाईनड तेल खाने वाला व्यक्ति की अकाल मृत्यु होना निश्चित है! 


*दिलथाम के अब पढे*


*हमारा शरीर करोड़ों Cells (कोशिकाओं) से मिलकर बना है, शरीर को जीवित रखने के लिए पुराने Cells नऐ Cells से Replace होते रहते हैं नये Cells (कोशिकाओं) बनाने के लिए शरीर खुन का उपयोग करता है, यदि हम रिफाईनड तेल का उपयोग करते हैं तो खुन मे Toxins की मात्रा बढ़ जाती है व शरीर को नए सेल बनाने में अवरोध आता है, तो कई प्रकार की बीमारियां जैसे* -— कैंसर *Cancer*,  *Diabetes* मधुमेह, *Heart Attack* हार्ट अटैक, *Kidney Problems* किडनी खराब, 

*Allergies,  Stomach Ulcer,  Premature Aging,  Impotence,  Arthritis,  Depression,  Blood pressure आदि हजारों बिमारियां होगी।*


रिफाईनड तेल बनाने की प्रक्रिया से तेल बहुत ही मंहगा हो जाता है, तो इसमे पांम आंयल मिक्स किया जाता है! (पांम आंयल सवमं एक धीमी मौत है) 


*सरकार का आदेश*--हमारे देश की पॉलिसी अमरिकी सरकार के इशारे पर चलती है। अमरीका का पांम खपाने के लिए,मनमोहन सरकार ने एक अध्यादेश लागू किया कि, 

प्रत्येक तेल कंपनियों को 40 %

खाद्य तेलों में पांम आंयल मिलाना अनिवार्य है, अन्यथा लाईसेंस रद्द कर दिया जाएगा! 

इससे अमेरिका को बहुत फायदा हुआ, पांम के कारण लोग अधिक बिमार पडने लगे, हार्ट अटैक की संभावना 99 %बढ गई, तो दवाईयां भी अमेरिका की आने लगी, हार्ट मे लगने वाली  स्प्रिंग(पेन की स्प्रिंग से भी छोटा सा छल्ला) , दो लाख रुपये की बिकती हैं, 

यानी कि अमेरिका के दोनो हाथों में लड्डू, पांम भी उनका और दवाईयां भी उनकी! 


*अब तो कई नामी कंपनियों ने पांम से भी सस्ता,, गाड़ी में से निकाला काला आंयल* *(जिसे आप गाडी सर्विस करने वाले के छोड आते हैं)* 

*वह भी रिफाईनड कर के खाद्य तेल में मिलाया जाता है, अनेक बार अखबारों में पकड़े जाने की खबरे आती है।*


सोयाबीन एक दलहन हैं, तिलहन नही... 

दलहन में... मुंग, मोठ, चना, सोयाबीन, व सभी प्रकार की दालें आदि होती है। 

तिलहन में... तिल, सरसों, मुमफली, नारियल, बादाम,ओलीव आयल, आदि आती है। 

अतः सोयाबीन तेल ,  पेवर पांम आंयल ही होता है। पांम आंयल को रिफाईनड बनाने के लिए सोयाबीन का उपयोग किया जाता है। 

सोयाबीन की एक खासियत होती है कि यह, 

प्रत्येक तरल पदार्थों को सोख लेता है, 

पांम आंयल एक दम काला और गाढ़ा होता है, 

उसमे साबुत सोयाबीन डाल दिया जाता है जिससे सोयाबीन बीज उस पांम आंयल की चिकनाई को सोख लेता है और फिर सोयाबीन की पिसाई होती है, जिससे चिकना पदार्थ तेल तथा आटा अलग अलग हो जाता है, आटा से सोया मंगोडी बनाई जाती है! 

आप चाहें तो किसी भी तेल निकालने वाले के सोयाबीन ले जा कर, उससे तेल निकालने के लिए कहे!महनताना वह एक लाख रुपये  भी देने पर तेल नही निकालेगा, क्योंकि. सोयाबीन का आटा बनता है, तेल नही! 



इस पोस्ट को शेयर किजिए यह लोगों के प्राण बचाने की मुहिम हैं,      

Yoga tharapyst 

Nutrition counselor

*Vishal kumrawat*

*7047389822*

आप सोच रहे होंगे कि हमारे घर में कोन सा   तेल यूज़ करना चाहिए ताकि हम स्वस्थ रहें मस्त रहें और किसी भी प्रकार की बीमारी का शिकार ना हो अधिक जानकारी के लिए दिए गए नंबर पर कॉल करें ।

*HEALTH SAHI TO LIFE SAHI*

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