Sunday, April 10, 2011

अन्ना हजारे



अण्णा हजारे

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अण्णा हजारे
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भ्रष्टाचार विरुद्ध अनशन
जन्म15 जून, 1938
महाराष्ट्र के अहमद नगर के भिंगर कस्बा
राष्ट्रीयताभारतीय
अन्य नामकिसन बाबूराव हजारे
प्रसिद्धि कारणभ्रष्टाचार विरुद्ध आन्दोलन
धार्मिक मान्यताहिन्दू
किसन बाबूराव हजारे (जन्म 15 जून, 1938), भारत के प्रसिद्ध गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता हैं। अधिकांश लोग उन्हें 'अण्णा हजारे' के नाम से ही जानते हैं। सन् १९९२ में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। सूचना के अधिकार के लिये कार्य करने वालों में वे प्रमुख थे। साफ-सुथरी छबि वाले हजारे भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्ष करने के लिये प्रसिद्ध हैं। जन लोकपाल विधेयक पारित कराने के लिये उन्होने आमरण अनशन आरम्भ किया जिसे अपार समर्थन मिला जिससे घबराकर सरकार को उनकी मांगे मानने को विवश हुई।

अनुक्रम

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[संपादित करें] परिचय

15 जून 1938 को महाराष्ट्र के अहमद नगर के भिंगर कस्बे में जन्मे अन्ना का बचपन बहुत गरीबी में गुजरा। पिता मजदूर थे। दादा फौज में। दादा की पोस्टिंग भिंगनगर में थी। वैसे अन्ना के पुरखों का गांव अहमद नगर जिले में ही स्थित रालेगन सिद्धि में था। दादा की मौत के सात साल बाद अन्ना का परिवार रालेगन आ गया। अन्ना के छह भाई हैं। परिवार में तंगी का आलम देखकर अन्ना की बुआ उन्हें मुम्बई ले गईं। वहां उन्होंने सातवीं तक पढ़ाई की। परिवार पर कष्टों का बोझ देखकर वह दादर स्टेशन के बाहर एक फूल बेचनेवाले की दुकान में 40 रुपये की पगार में काम करने लगे। इसके बाद उन्होंने फूलों की अपनी दुकान खोल ली और अपने दो भाइयों को भी रालेगन से बुला लिया।
छठे दशक के आसपास वह फौज में शामिल हो गए। उनकी पहली पोस्टिंग बतौर ड्राइवर पंजाब में हुई। यहीं पाकिस्तानी हमले में वह मौत को धता बता कर बचे थे। इसी दौरान नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से उन्होंने विवेकानंद की एक बुकलेट 'कॉल टु दि यूथ फॉर नेशन' खरीदी और उसको पढ़ने के बाद उन्होंने अपनी जिंदगी समाज को समर्पित कर दी। उन्होंने गांधी और विनोबा को भी पढ़ा। 1970 में उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प किया। मुम्बई पोस्टिंग के दौरान वह अपने गांव रालेगन आते-जाते रहे। चट्टान पर बैठकर गांव को सुधारने की बात सोचते रहते।
जम्मू पोस्टिंग के दौरान 15 साल फौज में पूरे होने पर 1975 में उन्होंने वीआरएस ले लिया और गांव में आकर डट गए। उन्होंने गांव की तस्वीर ही बदल दी। उन्होंने अपनी जमीन बच्चों के हॉस्टल के लिए दान कर दी। आज उनकी पेंशन का सारा पैसा गांव के विकास में खर्च होता है। वह गांव के मंदिर में रहते हैं और हॉस्टल में रहने वाले बच्चों के लिए बनने वाला खाना ही खाते हैं। आज गांव का हर शख्स आत्मनिर्भर है। आस-पड़ोस के गांवों के लिए भी यहां से चारा, दूध आदि जाता है। गांव में एक तरह का रामराज है। गांव में तो उन्होंने रामराज स्थापित कर दिया है। अब वह अपने दल-बल के साथ देश में रामराज की स्थापना की मुहिम में निकले हैं : भ्रष्टाचार रहित भारत।

[संपादित करें] अन्‍ना से झुकतीं है सरकारें

भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सख्त लोकपाल विधेयक बनाने और उसमें जनता की हिस्सेदारी की मांग को लेकर अनशन पर बैठे अन्ना हजारे देश के भीतर ईमानदारी और इंसाफ की लड़ाई लड़ने से पहले सीमा पर देश के दुश्मनों के भी दांत खट्टे कर चुके हैं। 1962 में चीन से युद्ध के बाद भारत सरकार की युवाओं से सेना में शामिल होने की अपील के बाद वे अन्ना सेना में बतौर ड्राइवर भर्ती हुए थे। 1965 की लड़ाई में खेमकरण सेक्टर में अपनी चौकी पर हुई बमबारी के बाद अन्ना की ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल गई। पाकिस्तानी हमले में उनकी चौकी पर तैनात सारे सैनिक शहीद हो गए। अन्ना इस हमले में सुरक्षित रहे। अपने साथियों की मौत से दुखी अन्ना ने अपना जीवन समाज के हित में लगाने का संकल्प ले लिया।
समाजसेवी अन्ना हजारे का मूल नाम डॉ. किशन बाबूराव हजारे है। उनका जन्म 15 जून, 1938 को महाराष्ट्र के भिंगारी गांव में हुआ था। उन्होंने 1975 में अपने सामाजिक जीवन की शुरुआत की थी। अन्ना की राष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार के धुर विरोधी सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर पहचान 1995 में बनी थी जब उन्होंने शिवसेना-बीजेपी की सरकार के कुछ 'भ्रष्ट' मंत्रियों को हटाए जाने की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे थे। 1990 तक हजारे की पहचान एक ऐसे सामाजिक कार्यकर्ता की थी, जिसने अहमदनगर जिले के रालेगांव सिद्धि नाम के गांव की कायापलट कर दी थी। पहले इस गांव में बिजली और पानी की जबर्दस्त किल्लत थी। हजारे ने गांव वालों को नहर बनाने और गड्ढे खोदकर बारिश का पानी इकट्ठा करने के लिए प्रेरित किया। उनके ही कहने पर गांव में जगह-जगह पेड़ लगाए गए। गांव में सौर ऊर्जा और गोबर गैस के जरिए बिजली की सप्लाई भी मिली। इसके बाद हजारे की लोकप्रियता में तेजी से इजाफा हुआ।
1995 में महाराष्ट्र के तीन 'भ्रष्ट' मंत्रियों-शशिकांत सुतार, महादेव शिवंकर और बबन घोलाप के खिलाफ वे अनशन पर बैठे थे। सरकार को झुकना पड़ा और सुतार और शिवंकर को कैबिनेट से बाहर कर दिया गया। घोलाप ने हजारे के खिलाफ अवमानना का मुकदमा कर दिया। हजारे ने दावा किया था घोलाप ने ज्ञात स्रोतों से अपनी कमाई के अनुपात में बहुत ज़्यादा रकम इकट्ठा कर ली है। हालांकि, हजारे अदालत में इन दावों के समर्थन में सबूत पेश नहीं कर पाए, जिसके बाद अदालत ने उन्हें तीन महीने की जेल की सज़ा सुनाई। तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर जोशी ने एक दिन की सज़ा के बाद ही उन्हें जेल से बाहर कर दिया। इसके बाद अन्ना ने मनोहर जोशी, गोपीनाथ मुंडे और नितिन गडकरी के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। हालांकि, बाद में उन्होंने अपने आरोप वापस ले लिए।
अन्ना के गांधीवादी विरोध का सामना महाराष्ट्र की कांग्रेस-एनसीपी की सरकारों को भी करना पड़ा है। अन्ना 2003 में कांग्रेस और एनसीपी सरकार के चार भ्रष्ट मंत्रियों-सुरेश दादा जैन, नवाब मलिक, विजय कुमार गावित और पद्मसिंह पाटिल के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठ गए। हजारे का विरोध काम आया और सरकार को झुकना पड़ा। तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने इसके बाद एक जांच आयोग का गठन किया। मलिक ने इस्तीफे दे दिया। आयोग ने जैन के खिलाफ आरोप तय किए तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया। अन्ना हजारे को 1990 में सरकार ने 'पद्मश्री' सम्मान से नवाजा था।

[संपादित करें] अन्ना हजारे देश के दूसरे गांधी

अन्ना हजारे के समर्थन मे मिस काल करे ०२२-६१५५०७९२ , ०२२-६१५५०७८९
सख्त लोकपाल विधेयक के लिए वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे का आमरण अनशन बुधवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। अन्ना के गांव में राले गांव सिद्धी में भी प्रदर्शन जारी है। वहां भी लोगों ने सरकार के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। मंगलवार का अन्ना का पूरा गांव भूखा था। अन्ना के गांव में नारे गूंज रहे हैं ‘अन्ना हजारे आंधी है...देश का दूसरा गांधी है....।
देश भर में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन को मिल रहे समर्थन के बीच जाने-माने गांधीवादी हजारे ने कहा है कि सरकार भ्रष्टाचार रोकने को लेकर गम्भीर नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनेताओं पर अब विश्वास नहीं किया जा सकता।
इस बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल (युनाइटेड) ने हजारे के अनशन को अपना समर्थन दिया है जबकि कांग्रेस ने हजारे के उपवास को 'असामयिक' करार दिया है।
5 April 2011 मंगलवार को महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देने के बाद हजारे ने जंतर-मंतर पर अपना अनशन शुरू किया। अनशन पर बैठने से पहले हजारे ने कहा, ‘यह दूसरा 'सत्याग्रह' है।‘
हजारे समर्थक लोकपाल विधेयक के समर्थन में राष्ट्र ध्वज और तख्तियों के साथ राजघाट और जंतर-मंतर पर एकत्रित हैं। हजारे के समर्थन में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल, स्वामी अग्निवेश, मैगसेसे पुरस्कार विजेता किरन बेदी, संदीप पांडे सहित अन्य लोग शामिल हुए।

[संपादित करें] प्रमुख कार्य

  • अन्ना हजारे ने 1975 से सूखा प्रभावित रालेगांव सिद्धि में काम शुरू किया। वर्षा जल संग्रह, सौर ऊर्जा, बायो गैस का प्रयोग और पवन ऊर्जा के उपयोग से गांव को स्वावलंबी और समृद्ध बना दिया। यह गांव विश्व के अन्य समुदायों के लिए आदर्श बन गया है।

महात्मा गांधी के बाद अन्ना हजारे ने ही भूख हड़ताल और आमरण अनशन को सबसे ज्यादा बार बतौर हथियार इस्तेमाल किया है। भ्रष्ट प्रशासन की खिलाफत हो या सूचना के अधिकार का इस्तेमाल, हजारे हमेशा आम आदमी की आवाज उठाने के लिए आगे आते रहे हैं। अन्ना हजारे ने 1997 में मुंबई के आजाद मैदान से सूचना के अधिकार की लड़ाई शुरू की थी।
9 अगस्त, 2003 को मुंबई के आजाद मैदान में ही अन्ना हजारे आमरण अनशन पर बैठ गए। 12 दिन तक चले आमरण अनशन के दौरान अन्ना हजारे और सूचना के अधिकार आंदोलन को देशव्यापी समर्थन मिलने के बाद महाराष्ट्र सरकार को मजबूरन इस बिल को पास करना पड़ा। 12 अक्टूबर 2005 को केंद्र सरकार ने भी इस कानून को लागू कर दिया। अगस्त, 2006 में सूचना के अधिकार में संशोधन प्रस्ताव के खिलाफ अन्ना ने 11 दिन तक आमरण अनशन किया, जिसे देशभर में समर्थन मिला। नतीजन, सरकार ने संशोधन से हाथ खींच लिए।आमरण अनशन को बनाया हथियार महात्मा गांधी के बाद सबसे ज्यादा बार आमरण अनशन और भूख हड़ताल पर बैठने वाले सामाजिक कार्यकर्ता हैं हजारे। 1991 में अन्ना हजारे ने पुणो के अलांडी में सरकार की भ्रष्ट मशीनरी के खिलाफ आमरण अनशन शुरू किया। 6 मंत्रियों और 400 अधिकारियों को उनको पदों से हटा दिया गया। 1995 में अन्ना हजारे ने महाराष्ट्र के 2 भ्रष्ट कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ अनशन का बिगुल फूंका। अन्ना को व्यापक समर्थन मिलने के बाद शिव सेना - भाजपा सरकार को दोनों मंत्रियों को हटाना पड़ा। 2003 में महाराष्ट्र में कांग्रेस - एनसीपी गठबंधन सरकार के चार मंत्री सुरेश दादा जैन, नवाब मलिक. विजय कुमार गवित और पद्म सिंह पाटिलअन्ना हजारे के अनशन के शिकार हुए।

[संपादित करें] विचार

पिछले दिनों गांधीजी की विचारधारा को जिवंत रूप में देखने का अवसर मिला। मौका था पद्मश्री अन्ना हजारे के संबोधन का. महाराष्ट्र के रालेगाँव में ग्राम स्वराज के अपने अनुभव बांटने वो B. H. U. में आमंत्रित थे. उन्होंने गांधीजी की इस सोच को पुरी मजबूती से उठाया कि ' बलशाली भारत के लिए गाँवों को अपने पैरों पर खड़ा करना होगा।' उनके अनुसार विकास का लाभ समान रूप से वितरित न हो पाने का कारण रहा गाँवों को केन्द्र में न रखना.
व्यक्ति निर्माण से ग्राम निर्माण और तब स्वाभाविक ही देश निर्माण के गांधीजी के मन्त्र को उन्होंने हकीकत में उतार कर दिखाया, और एक गाँव से आरम्भ उनका यह अभियान आज 85 गावों तक सफलतापूर्वक जारी है। व्यक्ति निर्माण के लिए मूल मन्त्र देते हुए उन्होंने युवाओं में उत्तम चरित्र, शुद्ध आचार-विचार, निष्कलंक जीवन व त्याग की भावना विकसित करने व निर्भयता को आत्मसात कर आम आदमी की सेवा को आदर्श के रूप में स्वीकार करने का आह्वान किया.

[संपादित करें] भ्रष्टाचार के खिलाफ

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे भ्रष्टाचार के विरोध और जन लोकपाल बिल के लिए अपने कई सहयोगियों के साथ जंतर - मंतर पर आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। अन्ना हजारे चाहते हैं कि सरकार जन लोकपाल बिल तुरंत लाए , लोकपाल की सिफारिशें अनिवार्य तौर पर लागू हों और लोकपाल को जजों , सांसदों , विधायकों आदि पर भी मुकदमा चलाने का अधिकार हो। लेकिन सरकार इन खास मुद्दों पर बहस और चर्चा की जरूरत मान रही है।
72 वर्षीय हजारे ने 5 अप्रैल सुबह 9 बजे राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के बाद एक मार्च निकाला और जंतर - मंतर पर अनशन पर बैठ गए। हजारे ने यहां कहा , ' जब तक सरकार हमारे देश में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए जन लोकपाल बिल को प्रभाव में नहीं लाती तब तक वह आमरण अनशन पर रहेंगे। इस दौरान सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश , पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी और संदीप पांडेय भी मौजूद थे।
सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में हजारे ने आमरण अनशन पर बैठने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था , ' उन्हें इस बात से काफी दुख हुआ कि प्रधानमंत्री ने जन लोकपाल बिल का मसौदा तैयार करने वाली संयुक्त समिति में वरिष्ठ मंत्रियों के साथ समाज के जाने माने लोगों को शामिल करने के उनके प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इसलिए पूर्व में की गई घोषणा के अनुसार मैं आमरण अनशन पर बैठूंगा। यदि इस दौरान मेरी जिंदगी भी कुर्बान हो जाए तो मुझे इसका अफसोस नहीं होगा। मेरा जीवन राष्ट्र को समर्पित है। '
हजारे ने कहा कि न्यायमूर्ति ( रिटायर्ड ) संतोष हेगड़े , वकील प्रशांत भूषण और स्वामी अग्निवेश जैसे जानेमाने लोगों के विचारों को सरकार ने महत्वपूर्ण नहीं समझा और शरद पवार सरीखे एक मंत्री बिल का मसौदा तैयार करने वाली समिति के प्रमुख हैं , जो महाराष्ट्र में बड़े स्तर पर जमीन रखने के लिए जाने जाते हैं।
इस बीच प्रधानमंत्री कार्यालय ने हजारे के आमरण अनशन पर जाने के फैसले पर निराशा प्रकट की और कहा कि इस बात से गहरी निराशा हुई है कि हजारे अब भी भूख हड़ताल पर जाने के बारे में सोच रहे हैं। पीएमओ द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया है कि हालांकि प्रधानमंत्री के मन में हजारे और उनके मिशन के लिए काफी सम्मान है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के बयान में लोकपाल विधेयक पर उठाये गए कदमों के बारे में बताया गया है कि हजारे और उनके समूह ने प्रधानमंत्री को लोकपाल पर अपने प्रस्तावों का मसौदा दिया था। पीएमओ के अनुसार , मंत्री ए . के . एंटनी की अध्यक्षता वाली समिति ने हजारे के सहयोगी कार्यकर्ताओं से मुलाकात की लेकिन बातचीत विफल रही क्योंकि कार्यकर्ता सरकार द्वारा पूरी तरह अपना मसौदा स्वीकार किए जाने पर जोर दे रहे थे।

[संपादित करें] अन्ना हजारे को देशभर से समर्थन

हरिद्वार में योगगुरु बाबा रामदेव की पतंजलि योगपीठ के सभी कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को उनके समर्थन में एक दिन का उपवास रखा है. योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि ये हमारा संयुक्त अभियान है और हम सब साथ मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं.
हरिद्वार के संत समाज ने भी अन्ना हजारे के आंदोलन को अपना समर्थन दिया है.
अन्ना हजारे के आंदोलन के समर्थन में लखनऊ में वकीलों ने कोर्ट परिसर में धरना दिया और मांग की कि सरकार जल्दी से जल्दी लोकपाल विधेयक पास करे जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाया जा सके. वकीलों ने हर कदम पर अन्ना हजारे का साथ देने का एलान किया.
मेरठ में भी लोगों ने अन्ना हजारे के समर्थन में कई जगह धरना दिया.
गोरखपुर में कई स्वयंसेवी संगठनों ने अन्ना हजारे के समर्थन में जगह-जगह धरना प्रदर्शन किया. यहां पूर्वांचल ग्रामीण सेवा समिति की महिला कार्यकर्ताओं ने हाथों में तख्तियां लेकर अन्ना हजारे के समर्थन में उपवास किया.
वहीं मध्य प्रदेश के भोपाल में भी अन्ना हजारे के समर्थन में कई संगठनों ने यादगार शाहजनी पार्क में प्रदर्शन किया.
इन लोगों ने तीन घंटे तक उपवास रखकर अपना समर्थन जताया. अन्ना हजारे के समर्थकों ने भ्रष्टाचार को लेकर रोज होने वाले खुलासों पर चिंता जताई और भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसने के लिए जन लोकपाल बिल जैसा कड़ा कानून बनाने की मांग की.
एसएमएस में कहा जा रहा है कि 72 साल के अन्ना हजारे देश की जनता के लिए भूख हड़ताल पर बैठे हैं अत : आप सभी अपने कार्यक्रम और कार्यालय से छुट्टी लेकर जंतर - मंतर पहुंचे।
जंतर - मंतर पर आकर इस आंदोलन में सरीक होने वाले ज्यादातर लोगों ने बातचीत के दौरान कहा कि उनके मोबाइल पर आए एक एसएमएस के बाद उन्हें यहां आने की प्रेरणा मिली। रोहिणी निवासी नवीन जैन पत्नी और दो छोटे - छोटे बच्चों के साथ यहां आंदोलन में शरीक होने आए थे।
नवीन ने बताया कि मोबाइल पर भेजे गए एक एसएमएस की वजह से ही हम यहां आने के लिए मजबूर हो गए। बच्चों ने आने की जिद की तो यहां आना पड़ा। नवीन की तरह ही सैकड़ों लोग ऐसे थे जो केवल एक एसएमएस पर यहां खींचे चले आए।
एसएमएस के अलावा जंतर - मंतर पर हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जा रहा है। धरनास्थल पर ही लोगों के हस्ताक्षर के लिए रजिस्टर रखे गए हैं , जिसमें लोग अपने हस्ताक्षर कर रहे हैं। इस रजिस्टर में लोग अपना नाम , पता , मोबाइल नम्बर , ई - मेल आईडी दर्ज कर रहे हैं।

[संपादित करें] अन्ना हजारे के साथ बॉलीवुड

बॉलीवुड की हस्तियों ने प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के प्रति समर्थन जाहिर किया है.
हजारे एक कठोर लोकपाल विधेयक की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं.
लोकपाल विधेयक-2010 में प्रधानमंत्री, मंत्रियों व सांसदों के खिलाफ लोकायुक्त के यहां भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज कराने का प्रस्ताव है. लेकिन अन्ना हजारे का कहना है कि लोकपाल विधेयक के वर्तमान रूप में लोकायुक्त को कोई अधिकार नहीं है और उनके समर्थकों ने एक दूसरा जन लोकपाल विधेयक तैयार किया है. जिसमें समाज एवं आम आदमी के विचारों व सुझावों को ध्यान में रखा गया है. अन्ना के समर्थक इसी विधेयक को पारित करवाना चाहते हैं.
बॉलीवुड की जिन हस्तियों ने अन्ना के प्रति अपना समर्थन जाहिर किया है, वे निम्न प्रकार हैं.
अनुपम खेर : जब कोई व्यक्ति भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहा होता है तो मैं उसके तरीकों पर कोई सोच-विचार नहीं करता. मैं उसके इरादों व कार्रवाइयों की सराहना करता हूं. मैं अन्ना हजारे के साथ हूं. क्या आप भी है?
शेखर कपूर : मैं लोकपाल विधेयक पर राष्ट्रीय बहस कराए जाने के लिए अन्ना हजारे के अनशन का समर्थन करता हूं. कम से कम संसद आगे आए और इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दे. अन्ना हजारे जैसे लोग व्यवस्था के खिलाफ जनांदोलन का दबाव बनाएंगे, जिस तरह गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ किया था.
राहुल बोस : व्यवस्था परिवर्तन के लिए अन्ना हजारे का आमरण अनशन अपने आप में पर्याप्त टिप्पणी है. भ्रष्ट्राचार हमारे डीएनए का हिस्सा है.
दिया मिर्जा : अंतत: लोग एक ऐसे व्यक्ति के लिए अपना जोरदार समर्थन दे रहे हैं, जो हमारी पीढ़ी के लिए एक महान उदाहरण है, होना चाहिए और होगा. मैं अन्ना हजारे का समर्थन करती हूं.
जूही चावला : मैं श्री अन्ना हजारे की पूर्ण एवं अंध समर्थक हूं.
पूरब कोहली : जियो 'हजारे' साल 'अन्ना साहेब'.
मधुर भंडारकर : भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे की लड़ाई के लिए व्यापक समर्थन तैयार हो रहा है. कहीं भारत अगला मिस्र तो नहीं बनने जा रहा?
प्रीतीश नंदी : अन्ना हजारे के समर्थन में आम आदमी को आते देखकर गर्व होता है. 72 वर्षीय इस व्यक्ति ने हमें जगाने के लिए आमरण अनशन का निर्णय लिया है.
रणवीर शौरी : अन्ना हजारे का धर्मयुद्ध इस बात की महान अग्निपरीक्षा है कि क्या देश में कुछ चरित्रबल बचा है, या हम बिल्कुल भ्रष्ट लोगों का देश बन गए हैं.
अन्ना हजारे की लड़ाई का बॉलीवुड के अभिनेता अमिताभ बच्चन ने यह कहते हुए समर्थन किया है कि वह देश हित वाले सभी मुद्दों के साथ हैं।
अमिताभ ने मीडिया से भी अपील की है कि वह इस उद्देश्य के लिए प्रतिबद्धता प्रदर्शित करे। अमिताभ ने अपने ब्लॉग पर लिखा है, देश के हित के किसी भी मुद्दे का मैं हमेशा समर्थन करता हूं। कोई भी काम या योजना जो देश के हित में होती है, उसकी हम सराहना करते हैं.. और हम इसका ढिंढोरा नहीं पीटना चाहते.. और न ही हमें इसका ज्ञान है कि इसे पीटा कैसे जाता है।
अमिताभ की पोस्ट पर आई एक प्रतिक्रिया से आहत महानायक ने कहा, यह जानना दुखद है कि बिना मेरा पक्ष जाने, उस महिला ने ऐसे तथ्य मान लिए, जिनका अस्तित्व ही नहीं था। यह कहना कि मैं व्यस्त हूं, सिर्फ पैसे कमाने से मतलब रखता हूं और सामाजिक सरोकारों के मुद्दों में मेरी कोई रुचि नहीं है, पूरी तरह अस्वीकार्य और गलत है। उन्होंने सवाल किया, कितने चैनल ऐसे हैं, जो इसके लिए प्रतिबद्ध हैं।
अमिताभ ने चैनलों से जवाब मांगते हुए कहा, सिर्फ अपने व्यावसायिक लाभ के लिए रिपोर्ट तैयार करना और दूसरों से जवाब मांगना पर्याप्त नहीं है। अगर कोई चैनल का स्ट्रिंगर, जो वहां रिपोर्ट तैयार करने जाए और वहां माइक्रोफोन और रिपोर्टिंग छोड़ कर अनशन करने बैठ जाए, तो यह बात प्रभावित करेगी, कुछ ऐसा करें, जो करने के लिए यह हमसे कहते हैं।

[संपादित करें] इंटरनेट पर अन्ना का आंदोलन

अन्ना हज़ारे का आमरण अनशन लगातार चौथे दिन जारी है. फ़ेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों पर भी इस मुद्दे को लेकर सरगर्मी बढ़ गई है.क्या आम नागरिक और और क्या नामी गिरामी हस्तियाँ सभी लोकपाल विधेयक पर अपनी-अपनी राय रख रहे हैं.आमरण अनशन से जोड़ने के लिए एक फोन नंबर भी जारी किया गया है। 022-61550789 इस नंबर पर आप मिस्ड कॉल मारकर इस मुहिम से जुड़ सकते हैं। इस अभियान से जुड़े सोशल ऐक्टिविस्ट अरविंद केजरीवाल के अनुसार, 'इस अभियान से युवाओं का जुड़ना बहुत अहम है। करप्शन के खिलाफ हमारे इस अभियान में सोशल मीडिया की खास भूमिका रही है। फेसबुक और ट्विटर पर देश भर से लाखों लोग हमें समर्थन कर रहे हैं और हमसे कॉन्टैक्ट कर रहे हैं। इस अभियान में हमारा साथ देने के लिए करीब 400 शहरों के युवा हमारा साथ दे रहे हैं और लगातार इस अभियान के साथ जुड़ रहे हैं। देश के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया और दूसरे देशों में रहने वाले भारतीय का भी हमें समर्थन मिल रहा है।'
भ्रष्टाचार व हिंसा के खिलाफ वयोवृद्ध गांधीवादी अन्ना हजारे की "आजादी की दूसरी जंग" ने पूरे देश को उद्वेलित कर डाला है। अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आमरण अनशन का असर सोशल नेटवकिंüग साइटों पर भी भरपूर दिख रहा है। फेसबुक, टि्वटर के साथ-साथ खासखबरडॉटकॉम सहित लगभग सभी साइटों पर अन्ना को लोगों का सपोर्ट मिल रहा है। स्कूली बच्चे तक इस मुहिम से जु़डते जा रहे हैं। विद्यार्थी वर्ग, बुद्धिजीवी, कलाकार, रंगकर्मी ही नहीं बॉलीवुड की हस्तियां भी उनके साथ हैं। मशहूर लेखक चेतन भगत भी इस मुहिम में अन्ना हजारे का साथ दे रहे हैं। उन्होंने इस मुहिम के समर्थन के लिए अपने टि्वटर अकाउंट पर एक फोटो पोस्ट की है और उसे प्रोफाइल पिक्चर भी बनाया है। उस पिक्चर में हाथ पर लिखा हुआ है- मेरा नेता चोर है। आमिर खान, मधुर भंडारकर और अनुपम खेर समेत कई स्टार अपना समर्थन पेश कर चुके हैं। साधु-संत भी इस मुहिम में साथ हो लिए हैं। बताते हैं कि फेसबुक पर बने इंडिया अंगेस्ट करप्शन के नाम के पेज से अब तक 85 हजार से ज्यादा लोग जु़ड चुके हैं। इंडिया अंगेस्ट करप्शन की वेबसाइट से अब तक 5 लाख 70 हजार लोग जु़ड चुके हैं। लोग बढ़ चढ़कर अन्ना के समर्थन में आ रहे हैं। इस अभियान से जु़डे सोशल एक्टिविस्ट अरविंद केजरीवाल के अनुसार, इस अभियान से युवाओं का जु़डना बहुत अहम है। करप्शन के खिलाफ हमारे इस अभियान में सोशल मीडिया की खास भूमिका रही है। देश के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया और दूसरे देशों में रहने वाले भारतीय का भी हमें समर्थन मिल रहा है। अन्ना हजारे भ्रष्टाचार के खिलाफ जन लोकपाल बिल लाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। अन्ना चाहते हैं कि ऎसा कानून बने जिसके तहत भ्रष्ट राजनेताओं और अधिकारियों को तय सीमा के भीतर आसानी से दंडित किया जा सके। साथ ही अन्ना चाहते हैं कि जो कमेटी इस बिल पर काम करे उसमें आधे लोग गैर-राजनीतिज्ञ हों। अभी सरकार जैसा बिल तैयार कर रही है , उसमें भ्रष्ट नेताओं और अफसरों के बच निकलने के चोर रास्ते और मामलों के लंबा खिंचने की तमाम संभावनाएं हैं।

[संपादित करें] आमरण अनशन

हाराष्ट्र के प्रसिद्ध समाजसेवी अन्ना हजारे लोकपाल विधेयक को पारित कराने के लिए दिल्ली में कल से आमरण अनशन कर सकते हैं।
मध्य मुंबई में परेल में कल शाम धार्मिक नेताओं ने एक जनसभा में कहा कि यदि सरकार ने हजारे की लोकपाल विधेयक को पारित कराने की मांग को नहीं माना तो वे आमरण अनशन करेंगे।
जनसभा में बौद्ध, ईसाई, मुसलमान और जैन धर्म के नेताओं के अलावा सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, पूर्व पुलिस अधिकारी किरण बेदी, आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत’ के परचम तले एकत्र होकर लोकपाल विधेयक पारित करवाने की मांग की।
उन्होंने देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के लिए नेताओं पर निशाना साधते हुए हजारे और देश से भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने के उनके संकल्प का समर्थन किया।
इस दौरान हजारे ने भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने के अपने संकल्प को दोहराते हुए इसे भारत के सामाजिक ढांचे के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया।
अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार निरोधी लोकपाल विधेयक का स्वरूप तय करने में नागरिक समाज को शामिल किए जाने की मांग को लेकर आमरण अनशन शुरू कर दिया है। उन्हें व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है।
सामाजिक कार्यों से जुड़े लोगों का उन्हें अपार समर्थन मिल रहा है। हजारे मंगलवार सुबह नौ बजे राजघाट गए और उसके बाद उन्होंने इंडिया गेट से जंतर-मंतर का रुख किया। जंतर-मंतर पर उन्होंने अपना उपवास शुरू किया।
हजारे ने सोमवार को यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘चूंकि प्रधानमंत्री ने लोकपाल विधेयक का स्वरूप तय करने के लिए नागरिक समाज के लोगों के साथ एक संयुक्त समिति गठित किए जाने की मांग को अस्वीकार कर दिया है, इसलिए पूर्व में की गई घोषणा के अनुसार मैं आमरण अनशन पर बैठूंगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यदि इस दौरान मेरी जिंदगी भी कुर्बान हो जाए तो मुझे इसका अफसोस नहीं होगा। मेरा जीवन राष्ट्र को समर्पित है।’’
हजारे मंगलवार सुबह सबसे पहले सुबह नौ बजे राजघाट जाएंगे और फिर उसके बाद इंडिया गेट से जंतर-मंतर का रुख करेंगे। जंतर-मंतर पर वह अपना उपवास आरम्भ करेंगे।
सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘‘मैं देश की जनता से अपील करता हूं कि वे इस भूख हडम्ताल में शामिल हों और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को अपना समर्थन दें।’’

[संपादित करें] सम्मान

 

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