msid-10230232,width-300,resizemode-4,ravan-jpg

दहन क्यों नहीं

बिसरख में शिव मंदिर के पुजारी कृष्णादास का कहना है कि 60 साल पहले इस गांव में पहली बार रामलीला का आयोजन किया गया था। उस दौरान गांव में एक मौत हो गई। इसके चलते रामलीला अधूरी रह गई। ग्रामीणों ने दोबारा रामलीला का आयोजन कराया, उस दौरान भी रामलीला के एक पात्र की मौत हो गई। वह लीला भी पूरी नहीं हो सकी। तब से गांव में रामलीला का आयोजन नहीं किया जाता और न ही रावण का पुतला जलाया जाता है।

ravana


अब तक मिल चुके 25 शिवलिंग

ग्रेटर नोएडा से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बिसरख गांव का जिक्र शिवपुराण में भी किया गया है। कहा जाता है कि त्रेता युग में इस गांव में ऋषि विश्रवा का जन्म हुआ था। इसी गांव में उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की थी। उन्हीं के घर रावण का जन्म हुआ था। अब तक इस गांव में 25 शिवलिंग मिल चुके हैं, एक शिवलिंग की गहराई इतनी है कि खुदाई के बाद भी उसका कहीं छोर नहीं मिला है। ये सभी अष्टभुजा के हैं।
बताया जाता है कि इसी गांव में रावण की पूजा से खुश होकर शिव ने उसे बुद्धिमान और पराक्रमी होने का वरदान दिया था। परंपरा के मुताबिक इस गांव के लोग दशहरा तो मनाते हैं, लेकिन रावण दहन नहीं किया जाता। बिसरख ब्लॉक के प्रमुख ध्यानचन्द भाटी का कहना है कि रावण बुद्घिमानी और राजनैतिक चतुराई का प्रतीक था। उसने अपनी चतुराई से शिव से लंका छीन ली थी।
आगे जानिए क्यों किया था रावण ने सीताहरण