Friday, July 22, 2022

बचन

 *रा धा स्व आ मी                  

 21-07-22- शाम सतसंग में पढ़ा गया बचन :-

 रात के सतसंग में उपदेश हुआ कि सतसंगियों को मरने से क़तई ( बिल्कुल ) घबराना नहीं चाहिये । घबरावे वह जिसे यह शुबह हो कि मरने के बाद आयन्दा जिन्दगी रहेगी या नहीं और अगर रहेगी तो न मालूम कि किस योनि में जाना पड़े या क्या दुःख क्लेश सहना पड़े मगर जबकि सतसंगी को विश्वास है कि सुरत अमर है और सुरत शब्द - अभ्यास करने से या नेकचलनी की जिन्दगी बसर करने व सच्चे दिल से मालिक के चरणों में प्रेम - प्रीति बढ़ाने से आयन्दा जन्म जरूर अब से बेहतर होता है और नीज़ अन्त समय पर गुरु महाराज सहायक होते हैं तो फिर घबराना कैसा ? यह घबराहट राग द्वेश की वजह से होती है यानी दौराने ज़िन्दगी में इन्सान अनेक चीज़ों व जीवों से मोहब्बत या मोह पैदा कर लेता है और अनेक से नफरत , इसलिये यहाँ से कूच करते वक्त रगबत व नफ़रत के ख़यालात गलबा पा कर मरने वालो को परेशान करते हैं । अगर हम यह चाहते हैं कि मरने के बाद हमारी सुरत सीधी सच्चे मालिक के चरणों में दाखिल हो तो हमारे ऊपर फ़र्ज हो जाता है कि दौराने जिन्दगी में हम एहतियात के साथ बर्ताव करें । जिस माद्दी शै या माद्दी जिस्म के साथ हम मोह पैदा करेंगे वह मौक़ा मिलने पर जरूर हमको अपनी जानिब खींचेगा और चूँकि वह माद्दी है इसलिये हमारी सुरत को माद्दा के साथ तअल्लुक़ क़ायम करना पड़ेगा यानी माद्दी दुनिया में जन्म लेना पड़ेगा और माद्दी दुनिया में जन्म लेने का नतीजा यह होगा कि हमारी चाल का रुख सच्चे मालिक के चरणों की तरफ़ के बजाय माद्दी दुनिया की जानिब रहेगा इसलिये अक्लमन्दी इसी में है कि हम दौराने जिन्दगी में एहतियात से बर्ताव करें , अपने सब काम काज करें , किसी से झगड़ा या बिगाड़ न करें , हर एक की यथायोग्य इज्जत करें , लेकिन अपना चित्त अपने परम पिता के चरणों में भेंट करें।         

         

  🙏🏻रा धा स्व आ मी🙏🏻    

 - रोजाना वाकिआत-1-

परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज!*



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