Saturday, October 8, 2022

राधा स्व आ मी सतसंग आस्था प्रसंग


🙏🍁RADHASOAMI 🍁🙏

राधा स्व आ मी  सतसंग आस्था प्रसंग 


प्रस्तुति - नवल किशोर प्रसाद / कुसुम सिन्हा 


साँचा मीत न कोई देखा, भाई बन्धु क्या घर के खेश,  अपने ही सुख को  सब चाहत,  अपस्वारथ नित राखत पेश

🙏🍁RADHASOAMI 🍁🙏



🙏🍁RADHASOAMI🍁🙏


मैं जिद्द दम दम हठ करती, मौज हुकम में चित नहिं धरती, दया करो राधास्वामी प्यारे,  औगुन बख्शो लेवो उबारे 


🙏🍁RADHASOAMI🍁🙏





🙏🍁RADHASOAMI 🍁🙏


हुई धनवन्त चरन गुरू पाए, मगन रहूँ नित गुरू गुण गाए 🙏


🍁 RADHASOAMI 🍁🙏



*चरन गुरू हीरदे धार रही।

🌹🙏🏻गुरू बिन कौन सम्हारे मन को। 

सुरत उम्ँग अब शब्द गही।।

🌹 कोटिन जन्म भरमते बीते।

काहू मेरी आन न बाँह गही।।

🌹 नौका पार चली अब गुरु बल। 

अगम पदारथ लीन गही।।🌹🙏🏻*


🙏🍁RADHASOAMI राधास्वामी  🍁🙏


हुए परसन गुरू दीनदयाल, लिया मोहि अपनी गोद बिठाल,

 भाग मेरा जागा आज अपार, मिले राधास्वामी निज दिलदार

 

🙏🍁RADHASOAMI राधास्वामी  🍁🙏


🙏🌹राधास्वामी 🌹🙏


जिन्होंने मार मन डाला उन्हीं को सूरमा कहना।

बड़ा बैरी ये मन घट में इसी का जीतना कठिना ।।


🙏🌹राधास्वामी 🌹🙏



🙏🍁RADHASOAMI 🍁🙏


समय फिर ऐसा नहिं पावो, खोवो मत नहिं फिर पछतावो; 

सरन से गुरू की काज बन आय, 

मेहर कर राधास्वामी कहें समझाय 



🙏🍁RADHASOAMI 🍁🙏



माटी चुन चुन महल बनाया, 

लोग कहें घर मेरा, ना घर तेरा,

 ना घर मेरा, चिड़िया रैन बसेरा!

 कौड़ी कौड़ी माया जोड़ी, 

जोड़ भरेला थैला, 

कहत कबीर सुनो भाई साधो, संग चले ना धेला!!


 उड़ जाएगा हंस अकेला!!!


🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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