Thursday, March 16, 2023

सेवा कर्म काटने का सबसे आसान ज़रिया है

 

प्रस्तुति - नवल किशोर प्रसाद / कुसुम सिन्हा 


श्री हुज़ूर महाराज जी के समय में एक बहुत. धनी सेवादार हुआ करते थे । सेवा की तलाश में वह हुज़ूर महाराज जी के पास आए तो हुज़ूर महाराज जी ने उन्हें कुएँ में से पानी निकाल कर प्याऊ लगाने की सेवा बक्शी🙏

सेवादार बहुत धनी था और सिर्फ सफेद कपड़े ही पहनता था लेकिन जब वो कुएँ में से पानी निकाल कर मिट्टी में चलता था तो उसकी सफेद पैंट पर कीचड़ व मिट्टी के दाग लग जाते थे

उसने सोचा कि इस सेवा से तो मेरे सफेद कपड़े गंदे हो रहे हैं तो उसने एक नौकर को इस सेवा के लिये दिहाड़ी पर रख लिया

सेवा चलती रही वो मजदूर उस धनी सेवादार के हिस्से की सेवा बड़ी खुशी से करता रहा😊


कुछ समय बाद उस अमीर सेवादार की तबियत ख़राब हो गई और उसने बिस्तर पकड़ लिया ,हालत इतनी बिगड़ गई कि बिस्तर पर लेटे हुए उसे उल्टी लग जाती कभी शौच कपड़ों म़े ही निकल जाता उसके सारे कपड़े बुरी तरह ख़राब हो जाते थे😔

श्री हुज़ूर महाराज जी उसका हाल पूछने के लिए आए तो उस सेवादार ने रोते हुए कहा हुज़ूर दया करो 😭 


श्री हुज़ूर महाराज जी ने फरमाया कि दया तो हुई थी लेकिन तुमने अपने हिस्से की दया एक मज़दूर को दे दी😞


हुज़ूर ने प्यार से पूछा कि प्याऊ की सेवा करते हुए कपड़ों पर  थोड़ी सी मिट्टी लगना ठीक था कि जो अब हो रहा है वो ठीक है👏


फिर उसे समझाया अगर तुम कुएँ से पानी लाने की सेवा में अपने सफेद कपड़े थोडे से मैले कर लेते तो तुम आज यहाँ हस्पताल में ना होते😔


हम बिल्कुल भी नहीं जानते कि सतगुरू हमारे कर्म कैसे काट रहे हैं। बस हमे तो उनके हुक़्म की पालना करनी है

ये तन भी उसका है इसे ढकने के लिए कपड़े भी उसी ने ही तो दिए हैं.

अगर सेवा करते हुए सेवादार के कपड़े मैले या गन्दे हो जायें तो इसे भी सतगुरू की मौज समझना चाहिये 

*🙏🆚राधास्वामी जी🆚🙏*

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