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*10-02-2020-आज शाम के सतसंग में पढा गया बचन- कल से आगे-*
(53) राधास्वामी मत का उपदेश यह है कि संत सतगुरु की सहायता के बिना जीव का पूरा उद्धार नही हो सकता। जरा ख्याल करों की जीव कैसा बेतरह संसार में फँसा है। खुद पृथ्वी और उसका हर एक सामान हमारी सुरत को अपने अंदर जज्ब किया चाहता है। पृथ्वी की सहायता के लिये सूर्य, जो तमाम सूर्यमंडल की मरकजी यानी कैन्द्रिक शक्ति का भंडार है, दिन रात जोर लगा रहा है और सूर्य की सहायता चंद्रलोक का धनी, ब्रह्म व पारब्रह्म आदि कर रहे है और इन सब कु कोशिश यही है कि कोई सुरत ब्रह्मांड के पार न जाने पावे इसलिये सच्ची मुक्ती प्राप्त करने यानी ब्रह्मांड से बाहर निकल जाने के लिये उचित है कि ब्रह्मांड से परे की कोई शक्ति, जो इस पिण्डदेश और ब्रह्मांड की शक्तियों से आधिक बलबती हो , हमारी सहायता करे। ब्रह्मांड से परे निर्मल चेतन यानी सत्य देश है और संत सतगुरु सत्य देश की धार ही को कहते है। यही वजह है कि राधास्वामी मत में संत सतगुरु की सहायता पर इस कदर जोर दिया जाता है।
राधास्वामी
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*10-02-2020-आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-*
(1) अरी हे सहेली प्यारी, प्रेम की दौलत भारी, छिन छिन भक्ति कमाओं ।।टेक।।
(2) सतगुरु परम दयाल कही यह अमृत बानी। सुन लो बचन हमार कहूँ मैं तोहि बुझानी।। (प्रेमबिलास-(उत्तर)-शब्द-68,पे.न. 91)
राधास्वामी
प्रस्तुति - ममता शरण / कृति शरण
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