*रा धा स्व आ मी!*
*रोजाना वाकिआत-परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज*M
*28-12-22-आज शाम सतसंग में पढ़ा गया बचन-कल से आगे:-*
*(6.3.31-शुक्र का शेष भाग)-......*
*अखबारों से मालूम हुआ कि आखिर महात्मा गांधी व लार्ड इरविन के दरमियान समझौता हो गया है। शुक्र है कि कम-अज-कम कुछ अर्सा के लिये तो गिरफ्तारियां बन्द हो जायेंगी और हुकूमत" अहले-मुल्क" आपस में मिलकर आइंदा बेहतरी के लिये तजावीज निकालने की कोशिश करेंगे।
रात के सतसंग में इस मामले का जिक्र करते हुए मैंने कहा कि अगर इस सब कार्रवाई का नतीजा यह हो कि इंग्लिस्तान व हिन्दोस्तान के माबैन(आपस में) सच्ची व गहरी मोहब्बत क़ायम हो जाय तब तो इन दो हस्तियों ने बड़ी जबरदस्त ख़िदमत" सरअंजाम दी जिसके लिये हर किसी को शुक्रगुज़ार होना चाहिये और अगर नतीजा वरअक्स (उल्टा) हुआ तो सिवाय आरजी खुशी के और क्या हासिल होगा ?
अगर इंग्लिस्तान व हिन्दोस्तान मिल कर काम करें तो न सिर्फ़ इन दो मुल्कों के बाशिंदों" के दुःख दूर हो जायें बल्कि कुल दुनिया को अमान" हासिल हो जाये। बहरहाल यह ज़रूर तस्लीम करना होगा कि महात्मा गांधी ने अपनी रोशनी के बमूजिब" खूब बढ़कर काम किया और मुल्के हिन्द की काया पलट दी नीज यह कि लार्ड इरविन ने इस कदर नामुवाफ़िक हालात की मौजूदगी में कमाल दरजे की बुर्दबारी(सहिष्णुता) से काम लिया।और आइन्दा वाइसराय के लिये यह कहने का मौक़ा न छोड़ा कि उन्हें इनान'-ए-हुकूमत ऐसे वक़्त में मिली जबकि तमाम मुल्क में अवतरी' फैली हुई थी।
अब नतीजा यह होगा कि सिविल नाफरमानी बन्द और गिरफ्तारियां बन्द । कांग्रेसी लीडर गोलमेज कान्फ्रेंस में शरीक होकर अपनी क़िस्मत आजमाई करें। और महज अंग्रेज़ी कपड़े के बॉयकाट के बजाय बिदेशी कपड़े के खिलाफ़ प्रचार करें स्वदेशी चीज़ों के इस्तेमाल के लिये ज़ोर लगायें। क्या इन तब्दीलियों से अहले-हिन्द अपने दुःखों से निजात' हासिल करेंगे?
अगर इनसे बढकर सहूलियतें रखने वाली कौमें दुःखों से आजाद नहीं हैं तो अहले-हिन्द कैसे निजात हासिल कर सकते हैं? अगर वह हिन्दोस्तानी भाई जिन्हें नई स्कीम के बमूजिव अख्तियारात मिलेंगे वह मौजूदा अफ़सरान से बेहतर दिल व दिमाग वाले हों तब तो मुल्क के लिये बेहतरी की उम्मीद की जा सकती है। वरना सिवाय इसके क्या होगा कि अहले हिन्द की पीठ पर विलायती चाबुकों के बजाय हिन्दोस्तानी चाबुक कड़कें ?*