Tuesday, December 20, 2022

कौन हैं वे पाँच गाँव, जिसके लिए महाभारत का युद्ध हुआ?

 

+++++++++++++++±+++++++


आज से लगभग `५००० साल पहले लिखा गया महाभारत आज भी इतना ही रोचक है. आम आस्थालु के लिए ये निर्विवाद श्री कृष्ण की लीला है। लेकिन कुछ पुरातत्व और वैज्ञानिक आधार बताते है की सच में महाभारत हुआ था और तब का ये विश्व युद्ध था जिसमे खंड के सभी छोटे बड़े देशो ने हिस्सा लिया था। बदला, स्त्री का अपमान और जमीन की लालच युद्ध के लिए बड़ा कारण था. तब के सबसे कदावर राजनीतिज्ञ द्वारिका नरेश श्री कृष्ण ने हर संभव प्रयास किए की युद्ध न हो. लेकिन युद्ध हुआ।

लेकिन कौरव ये ५ गांव पांडव को देने को राजी हो जाते तो आज महाभारत ग्रंथ होता या नहीं उनपर भी सवाल रहता। चलो देखते है ये ५ गांव -


इन्द्रप्रस्थ


महाभारत में इंद्रप्रस्थ का उल्लेख कहीं-कहीं पर श्रीपत के नाम से मिलता है। जब पांडवों और कौरवों के बीच संबंध खराब हो गए थे तो धृतराष्ट्र ने यमुना के किनारे खांडवप्रस्थ क्षेत्र को पांडवों को देकर अलग कर दिया था। यह क्षेत्र बड़ा ही दुर्गम था। यहां की जमीन भी उपजाऊ नहीं थी, लेकिन पांडवों ने इस उजाड़ क्षेत्र को आबाद कर दिया। इसके बाद पांडवों ने रावण के ससुर और महान शिल्पकार मायासुर से विनती कर यहां सुंदर नगरी बसाई, जिसका नाम इंद्रप्रस्थ रखा गया। मौजूदा समय में दिल्ली का दक्षिणी इलाका महाभारत काल का इंद्रप्रस्थ माना जाता है।

व्याघ्रप्रस्थ

महाभारत काल के व्याघ्रप्रस्थ को आज बागपत कहा जाता है। इस जगह को मुगलकाल से बागपत कहा जाने लगा। आज ये जगह उत्तर प्रदेश में स्थित है। कहा जाता है कि इसी जगह पर दुर्योधन ने लाक्षागृह का निर्माण करवाकर पांडवों को मारने की साजिश रची थी। लाक्षागृह एक भवन था, जिसे दुर्योधन ने पांडवों के विरुद्ध एक षड्यंत्र के तहत उनके ठहरने के लिए बनाया था। इसे लाख से निर्मित किया गया था, ताकि पांडव जब इस घर में रहने आएं तो चुपके से इसमें आग लगा कर उन्हें मारा जा सके।


स्वर्णप्रस्थ


स्वर्णप्रस्थ का तात्पर्य ‘सोने के शहर’ से है। महाभारत का स्वर्णप्रस्थ आज सोनीपत के नाम से जाना जाता है। समय के साथ महाभारत का स्वर्णप्रस्थ, ‘सोनप्रस्थ’ बना और फिर सोनीपत कहलाया। आज ये हरियाणा का एक प्रसिद्ध शहर है।

पांडुप्रस्थ

महाभारत काल में आज के पानीपत को पांडुप्रस्थ कहा जाता था। इसी पानीपत के पास कुरुक्षेत्र स्थित है, जहां महाभारत का युद्ध हुआ था। पानीपत, नई दिल्ली से 90 किलोमीटर उत्तर में है।

तिलप्रस्थ


तिलप्रस्थ नाम का यह गांव आज तिलपत के नाम से जाना जाता है। यह हरियाणा के फरीदाबाद जिले का एक कस्बा है।


No comments:

Post a Comment

सूर्य को जल चढ़ाने का अर्थ

  प्रस्तुति - रामरूप यादव  सूर्य को सभी ग्रहों में श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि सभी ग्रह सूर्य के ही चक्कर लगाते है इसलिए सभी ग्रहो में सूर्...